RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
चेंज करते समय मैं सोच रही थी, शाम के बारे मेकैसे वो सारे समय मेरे साथ थे और फिर झुक के मेरी पायल पहनाई, मेरे लिए कुर्सी म्मगवाई और फिर. . अब ये.. सो कियरिन्ग. मैं सोच रही थी कि मैं क्या कर सकती हू, और फिर मेने सोच लिया उनकी चीज़ उनको देने मे क्या शरम आज मेने तय किया कि और फिर मेने अपने सारा मेक अप उतार दिया, भारी गहने भी और बाल भी खोल दिए. अब मैं एक दम रिलेक्स महसूस कर रही थी. एक सेक्सी सी ऑलमोस्ट ट्रॅन्स्परेंट सिल्क, स्लिव लेस लो काट नाइटी जो भाभी ने दिल्ली मे खरीदी थी, मेने निकाली और साथ मे मैनचिंग, शियर, लेसी हाफ़ कप ब्रा और एक ठग लेसी पैंटी. पैंटी का पिछला हिस्सा तो मेने अपने नितंबो के बीच मे और आगे का भाग भी बेस्ब्रा सिर्फ़ नीचे से सपोर्ट कर रही, बल्कि और उभार रही थी. जब मेने शीशे मे देखा तो मन किया कि उनके सामने जा के बोल दूँगी, एक ट्वर्ल कर के, बोलो राजा मैं कैसी लगती हू.
लिपस्टिक और काजल को ज़रा और फ्रेश कर मैं बाहर निकली.
वो बेचारे उतावले, बेसबर जैसे ही मैं बैठी (बैठने का मतलब उनकी गोद मे ये मेने पहले दिन ही समझ लिया था) आज मेने कल की ग़लती नही की. चाँदी का दूध से भरा ग्लास उठा के.. पहले उनकी ओर बढ़ा के जैसे ही उन्होने मूह आगे बढ़ाया, मेने ग्लास पीछे खींच लिया और उसे अपने गुलाबी गालो से लगा के सहलाने लगी. फिर उन्हे दिखा के अपने होंठो से लगा के सीप कर लिया. और फिर ग्लास जो हटाया तो उन्हे दिखा के ग्लास पे चार पाँच बार किस कर लिया. जब ग्लास मेने उनके होंठो पे लगाया तो,
ठीक वही जहाँ मेरे होंठ लगे थे और गुलाबी लिपस्टिक के गाढ़े गाढ़े निशान थे. उनके तो दोनो हाथ 'व्यस्त' थे, एक मेरी पतली कमर पे और दूसरा नाइटी के अंदर से झलकते, ललचते मेरे उरोजो पे. और जब उनके पीने के बाद मेने पिया तो, उनके होंठ दूध के साथ मेरे अधर रस पीने को ज़्यादा व्याकुल थे. किसकी हिम्मत थी, जो 'किस' को मना करे. जब तक मेरे अधर उनके अधरो के बीच उलझे थे, मेरे हाथ ग्लास को बड़े साजेस्टिवली मेरे दोनो उभारो के बीच 'रोल'कर रहे थे. जब तक दूध ख़तम हुआ, हम दोनो की हालत खराब थी. कुछ दूध का असर, हम दोनो एक दम ताजदम हो गये थे. और कुछ छेड़खानी का असर, और उन पर असर तो मैं सॉफ साफ महसूस कर रही थी. उनका'वो' पूरी तरह उत्थित हो के मेरे नितंबो के नीचे से, इतने बेताब कि लग रहा था उनके पाजामे और मेरी नाइटी को फाड़ कर सीधे अंदर. मैं भी कम नही थी आँखे मुदि जा रही थी, सिर्फ़ उनकी उंगलियो की छुअन से मेरे उरोज पत्थर हो रहे थे.
जब उन्होने अपनी बाहो मे पकड़ के मुझे बिस्तर पे लिटाया तो नाइटी कमर तक सरक चुकी थी. मेने इशारे से बेड लाइट बंद करने को कहा, लेकिन उससे कोई खास फरक नही पड़ा. आज पूनो की रात थी और खिड़की पूरी तरह से खुली. छितकी चाँदनी से मेरा, पूरा बदन नहाया था. उनके होंठो ने मेरे लजाए, कजरारे नेनो से,
थोड़े से सपने चुराए, कुछ मिठास मेरे रसीले होंठो से ली और यौवन शिखरो पे चढ़ने के पहले, दम लेने के लिए घाटी मे बैठ गये. छोटे छोटे पग भरते,
उनके रस के प्यासे होंठ मेरे रस कलशो को छूते, उनका रस ढलकते धीरे धीरे पहुँच गये शिखर पे. अधीर उंगलियो ने पहले ही ब्रा के हल्के से पर्दे को थोड़ा खिसका दिया था. उनके होंठो ने पहले हल्के से छुआ, सहलाया, चूमा और फिर एक दम से गप्प से भर लिया, जैसे ना जाने कब के प्यासे हो. मेरे रस के प्याले छलकते रहे और वो पीता रहा. छक के पी के मेरे पिया के चुंबनो ने देह यात्रा शुरू की.
उरोजो की परिक्रमा कर, नीचे उतर कर सीधे, थोड़ी देर वो मेरी नेभी कूप मे सुस्ताये और फिर, मेरी पैंटी के किनारे किनारे उसकी जीभ ने जैसे लाइन खींच दी हो और फिर सीधे पैंटी के उपर से ही एक खूब तगड़ा सा चुंबन.. लेकिन जैसे कोई यात्री बहुत लालच के भी कही रुक ना पड़े, वो आगे बढ़ गये. मेरी रसीली कदली स्तम्भ सी चिकनी सरस जाँघो का रस लेते, उस पर फिसलते सीधे मेरे पैरो तक. मुझे डर था कि मेरे जिन पैरो को छूने से उन्हे पाप लगेगा, उन पाओ को तलुओ, को.. इतने चुंबन लिए कि मुझे लगा अब इन पाओ को मैं अब कभी ज़मीन पे नही रख पाउन्गि.
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