RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
वो बोल रही थी और चुतड उठा उठ के गपगाप गपगाप अपने पति का मोटा लंड अंदर ले रही थी,चुदवा रही थी. ( मेरा शरीर सिहर रहा था. मस्ती के मारे मेरी हालत खराब थी. मेरी 'वो' गीली हो रही थी.मैं सोच रही थी बस मैं भी ऐसे ही चुदवा खुल के शरम लिहाज छोड़ के) तब तक कोई आहट हुई, शायद उन्होने करवट बदली होगी, और मेने झट से वो किताब कबार्ड मे डाल के उसे बंद कर दिया.
वो फिर सो गये थे. अगर वो उठते तो शायद उस हालत मे मैं खुद उस हालत मे जा के उनसे कहती 5 बजने वाले थे. बात रूम मे जा के मैं तैयार होने लगी. मेने नीचे देखा तो मेरी दोनो 'पंखुड़ियो' के बीच मे एकदम 'गीला' लिसा-लिस हो रहा था और मेरी दोनो जाँघो पे सफेद वीर्य के गाढ़े थक्के.
मुझे एक भाभी ने कहा था वो बात याद आई "दुल्हन की माँग मे हर दम सिंदूर दमकना चाहिए और बुर मे हरदम वीर्य"और मेने वहाँ नही साफ किया.
मैं ड्रेसिंग टेबल पे मेक अप कर रही थी कि बाहर से आवाज़ आई चाय, और मेने कहा यही लेते आइए. हम दोनो चाय पीके साथ साथ तैयार होने लगे. भाभी ने कहा था मैं कुंदन वाला कॉरसेट पहनु, रिसेप्षन के लिए और साथ मे मॅचिंग लहंगा और चुनेरी थी. वो एक बहुत खूबसूरत सी कढ़ाई वाला जामवरी जोधपुरी पहन रहे थे और उस पे भी मेरे ड्रेस से मॅचिंग कुंदन का काम था.
तब तक बाहर ख़त खाट की आवाज़ हुई मेने ब्लाउस और लहंगा पहने ही दरवाजा खोल दिया. बाहर गुड्डी और वो लड़की जिसका मेने दिन मे दुपट्टा ठीक किया था, खड़ी थी. वो दोनो अंदर आई और बताया कि भाभी ने बोला कि तैयार होके हम लोग सीधे होटेल पहुँचे और वो दोनो भी हमारे साथ आएँगी. उस लड़की का नाम रजनी था. मेने उन दोनो को कमरे मे बिठाया. तब तक वो तैयार हो के बाहर आए और बोले कि मैं नीचे से आधे घंटे मे आता हू तब तक तुम तैयार हो जाओ.
मैं अंदर ड्रेसिंग रूम मे जा के तैयार होने लगी. लहंगा पहनेने और मेक अप करने के बाद जब मैं कॉरसेट पहनने लगी तो एक सवाल उठ खड़ा हुआ, उसे बाँधने का. घर पे तो ये काम भाभी या मेरी सहेलिया ये काम कर देती थी पर यहाँ मेने बाकी सब कुछ पहन लिया था, मेक अप कर लिया था और कॉरसेट मे घुस भी गयी थी पर. मेने गुड्डी को आवाज़ लगाई. उसके साथ रजनी भी आ गयी. गुड्डी से मेने कहा बाँधने को, उसके पहले साँस खींच के मेने पेट को एक दम सिकोडा और फिर वो किसी तरह अंदर घुसा. बाँधते समय गुड्डी बोली अभी और टाइट करना है और मेने कहा हन. उसे विश्वास नही हो रहा था लेकिन वो फिर एकदम टाइट फिट हो गया.
जब मेने शीशे मे देखा तो मेरे दोनो उरोज जैसे बाहर छलक रहे हों मेरी कमर तो एकदम मुट्ठी मे भर के साइज़ की और, 'वो'मेरे उभार सिर्फ़ खूब उभर के ही नही दिख रहे थे बल्कि मेरा क्लीवेज भी पूरी गहराई मे और पीठ भी खूब डीप (बस, यू समझ लीजिए कजरारे कजरारे मे जैसे ऐश दिख रही थी ना, बस उतना क्लीवेज). मेने कंधे पे थोड़ा पाउडर लगाया और जैसा 'ग्रूयिंग क्लास मे बताया था, क्लीवेज पे भी हल्का सा मेक अप कर, गहराई को थोड़ा और प्रोइनेंट तक तक मेने देखा कि मेरे दोनो उरोजो पे, उनके 'निशान' थोड़े गाढ़े से, पहले मेने सोचा कि उसे 'कवर' करू, फिर रहने दिया. गले मे मंगल सुत्र, कुंदन का जड़ाऊ हार और कुंदन के सेट पहन रखे थे. फिर कुछ सोच के उन्होने कल रात जो डाइमंड का सॉलिटेर दिया था, उसे भी पहन लिया. वो बड़ा सा चमकदार प्रिन्सेस डाइमंड अब सीधे मेरे क्लीवेज की गहराई मे. अब अगर कोई अपने ध्यान हटाना भी चाहे तो 'वहाँ' से नही हटा सकता था.
वो दोनो मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी. मुस्करा के मैं बोली, चलो अब तुम दोनो का भी मेक अप कर दू. गुड्डी तो बेचारी प्लेन जेन की तरह दिख रही थी और रजनी बच्ची की तरह. दोनो के ना ना करते भी, मेने मास्कारा, आइ लॅशस, चीक बोन्स को हाइलाइट कर के थोड़ा सा रूज लगा दिया. और फिर उंगली मे लिपस्टिक ले के होंठो पे स्मॅज कर के ग्लास लगा एकदम वेट लुक दे दिया और होंठ अब थोड़ा भारी और ज़्यादा रसीले लग रहे थे. रजनी ने लाचा और शरारा पहन रखा था. मेने उसके रोकते, क्लीवेज को थोड़ा हाइलाइट कर दिया. मैं वैनिटी बॉक्स से उनके लिए कुछ इमिटेशन जेवलरि देख रही थी, कि मेरी निगाह कुछ 'पुश अप पॅड्स' पे पड़ गयी. मैनें दो निकाल के गुड्डी को दिए और ज़बरदस्ती, उसकी ब्रा के नीचे और दो उसे दिए रजनी को लगाने को. रजनी पहले तो ना नुकुर करती रही लेकिन जब हम दोनो ने बोला कि सीधे से खुद लगा ले, वरना उसके सारे कपड़े उतार के हम लोग लगाएँगे तो वो तैयार हो गयी. और जब उन दोनो ने खुद को शीशे मे देखा तो जोबन गजब के उभर के आ रहे थे और रूप भी. मेने गुड्डी से कहा कि तुम्हे सुबह की दुलारी की बात याद रखनी चाहिए, शादी का घर और मौके वाली और उसका दुपट्टा सिर्फ़ एक कंधे पे सेट कर दिया कि वो सिर्फ़ एक उभार चुपरे और रजनी का भी खींच के गले से चिपका दिया. मैं हंस के बोली, कि तुम लोगो के बिजली गिराने के दिन है.
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