RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
मेरी ननदो से वो बोली,
"भाभी को नीचे ले जाओ और नाश्ता वास्ता कराओ, मैं आती हू."
बिना उनमे से किसी के पूछे मैं बोल पड़ी, नींद अच्छी आई थी.
दरवाजे से बाहर निकलते ही सब एक साथ चालू हो गयी. और सब से ज़्यादा अंजलि,
"क्यो भाभी कैसी रही. भैया ने ज़्यादा तंग वन्ग तो नही किया."
एक तो साड़ी उपर से घुँघटओर फिर नया घर और उपर से सबने समझाया था कि धीरे धीरे चलना.
"वो पूछने की बात है, देख बिचारी भाभी से चला नही जा रहा है, तुम सब भी धीमे धीमे चलो ना साथ."दूसरी ननद ने और छेड़ा. तब तक मेरे गाल पे कोई निशान दिख गया( मेने ध्यान से हर जगह नो मार्क लगाया था तब भी कुछ छूट ही गये थे). वो उसे दिखाती हुई गुड्डी से बोली,
"हे तुझसे इतना कहा था ना. गुड नाइट नही लगाया था क्या. देख भाभी को इतना कस के मच्छर ने काट लिया."और आज गुड्डी ने भी इन सब का कॅंप जाय्न कर लिया था. वो उसे छेड़ते बोली,
"हे अंजलि. अपने भैया को मच्छर कह रही है."
"क्या भैया ने ये तो बहुत बुरी बात है. दिखाइए भाभी कहाँ कहाँ काटा खोल के दिखाईयगा, मैं उस जगह मलहम लगा दूँगी. "दूसरी बोली.
मैं क्या बोलती. गनीमत थी, तब तक हम लोग नीचे पहुँच गये थे.
नीचे बरांडे मे मेरी सास, मेरी ममिया, मौसेरी सास और बाकी सब औरतें बैठी थी. मेने पहले अपनी सास और फिर बाकी सबके पैर छुए. सास ने मेरी, खूब आशीर्वाद दिया. किसी औरत ने बोला,
"लगता है बहू को रात मे ठीक से नींद नही आई. आँखे देखो, जागी जागी लग रही है"
"अर्रे नेई जगह है, नेया घर. नेई जगह कहा ठीक से पहली रात नींद आती है."मेरी सास ने बार सम्हली.
"हा नई चीज़, पहली बार बहू परेशान मत हो. पहली रात थी ना. दो तीन दिन मे आदत पड़ जाएगी."मेरी ममिया सास ने फिर छेड़ा.
"चलो कोई बात नही अब आराम कर लो. "मेरा सास ने मुस्कराते हुए मेरी ननदो से कहा कि वो मुझे ले जाए और कमरे मे आराम करने दे. पर वो दुष्ट.. जैसे ही मैं उठ के दो पग भी नही चली होंगी, एक ने पीछे से बोला,
"रात पिया के संग जागी रे सखी. चैन पड़ा जो अंग लगी रे सखी."
और जिस कमरे मे मैं कल बैठाई गयी थी, वही, उन्होने बैठा दिया. थोड़ी ही देर मे लड़कियो और औरतो ने घेर लिया. एक मेरी शादी शुदा ननद ने मेरी ठुड्डी पकड़ के उठाया और बोली,
"लगता है बहुत मेहनेत पड़ी रात भर बेचारी का तो सारा जूस ही निकल गया."
मेरी एक जेठानी ने उल्टा उसको छेड़ते हुए कहा, ' तुम्हे अपने दिन याद आ गये क्या जो इतना खून खच्चर हो गया कि अस्पताल जाना पड़ा. फिर पता चला कि बिना कुछ चिकनाई लगाए ही अर्रे कुछ नही था तो नेंदौई जी से कहती थूक ही लगा लेते,"
"अर्रे तभी तो मैं भाभी से कह रही थी बार बार कि वैसलीन लगा ले."अंजलि बोली.
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