RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--14
गतान्क से आगे…………………………………..
लेकिन अबके जब मैं घर पहुँची तो ननदो से नही बच पाई. जब मैं अपने कमरे मे पहुँची तो मेरी मझली ननद और एक दो और लड़किया पहले से बैठी थी, और फिर तो मेरे आने का पता चलते ही सब ने घेर लिया. मझली ननद बोली,
"क्यो हो गई रात के दंगल की तैयारी. भाभी नज़र ना लगे बहुत मस्त लग रही हो, देखते ही भैया टूट पड़ेंगे""हे एकदम, कच्ची गुलाब की कली लग रही हो, बस लेकिन मैं यह सोच रही हूँ रात भर मसले रगड़े जाने के बाद इस कली की क्या हालत होगी. "एक ने छेड़ा तो दूसरी बोली,
"अर्रे कली को फूल बनने के लिए फटना तो पड़ता ही है. ""हे वहाँ, नीचे क्रीम व्रिम लगवाया कि नही, अगर कही, वो बेसबरा हो गया ना और सीधे ही ठोंक दिया तो बहुत दर्द होगा. अर्रे मैं तो कह रही हू अभी से लगा लो जाके बाथ रूम मे. फिर मत कहना कि ननदो ने पहले से बताया नही. "एक और बोली.
"अर्रे भाभी हम लोगो से क्या शरमाना, और फिर हम लोग तो इस स्टेज से गुजर चुके है, अर्रे यही ज़रा सा टाँग मोड़ के लगा लो, और ना हो तो कहो तो हम ही लगा दे. हे अंजलि ज़रा वेसलिन की शीशी तो ले आना. "मझली ननद बोली जिनकी दो साल पहले शादी हो चुकी थी. अंजलि क्यो चूकती, वो तुरंत शीशी ले आई.
लेकिन तब तक चमेली भाभी आ गयी और वो गुड्डी के पीछे पड़ गयी, और बोली,
"हे, तुमने कहाँ कहाँ पाउडर क्रीम लगवाया. नीचे वाले होंठो पे लगवाया कि नही, अर्रे वो होंठ भी तो गपॉगप घोटती है.. बिना दाँत वाली". और जब अंजलि मेरी ननद को वासलिन की शीशी दे रही थी तो फिर वो उसके उपर चालू हो गयी.
"अर्रे वॅसलीन साथ ले के चलती हो. इसके भाई तो वापस चले गये क्या अपने भाइयो के साथ ही. "अंजलि को थोड़ा इनेडायजेशन हो गया था, उसको ले के भी "अर्रे किससे चुदवाया था जो पेट रह गया, और उलटी आ रही है. खैर मेरे पास उसकी भी दवा है, ले लेना और आगे से थोड़ा सावधानी बरतना. "तब तक अंजलि की कुछ और सहेलिया आ आगयि और चमेली भाभी को किसी काम से बाहर बुला लिया गया. फिर तो मेरी शामत आ गयी.
"अर्रे भाभी के गाल कितने प्यारे है लाल टमाटर की तरह.. "एक बोली.
"अर्रे तभी तो भैया रात भर चटनी बनाएँगे, "उसकी दूसरी सहेली ने छेड़ा.
तब तक मेरी सास ने उन सबको डांटा,
"अर्रे, इतने समय हो गया है. उस बिचारी को कुछ खिलाया पिलाया भी कि नही सिर्फ़ तंग करने के लिए ही ननदे हो"उनेकी बात पे मेरी निगाह घड़ी की ओर गयी. साढ़े सात बज रहे थे.
थोड़ी देर मे ही मेरी मझली ननद, अंजलि और गुड्डी, पूड़ी, सब्जी, बाखीर (गुड से बनी खीर जो दुल्हन को ससुराल मे आने पे पहले दिन ज़रूर खिलाई जाती है.) एक थाली मे लगा के ले आई.
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