RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
'उन्होने' 500 रुपये दिए तो मेरी मांझली ननद बोल पड़ी,
"वाह भैया सालियो को तो पूरे 1000 और हम लोगो को सिर्फ़ 500"उनकी भाभी, नीरा भाभी मेरी जेठानी एकदम मेरी भाभी की तरह पूरा मेरा साथ दे रही थी. वो बोली,
"अर्रे सालिया तो सालिया होती है, तुम सब इनके साथ वो काम कर सकती हो जो सालिया कर सकती है, "लेकिन ननद टस से मस नही हुई. आख़िर मेरी जेठानी बोली, अच्छा चलो मैं तुम लोगो को 500 रुपये देती हू, लेकिन ये वादा रहा कि ये अड्वान्स पेमेंट है, तुम सबको मैं अपने देवर की साली बना के मानूँगी. "अंजलि ने आगे बढ़ के रुपये ले लिए.
और उस के बाद ढेर सारी रस्मे, गाने लेकिन मेरी जेठानी ने एक के बाद एक सारी रस्मे जल्द ही करवा दी. वहाँ भी जुए का खेल था दूध से भरी परात से कंगन निकालने का. पहली बार तो मैं अपने नखुनो की सहायता से जीत गई,
लेकिन दूसरी बार उन्होने बाजी मार ली. पर जब तक वो अपनी मुट्ठी से कंगन निकाल के दिखाते, मेरी जेठानी बोली कि देवर जी अगर तुमने दुल्हन से जीतने की कोशिश की ना तो बस समझ रखना, मैं कंगन नही खुलवाउंगी.. बस सारी रात टोपते रहना. बस बेचारे वो. उन्होने सीधे मेरी मुट्ठी मे.
उसके बाद कंगन खोलने की रसम थी और उनकी भाभियो ने उन्हे खूब चिड़ाया (उसी समय मुझे पता चला कि कंगन और उसके खोलने का क्या 'मतलब' है कि उसके बिना रात को दूल्हा, दुल्हन का मेल नही हो सकता.) और उसके बाद देवी दर्शन की, मौरी सेरवाने की और उसी के साथ मुझे पता चला कि मज़ाक, गाने और खास कर गालियो मे मेरी ससुराल वालिया, मेरे मायके वालो से कम नही बल्कि ज़्यादा ही थी. और खास तौर से चमेली भाभी वो गाव की थी, 24-25 साल की दीर्घ नितंब, और कम से कम 36 डी.. और इतनी खुल के गालिया बंद ही नही होती थी. पूरे मौरी सेरवाने के समय अंजलि और उसकी सहेलियो के पीछे पड़ी रही.
जब सारी रस्मे ख़तम हो गयी तो नीरा भाभी, मुझे एक कमर्रे मे ले गयी और बोली कि अभी डेढ़ बज रहा है. तुम कुछ खा लो मैं ले आती हू. उसके बाद मैं बाहर से दरवाजा बंद कर दूँगी. तुम थोड़ी देर आराम कर लो. शाम को साढ़े 5 बजे तुम्हे ब्यूटी पार्लर जाना है. मेरी भतीजी, गुड्डी, उससे तो तुम मिली होगी,
वो तुम्हे ले जाएगी. मेरी जेठानी ने इसरार कर के मेरे मना करने पे भी अच्छी तरह खिलाया और बाहर से कमरा बंद कर दिया कि आके मुझे कोई डिस्टर्ब ने करे. तीन घंटे मैं जम के सोई. दरवाजा खाट खटाने की आवाज़ से मेरी नींद खुली. बस मैं ये सोच रही थी कि काश एक गरम चाय की प्याली मिल जाए, और गुड्डी ने दरवाजा खोला, गरम चाय के साथ. और मेने सोचा कि शायद इस समय मेने जो कुछ माँगा होता तो वो मिल जाता लेकिन फिर मुझे ये ख्याल आया कि जो कुछ मेने चाहा था वो तो मुझे मिल ही गया है और बाकी आज रात को और वो सोच के मैं खुद शर्मा गई. गुड्डी, 15-16 साल की थी, अंजलि की हम उमर, और वो भी टेन्थ मे थी, अंजलि की पक्की सहेली भी. ससुराल वाली होने के कारण गालिया तो उसको भी पड़ ही जाती थी और छेड़ना भी, लेकिन मेरी जेठानी की भतीजी होने के कारण वो हमारे साथ थी.
थोड़ी ही देर मे हम पार्लर पहुँच गये. पता ये चला कि जिसने मेरे शहर मे ब्राइडल मेकप किया था उसी की ब्रांच थी ये और न सिर्फ़ उन लोगो ने बल्कि भाभी ने भी इन्हे 'डीटेल्ड इन्स्ट्रक्षन्स' दे रखे थे. दो तीन लड़कियो ने साथ साथ मेकप शुरू किया और सबसे पहले तो एक टब मे सो कर के जिसमे गुलाब जल और गुलाब की पंखुड़िया और ना जाने क्या क्या पड़ा था. थोड़ी देर मे ही मेरा सारा टेन्षन, थकान काफूर हो गये. उसके बाद पूरे बदन पे मसाज और हल्के से चंदन और गुलाब का लेप. फिर फेशियल. गुड्डी को मेरे कपड़े और जेवर भी मेरी जेठानी ने दे दिए थे ( जिसे भाभी ने खास तौर पे आज रात केलिए सेलेक्ट किया था.). वो भी उन्ही लोगो ने पहनाई और फिर जब मेने शीशे मे अपने को देखा तो मैं खुद शरमा गई.
|