RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
रश्मि, ज्योत्सना और रंभा 'इनके' पीछे पड़ गई कि गाने सुनाए.
थोड़ा हाथ पैर जुड़वाने के बाद वो मान गये और शुरू किया,
"जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे,
तुम दिन को अगर रात कहेंगे चाहेंगे, सराहेंगे निभाएँगे आप ही को..
आँखो मे दम है जब तक, देखेंगे आप ही को
हम जिंदगी को आप की सौगात कहेंगे "
और जिस तरह से वो खुल के मुझे देख रहे थे कि शरमा के मेने पलके नीचे कर ली. उनेकी आवाज़ इतनी अच्छी थी कि बस पिन ड्रप सेलेंस. किसी को शक नही था कि वो किसके लिए गा रहे है. जब गाना ख़तम हुआ तो बस सबने एक साथ जम के तालिया बजाई. और फिर मेरी झुकी निगाहो को देख के उन्होने फिर शुरू कर दिया,
"तेरी आँखो के सिवाय दुनिया मे रखा क्या है,
ये उठे, सुबह चले, ये झुके शाम ढले,
मेरा जीना मरना इन्ही पलको के तले,
तेरी आँखो के सिवाय"और अबकी बार तो तालिया रुक ही नही रही थी. और मैं बस शर्म से गुलाबी हो रही थी,
ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी कि सबके समानती तक रंभा ने इन्ह घेरा. हम सबको मालूम चल गया कि दीदी के लिए आप ने क्या कहा लेकिन थोड़ा बहुत तो इन सालियो पे भी नजर्रे इनायत हो जाए. और जिस तरह उसने कहा मुस्करा कर,उन्होने उसे पकड़ के अपने सामने बैठा लिया और सारी सालियो को देख गाने लगे,
"कच्ची कली कचनार की ना समझेगी बाते प्यार की. "भाभी बोली, "वो अच्छी तरह समझेगी. बस समझाने वाला चाहिए. ""बंदा तैयार है बस बोलिए कब से शुरू करू और किधर से. "वो बोले. अब सालियो के शरमाने की बारी थी.
"जीजा जी आप ने इतना अच्छा गाया बस एक औउटोग्राफ दे दीजिए, "नीतू ने एक मुड़ा कागज पेश किया. उन्होने खुश होके तुरंत साइन कर दिया. अर्रे इनकी बेहन का भी तो ले लो, इनके बगल मे, भाभी बोली और अंजलि ने भी औउटोग्राफ दे दिया.
तब तक भाभी एक थॉल ले आई, जिसमे दूध और गुलाब की पंखुड़िया पड़ी थी. इस रसम मे भाभी एक अंगूठी डालती है और उसे फिर दूल्हे दुल्हन ढूँढते है.
रसम शुरू होने के पहले रश्मि बोली, भाभी बिना दाव के जुए मे क्या मज़ा.
जीजा जी कुछ दाव लगा के खेलिए. ज्योत्सना बोली, लेकिन ये दाँव मे लगाएँगे क्या. थी तक मेरी एक भाभी अंजलि की ओर इशारा कर के बोली "अर्रे इतना मस्त माल अपने साथ ले के आए है, लगा दे उसी को. ""ठीक है तो फिर जीजू, अगर आप हार गये ना तो मेरे सारे भाई, संजय सोनू,
आपके सारे साले आपकी बेहन के साथ, जब चाहे थी, जहाँ चाहे वहाँ, जिधर से चाहे उधर से, जितनी बार चाहे उतनी बार बस ये समझ लीजिए कि आप अपनी बेहन हमेशा के लिए हार जाएँगे"रश्मि जुए की तैयारी पूरी करते बोली.
"अर्रे वाह ये कोई बात हुई अगर भैया जीत गये तो. ये तो एक तरफ शर्त हुई.
उधर से भी भैया की कोई साली दाव पे लगे. "अंजलि बोली.
"अर्रे अगर तुम्हारे भैया जीत गये तो तुम्हे बचा लेंगे. ये कम बड़ी बात है.और जहाँ तक उनेकी सालियो का सवाल है, तो वो तो अपने इस जीजू के साथ जब चाहे, जहा चाहे वहाँ, जिधर से चाहे उधर से, जितनी बार चाहे उतनी बार जिसने ना कहा वो साली नही"रंभा ने जवाब दिया. पहले भाभी ने थॉल मे हाथ डाल दिया था और फिर हम ने और 'उन्होने'. वो बेचारे बड़ी तेज़ी से दूध मे अंगूठी ढूंढते रहे, और मैं भी लेकिन मुझे भाभी ने आँख से इशारा कर दिया था. और थोड़ी देर के बाद, जब मेरा हाथ भाभी की मुट्ठी के पास गया तो चुपके से उन्होने अंगूठी अपनी मुट्ठी से मेरी मुट्ठी मे कर दी. थोड़ी देर तक ढूढ़ने का बहाना कर के मेने अंगूठी बाहर निकाल के सबको दिखाई.
अंजलि बोली नही नही बेईमानी हुई है, तो रश्मि बोली अर्रे तुम चुप रहो. अब तुम हमर्रे भाइयो की रखैल बन गई हो तुम्हार्रे भैया तुम्हे हार गये है.
भाभी बोली कि नही अभी अगर तुम्हार्रे भैया तुम्हे बचाना चाहते है तो एक मौका और है, और अगर तुम्हे शक है तो अगली बार इन लोगो को दूर दूर बैठाते है और अंगूठी मैं उपर से गिराउन्गि.
सेकेंड राउंड शुरू हुआ. अबकी बार हम दोनो आमने सामने थे. रश्मि ने शर्त ये रखी थी कि अगर ये जीत गये तो अंजलि को वापस जीत लेंगे और अगर हर गये तो हमर्रे यहाँ जितने काम करने वाले है नौकर मजदूर उन सबका उस पर हक हो जाएगा. भाभी बीच मे थी और दोनो साइड मे हम दोनो. और उन्होने अंगूठी सबको दिखा के हवा मे ही गिराई, लेकिन उसको इस तरह झटका दिया कि वो खुद अपने आप मेरे हाथ मे जा गिरी. और वो राउंड भी मैं जीत गयी.
उनको एक मौका और दिया गया. इस बार फिर अंजलि दाव पे थी लेकिन भाभी ने शर्त रखी थी कि अगर अबके वो हार गये तो उसे ना सिर्फ़ मेरे भाइयो से,
बाकी मर्दो से , बल्कि टामी और मेरे गाव के कुत्ते, गधे सब से.
और ये दाव भी मैं जीत गयी. हालाँकि अबकी बार मुझे थोड़ी मेहनेत भी करनी पड़ी,लेकिन मेरे लंबे नाख़ून काम मे आए और अंगूठी ऑलमोस्ट उनकी मुट्ठी मे जाते जाते बची. आख़िर मेरे भाइयो का सवाल था.
अब तो सारी लड़किया और औरते उसके पीछे पड़ गयी. वो बिचारी, बोलने लगी, क्या सबूत है.
रीमा और उसकी सहेलियो ने वो काग़ज़ दिखाया, जिसपे उन्होने 'उनका' और अंजलि का ऑटोग्राफ लिया था. वो असल मे एक 500 रुपये का स्टंप पेपर था और उस पर वो सारी शर्ते लिखी थी और नीचे जहाँ लिखा था कि 'मैं अपनी बेहन अंजलि को हार गया हू', उसके ठीक नीचे उन्होने उनके और 'मुझे मंजूर है ' के नीचे अंजलि के दस्तख़त करा लिए थे.
कुहबार मे शादी की वीडियो रेकॉर्डिंग तो नही हो रही थी पर ज्योत्सना अपने कैम्कर्दर से रेकॉर्ड कर रही थी. उसने भी कहा कि देखो अब तो पक्का सबूत है.
सुबह होने वाली थी और उसी समय वीडियो की साइट थी.
अब सब लोग अंजलि के पीछे पड़े थे. वो 'उनके' पास मे ही खड़ी थी. रश्मि और भाभी ने उसको हल्का सा धक्का दे दिया, और वो सीधे 'उनकी' गोद मे जा गिरी.
और 'उन्होने' उसको बचाने के लिए उसे पकड़ लिया.
"अर्रे यहाँ क्यो पकड़े हो सही जगह पकडो ना, "मेरी एक भाभी ने ये कह के, उनका हाथ उठा के जबरन उसके उभर्रे उरोजो पर रख दिया.
"अर्रे सिर्फ़ पकड़ क्यो रहे है, आप ही का माल है, दबाइए, मसलिए. "और रश्मि और भाभी ने कह के कस कस के उसकी छातिया दबवा दी. भाभी ने छेड़ा,
"अपने अपनी सारी सालियो के जोबन का साइज़ तो एकदम सही सही बताया था, अब ज़रा अपनी बहन का तो बताइए. "वो बिचारे क्या बताते, बस शरमा के रह गये. हां भाभी और रश्मि ने उनका हाथ इतने कस के पकड़ा था कि वो छुड़ा नही पाए.
"अर्रे ये अपने भाई की गोद मे बैठ के मस्ती मे चुचि मिसवा रही है. ज़रा इससे उनका खुन्टा तो पकड़वाओ. "मौसी बोली.
क्रमशः………………………
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