RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
तक तक मेरी छोटी मौसी सामने आई और उन्होने सबको चुप कराया और बोली,
"मे देख रही हूँ कि जबसे बेचारा दामाद आया है. अकेला देख के सब उसके पीछे पड़े हो. अर्रे उससे ठीक से बात करो, उसको खुश करो तो वो सबका फ़ायदा करा सकता है. बोल बेटा मेरा एक छोटा सा काम है कराएगा. मुझे एक चीज़ चाहिए तू चाहे तो मिल सकती है बोल."
पहली बार कुहबार मे कोई ऐसे बोल रहा था, उनकी ओर से. वो तुरंत बोल पड़े, हां हां मौसी जी बोलिए ना.
"देखो मेरे एक गाँव मे है पहलवान उनके कोई जोरू नही है. बड़े गबरू जवान, तगड़े. एक दिन वो तुम्हारे शहेर गये थे. तुम्हारे घर के पास से गुजर रहे थे तो उन्होने तुम्हारे घर तार पे सुखता तुम्हारी अम्मा का पेटिकोट देख लिया. बस तभी से वो मचल गये है. तुम चाहो तो सिफारिश लगा सकते हो उन्हे बस वो पेटिकोट के अंदर वाला चाहिए. बस एक बार."
और पूरा कुहबार ठहाकों से गूँज गया. और जैसे मेरी मम्मी, मामी, मौसी अपनी समधन के पीछे पड़ी थी वैसे ही, भाभीया और मेरी सहेलिया, उनकी बहनो के.. और बाकी लड़कियाँ उनके साज सिंगार मे. नीरा ने उनके बाल फिर से काढ़ के बीच मे एक खूब चौड़ी सी सीधी माग काढ़ दी थी तब तक मौसी ने एक सवाल दागा.
"अच्छा तुम बहुत तेज हो ये बताओ, तुम्हारी अम्मा के पेटिकोट मे क्या है."
बेचारे शर्मा गये क्या बोलते. लेकिन मेरी भाभी उनकी सहायता मे आगे आई,
"अच्छा मे हिंट देती हूँ, अब बताओ. तुम्हारी बेहन अंजलि की शलवार मे क्या है." अब उनकी चमकी. वो तुरंत बोले,
"नाडा"
और सब लोग एक साथ मम्मी से कहने लगे, भाई मान गये तुम्हारे दामाद को वास्तव मे तेज है. लेकिन मामी बोली, लगता है नाडा खोलने की बहुत प्रॅक्टीस की है, किसके साथ की है, अपने अम्मा के साथ या बहनो के साथ..."
"दोनो के साथ" मेरी सहेली रश्मि बोली और उनके सामने एक गठरी रखी और बोली,
"ये आपका असली इम्तहान है तीन मिनिट मे इस खोलना है.और अगर खोल दिया तो मान लूँगी आपको तीन मिनिट क्या, 15 मिनिट मे भी उसे खोलना टेढ़ा था.
उसमे पहली गाँठ मेने ही लगाई थी और मुझसे कहा गया था कि अगर ये गाँठ खुल गई तो समझो सुहाग रात के दिन तेरा नाडा भी आसानी से खुल गया.
मेने तो खूब कस के गाँठ बाँधी और उसके बाद मेरी सहेलियों, भाभियों और मामी ने, सात गाँठे और सब एक से एक टेढ़ी. उनका दाया हाथ पीछे वैसे ही लड़कियो के कब्ज़े मे था. रीमा ने कहा भी कि जीजू बाए हाथ से खोलना है."
और बाएँ हाथ से ही थोड़ी देर मे उन्होने पहली गाँठ खोल ली और दो मिनिट मे उन्होने चार गाँठे खोल ली, और सब लड़कियाँ चिल्लाने लगी 50 सेकेंड 40..सेकेंड लेकिन 10 सेकेंड रहते उन्होने बाए हाथ से ही आख़िरी गाँठ भी खोल ली.
और भाभी ने जिस तरह से मुझे मुस्करा के देखा उनका मतलब साफ था कि अब कल रात को तेरा नाडा बचने से रहा.
तब तक रीमा की किसी सहेली ने पीछे से माथे पे एक चौड़ी सी बिंदी भी लगा दी और खूब ढेर सारा सिंदूर भी उनकी चौड़ी माँग मे भर दिया. सब एक साथ बोली, 'जीजा जी सिंदूर दान हो गया'.
"अर्रे जिसने सिंदूर दान किया है वो सामने तो आए. "अब उनकी भी हिम्मत बढ़ गयी थी.
"और क्या, शादी के बाद सुहागरात भी तो होनी चाहिए. "भाभी अपने नेंदोई की ओर से बोली और फिर ननदो को छेड़ने का मौका वो क्यो जाने देती.
"मेने किया है, सिंदूर दान. "छोटे से कसे कसे तंग टॉप और स्कर्ट मे, अपनी आइ लॅशस लगी बड़ी बड़ी आँखो को मटकाती रीमा की सहेली रंभा बोली. भाभी ने धक्का देके उसे इनकी गोद मे बिठा दिया और बोली ये है आपकी छोटी साली.
"जीजू, पकड़ लो ना वरना मैं सरक जाउन्गि. "उसने और उकसाया. उन्होने कमर मे दोनो हाथ डाल दिए.
"अर्रे यहाँ नही यहाँ, कस के ठीक से पकडिए ने, "भाभी ने सीधे उनका हाथ उसके उभारो पे रख दिया. बेचारे शरमा के, हल्के से पकड़े रहे.
"अर्रे जीजू ज़रा कस के पकडिए ना, ऐसे हल्के से पकड़े है"रंभा ने खुद उन्हे उकसाया.
"अर्रे ये बेचारी सुहाग रात के लिए आई है तो क्या सुहाग रात मे मेरी ननद को ऐसे ही हल्के से पकडिएगा. अर्रे ज़रा कस के पकडिए, दबाइए. दिखाइए ना सुहाग रात मे कैसे दबाया जाता है. "भाभी अब खुल के जोश मे आ गयी थी.
"अर्रे भाभी, ये आपकी ननद का क्या दबाएँगे. लगता है मेरी ननदो का दबा दबा के इनके हाथ थक गये है क्यो जीजू, सारी ताक़त अंजलि के साथ तो नही खर्च कर दी. "अपने उरोजो को और उभार के, और अपने हाथ से उनका हाथ पकड़ के अपने सीने पे दबाते वो बोली. अब सारी भाभीया भी उनके साथ आ गयी थी. ज़ोर ज़ोर से बोल रही थी 'दबा दो दबा दो साली की'. और उन्होने भी खुल के नाप जोख शुरू कर दी. भाभी ने उनके सामने आ के पूछा,
"अच्छा, एक सवाल और ज़रा ठीक से कस के पकड़ के, दबा के नाप के बताइए, इस साली के जोबन का साइज़.
"34 सी" बिना रुके उन्होने जवाब दिया. अब वो भी अपनी झिझक खो के बाकी लोगो की तरह मूड मे आ रहे थे.
"एकदम सही जवाब" रंभा बोली.
"ये तू ही चढ़ि रहेगी या हम लोगो को भी मौका देगी.. "अब सामने नीरा खड़ी थी.
क्रमशः……………………….
शादी सुहागरात और हनीमून--11
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