kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
08-17-2018, 02:36 PM,
#35
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
उन की बात काट के मेरी मामी बोली,

"अर्रे तुम कहाँ उस के चक्कर मे पड़ गये.अहसान की कोई बात नही. ये कहो कि मोटा लौंडा देख के उस छिनाल की चूत पनिया गयी होगी, इसलिए उस चुदवासि ने चुदवा लिया." मम्मी ने बहुत देर तक अपने को रोका था लेकिन वो अब रोक नही पाई. उनके बाल सहलाते हुए वो बोली,

"अर्रे यहाँ डरने की कोई बात नही है. यहाँ हम सब औरते ही है, तुम्हारे पिछवाड़े पे कोई ख़तरा नही है."

और तब तक भाभी ने कपड़ा उठाया तो वो भी मूर्ति थी. अब इनको विश्वास हो गया था. तीसरी मूर्ति पे हम साथ साथ सर झुका रहे थी कि भाभी ने मुझे 'नही' का इशारा किया और मे पीछे हट गयी. और जैसे ही उन्होने सर झुकाया, भाभियों ने कपड़ा हटा दिया. हस्ते हस्ते सब की बुरी हालत हो गई. उसमे मेरी सारी चप्पलो सेंडलों का ढेर था, इस्तेमाल की हुई बाथ रूम स्लिपर से, हाई हिल तक. और साथ मे रीमा, मम्मी और भाभी की भी. भाभी बोली,

"ठीक से पूजा कर लीजिए, ये आपकी असली कुल देवी है. ये सब आपकी बीबी की है और ये साली, सलहज और सास की.आज से इस घर की औरतों की चप्पलो को सर लग के, छू के." किसी ने बोला अर्रे बीबी के पैर भी छू लो चप्पल तो छू ही लिया, तो कोई बोला अर्रे वो तो कल रात से रात भर सर लगाना पड़ेगा, तो किसी ने कहा अर्रे सिर्फ़ रात मे क्यों दिन मे भी. (उसका मतलब मुझे सुहाग रात के बाद समझ मे आया). रश्मि ने रीमा से कहा कहा अर्रे जीजू ने तेरी चप्पल छुई है ज़रा आशीर्वाद तो दे दे.रीमा से पहले भाभी ने आशीर्वाद दे दिया,

"सदा सुहागिन रहो, दुधो नहाओ पुतो फलो." पीछे से मामी ने टुकड़ा लगाया,

"अर्रे तुम्हारे घर मे आज से ठीक 9 महीने बाद सोहर हो. अंजलि और तेरी जितनी बहनें यहाँ आई है, सबका यहाँ आना फले और सब ठीक 9 महीने बाद बच्चा जने, और तुम मामा कहलाओ.

भाभी ने वापस उन्हे लाकर पीढ़े पे बैठाया.

और उस के बाद तो सब एक साथ चालू हो गये. कसे टॉप, फ्राक, कुर्ते और चोली से लेके सारी और ब्लाउस मे सजी, छोटी लड़किया, किशोरिया, युवतियों से ले के बड़ी औरतों तक बल्कि सबसे ज़्यादा तो मेरी मम्मी, मामी, मौसीया, चाचिया मज़ाक, गालियाँ, उन्हे छूने, छेड़ने..लगता है जब कुहबार का दरवाजा बंद हुआ तो उनकी बहनो के साथ हमारे यहाँ की लड़कियो,औरतों की भी सब झिझक बाहर रह गई. रीमा और उसकी सहेलियों, रम्‍म्भा, नीरा और नीतू ने पीछे मोर्चा सम्हाला. उन्होने पहले उन्हे रिलेक्स करना के नाम पे, उनका कोट, टाई उतारी, शर्ट के भी बटन ढीले किए और नीतू ने तो बेल्ट तक उतार ली. और उसके बाद उनका दाया हाथ पीछे पकड़ के कब्ज़े मे कर लिया. और अपनी प्लानिंग के हिसाब से उन्होने नेल पोलिश, थोड़ी सी मेहंदी लगानी शुरू कर दी. दोनो साइड मे मेरी सहेलिया रश्मि, ज्योत्सना, और सब भाभीया थी और ठीक सामने मम्मी, मौसीया, चाची और बाकी सब औरते.

और अब मम्मी ने सवाल जवाब चालू किए,

"हां आज तुम्हारी मा के दूध का इम्तहान है, अगर तुमने अपनी मा का दूध पिया है याद है कैसा है उनका. अभी.. आजकल"

"अर्रे बचपन का क्या, हॉल मे भी चखा होगा. देखा होगा.बताओ ना कैसा है.साइज, रंग, देखने, छुने,पकड़ने मे कैसा है." मामी बोली " अर्रे ये बेचारा शर्मा रहा है, अर्रे हमसे पूछो ना खूब बड़ा बड़ा, गोरा, गदराया रसीला जोबन है, या इसके मामा से पूछो," मौसी कैसे चूकती.

"अर्रे मामा से क्यों. क्या इसकी अम्मी का इसके मामा से ..चक्कर ." चाची ने बन कर पूछा.

"अर्रे क्या तभी तो ये बचपन मे थोड़ा दुबला था, एक से वो दूध पीता था और दूसरा इसके मामा के मूह डाल कर वो चुसवाती थी.वैसे चूसने लायक तो अभी भी है और चुसवाती भी है. क्यों बोलो है ना. इसकी शकल अपनी ममेरी बेहन से इतनी क्यों मिलती है, इसी लिए कि ये दोनो " मौसी ने जवाब दिया.

"अर्रे तो क्या इनकी मा अपने भाई से.." चौंक के चाची ने पूछा.

"अर्रे तो क्या गड़बड़ है, दिल है आ गया होगा. लेकिन, अभी चेक हो जाएगा. उस को, क्या नाम है उसका अंजलि. हां उसको बुला के शकल का मेल करके देख लेते है." मम्मी बोली, और बसंती को तुरंत हुक्म दिया,

"बसंती जाओ और जाके तुरंत अंजलि को जिस हालत मे हो, जो भी कर रही हो, तुरंत पेश करो."

"अच्छा ये बताओ, समधन जी को बारात मे क्यों नही लाए, क्या ये डर तो नही था, कि कहीं तुम्हारे ससुराल के मर्दों का देख के उनका दिल ने डोल जाए. अगर ये था तो मे एक बात सॉफ कर दूं जाके उनसे कह देना, हम लोग एकदम बुरा नही मानेंगे.जो भी पसंद हो, बन्नी के पापा, चाचा, मामा, ताऊ, फूफा, मौसाया अगर सब पे दिल आ जाय ना तो चाहें तो सब के साथ. बारी बारी से या एक साथ, जैसे उनकी मर्ज़ी हो. आख़िर हमारी प्यारी समधन है" अब मम्मी फूल फार्म पे आ गयी थी " अर्रे नही बीबी जी, मामी बोली. आप क्या समझती है वो अपने समधियों को छोड़ेंगी. अर्रे ऐसा नही अभी बारात यहाँ आ गई है, तो वहाँ खुला मैदान ना, धोबी, कहार, पंडित..सब. लंबी लाइन लगी होगी नाडा तो बँधता ही नही होगा."

मामी ने जोड़ा.
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