RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--11
गतान्क से आगे…………………………………..
ज़्यादातर बड़े बुजुर्ग तो शादी ख़तम होने के बाद बाहर चले गये थे, लेकिन एक कोई शायद 'उनके' चाचा थे. उन्होने सबको हड़काया, और कहा कि जूते का तो साली का नेग होता ही है, और उन्होने कैसे लिया इससे कोई फ़र्क थोड़े ही पढ़ता है, और 1000 रूपरे निकाल के रीमा को पकड़ा दिए. एक साथ ही सारी लड़कियाँ, मेरी बहनें सहेलिया, भाभीया, बोल उठीं,हिप्प हिप्प हुर्रे, लड़की वालों की. अब बची बात गाना गाने की तो उनकी ओर से सारे लड़के लड़कियाँ एक साथ गाने लगे,
"ले जाएँगे, ले जाएँगे दिल वाले दुलहानिया ले जाएँगे"
रीमा, रश्मि सब एक साथ बोली नही नही हमे दूल्हे का गाना सुनना है. पर उन साबो ने गाना पूरा किया ही.
अंजलि बोली, अच्छा भैया कुछ भी सुना दीजिए तो उनका मूह खुला,
"वीर तुम बढ़े चलो, सामने पहाड़ हो,सिंह की दहाड़ हो, वीर तुम रूको नही, वीर तुम झुको नही"
उन्होने सालियों और सलहजो की ओर देख के सुनाया. उनका मतलब साफ था लेकिन उनके एक जीजा ने और सॉफ कर दिया,
"देखा ये सिंह झुकने वाला नही है, सीधे गुफा मे घुस जाएगा. बच के रहने तुम लोग."
"अर्रे यहाँ बचना कौन चाहता है," मेरी सहेली ज्योत्सना बोली, "लेकिन जो सिंह के साथ गीदड़ है ना उनकी आने की मना ही है."
मेरी चाची बोली. " अर्रे लड़कियो पैसा तो तुम लोगों को मिल गया है, रहा गाना तो एक बार दूल्हे को कुहबार मे आने तो दो, ये गाना क्या, अपनी मा बहनो का सब हॉल सुर मे सुनाएँगे" और सब लोगों ने हमे अंदर आने दिया लेकिन उन लोगों की चाल भाभियों ने समझ रखी थी.उनकी बहने और भाभीया उन्हे कुहबार मे भी अकेला नही छोड़ना चाहते थे. इसलिए भाभी ने पहले मुझे अंदर किया और सब लड़कियो ने बस उतना ही रास्ता छोड़ा जिससे वो रगड़ते हुए अंदर जाएँ और उनके अंदर घुसते ही दरवाजा बंद कर लिया. बेचारी उनकी भाभीया, बहने और बाकी सब औरते ताकते ही रह गये.
"हे छिनारो के पूत, रंडी के जन्मे, मदर्चोद, अपनी बहनो के भन्डुवे.
वो जो तुम्हारी छिनार, भोसड़ी वाली, रंडी, चूत मरानी, चुदवासि बहने भाभीया, चाचिया सब थी ना, अब वो बाहर रह गयी है. अब इस कुहबार मे कोई तुम्हे बचाने नही आएगा. अब तुम हो तुम्हारी ससुराल वालियाँ. इस लिए जो कुछ कहा जाए चुप चाप करो." मेरी मामी ने कुहबार मे उनका जोरदार स्वागत किया.
और वास्तव मे कुहबार मे 14 से 44 तक की 25-30 लड़कियाँ, औरते (भाभी की भाषा मे कहु तो, 30बी से ले के 38डी तक की) और सब की सब एक दम मूड मे, जिनमे आधे से ज़्यादा उनकी सालिया (मेरी सहेलिया, मेरी बहने और उनकी सहेलिया), सलहजे और बाकी उनकी सास (मम्मी, मेरी चाचिया, मामिया, बुआ, मौसीया और मम्मी की सहेलिया) लगती थी लेकिन जो जोश मे लड़कियो से भी वो दो हाथ आगे थी.
वो पीढ़े पे बैठने वाले ही थे कि उन्होने झुक के उस पे रखा कुशन हटाया.
उसके नीचे ढेर सारे पापड रखे थे. उसे हटा के वो बैठ गये. सब लोगो ने चुप चाप प्रशंसा भर निगाह से उन्हे देखा ( अगर वो ऐसे बैठ जाते और पापड टूट करते तो मज़ाक का एक मौका मिलता). उसके बाद मेरी भाभियों ने उनसे कुल देवी के आगे सिर झुकानेको कहा. एक मूर्ति सी पर्दे के अंदर रखी गई थी. उन्होने कहा कि नही पहले मे पूजा करू तो वो करेंगे.
मौसी ने कहा कि लगता है तुम्हे सिखाया गया है, कि हर चीज़ खोल के देखना. वो हंस के बोले एकदम. भाभी ने कहा ठीक है हम आपकी दोनो शर्ते मान लेते है, लेकिन हमे दुख है कि आप को हम पे विश्वास नही. पहले मेने सर झुकाया और फिर इन्होने. भाभी ने कपड़ा उठाया तो वो वास्तव मे कुल देवी की मूर्ति थी. ऐसे तीन मूर्तिया थी. फिर दूसरी पे भी मेने सर झुकाया और उसके बाद इन्होने. जब वो झुके तो मेरी चाची ने आके पीछे से इनेके नितंबो पे हाथ फेर के कहा,
"लगता है, इसको झुकने से डर लगता है. बचपन मे कोई हादसा तो नही हो गया था, कि ये झुके हो और पीछे से किसी ने गांद मार ली हो." मेरी मामी और मौसीया भी मैदान मे आ गयी.
मौसी भी हाथ फिरा के बोली,
"अर्रे आपको मालूम नही क्या वो हादसा. जिसके कारण वो जो इसकी छिनाल बेहन है, अंजलि इसके साथ चिपकी रहती है, 'बता दूं बुरा तो नही मनोगे. उनसे पूछते हुए वो चालू रही, " हुआ ये. ये बात सच है कि एक लौंडेबाज इनके पीछे पड़ गया था, और वो तो इनेकी गांद मार ही लेता पर उसका मोटा हथियार देख के इसकी हालत खराब हो गयी. तब तक अंजलि वहाँ पहुँची और उसने कहा कि मेरे भैया के बदले मेरी मार लो. तो उसने बोला कि ठीक है लेकिन मे आगे और पीछे दोनो ओर की लूँगा. वो मान गई इसी लिए बस ये उस की"
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