RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
उस रात मेने अपनी डाइयरी मे लिखा इट ईज़ अन आक्सेप्टेन्स ऑफ फीमेल सेक्षुवालिटी न इट ईज़ आ सेलेब्रेशन ऑफ फीमेल सेक्षुवालिटी.
और उस रात राजीव ने मुझे खूब तंग किया, रात भर सपने मे सोने नही दिया.
वक़्त पंखा लगा के उड़ रहा था, लेकिन मेरा बस चलता तो मे उसे और तेज कर देती.
मेरे पीरियड्स, वक़्त से पहले हो गये थे, थॅंक्स टू, भाभी और डॉक्टर भाभी.
लेकिन 'उन दिनों' के आख़िरी दिन, मेरे दिमाग़ से उतर गया था पर भाभी को याद था कि डॉक्टर के पास जाना है. अगले दिन हम लोग डॉक्टर भाभी के पास पहुँचे. उन्होने पहले तो चेक किया और फिर एक छोटा सा ऑपरेशन भी किया. बाद मे उन्होने मुझे बताया कि इसे पार्षियल होडेक्टमी कहते है.
उन्होने शीशे मे मुझे दिखाया, मेरी क्लिट अब सॉफ सॉफ दिख रही थी. वो हंस के बोली " मेने इसका घूँघट बस थोड़ा सा हटा दिया है, पूरा नही. जैसे घूँघट से दुल्हन दिखती है ना बस वैसे ही. लेकिन जब तुम उत्तेजित होगी, तो ये अपने आप पूरी तरह खुल जाएगा."और उन्होने खोल के दिखाया भी, गुलाबी, गीला और बड़े मटर के दाने सा मुझे बसंती की बात याद आई, कि कैसे उसके मर्द के लिंग..का बेस जब वहाँ रगड़ता है तो. वो बोल रही थी कि और ये दवाई 4-5 दिन तुम खा लेना बस. हां और एक क्रीम भी तेरे लिए है, एकदम स्पेशल. ये वो वॅसलीन या जेल्ली की तरह नही. इस्तेमाल के पहले लगाने वाली, वो तो तेरा दूल्हा लगाएगा. ये इस्तेमाल के बाद वाली है. रोज सुबह लगा लेना.इससे रात भर की जो तुम्हारी रागड़ाई हुई होगी, वो सारी थकान मिट जाएगी.
इसमे तीन चीज़े है, एक तो स्पेरमीसिडल जो सीमेन पे असर कर के एक्सट्रा बर्थ कंट्रोल का प्रोटेक्षन देगी. दूसरा, इसमे वो केमिकल है जो योनि को एकदम टाइट कर देते है और समन्यतय मे इसे डेलिवरी के बाद औरतों को देती हूँ.
इसका असर ये होगा कि बेचारे तेरे दूल्हे को हर रात पहली रात जितनी ही मेह्नत करनी पड़ेगी. और तीसरा, अगर कुछ खड़ास या ज़यादा रगड़ होने से कुछ छिल विल जाएगा तो उसमे भी ये हेल्प करती है. (और असली चीज़ जो उन्होने ये नही बताई थी, जिसका पता मुझे खुद उसके इस्तेमाल के बाद चला कि उसमे कुछ ऐसी भी चीज़ थी, जो 'उसे' लगातार गीला और अराउज़्ड रखती थी,) मेने मुस्करा कर कहा डॉक्टर भाभी थॅंक्स.. लेकिन फीस. बड़ी ज़ोर से मेरे हिप्स पे उन्होने एक धौल मार के, भाभी की ओर देख के कहा"चल बड़ी आई फीस मे अपने ननदोइ से लूँगी. दो रात और तीन दिन भाभियों के साथ. क्यों मंजूर है." मेने तुरंत हंस के कहा, एकदम भाभी.
अगले दिन सुबह ही कंगन बन्दन की और तेल की रसम थी, और इसी के साथ सारी रसमे शुरू होनी थी. और तेल और कंगन के बाद मे घर से बाहर नही निकल सकती थी. कंगन के बाद न्योता देने का काम शुरू हुआ, गाने के साथ,
अर्रे अर्रे करें भँवरा, करिय तोहरि जतिया, भँवरा लू हरदिया की गाँठ, नेवात पहुँचाओ.
नेवथो आरीगन-परिगन,मे के नेहआर,मोर नेनियौर.
पहला न्योता देवता को मंदिर मे, दूसरा हमारे परिवार के गुरु को, फिर मेरे नेनिहाल और फिर सब को दिया गया और उस के बाद तो एक के बाद एक रस्मे, उड़द चुने की. मट्टी खोदने की और सबमे गाने और गाने से ज़्यादा गलियाँ और भाभीया किसी को बक्ष नही रही थी.
क्रमशः……………………..
शादी सुहागरात और हनीमून--9
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