RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
थोड़ी ही देर मे, उसकी दोनो टांगे मर्द के कंधे पे थी और उसने घुसाना शुरू कर दिया था. भाभी ने यहीं पिक्चर पॉज़ कर दी .मुझसे बोली, देख कैसे टांगे चौड़ी कर के उठाए है, सीख और फिर प्ले कर दिया. उनकी कॉमेंटरी चालू थी, देख कितने सॅट सॅट के रगड़ के अंदर जा रहा है. और सब कुछ तो था उस मे, दो मर्द और एक औरत, दो लड़किया और एक मर्द, फिर कभी लड़की उपर से चढ़ के खुद भाभी कभी स्लो कर के एक एक सीन मुझे दिखाती ब्लू फिल्मों के बारे मे सुना तो था लेकिन देख पहली बार रही थी. और थोड़ी देर मे मेरी शरम कम हो गयी तो मे खुल के देख रही थी, बल्कि भाभी की तरह कॉमेंट भी कर रही थी और मज़े भी ले रही थी. जब भाभी ने दूसरा कॅसेट लगाया जो वो मेरे लिए ही ले आई थी, हाउ टू डू टेप इसमे एक लड़की ने पहले अपनी देह के सारे अंग दिखाए, उन के बारे मे बताया, फिर एक न्यूड लड़के के फिर किस से लेके इंटर कोर्स तक सब कुछ लेकिन बड़े ही एरॉटिक ढंग से लेकिन मुझे असली एहसास और 'शिक्षा' घर से ही मिली. हुआ ये कि दो चार दिन बाद दादी आई और उन के साथ गाँव से कुछ काम करने वालिया, महारजिन, मेरी चाची और एक दो औरते.
उन्होने सबसे पहले मुझे डाँट लगाई, क्या उदबिलाव की तरह टहलती रहती है. फिर मुझे प्यार से गले लगा के बोली कि अब तेरी लगन लग गयी है,दुल्हन की तरह रहा कर.अब तू उच्छल कूद करने वाली लड़की थोड़ी है. फिर मम्मी का नंबर था कि शादी का घर ये लग ही नही रहा है, न कहीं ढोलक बज रही है और अभी तक दुल्हन को उबटन तक लगाना नही शुरू हुआ.महीना भर भी नही बचा है.लेकिन सबसे ज़्यादा डाँट बसंती को पड़ी कि उसने मुझे न तो मालिश की और न उबटन लगाई. दादी बोली कि नाहिन होने के नाते दुल्हन की सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी तो उसी की है और वो फिर बहू है, मेरी भाभी तो उसकी तो दुहरी ज़िम्मेदारी है. वो बेचारी शाम को तेल, उबटन सब लेके पहुँची मेरे कमरे मे. मे बड़ी मुश्किल से तैयार तो हो गई लेकिन उसने कहा कि मे कोई सारी या ढीला गाउन पहन लू तो वो शर्त मुझे स्वीकार नही हुई. अब बेचारी, थोड़ा बहोत टाँग मे उसने लगाया. लेकिन उसके आगे वो बढ़ना चाहती थी तो मेने सॉफ मना कर दिया. उसने लाख समझाया कि मे कोई पुरानी सारी पहन लू, लेकिन मे नही मानी.
थोड़ी देर बाद जब मे नीचे खाने के लिए उतरी तो दादी, बसंती की क्लास ले रही थी. वो किसी 'ख़ास' उबटन के बारे मे पूच्छ रही थी लेकिन बसंती कह रही थी कि मेने मना कर दिया. उन्होने बड़ी ज़ोर से डांटा कि वो तो लड़की है, ये तो तुम लोगों की ज़िम्मेदारी है कि उसे कैसे तैयार करो. मुझे बहोत बुरा लगा ख़ास तौर से अपने उपर. अगर मे कोई गाउन पहन लेती या वैसे ही उससे लगवा लेती, आख़िर मे अरमॅटिक थेरपी वाले के यहाँ सिर्फ़ टवल लपेट के, फिर जब बॉडी मे दिल्ली मे मड्पॅक करवाया था.., और तो और हर हफ्ते जिम मे जब मे जाती हूँ तो आख़िर तौलिया ही तो और कई लड़कियाँ तो वो भी नही और मेरी भी कितनी बार छेड़ छाड़ मे वो तौलिया भी खींच लेती है.. फिर इससे तो मे भाभी ही कहती हूँ. किसी तरह खाना खाया. अगले दिन स्कूल से मे लौटी तो थक के चूर हो गयी थी. स्कूल मे इंटर कोलीजिट गेम्स और कल्चर कॉंपिटेशन इवेंट्स चल रहे थे. मेने स्विम्मिंग के हर इवेंट मे पार्टिसिपेट किया था और फिर दो घंटे तक डॅन्स की रिहर्सल. वेस्टर्न, फोक और ग्रूप टीमॉ की. फिर आज जिम का भी दिन था. और वहाँ भी ट्रेडमिल फुल स्पीड पे और उस के बाद पुश अप भी 10-15 करा दिए. थकान के मारे हालत खराब थी.
मे जब अपने कमरे मे पहुँची तो सीधे बिस्तर पे पड़ गयी. जब मेने थोड़ी देर मे आँखे खोली, तो मुस्काराए बिना नही रह सकी. मेरे पैर के पास मे बसंती खड़ी थी, हाथ मे तेल और उबटन की कटोरी लिए और बगल मे चटाई बिछा कर मेरे सामने उस बेचारी की कल की सूरत घूम गयी जब दादी उसको हड़का रही थी और उसकी आँखो मे आँसू तैर रहे थे. मे उतर कर खड़ी हो गयी और थोड़ा इधर उधर ढूँढ के बोली,
"हे कोई पुरानी सारी तो है नही, मे क्या पहन के मालिश कर्वाउन्गि."
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