RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--7
गतान्क से आगे…………………………………..
पिक्चर ख़तम होने के बाद जब हम घर पहुँचे तो साढ़े 12 हो गये थे, लेकिन हम तब भी चारों बैठ के देर तक बाते करते रहे. रीमा के कमरे मे उनके सोने का इताज़ाम किया गया था और मैं और रीमा साथ सो रहे थे.
सुबह उठ के मैं स्कूल के लिए तैयार हो के निकली, नेवी ब्लू स्कर्ट और वाइट ब्लाउस मे, रोज की तरह. लेकिन जब मेने अपने को शीशे मे देखा तो मुझे अचानक लगा कि मैं बड़ी हो गयी हू और स्कूल ड्रेस मे मेरे उभार और मेरी गोरी गोरी जांघे.. मैं खुद से एक पल के लिए शर्मा गयी.
अचानक मुझे लगा कि कहीं वो ना उठ गये हो और मुझे इस ड्रेस मे देख ना ले.. दबे पाव मेने दरवाजा खोला, और सामने वो ही खड़े थे.
"गुड मॉर्निंग"मुस्करा के वो बोले. "बड़े सबेरे है तुम्हारा स्कूल"मुझे निहाराते हुए उन्होने कहा.
"हां असल मे मॉर्निंग स्कूल मे आज टेस्ट है" मेरी समझ मे नही आ रहा था क्या बोलू. सारा घर सो रहा था.
"कब तक आओगी"उनकी लरजति हुई आवाज़ जैसे हाथ पकड़ के मेरा रास्ता रोक रही थी. जाना तो मैं भी नही चाह रही थी पर अगर मैं ये कहती तो भाभी कितना चिढ़ाती और वो रीमा भी.. अब शरीर हो गई थी.
"जल्द ही 12 बजे तक छुट्टी हो जाएगी"
"एक बात बोलू बुरा तो नही मनोगी" पास आके, ऑलमोस्ट सॅट के वो बोले.. पूरा सन्नाटा था.
"बुरा क्यों मानूँगी"मेरे मन मे तो उनच्चासो पवन चलने लगे थे.
"तुम बहोत क्यूट लग रही हो."मेरे गाल पे उंगली रख के वो बोले. मेरे कपोल जैसे दहक उठे.
मैं चुप चाप जैसे मूर्ति बन गयी. थी तक मेरे स्कूल की बस का हॉर्न बजा और मैं चल पड़ी, लेकिन शरारत से मेने मूड के उनकी ओर देखा तो वो बोल पड़े, हे अपनी ये यूनिफॉर्म शादी के बाद साथ ले आना.
"धत्त" कह के मैं चल दी लेकिन मुझे लगा उनकी निगाहे मेरे साथ आ रही है.
स्कूल मे एकदम मन नही लग रहा था, बार बार उनका चेहरा, उनकी बाते मन मे घूम रही थी और जाने अनजाने मेरी उंगलिया गाल पे वहीं जा पड़ती थी जहा उन्होने छुआ था.
जब मैं स्कूल से घर पहुँची तो उनके और भाभी के बीच खूब चुहल बाजिया चल रही थी. उन लोगो ने शॉपिंग का प्रोग्राम बना रखा था. और खाने खा के हम लोग निकल लिए. रीमा स्कूल गयी थी. उसकी छुट्टी शाम को होती थी, इसलिए हम तीनो ही गये.
पहले कपड़ों की शॉपिंग से शुरुआत हुई. उनके लिए शर्ट पॅंट खरीदी जानी थी. और इसके बाद भाभी एक बड़ी सी इनेर वियर की दुकान मे घुसी. वहाँ लेटेस्ट फॅशन की नाइटी, स्लिप, ब्रा और पैंटी मिलती थी. उस दुकान के ओनर से लेकर सारी सेल्स गर्ल तक उन की परिचित थी. भाभी ने मेरे लिए ब्रा और पैंटी देखना शुरू की. मैं थोड़ा शर्मा रही थी पर वो और ज़्यादा. भाभी ने उनसे पूछा कि उन्हे मेरे लिए किस रंग की ब्रा पसंद है और कैसे बेचारे ज़मीन मे गढ़े जा रहे थे. साल्स गर्ल भी मज़े ले रही थी. वो और खुली लेसी स्टाइलिश ब्रा ले आई और दिखाने लगी कि ये कैसे बंद होती है, खुलती है. भाभी ने उनसे कहा कि आप ठीक से समझ लीजिए तो वो बोले मैं क्यों भाभी जिसे पहनानी हो वो समझे और मेरी ओर देख के मुस्करा दिए. भाभी बोली, अर्रे, जिसे खोलना हो उसे समझना ज़्यादा ज़रूरी है वरना सारी रात इसी मे गुजर जाएगी. अब उनकी शरमाने की बारी थी. उस के बाद हम लोग साड़ी की दुकान पे गये. थोड़ी ढेर बैठने के बाद भाभी से बोले कि , भाभी अगर आपकी इजाज़त हो तो थोड़ी देर के लिए इनको ले जाउ. भाभी हंस के बोली, अर्रे तेरी चीज़ है जहा चाहे वहाँ ले जा, जो चाहे वो करो. मुझे ले के पास के ज्यूयेलर्स की दुकान मे गये. जब मेने पूछा कि हे, क्या काम है मुझसे तो हंस के बोले काम तो सिर्फ़ तुम्हारी उंगली से था लेकिन साथ मे तुमको भी ले आना पड़ा. एक डाइमंड की प्यारी सी रिंग मेरे मना करने पे भी उन्होने मुझे ले दी. फिर वहाँ से निकले तो भाभी भी शॉपिंग ख़तम कर के निकल चुकी थी. फिर हम तीनो ने खूब मस्ती की, चाट, गोलगप्पे खाए, आइस्क्रीम खाई और खूब घूमे.
जब हम लौटे तो रीमा स्कूल से आ चुकी थी और खूब नाराज़, एकदम अलफ्फ.
मारे गुस्से के किसी से बोल ही नही रही थी. खास तौर से राजीव से. उपर से हमने और भाभी ने उसे चिढ़ा भी दिया, कि हम लोगो ने बाजार मे क्या मौज की. अब वो और नाराज़. मेने 'उनसे' कहा कि अब आप इस को घुमा के ले आइए और शॉपिंग भी कराईए.. वो बोले एकदम, चलो ना. थोड़ा मुस्करा के, थोड़ा गुस्से से वो बोली
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