RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--6
गतान्क से आगे…………………………………..
हम दोनो थोड़ा दूर ड्रॉयिंग रूम मे ही एक कोने मे बैठ गये. और वो चालू हो गयी. वो अभी दसवीं मे पढ़ती थी, मेरी छोटी बेहन रीमा की हम उमर, घर का नाम गुड़िया था. देखने मे बुरी नही थी, बल्कि अच्छी ही थी. लेकिन बोलती थोड़ी ज़्यादा थी, और टीनएजर की तरह. वो चालू हो गयी. मेरे भैया को ये अच्छा लगता है, वो अच्छा लगता है, वो ये खाते है, ये चीज़े एकदम नही खाते, छु भी नही सकते, नोन-वेज तो एक दम नही. तब तक भाभी और रीमा को लगा कि मैं घबरा रही हू तो वो दोनो मेरी सहायता के लिए आ गयी. भाभी तो एकदम अपने 'स्टॅंडर्ड' पे आ गयी. वो बोली, "तुम अपने भैया के बारे मे सब कुछ जानती हो", तो वो मटक के बोली, हां एकदम मुझसे ज़्यादा कोई नही जानता.
तो भाभी ने पलट के सवाल किया कि अच्छा बताओ कि उनका हथियार कितना बड़ा है. वो बेचारी चुप पर भाभी कहाँ छोड़ने वाली थी,
"अच्छा ये बताओ, कभी पकड़ा है, छुआ है, कितने मोटा लंबा है. अर्रे अभी नही तो बचपन मे उनके साथ डॉक्टर नर्स तो खेला होगा ना", वो बेचारी उठने लगी तो रीमा ने उसका कंधा पकड़ के फिर बैठा दिया और बोली,
"अर्रे अब अपने भैया का चक्कर छोड़ दो अब वो मेरे जीजू है.. उन्हे दीदी पसंद है और दीदी को वो. हाँ तुम्हारे पास ऑप्षन है, ये मेरे तीनो भाई है बता दो तुम्हे उसमे से कौन पसंद है"
और भाभी बोली "हां ये ठीक रहेगा और अगर चुन नही सकती तो तीनो को पसंद कर लो चाहे बारी बारी से या समय कम हो तो एक साथ."
"तीनो एक साथ ये कैसे भाभी" मैं और रीमा एक साथ बोल पड़े.
"अर्रे क्यों नही एक आगे से, एक पीछे से और एक मूह मे" गाँव वाली भाभी ने, जो वहाँ आ गयी थीउसने जोड़ा.
अब तो बेचारी की हालत खराब हो गयी और जा के अपनी बहनों के पास बैठ गयी.
"अब आएगा मज़ा, अब तक तो मैं अकेली थी, तो ये सारी ननदे मिल के मुझे छेड़ती थी. और अब तो" मेरी होने वाली जेठानी, नीरा भाभी ने कहा.
"अर्रे क्या होगा आप लोग तो अभी भी 2 ही है और हम लोग तीन." मेरी बड़ी ननद बोल पड़ी.
"अर्रे दो नही, एक और एक मिल के ग्यारह है" मेरी पीठ पे प्यार से हाथ फेर के मेरी जेठानी बोली.
काफ़ी देर तक बाते होती रही और फिर उन लोगों के चलने का समय आया. मेरे मन मे बड़ी उत्सुकता थी कि वो क्यों नही आए पर पूछती कैसे. अंत मे अंजलि ने ही बताया कि उनका कोई ट्रेकिंग की ट्रैनिंग चल रही है और वो 10 दिन बाद ही मसूरी लौट पाएँगे, इसलिए यहाँ आने का सवाल ही नही उठता. मेरी नंदोई और जेठानी के लिए तो मम्मी ने साड़ी ब्लाउस और जेठ और नेंदोई के लिए भी कपड़े रखे थे, पर अंजलि का अंदाज़ा नही था इसलिए मम्मी ने उसे 500 रुपये देने चाहे, लेकिन वो नखरे ही कर रही थी कि मैं इतने ज़्यादा पैसे नही लूँगी बस सगुण के दे दीजिए. जब बहोत हो गया तो भाभी को एक शरारत सूझी. उन्होने मम्मी के हाथ से पैसे लेके, मेरे उपर न्यौछावर किए और फिर उसे लेके अंजलि के पास पहुँची और आराम से उसके टॉप के उपर के दो बटन खोल के जब तक वो समझे उसके सीने के बीच डाल दिए, और बोली,
"ठीक है तुम शादी मे तो आओगी ना तो इसे सट्टे के पैसे समझ के रख लो, मेरे नेंदोई की शादी मे नाचने के लिए." (उस समय तक अक्सर पुराने लोग शादियों मे नाच के लिए रंडी ले जाया करते थे और उन्हे अड्वान्स मे बुक करने के लिए जो पैसे देते थे उसे सट्टे के पैसे कहते थे.) सबकी हँसी से घर गूँज गया. जब मैं अपनी जेठानी के पैर छुने के लिए झुकी तो उन्होने उठा के सीने से लगा लिया और बोली, बस अब तुम जल्दी से हमारे घर आ जाओ तो भाभी बोली अर्रे ये तो आज ही जाने के लिए उतावली है बस आप लोग जल्द आके ले जाइए इसे. और यही परेशानी सता रही थी, सबको. शादी की तारीख नही तय हो पा रही थी.
जाड़े मे लगन तो थी, पर उनको छुट्टिया नही मिल पा रही थी. मम्मी ने कई बार फोन किए उनके घर वाले भी चाहते थे लेकिन बस छुट्टी की बात और छुट्टी भी सब लोग चाहते थे कि लंबी हो बहोत दिनों के बाद घर मे शादी पड़ने वाली थी तो सारे रस्म रिवाज के साथ और खूब धूम के साथ. मेरे मन मे भी बार बार उनकी यादे उमड़ती घूमड़ती अक्सर जो उन्होने किताबे दी थी..उसे खोल के मैं पढ़ती तो बस उन की शकल सामने आ जाती बस मन करता कि एक बार और देखने को मिल जाए उनकी प्यारी आवाज़, शकल वो स्पर्श जब भाभी और रीमा छेड़ती तो बुरा लगता और ना छेड़ती तो बुरा लगता. एक दिन मेरे कमरे की खिड़की पे सुबह से कौवा बोल रहा था, बस क्या था उन दोनो को छेड़ने का बहाना मिल गया. रीमा चालू हो गयी, दीदी आज सुबह से कौआ बोल रहा है लगता है कोई आएगा. या हो सकता है कोई संदेश, चिट्ठी मेने अपना गुस्सा कौए पे निकाला और उसे ज़ोर से डाँट के भगाया पर वो फिर भी थोड़ी मे फिर मेरी खिड़की पे 'काव काव'. करने लगा अबकी भाभी की बारी थी, वो गुनगुनाने लगी,
"मोरी अटरिया पे काग़ा बोले मोरा जिया डोले कोई आ रहा है"
, और कौवे से बोली "अर्रे अगर आज कोई आया ना जिसका ये बेचारी इंतेजर कर रही है, तो ये मेरी ननद रानी तुम्हे सोने के कटोरे मे दूध भात खिलाएँगी". तिज़ाहरिया हो रही थी. मैं एक पुराना छोटा सा टॉप और बरमूडा पहने स्कूल का काम कर रही थी. रीमा उपर मेरे कमरे मे आई और बोली, "मम्मी बुला रही है". मेने बोला कि "कह दे काम कर रही हू थोड़ी देर बाद आउन्गि". पर उस ने कहा, "अभी तुरंत बुलाया है, आप के लिए एक सर्प्राइज़ गिफ्ट है". मैं अनमने मन से उठी और बोल चल लेकिन अगर कुछ नही हुआ ना तो गिन के तुझे पाँच लगाउन्गि". धड़ाधड़ती हुई जब मैं नीचे उतरी तो सीढ़ियों से नीचे उतरते ही मेरा जी धक से रह गया.
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