RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
भाभी की एक सहेली बहुत अच्छी डिज़ाइनर थी, वहीं पास मे. तय हुआ कि मेरी कुछ ड्रेसस वहाँ से ले और वहीं पे नाप भी दे दे. भाभी ने, जो लड़की नाप ले रही थी, उससे कहा कि एकदम टाइट नाप लेना और मेरे लाख मना करने पर भी उन्होने लो कट, और कयि स्लीवेलेस भी. तब तक भाभी को कुछ याद आया और उन्होने मम्मी से कहा लहंगा एक और ले लेते है. मम्मी बोली, "वो तो ऑर्डर दे दिया है", तो उन्होने उनके कान मे कुछ कहा. मम्मी ने हंस के कहा एकदम सही लेकिन मैं सब तुम्हारे उपर छोड़ रही हू. भाभी और उनकी उस डिज़ाइनर सहेली ने मिल के एक हल्के गुलाबी, प्याजी रंग का बड़ा ही प्यारे लहँगे की डिज़ाइन तय की, लेकिन नाप लेते समय जब उसने पूछा कि कितना नीचे, तो भाभी बोली जितने नीचे आप बना सके. उसने कम से कम नाभि से 4-5 अंगुली नीचे का नाप लिया तो मैं चिल्ला उठी, "अर्रे इतने नीचे, ये तो..", भाभी हंस के बोली अर्रे बन्नो ये रहेगा कितनी देर तेरी देह पे. और उसके साथ की चोली भी पूरी बॅकलेस कच्ची कढ़ाई के साथ खूब भारी, लेकिन लो कट, स्लीवेलेस्स और स्ट्रिंग टाइड सिर्फ़ मेरे उभारों की ढकति.
रात की गाड़ी से हम वापस घर लौटे.
घर लौट ते ही इतने खुशी का आलम, मम्मी ने अपनी किटी पार्टी के फ्रेंड्स से ले के ऑफीस की सर्कल के सभी सहेलियों को, जिन रिश्तेदारों से मिले बरसों हो गये थे, उनके यहाँ भी फोन करके. यहाँ तक कि मेरी छोटी बेहन रीमा भी अपनी सारी सहेलियों के यहाँ जाके ये खबर बाँट आई. लेकिन भाभी को अपना काम याद था. मेरे कमरे मे एन-फ्रेंच की शीशी थी. शाम को उन को सिर्फ़ पूच्छ के ही भरोसा नही हुआ, बल्कि फ्रॉक उठा के उन्होने 'चेक' भी किया और बोली कि इस पे हल्की सी क्रीम लगा लेना. फिर उन्होने बैठ के मुझे एपीलेटर का इस्तेमाल करना सिखाया. वो बोली कि हर हफ्ते इसे पूरी तरह साफ करना. सिर्फ़ आगे ही नही पीछे भी और हॅंड मिरर से देख लेना कि एक भी बाल बचना नही चाहिए.
साफ करने के बाद बेबी आयिल या कोई माय्स्चुरिज़र और फिर ज़रा सा बेबी पाउडर छिड़क लेना. जो किताबें कभी छुप के भाभी के 'संग्रह' से कभी कभी मैं थोडा बहोत पढ़ लेती थी, मालूम हुआ उसमे से कई, स्त्री-पुरुष से ले के 'हाउ टू बेकोने आ सेंसुवस वुमन और काम सुत्र तक मेरी अलमारी मे रखी थी. यही नही रात मे सोते समय भाभी ने एक किताब लेके चूत के बारे मे सब कुछ समझाया, क्लिट से लेके जी-स्पॉट तक. उन्होने ये भी बताया कि इसकी देख बाल कैसे की जाय. मैं शरमा रही थी तो उन्होने मुझे हड़काया कि अब तेरे शरमाने के दिन गये अच्छी तरह समझ ले. और फिर उन्होने मुझे पी.सी. एक्सर्साइज़ के बारे मे भी बताया और बोला कि कल से मैं उन्हे शुरू कर दू. इससे वेजिनेल मसल्स टोंड हो जाती है और बहोत अच्छा कंट्रोल रहता है.
मम्मी ने राजीव के घर वालों से भी बात की - कि जल्द ही रस्म हो जाए. वो लोग भी उत्सुक थे देखने के लिए और 10-12 दिनों मे झार मार के ढेर सारे लोग मेरी होने वाली ससुराल से आए, मेरे होने वाले जेठ, जेठानी, दो बड़ी शादी शुदा उनकी बहने और एक छोटी कज़िन सिस्टर्स जो उनके घर के पास मे ही रहती थी (उनके यहाँ भी हम लोगों की तरह एक प्रकार का जॉइंट फॅमिली सिस्टम ही था, इसलिए कज़िन कहना बेमानी था.) जब मेने सुना तो मैं तो घबरा ही गयी कि इतने लोग रहते है उनके यहाँ, पर मम्मी बोली, अर्रे उसकी बड़ी बहने तो शादी शुदा है, कभी काम काज पे आती होंगी. वहाँ तो सिर्फ़ तेरी जेठानी और सास रहेंगी, और कौन तुझे जिंदगी भर ससुराल मे रहना है, तू तो दामाद जी के साथ रहेगी. रीमा भी दुष्ट, मुझे चिढ़ाती थी कि दीदी आप चाय की ट्रे ले जाने से बच गयी. जैसे लड़ाई के पहले दोनो ओर की सेनाए इकट्ठी होती है ना,
मम्मी ने भी बुआ, मेरे एक दो कज़िन भाइयों, गाँव से भी भाभी को बुला भेजा.
देखने तो अब सिर्फ़ रस्म भर था क्योंकि उन्होने तो पसंद कर ही लिया था,
उनकी जेठानी ने हां कर दी थी और मसूरी मे मम्मी ने रिंग सेरेमनी भी कर दी थी. थोड़ी बहोत बस रस्मे होनी थी वो हो गयी. सबने मुझे बहोत पसंद किया ख़ासकर मेरी जेठानी ने. थोड़ी देर के बाद ये हुआ कि अगर किसी को अलग से मुझसे बात करनी हो तो जेठानी ने कहा कि अंजलि तुम इकलौती छोटी ननद हो चाहो तो..और वह चाहकती हुई तैयार हो गयी.
क्रमशः…………………………
शादी सुहागरात और हनीमून--5
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