RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
पहले तो मे थोड़ा झिझकी, लेकिन मेने भी सोचा क़ि अफेन्स ईज़ बेस्ट डिफेन्स. मे झट से बोल पड़ी, "ये क्यों नही कहती कि आप का गीला होने का मन कर रहा है. ले जाइए नी भाभी को झरने के नीचे."
और वो तुरंत भाभी का हाथ पकड़ के खींच ले गये और भाभी भी खुशी खुशी झरने मे अंदर घुसने के पहले मुझे सुना के वो उनसे बोली, "तुम्हे नही लगता कहीं से जलने की बू आ रही है".
"हां भाभी लगता तो है" मेरे ओर देख के सूंघने की आक्टिंग करते हुए, नाक सिकोड के वो बोले.
"लगे रहो लगे रहो. यहाँ कोई जल वल नही रहा है." मे मुस्करा के बोली.
"देखा. तभी मे कह रहा था कि चोर की दाढ़ी मे तिनका." वो हंस के बोले.
"दाढ़ी मे या" कुछ हंस के भाभी ने उनके कान मे कहा और फिर वो दोनो हस्ने लगे. उसके बाद तो झरने के नीचे कुछ मुझे दिखा चिढ़ा के वो ऐसे लिपट चिपेट रहे थे, झरने की धार का मज़ा ले रहे थे कि पास के हनिमूनर्स जोड़े मात खा रहे थे.
मम्मी मुझसे पूछने लगी कि हम दोनो मे क्या क्या बाते हुई. मेरी मम्मी, मम्मी से बहोत ज़्यादा थी, मेरी पक्की सहेली, बेस्ट कॉन्फिडेंट, जिनसे मे कुछ नही छिपाती थी. मम्मी के मन मे बस ये फिकर लगी थी कि मे कुछ ऐसा ना गड़बॅड कर दू, कहीं कुछ ऐसा नी हो जाए कि रिश्ता टूट जाए. लेकिन जब मेने मम्मी को सारी बाते बताई वो बहोत खुश हुई खास कर पढ़ाई के बारे मे. जब भाभी और 'वो' लौट कर के आए, तो दोनो हाथ पकड़े, हस्ते हुए. भाभी की साड़ी तो पूरी तरह उनकी देह से चिपकी, खास तौर से उनका लो कट ब्लाउस, उनकी गोरी गोलाइयाँ अच्छी तरह झाँक रही थी. थोड़ी देर मे, वो चेंज कर के आई तो मुझे चिढ़ा के पूछने लगी, "क्यो बुरा तो नही माना"
"नही एकदम नही, अच्छी तरह गीली हुई कि नही"
"कुछ जगह बची रह गयी लेकिन तुम चाहे जितनी जलो, मे छोड़ने वाली नही. आख़िर नेंदोई पे सलहज का भी पूरा हक़ होता है, क्यों." उन्होने राजीव से मुस्करा के पूछा."
"एकदम भाभी, मेरे लिए तो बोनस है." मम्मी हम लोगो की छेड़छाड़ सुन कर चुप चाप मुस्करा रही थी और खाना निकालने मे लगी थी.
खाना उन लोगो ने रास्ते मे पॅक करा लिया था. खाने के बाद उन्होने दो अंगूठिया निकाली और वहीं रिंग सेरेमनी भी हो गयी.
मेने सबको बताया कि राजीव कॅमरा लाए है, फिर क्या था, फोटोग्रफी भी हुई. उन्होने पहले हम तीनो की खींची और फिर हम सब के साथ ऑटो पे लगा के सब की ली. मेने ज़िद की - कि एक फोटो मैं खींचुँगी उनकी, भाभी के साथ. भाभी तो झट से तैयार हो गयी. वो वहीं थोड़े शर्मा के दूर खड़े थे.
भाभी लेकिन एकदम पास न सिर्फ़ चिपक के खड़ी हो गयी और उनका हाथ खींच के अपने कंधे पे रख लिया. अब वो भी खूब मज़े ले रहे थे. मेने छेड़ा,
"अर्रे इतने डर क्यों रहे हैं हाथ थोड़ा और नीचे, भाभी बुरा नही मानेंगी और भाभी थोड़ा अपना आँचल" भाभी ने ठीक करने के बहाने अपने आँचल ढालका लिया और उनका हाथ खींच के अपने बड़े बड़े उभारों पे सीधे. वो बेचारे बड़े नर्वस महसूस कर रहे थे. लेकिन हम मज़े ले रहे थे. वो हाथ हटा पाते उसके पहले मेने तुरंत एक स्नेप खींच लिया. मुझे क्या मालूम था कि मैं अपनी मुसीबत मोल ले रही हू.
भाभी ने कहा अब मैं भी तो तुम दोनो की एक फोटो ले लूँ और फिर कभी धूप कभी छाँव के बहाने हम दोनो को एक दम सुनसान जगह मे ले गयी. फिर हम दोनो को खड़ा कर दिया. वहाँ से कोई भी नही दिख रहा था. राजीव ने तो बिना कहे हाथ मेरे कंधे पे रख दिया और मैं भी इतनी बोल्ड हो गयी थी कि मेने भी हाथ नही हटाया. लेकिन भाभी को इससे कैसे संतोष होता. पास आके उन्होने उनका हाथ सीधे मेरे उभारों पर, और टी-शर्ट वैसे भी अभी भी इतनी गीली थी कि सब कुछ दिखता था. उन्होने उनकी उंगलिया, मेरे 'वहाँ' के बेस पे, शरम से मेरी हालत खराब थी. मेने हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन उन्होने फोटो खींच ली. भाभी का बस चलता तो वो होंटो से भी.. मेने बहोत मना किया लेकिन तो भी 4-5 बहोत ही 'इंटिमेट' फोटो उन्होने हम दोनो की खींच कर ही छोड़ा.
क्रमशः…………………………
शादी सुहागरात और हनीमून--4
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