RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
मेरे दोनो कबूतर खुलने के लिए जैसे छटपटा रहे थे, और उनकी खड़ी चोन्चे सीधे उनके चौड़े मजबूत सीने पे जब उन्होने मेरे नितंबों को पकड़ के कस के भींचा तो मेरी फैली जाँघो के ठीक बीच... उनका बुल्ज़ (मुझे एकदम याद आया कि सुबह भाभी किस तरह उनके "खुन्टे" के बारे मे बोल रही थी) और मे बजाय छितकने के और सॅट गयी. शायद उस समय वो और आगे बढ़ जाते तो भी मे मना ना कर पाती उत्तेजना और पहली बार परे उस सुख से जिसे बता पाना शायद अब तक मेरे लिए मुश्किल है मेरी हालत खराब थी.
झरने मे शायद हम 10-5 मिनिट ही रहे हो लेकिन जब मे उन का हाथ पकड़ के बाहर निकली तो लगा कितना समय निकल गया. जब बाहर निकल कर मेरी ठोडी पकड़ के उन्होने पूछा बोलो कैसा लगा, तो मे शरमा के दूर हट गयी और बोली, "धत्त", मेरी बड़ी बड़ी आँखे झुकी हुई थी. और मे दोनो हाथो से अपने गीले उरोजो को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी.
उन्होने अपने बॅग से कुछ तौलिए निकले. मेने जैसे ही हाथ बढ़ाया तो वो मुस्करा के बोले,
"नही पहले एक पोज़". मेने बहोत ना नुकुर की पर जिस तरह वो रिक्वेस्ट कर रहे थे मेरी मना बहोत देर चलने वाली नही थी. अचानक वो बोले हॅंड्ज़-अप और मेरे दोनो हाथ जो मेरे सीने पे थे उपर हो गये.
"एक दम, अब अपने दोनो पंजे एक दूसरे मे फँसा के.. हाँ सिर के पीछे जैसे मॉडेल्स करती है"
मे जानती थी कि इसके बिना छुट्टी नही मिलने वाली है. मुझे गुस्सा भी लग रहा था और मुस्कान भी आ रही थी.
एक फोटो से छुट्टी नही मिली. एक उन्होने एक चट्टान के उपर से चढ़ के ली और दूसरी ज़मीन पे बैठ के. (वो तो मुझे फोटो देखने से पता चला कि एक मे जनाब ने मेरे गहरे क्लीवेज और दूसरे मे पूरे उभार की) और एक दो फोटो और खींचने के बाद ही मुझे तौलिया मिला. हम लोग ऐसी जगह थे जहाँ चारो ओर उँची चट्टाने थी, पूरी तरह परदा था और खूब कड़क धूप आ रही थी. मुझे चिढ़ाते हुए वो बोले, "सुखा दू. अच्छी तरह रगड़ रगड़ के सुखाउन्गा. तुरंत सूख जाएगा" मेने भी उसी अंदाज मे आँख नाचा के कहा कि, वो मेरी ओर पीठ कर लें जब तक मैं ना बोलू. अच्छे बच्चे की तरह बात मान के तुरंत वो मूड गये. अपनी शर्ट तो उन्होने उतार के पास के चट्टान पे सूखने डाल दी थी. उसके नीचे उन्होने कुछ नही पहन रखा था, इस लिए उनकी पूरी देह साफ साफ दिख रही थी. मेने मूड के उनकी ओर पीठ कर ली और अपनी टी शर्ट उठा के अंदर तक तौलिए से अच्छी तरह पोन्छा.
और फिर फ्रंट ओपन ब्रा खोल के वहाँ भी ब्रा को अड्जस्ट कर के जीन्स की भी बटन खोल के. मैं बीच बीच मे गर्दन मोड़ के देख ले रही थी कही वह चुपके से देख तो नही रहे है. पर लाइक आ पर्फेक्ट जैन्तल्मेन एक बार भी ..कनखियो से भी नही. और अब सारी बटन बंद कर के जब मेने उनकी ओर देखा तो उनके शरीर की एक एक मसल्स ज़रा भी फट नही रही थी, कमर एकदम जो कहते है ने कहर कटी, शेर की तरह पतली कुछ कुछ मेल मॉडेल्स जो दिखाते है वैसे ही.. एक बार फिर मेरी देह मे वैसी ही सिहरन होने लगी जैसे उनकी बाहों मे झरने के नीचे सर झटक के मे चुपके से दबे पाँव उनके पीछे गयी और पीछे से कस के उन्हे अचानक पकड़ लिया लेकिन जैसे ही मेरी गोलाइयाँ मेरी टी शर्ट के अंदर से ही सही, उनके पीठ से लग रही थी, मुझे लग रहा था मेरी आँखे अपने आप मूंद रही है. वो अचानक मुड़े और उन्होने मुझे थाम लिया.
और हम दोनो बेसाखता हस्ने लगे. उन्होने अपनी शर्ट उठाई और पास मे ही एक घास के मैदान की ओर दौड़ पड़े और मे भी उनके पीछे पीछे. वो लेट गये घुटने मोड़ के. मे भी उनके घुटने पे पीठ टेक उनकी ओर मुँह कर के बतियाने लगी. जाड़े की गुनगुनाती, हल्की चिकोटी काटती धूप, पास मे झरने का खिलखिलाने का शोर, खुल कर दुनिया को भूल आपस मे मस्त सरवर मे केली क्रीड़ा करते हंस के जोड़ो की तरह औरत मर्द, एकदम रूमानी माहौल हो रहा था. और मे उनसे ऐसे घुल मिल के बात कर रही थी जैसे हम एक दिन पहले नही ना जाने कितने दिनो से एक दूसरे को जानते हो. और मे ऐसी बेवकूफ़ अपने मन की सारी परेशानिया, बाते, उनसे कह गयी. बिना कुछ सोचे कि. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ. मे अपनी पढ़ाई के बारे मे सोच रही थी. उन्होने रास्ता सुझाया कि उनकी भी अभी ट्रैनिंग तो दो बरस की है. तब तक मे ग्रॅजुयेशन का पहला साल तो कर ही लूँगी. मे ये सोचने लगी कि क्या मुझे फिर अलग रहने पड़ेगा तो मेरे मन की भाँप, वो बोले कि अरे बुद्धू, ट्रैनिंग का अगला साल तो फील्ड ट्रैनिंग का होगा, किसी जिले मे. तो फिर हम साथ साथ ही रहेंगे. हाँ और दो तीन महीने की मसूरी मे फिर ट्रैनिंग होगी तो हम लोग यहाँ साथ साथ रहेगे और मेरे मूह से अपने आप निकल आया, और फिर यहाँ भी आएँगे. वो मुस्करा पड़े और बोले कि लेकिन थी तुम्हे उतने सस्ते मे नही छोड़ूँगा जैसे आज बच गयी. मेने शर्मा के सर झुका लिया.
फिर ड्रेस के बारे मे भी मुझसे नही रहा गया और मैं पूछ बैठी कि मुझे वेस्टर्न ड्रेस पहनने अच्छे लगते है तो हंस के वो बोले मुझे भी और शरारत से मेरे खुले खुले उभारो को घूरते बोले, तुम्हारे उपर तो वो और भी अच्छे लगेंगे. मेने शरमा के अपने टी शर्ट के बटन बंद करने की कोशिश की पर वो तो झरने की तेज धार मे टूट के बह गये थे.
उन्होने फिर कहा, "अरे यार शादी होने का ये मतलब थोड़े ही है कि तुम दादी अम्मा बन जाओ, मेरा बस चले तो जो मॉडेल्स पहनती है ना वैसे ही डेरिंग ड्रेस पहनाऊ." अब फिर लजाने की मेरी बारी थी.
उन्होने ये भी बताया कि वो अपनी खींची फोटो डेवेलप भी खुद करते है और अकादमी मे एक डार्क रूम है, उसी मे, इस लिए जो उन्होने फोटो खींची है और खींचेंगे वो 'फॉर और आइज़ ओन्ली" होंगे. मेने उनसे कुछ कहा तो नही था, पर मेरे मन जो थोड़ी बहोत चिंता थी वो भी दूर हो गयी. तभी हम दोनो ने दूर सड़क पे मुड़ती हुई कार देखी, जिससे भाभी और मम्मी को आना था. हम दोनो खड़े हो गये.. वही लोग थे.
धूप से कपड़े तो सुख गये थे पर भाभी की तेज निगाहो से बचना बहोत मुश्किल था. उनकी ओर देख के वो मुस्करा के बोली, "आख़िर आप ने मेरी ननद को गीली कर ही दिया लेकिन आप की क्या ग़लती. ऐसा साथ पाकर कोई भी लड़की गीली हो जाएगी.
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