RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--4
गतान्क से आगे…………………………………..
मेरी जीन्स पीछे से गंदी हो गयी थी. पीछे मूड के वो वहाँ झाड़ने के बहाने मेरे हिप्स पे हाथ लगाने लगे. मेने हंस के मुस्कराती आँखो से कहा, बदमाशी मत करो तो बड़े भोले बन के वो बोले, मे तो सिर्फ़ धूल झाड़ रहा था. हाँ, मुझे मालूम है जनाब क्या कर रहे है, मे बोली और उनको दिखा के एक बार मस्ती से अपने नितंब मटका के आगे बढ़ गयी.
पीछे से वो बोले, अरे शराफ़त का तो जमाना ही नही है.
सामने झरना दिख रहा था, कई धाराए दो तीन काफ़ी मोटी थी बाकी पतली. नीचे पानी इकट्ठा हो रहा था. पानी काफ़ी उपर से गिर रहा था और बहोत ही रोमॅंटिक दृश्य था. लोग काफ़ी थे. कई तो सीधे पानी के नीचे खड़े थे, उनमे ज़्यादातर कपल्स थे, कुछ हनिमूनर्स लग रहे थे और कुछ ऐसे ही लड़के लड़कियो के जोड़े. वो बोले चलो ना ज़रा पास से देखो. मेने मना किया तो वो बोले डरती क्यो हो, मे हू ना. हिम्मत कर के मे झरने के पास तक गयी. पानी की बूँदों का फव्वारा हमारे चेहरे पे पड़ रहा था, बहोत अच्छा लग रहा था. मेने नीचे झुक के अंगुली मे कुछ पानी लिया और शरारत से उनके चेहरे के उपर फेंक दिया. अच्छा बताता हू, वो बोले. मे पीछे हटी पर मुझे ये नही मालूम कि मे एक पतली धार के पास आ गयी थी. उन्होने मेरा एक हाथ पकड़ के हल्के से धक्का दिया और मे सीधे धार के नीचे. काफ़ी भीग गयी मे, लेकिन फिर किसी तरह निकल के खड़ी हो गयी. मूह फूला के. पास आ के उन्होने पूछा, "गुस्सा हो क्या."
मे कुछ नही बोली. "कैसे मनोगी ओके.. सॉरी बाबा.." मुंझे लगा कुछ ज़्यादा होगया. मेने फिर पूरी ताक़त से उनको धार के नीचे धकेल दिया. अब वो भीग रहे थे और मे खिलखिला रही थी.
मेने उनसे कहा, "ऐसे. मानूँगी."
"अच्छा.." और अब उन्होने मुझे भी खींच लिया. अब हम दोनो धार के नीचे खड़े भीग रहे थे. उन्होने मुझे कस के अपनी बाहों मे बंद रखा था. सर पे पानी से बचने के लिए जो मेने सर हटाया तो सारी धार सीधे मेरे टी शर्ट के बीच और उसके ज़ोर से मेरे उपर के दोनो बटन टूट गये और पानी की धार सीधे मेरे बूब्स पे और पल भर मे ही मेरी लेसी ब्रा अच्छी तरह गीली हो कर मेरी देह से चिपक गयी और मेरी सफेद टी शर्ट भी. तभी मेरे पैर सरके और मेने कस के राजीव को अपनी बाहों मे भींच लिया.
मेरे उभार उनके सीने से एकदम चिपक गये. राजीव की उंगलिया मेरे उरोजो के उभार से साइड से जाने अंजाने छू गयी. मेरे सारे शरीर मे जैसे करेंट दौड़ गया. पहली बार किसी मर्द की उंगलिया मेरे "वहाँ" टच कर गयी थी और मे एकदम सिकुड गयी लाज से लेकिन.. अच्छा भी बहोत लगा. मन कर रहा था कि वह कस के भीच ले मुझे. पहले तो मेने सहारे के लिए उसे पकड़ा था लेकिन अब मेरी उंगलिया कस के उसकी पीठ पे गढ़ी हुई थी.. शायद वो बिना कहे मेरे मन की बात भाँप गये थे और अब उन्होने कस के, मुझे पकड़ने के बहाने भीच लिया.
मेने थोड़ा सा छुड़ाने की कोशिश की लेकिन हम दोनो जानते थे कि वो बहने है उसका एक हाथ तो मेरी पीठ पे कस के मुझे पकड़े था और अब दूसरा मेरे हिप्स पे मेने अगल बगल देखा तो बगल मे और मोटी धार मे अनेक जोड़े चिपके हुए थे. जब मेने झुक कर नीचे देखा तो मेरी नज़र एकदम झुक गयी. ना सिर्फ़ मेरे उरोज सफेद टी शर्ट से (जो अब गीली होके पूरी तरह ट्रांशापरेंट हो गयी थी) चिपके हुए साफ दिख रहे थे, बल्कि पानी के ज़ोर से मेरी लेसी, हाफ कप, तीन ब्रा भी सरक के नीचे होगयि थी.
मेरे उत्तेजना से कड़े निपल भी (राम तेरी गंगा मैली मे मंदाकिनी जैसे दिख रही थी, वैसे ही बल्कि और साफ साफ). जब तक मे संभालती उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर खींचा और हम लोग एक खूब मोटी धार के नीचे, ये धार एक बड़ी सी चट्टान कि आड़ मे थी जहाँ से कुछ नही दिख रहा था और न ही हम लोग किसी को दिख रहे थे.
वहाँ फिसलन से बचने के लिए अबकी और कस के उसने मुझे भींच लिया और मे ने भी कस के उन्हे अपनी दोनो बाहों मे. मेरे दोनो टीन उरोज कस के उन के सीने से दबे थे और वो भी उन्हे और कस के भीच रहे थे. बस लग रहा था हम दोनो की धड़कने मिल गयी है. पानी के शोर मे कुछ भी सुनाई नही दे रहा था. बस रस बरस रहा था, और हम दोनो भीग रहे थे. लग रहा था हम दोनो एक दूसरे मे घुल रहे हो उनका पौरुष मेरे अंदर छन छन कर भीं रहा हो झरने मे जैसे लाज शरम के सारे बंदन भी घुल, धुल गये हो.
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