RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
माल रोड पे हम थोड़े ही दूर गये होंगे कि सड़क से घाटी का बहोत अच्छा सीन नज़र आ रहा था. हम दोनो वही जा के रेलिंग पकड़ के खड़े हो गये और नीचे का नज़ारा देखने लगे. पहाड़ो से नीचे उतरते बादल, घाटियो मे तैरते, सूरमे, सफेद, रूई के गोलो जैसे और तभी जैसे ग़लती से उनका हाथ मेरे हाथ से छू गया और मुझे जैसे करेंट लग गया हो. मेने झटके से हाथ हटा लिया. उसी समय एक बादल का फाहे जैसा टुकड़ा आके मेरे नरम नरम गालो को छू गया. मुझे इतना अच्छा लगा जैसे मेने उनकी ओर निगाह की तो अचानक देखा कि उनकी निगाह चोरी चोरी मेरे उभारो पे चिपकी है. उन्होने तुरंत अपनी निगाह हटा ली जैसे कोई शरारती बच्चा शरारत करते पकड़ा जाय और मे मुस्करा पड़ी और मुझे मुस्कराते देख के वो भी हंस पड़े और बोले, अभी बहोत कुछ देखना है चलो. और हम लोग चल दिए. खूब भीड़ थी, लेकिन हम लोग अपनी मस्ती मे बस चले जा रहे थे. तभी एक मोमोज़ की दुकान दिखी. अबके मेने उनसे कहा और हम लोग अंदर चल के बैठ गये. मेने उनसे पूछा की कौन से मोमो लेंगे, तो वो बोले कि मे नों-वेज नही ख़ाता, लेकिन तुम लेलो. मेने कहा कि नही मोमो मुझे भी वेज ही अच्छे लगते है, लेकिन क्या रिलिजियस रीज़न से या किसी और कारण से वो पूरे वेज है तो पता चला कि कुछ एक दो बार उन्होने नोन-वेज खाया था लेकिन बस ऐसे ही छोड़ दिया और उनके घर मे भी लोग नही खाते. बात बदलकर अब मेने उनसे स्पोर्ट्स के बारे मे और उनके इंट्रेस्ट्स के बारे मे बात शुरू की तो पता चला कि वो क्रिकेट खेलते है और ऑल राउनदर है, नई बॉल से बोलिंग करते है.. ( वो इन्होने वैसे कहा कि जैसे बस थोड़ा बहुत, पर बाद मे उनकी भाभी से पता चला कि वो अंडर 19 मे अपने स्टेट की ओर से खेल चुके है), उन्हे फोटोग्रफी का भी शौक है और स्विम्मिंग भी. पढ़ना भी उनकी हॉबी है. मे एक दम चहक उठी क्यो कि वो मेरी भी हॉबी थी. मेने भी बताया कि थोड़ी बहोत स्विम्मिंग मे भी कर लेती हू. और मुझे वेस्टर्न ड्रेस, डॅन्स, म्यूज़िक और मस्ती करने मे बहोत मज़ा आता है. तब तक हम लोग बाहर निकल चुके थे. कुलड़ी तक हम लोगो ने दो चक्कर लगाया होगा. लौट ते हुए उन्होने कहा कि चलो आइस्क्रीम खाते है. ठंडक मे आइस्क्रीम खाने का मज़ा ही कुछ और है. हम लोगो ने सॉफ्टी ले ली. वही सामने ही केम रेस्टौरेंट था. वहाँ एक बोर्ड लगा था क़ब्ररे का. मेने आँखे नचा के चिढ़ाते हुए पूछा, " क्यो अभी तक देखा कि नही?"
" नही, लेकिन देखने का इरादा है, क्यों, तुम्हे तो नही बुरा लगता, कोई पाबंदी."
" एकदम नही, बल्कि मे तो कहती हू एकदम देखना चाहिए. जहा तक पाबंदी का सवाल है, मे सिर्फ़ पाबंदी पे पाबंदी लगाने की कायल हू." वो खूब ज़ोर से हँसे और मेने भी हँसने मे उनका साथ दिया. हम दोनो इस तरह टहल रहे थे, जैसे बहोत पुराने दोस्त हो. तभी एक किताब की दुकान दिखी और हम दोनो अंदर घुस लिए. मे किताब देख रही थी और वो भी. जब हम दोनो बाहर निकले तो इनके हाथ मे एक पॅकेट था, किताब का. मेने उसे खोलना चाहा तो वो बोले नही होटेल मे जाके खोलना.
शाम होने वाली थी. लौट ते हुए घाटी का द्रिश्य और रोमॅंटिक हो रहा था. हम दोनो वही, जहाँ पहले जाके खड़े थे, रेलिंग पकड़ के खड़े होगये. बहोत ही खूबसूरत सा एक इंद्रधनुष घाटी मे बन रहा था. हम दोनो सॅट के खड़े थे.
वो बोले, " तुम्हे मालूम है, लोग कहते है इंद्रधनुष को देख के कुछ माँगो तो ज़रूर मिलता है. चलो माँगते है."
" एकदम" मुस्कारके मे बोली और इंद्रधनुष की ओर देख के आँखे बंद कर ली. मेने महसूस किया कि उनका हाथ मेरे हाथ को छू रहा है लेकिन अबकी बार मेने हाथ नही हटाया. उनका स्पर्श बस लग रहा था जैसे वो इंद्रा धनुष पिघल के मेरी देह मे घुल गया हो. मेरे साँसे, धड़कन तेज हो गयी. थी तब मेने उनका हाथ अपने हाथ पे महसूस किया. मुझे लगा जैसे मेरा सीना पत्थर की तरह सख़्त हो गया हो. मेने आँखे खोली तो देखा कि वो एकटक मेरी ओर देख रहे थे. शर्मा के मेने नज़र झुका ली और कहा,
" माँगा अपने?"
" हाँ और तुमने", मुस्कराकर बिना मेरा हाथ छोड़े वो बोले.
" हाँ" ब्लश करते हुए मेने कहा जैसे उन्हे मालूम चल गया हो कि मेने उन्ही को माँगा. मेरी ओर देख के वो बोले,
" मेरा बस चले तो इस इंद्रधनुष को तुम्हारे गले मे पहना दू."
" धत्त, अभ चलिए भी. ज़्यादा रोमॅंटिक ना बानिए. देर हो रही है. वहाँ मम्मी, भाभी इंतजार कर रही होंगी.
और सच मे वो लग इंतजार कर रहे थे. मम्मी तो बहोत बेचैन हो रही थी लेकिन उनकी बेचैनी ये थी कि राजीव ने मुझे पसंद किया कि नही.
मम्मी पानी वानी लेने के लिए अंदर गयी तो भाभी ने मुस्करा के, अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचा के उनसे पूछा,
" तो क्या क्या देखा आप ने और पसंद आया कि नही"
"भाभी, हिल स्टेशन पे जो देखने को होता है वही, पहाड़ और घटियाँ, और दोनो ही बहोत खूबसूरत "
उनकी बात काट के मेरे उभरे उभारो को घूरते हुए, भाभी ने चुटकी ली, " पहाड़ तो ठीक है लेकिन आपने घाटी भी देख ली?" मेरी जाँघो के बीच मे अर्थ पूर्ण ढंग से देखते हुए वो मुस्काराईं. उनकी बात का मतलब समझ के अपने आप मेरी जंघे सिकुड गयी. लेकिन राजीव चुप रहने वाले नही थे. भाभी बहोत ही लो कट ब्लाउस पहनती थी जिसमे उनका गहरा क्लीवेज एकदम सॉफ दिखता था और आज तो उनका आँचल कुछ ज़्यादा ही धलक रहा था.
उनके दीर्घ उरोजो को देखते हुए वो बोले, " भाभी जहाँ इतने बड़े बड़े पहाड़ होंगे वहाँ उनके बीच की घाटी तो दिखेगी ही."
" अरे पहले इन छोटे छोटे पहाड़ो पे चढ़ लो फिर बड़े पहाड़ो पे नंबर लगाना." अब भाभी ने खुल के मेरे दुपट्टे से बिना ढके उरोजो की ओर इशारा करते हुए कहा. शर्मा के मे गुलाबी हो गयी और उठ के अपने कमरे की ओर चल दी. थी तब मेने सुना राजीव भाभी से कह रहे थे,
" एक दम भाभी. लेकिन फिर भूलिएगा नही," सेर को सवा सेर मिल गया था. अंदर पहुँची तो मेरा सीना धक धक हो रहा था. मेरे गाल दहक रहे थे. जब मे वॉश बेसिन के सामने पहुँची तो मेरा चेहरा धक से रह गया. दुपट्टा मेरे गले से चिपका था और मेरे दोनो उरोज खूब उठे साफ साफ दिख रहे थे. तभी तो वो और भाभी इस तरह से पहाड़ का नाम ले ले के मज़ाक कर रहे थे. बाहर ज़ोर ज़ोर से हँसने की, उनकी, मम्मी और भाभी की आवाज़ आराही थी. मेने सोचा कि दुपट्टा ठीक कर लू पर कुछ सोच के मेने 'उंह' किया और मुस्कराते हुए बाहर निकल गयी. उन लोगो मे किसी बात पे मतभेद चल रहा था. बात ये थी कि, मम्मी उन को रात के खाने पे बुला रही थी और वो हम लोगो को अकॅडमी ले चलने की ज़िद कर रहे थे. मेने थोड़ी देर सुना और फिर बीच बचाव करते हुए फ़ैसला सुना दिया कि हम लोग अकॅडमी चल चलते है और वो रात का खाने हम लोगों के साथ ही खा लेंगे. वो झट से मान गये. भाभी ने उन्हे चिड़ाया कि अभी से ये हालत है, मेरे कहते ही झट से मान गये अब शरमाने की उनकी बारी थी.
उनके जाने के कुछ देर बाद हम लोगो को अकॅडमी के गेट पे पहुँचना था, जहा वो मिलते. शेवोय के पास मे ही था.
उनके जाते ही मम्मी से नही रहा गया. वो मुझसे पूछने लगी, " बोल क्या बात हुई. तुझे पसंद किया या नही. तूने कुछ पूछा, शादी के लिए राज़ी है ना."
" मम्मी बाते तो बहोत हुई लेकिन, ये मेने नही पूछा." मे बोली.
" तू रहेगी बुद्धू की बुद्धू इतने अच्छा लड़का अगर हाथ से निकल गया ना" मम्मी के चेहरे पे परेशानी के भाव थे.
" अरे आप यू ही परेशान हो रही है. मेरी इस प्यारी ननद को कौन मना कर सकता है" भाभी ने मेरे गाल पे चिकोटी काट ते हुए कहा.
क्रमशः…………………………
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