RE: Kamukta Story बदला
इंदर के सीने पे & जीप की आगे की सीट पे हाथ रख वो उठी & जीप से उतर
गयी.शाम ढाल चुकी थी & सूरज अब डूबने ही वाला था.उस नारंगी सूरज की रोशनी
मे एस्टेट का नज़ारा और भी दिलकश लग रहा था.नीचे के खेतो से लौटते किसान
& मज़दूर दिख रहे थे.दूर बुंगला भी दिख रहा था & बाकी इमारतें भी मगर जो
नही दिख रहा था वो था क्वॉर्टर्स से बंगले को जाने के रास्ते के किनारे
पर झाड़ियो से कुच्छ दूरी पे पेड़ो के झुर्मुट के बीच कुच्छ ढूनदता हुआ 1
आदमी.
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बहुत अच्छा हुआ की उनलोगो ने उस शख्स को नही देखा.देविका को पता नही था
की कुच्छ ही दिन बाद उसकी ज़िंदगी मे बहुत बड़ा तूफान आने वाला है & उस
तूफान से लड़ने का माद्दा जिस शख्स मे था वो अगर आज पकड़ा जाता तो फिर
देविका को कोई भी नही बचा सकता था.
वो पेड़ो के बीच कुछ ढूनदता हुआ शख्स शिवा था.अपनी महबूबा की बेरूख़ी से
दुखी हो वो एस्टेट से चला गया था मगर उसकी फ़िक्र & इंदर से बदला लेने की
चाह उसे फिर से यहा ले आई थी.वो एस्टेट के चप्पे-2 से वाकिफ़ था & सबकी
नज़र बचाके घुसना उसके बाए हाथ का खेल था.इंदर के बारे मे सोचते हुए उसे
सुरेन जी के मौत के अगले रोज़ का वाक़या याद आया था जब इंदर ने वाहा
कुच्छ फेंका था.उसने दूसरे ही दिन आके ढूँढा था मगर कुच्छ नही मिला था
लेकिन उसने 1 आख़िरी कोशिश करने की सोची थी.पता नही क्यू उसे बार-2 ऐसा
लग रहा था कि वो चीज़ 1 बहुत अहम सुराग थी इंदर के खिलाफ & आज उसे ज़रूर
मिलेगी.
उसका दिमाग़ कहता था की ये बेवकूफी थी,इतने दीनो पहले फेंकी गयी चीज़ आज
मिलने से रही मगर उसका दिल कहता था की उसे वो चीज़ ज़रूर मिलेगी & बस
अपने दिल की आवाज़ को सुनता वो वाहा जुटा था.
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घोड़ो के स्टड फार्म के अहाते मे जली आग के पास बैठे चारो बाते कर रहे
थे.पूरी एस्टेट का चक्कर लगाके जब 8 बजे वो वाहा पहुँचे तो प्रसून ने
ज़िद की यहा आग जलाके पिक्निक मनाई जाए जैसे उसके पापा करते थे & रात को
भी यही फार्म पे रुका जाए.सुरेन जी कभी अमेरिका गये थे & वाहा के टेक्सस
राज्य मे कोई स्टड फार्म देखा था.उन्होने अपना फार्म बिल्कुल उसी अमेरिकन
फार्म की नकल मे बनाया था.घोड़ो के अस्तबल से थोड़ा हट के लकड़ी की
दोमंज़िला इमारत थी जिसमे वाहा काम करने वालो के कमरे थे.कभी-कभार वो यहा
आराम के कुच्छ पल बिताने आ जाया करते थे.आज प्रसून की फरमाइश पे सब वही
रुक गये थे.
स्टड फार्म की उपरी मंज़िल पे 2 कमरे खाली थे,वाहा के केर्टेकर ने 1 कमरा
प्रसून & रोमा के लिए & दूसरा देविका के लिए ठीक कर दिया था.निचली मंज़िल
पे 1 कमरा खाली था जो उसने इंदर के लिए ठीक कर दिया था.इंदर तो वाहा
रुकना नही चाह रहा था या यू कहा जाए की ना रुकना चाहने का नाटक कर रहा था
मगर सभी के इसरार के आगे उसे झुकना ही पड़ा.देविका ने फार्म से 1 लड़के
को बंगले पर भेज दिया था जहा उसकी नौकरानी ने सभी के लिए रात के कपड़े
भेज दिए थे.
काफ़ी देर तक चारो बाते करते रहे.काई दिन बाद देविका को भी इतना हल्का
महसूस हो रहा था.10 बजे के बाद प्रसून जमहाई लेने लगा तो देविका ने उसे &
रोमा को सोने जाने के लिए कहा मगर वो इंदर के साथ वही बैठी बाते करती
रही,"इंदर,1 पर्सनल सवाल पुच्छू तो बुरा तो नही मनोगे?"
"पर्सनल सवाल?"
"हां."
"पुछिये.अब बॉस की बात का बुरा मान के मुझे नौकरी ख़तरे मे थोड़े डालनी
है!",दोनो हंस पड़े.
"तुमने अभी तक शादी क्यू नही की?"
"कभी मौका ही नही मिला."
"ऐसा कैसे हो सकता है?"
"आप तो जानती ही हैं की मैं अनाथ हू तो कोई मा-बाप तो थे नही जोकि ये काम
करवाते & मैं.",इंदर फीकी सी हँसी हंसा,"..मैं अपने पैरो पे खड़ा होने के
चक्कर मे लगा रहा.उस जद्दोजहद मे मुझे कभी ये ख़याल ही नही आया की शादी
भी करनी है & मॅ'म..",उसने देविका की आँखो मे देखा,"..अब तो ज़रूरत महसूस
भी नही होती.मुझे अकेलापन रास आने लगा है शायद."
"ये वेहम है तुम्हारा.फ़िक्र मत करो जब कोई लड़की मिलेगी तो ज़रूरत भी
महसूस होगी & अकेलापन भी बेकार लगेगा.",देविका उठ के खड़ी हो गयी,"अब
चलती हू.गुड नाइट,इंदर."
"मॅ'म..",स्टड फार्म का केर्टेकर उसके कमरे मे खड़ा था,"..और किसी चीज़
की ज़रूरत नही है ना आपको?"
"नही.तुम कहा सोयोगे?"
"मैं तो अस्तबल के उपर वाले कमरो मे से किसी 1 मे.2-4 और वर्कर्स भी वही सोते हैं."
"ठीक है.मॅनेजर साहब के कमरे मे सब ज़रूरत का समान रख दिया ना?"
"जी,मॅ'म.बस मच्छरदानी नही रखी है क्यूकी 2 ही थी सो 1 आपको & 1 भैया को दी है."
"अच्छा.",केर्टेकर के जाते ही देविका ने बती बुझाई & मच्छरदानी उठा अपने
बिस्तर मे घुस गयी.थोड़ी ही देर मे रात का सन्नाटा च्छा गया.अस्तबल की
तरफ से भी कोई आवाज़ नही आ रही थी & बाकी कमरो से भी नही.नीचे इंदर जगा
होगा ये देविका को मालूम था.स्टड फार्म पे इस वक़्त मच्छरो का हमला होता
था & वो किसी भी क्रीम या रिपेलेंट से नही भागते थे.घोड़ो को उनसे बचाने
के लिए 1 रिपेलेंट इस्तेमाल होता था मगर उसकी बदबू ऐसी थी की इंसान उसे
इस्तेमाल नही कर पाते थे & मच्छरदानी के अलावा कोई और उपाय नही था उन खून
के प्यासे कीड़ो से बचने का.
देविका जानती थी की इंदर का उन मच्छरो ने काट-2 के बुरा हाला कर दिया
होगा.वो अपने बिस्तर से उतरी & उसके कमरे की ओर बढ़ गयी.उसने बिल्कुल ठीक
सोचा था इंदर अपने बिस्तर पे बैठा मच्छर मार रहा था,"परेशान हो गये ना?"
देविका की आवाज़ सुन वो चौंक पड़ा & दरवाज़े मे खड़ी देविका को देख वो सब
भूल गया देविका ने आज पूरे बाजुओ की काली नाइटी पहनी थी जोकि उसके सीने
पे बिल्कुल कसी थी & उसके नीचे से ढीली थी.नाइटी का गला थोड़ा बड़ा था &
देविका की बड़ी चूचियो का हिस्सा उस से झलक रहा था.
"हा..हां..बहुत मच्छर हैं."
"हूँ.",देविका मुस्कुराइ,"..मेरे साथ आओ.",इंदर उसके पीछे-2 चल
पड़ा.देविका उसे अपने कमरे मे ले आई.
"यहा सो जाओ."
"जी..मगर आप."
"मैं भी यही सोयूँगी.",देविका का दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था.
"मॅ'म..ये कैसे हो सकता है?",इंदर घबराया हुआ लग रहा था.
"इंदर,बिस्तर बहुत बड़ा है & मच्छरदानी 1 ही है.अब अगर सोना चाहते हो तो
रास्ता 1 ही है की तुम & मैं ये बिस्तर शेर कर लें."
"नही,मॅ'म.मैं ऐसा नही कर सकता.ये ठीक नही लगता."
"इंदर,तुम किस बात से घबरा रहे हो?तुम्हे मुझपे भरोसा नही ये खुद पे?"
"मॅ'म..समझने की कोशिश कीजिए.बात वो नही है.लोग.."
"अच्छा.लोग!तुम उसकी फ़िक्र मत करो.कोई कुच्छ नही बोलेगा.चलो सोयो अब
मुझे भी नींद आ रही है.",इंदर ने काफ़ी नाटक कर लिया था & अब वो बेमन सा
बिस्तर मे घुस गया.दूसरी तरफ से देविका भी बत्ती बुझा के बिस्तर पे आ
गयी.इंदर उसकी तरफ पीठ करके लेटा था देविका का दिल तो कर रहा था की वो
उसे घुमा उसके उपर टूट पड़े मगर उसने अपने जज़्बातो पे काबू रखा.इंदर
जानता था की बस 1 हाथ बढ़ने की देर है,देविका अपनी टाँगे खोल उसका
इस्तेक्बाल करेगी मगर नही वो ऐसा कुच्छ नही करेगा.
तभी दूसरे कमरे से रोमा की चीख सुनाई दी & दोनो उठ बैठे,"ये क्या था?!"
इंदर बिस्तर से उतरने ही वाला था की अगली आवाज़ से दोनो को सारा माजरा
समझ आ गया,"आहह...आईयईए..आराम से प्रसून....ऊहह..इतना अंदर
नही...हाईईइ....!",देविका के गाल शर्म से लाल हो गये,उसकी बहू उसके बेटे
से चुद रही थी.उसकी हिम्मत नही हुई की वो इंदर की ओर देखे & वो लेट गयी.
रोमा की मस्ती भरी आहो ने इंदर के आज़म को भी हिला दिया था.उसका दिल तो
किया की देविका को बाहो मे भर उसके हलक से भी ऐसी ही आवाज़ा निकलवाए मगर
तभी उसके दिमाग़ ने उसे हिदायत दी..अगर उस कमरे से आवाज़ इस कमरे तक आ
सकती है तो इस कमरे से उस कमरे क्यू नही जा सकती!
उसने अपने दिल पे काबू रखा & लेट गया.प्रसून अपनी बीवी की चूत मे उंगली
घुसा रहा था & उसी के ज़्यादा अंदर जाने से वो कराह उठी थी.रोमा बिस्तर
पे पड़ी उसके लंड को हिला रही थी.पहले प्रसून को अजीब लगता था की वो उसका
लंड पकड़ती है मगर अब उसे इंतेज़ार रहता था की कब रोमा अपने मुलायम हाथो
मे उसके लंड को हिलाए,"ऊव्व....!",रोमा कमर उचकती झाड़ रही थी.प्रसून को
बहुत अच्छा लगता जब उसकी बीवी ऐसी हरकत करती.उस वक़्त उसके चेहरे पे जो
दर्द जैसे भाव आते थे वो उसे अजीब लगते मगर इसके बाद वो उसे बहुत प्यार
करती थी.
अभी भी कुच्छ ऐसा ही हुआ था,रोमा ने उसे अपने उपर खिच लिया & उसे बेतहाशा
चूमने लगी,"..ओह्ह..मी डार्लिंग...प्रसून..आइ लव यू...!"
ये सारी आवाज़े दूसरे कमरे मे सोई देविका & इंदर के कानो मे भी पड़ रही
थी.देविका इंदर की ओर मुँह कर बाई करवट पे सोई थी जबकि इंदर बिल्कुल सीधा
लेटा था.देविका की नाइटी मे 1 स्लिट था & इस वक़्त जब उसका पूरा ध्यान
अपनी बहू की मस्तानी आहो पे था उसे ये होश ही ना रहा की उसकी स्लिट जोकि
जाँघ तक आती थी,उसमे से उसकी दाई जाँघ & गोरी टांग पूरी नुमाया हो रही
है.
कमरे मे अंधेरा था & देविका को लगा की इंदर सो गया है....कुच्छ ज़्यादा
ही शरीफ था वो तो!देविका को लगा की अब उसे ही कुच्छ करना पड़ेगा.उसने
नींद मे होने का नाटक कर अपना दाया हाथ इंदर की बाई बाँह पे रख दिया.उसे
लगा की अब वो ज़रूर कुच्छ करेगा.
"ओवव.....हां....और..अंदर..प्रसून..पूरा
घुसाओ...ऊहह.....डार्लिंगगगगगग...हाऐईयईईईईई..!",सॉफ ज़ाहिर था की प्रसून
अब अपना लंड रोमा की चूत मे घुसा रहा था.इंदर का हाल बुरा था मगर उसने
अपने बदले को याद किया & अपने जज़्बातो को संभालते हुए करवट ली.ऐसा करने
से देविका का हाथ उसकी बाँह से हट गयी.
देविका को बहुत बुरा लगा..कोई लड़की भी नही थी इसकी ज़िंदगी मे फिर ये
क्यू भाग रहा था उस से?..कही गे तो नही?देविका को हँसी आ गयी.दूसरे कमरे
मे प्रसून बीवी के उपर सवार उसकी चुदाई मे लगा ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा
था.रोमा के मज़े की तो कोई सीमा ही नही थी!
"आहह....!",लंबी आह से देविका को पता चल गया की रोमा झाड़ चुकी है.उसने
नाइटी की स्लिट को & उपर कर उसमे अपना हाथ घुसाया & अपनी उंगली से अपनी
चूत को शांत करने लगी.थोड़ी देर की खामोशी के बाद 1 बार फिर उसकी बहू की
मस्तानी आहे उसे परेशान करने लगी थी.उसकी उंगली तेज़ी से चूत मे घूम रही
थी.वो इंदर का ख़याल कर अपनी चूत मार रही थी & इस सब से बेपरवाह इंदर
उसकी ओर पीठ किए सो रहा था.
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क्रमशः.............................
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