RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
दोनो की नज़रे गेट पे चिपक गयी...बेल बजे जा रही थी.....अचानक रितिका को होश आया उसने अंकित
को अपने हाथ से पीछे की तरफ प्रेस किया...अंकित रितिका की तरफ देखता हुआ एक दम से हड़बड़ाता हुआ
खड़ा हो गया....और उसने अपनी जीन्स को फटाफट से उपर चढ़ा के ठीक करने लगा..
उधर रितिका भी एक दम से उठी अपना पल्लू जो ज़मीन पे गिरा हुआ था उसे जल्दी से उठा के डालने
लगी और बाल ठीक करने लगी...तब तक अंकित रेडी हो गया था और उसने सोचा कि वही खोल दे
गेट...वो आगे बढ़ा और उसने धीरे धीरे करके गेट खोलने लगा..(उसका दिल ज़ोरों से धड़कने
लगा) और जब उसने गेट खोल दिया और सामने देखा तो उसने शांति मिली..सामने आर्नव खड़ा था
और उसी को देख के मुस्कुरा रहा था..
अंकित भी मुस्कुरा पढ़ा..और पूरा गेट खोल दिया और साइड हट गया.....
रितिका की नज़र सामने आर्नव पर पड़ी..तो उसके चेहरे पे स्माइल की जगह गंभीर भाव बन गये
वो किसी सोच में डूब गयी...
अंकित :- आर्नव कैसे हो?
आर्नव :- ठीक हूँ आप कैसे हो...(मासूमियत से पूछता हुआ)
अंकित :- ओह्ह..ह्म्म कहाँ से आ रहे हो..
आर्नव कुछ बोलता उससे पहले रितिका बोल पड़ी..
रितिका :- आर्नव गो टू युवर रूम नाउ..
आर्नव :- पर मुझे अंकित भैया से बात करनी है...
रितिका :- आइ सेड गो टू युवर रूम नाउ..अंकित वहीं आएगा...(थोड़ा उँची आवाज़ में)
अंकित उसे देखता रह गया कि इतना गुस्सा अचानक से कैसे आ गया रितिका को..
आर्नव अपनी मम्मी की बात को सुनता हुआ कमरे में चला गया...तभी अंकित रितिका के पास आके
कुछ बोले उससे पहले..
रितिका :- अंकित प्लीज़ यू गो नाउ टू...
अंकित चौंक के उसे देखने लगा...मानो पूछ रहा हो कि क्या हुआ..
रितिका :- आइ साइड प्लीज़ गो...
अंकित उसके करीब आके उसके हाथ पकड़ते हुए बोला..
अंकित :- लेकिन हुआ क्या...अभी तो..
रितिका ने अंकित के हाथ को झटकते हुए..
रितिका :- में वो सब कुछ नही कर सकती...जो भी अभी हुआ..मेरा एक बच्चा है डोंट यू सी..में तुमसे
कितनी बड़ी हूँ..और तुम्हारे साथ ये सब करते हुए..नही..में नही कर सकती...मेने सिर्फ़ तुमसे सारे गिले
शिकवे दूर करने के लिए बुलाया था पर ये सब इतना कुछ हो जाएगा...मेने नही सोचा था..प्लीज़
यू गो (वो थोड़ा झल्लाती हुए बोल रही थी)
अंकित :- पर रितिका मेरी बात तो..
रितिका :- (बीच में रोकते हुए) मुझे कुछ नही सुनना..तुम क्यूँ नही समझते..मेरा ये सब करना ग़लत
है...में अपने बच्चे से बहुत प्यार करती हूँ..और उसे ये धोका नही दे सकती...यू प्लीज़ गो..
(बोलते हुए वो सर अपना सर पकड़ के वहीं उसी सोफे पे बैठ जाती है)
अंकित 2 मिनट तक खड़ा रहता है...और फिर कुछ सोच के वो मूड के चला जाता है....
इधर रितिका अपने आप को समेटते हुए उसी सोफे पे लेट जाती है...और अपनी आँखें बंद कर लेती है....
उधर अंकित बड़बड़ाता हुआ घर की बजाए बाज़ार की तरफ निकल गया...
पता नही अपने आप को क्या समझती है..पहले तो खुद ही बुलाती है फिर खुद ही शुरू करती है
और जब इतना सब कुछ हो गया तो ये सब नाटक ... कमाल है...मेने कहा था कि वो बुकेट और
कार्ड भेजने के लिए..तब समझ नही आई कि एक बेटा है...तब तो सब कुछ ठीक था..जब सब कुछ चल
रहा था..पता नही क्या चलता रहता है उसके दिमाग़ में..गुस्सा दिला रखा है....
(बड़बड़ाते हुए मार्केट की तरफ बढ़ रहा था जहाँ काफ़ी भीड़ थी..और उस भीड़ में काफ़ी सारी
सुंदर सुंदर लड़कियाँ और लॅडीस भी घूम रही थी)
अंकित :- छी..साला अच्छा भला मूड खराब कर दिया.....(बोलता हुआ अपनी गर्दन छटकता है तो
उसकी नज़र वहीं ज़म जाती है)
सामने एक टाइट जीन्स में लड़की थोड़ा उचक के कुछ समान लेने की कॉसिश कर रही थी...जिसकी वजह
से उसका पहना हुआ वाइट कलर का टॉप थोड़ा उपर हो गया जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी कमर का
साइड वाला हिस्सा उजागर हो गय्या..और जीन्स में फँसी टाइट गान्ड की शेप और अच्छे से उजागर हो
गयी....
एक पल के लिए अंकित की नज़रे वहीं चिपक गयी...लेकिन फिर उसके अपनी नज़रे हटा ली..
अंकित :- (अपने आप से) मत देख..साले मत देख..वैसे ही ज़िंदगी ने पोपट करने का फ़ैसला कर रखा
है...साला..जब कभी लगता है कि ये लड़की मिल जाएगी उसी वक़्त इस खड़े लंड को छुरी चला देता है..
हाए रे किस्मत...
रोते हुए वो एक शॉप में घुस जाता है...वो कुछ कपड़े खरीदने की सोचता है...और जाके जीन्स
देखने लगता है....
तभी उसे साइड में एक लड़की खड़ी दिखती है....वो उसे घूर्ने लगता है...अचानक वो लड़की अपनी गर्दन
इस तरफ घुमाती है और वो भी अंकित को घूर्ने लगती है दोनो एक दूसरे को घूर्ने लगते है...
और फिर कुछ ही मिनट में...अंकित के चेहरे पे स्माइल आ जाती है...और उस लड़की के भी...
दिशा.......तू यहाँ....(अंकित चलता हुआ वहाँ जाता है)
अंकित्त.....व्हाट आ प्लीज़ेंट सर्प्राइज़......(और वो आगे बढ़ के अंकित को एक हग देने लगती है)
उफ़फ्फ़ अंकित का तो बॅंड पहले से ही बजा हुआ था और इसे गले लगाते ही उसका तो ढोल बज गया..
वो अपने मन में..साला इसको भी आज ही गले लगना था....अगर इसे मेरे खड़े लंड का आभास हो
गया तो मेरी तो सॉलिड लग जाएगी...
लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ..दिशा उससे अलग हुई और मुस्कुरा के देखने लगी अंकित को...पर अंकित तो
उसे नीचे से उपर तक घूर्ने लगा...टाइट ब्लॅक जीन्स...जिसके अंदर मस्त थाइस्स घुसी हुई थी...
थोड़ा उपर आके...एक दम सपाट पेट.और थोड़ा उपर उसके 34 साइज़ के टाइट और बेहद सेक्सी शेप्ड
के चुचे जो कि उस पर्पल थिन टॉप में छुपे हुए थे....
दिशा :- तेरी चेकिंग आउट की बीमारी अभी तक नही गयी ना....
अंकित दिशा की इस बात को सुन के हड़बड़ा गया...और वो हड़बड़ाते हुए बोल पड़ा..
अंकित :- आ.आ...रे नही न..आह..इ यार..वो तो तू इतनी बदल गयी है..ना कि में तो बस देखता ही रह
गया....
दिशा :- ओह्ह फ्लर्ट करने की कॉसिश इतने सालों के बाद पहली मुलाक़ात में..
अंकित :- (अपने मन में) अबे कुतरी पहली मुलाक़ात में लोग गान्ड और चूत ले जाते हैं और तू फ्लर्ट की
बात कर रही है..
दिशा :- (चुटकी बजाते हुए) क्या सोच रहा है...तेरी ये सोचने की आदत नही गयी ना...
अंकित :- अरे नही यार दिशा..सॉरी सॉरी...दिशा.. ऐसा नही है..वो इतने सालों के बाद मिली..और वो भी इस
तरह...तू बिल्कुल चेंज हो गयी है सच में....
दिशा :- दिशा जी.. हहेहेहेः....रहने दे..दिशा ही बोल....वैसे भी सिर्फ़ 23 साल की हुई हूँ और तुझसे 2 साल
ही बड़ी हूँ...
अंकित :- (अपने मन में) हाँ साली वैसे तो 23 साल की है लेकिन काम तो तू 30 साल की औरतों वाले
कर चुकी है....
दिशा :- ओये फिर किस सोच में डूब गया...
अंकित :- नही यार कुछ नही..बस वही स्कूल की याद जब हम मिले थे उस ट्रिप पे..में 8थ में था तू 10थ
में...वही मिले थे..नही तो उससे पहले तो कभी स्कूल में एक दूसरे को जानते भी नही थे...
दिशा :- हाँ यार सही कहा तूने...वो ट्रिप सच में आज भी याद है मुझे...जब तू उस गोरी मेम पे
लाइन मार रहा था और उससे थप्पड़ खाते खाते बचा था हहेहेहेहेहहे...
अंकित :- ऊओ ऐसा कुछ नही था...वो मुझे थप्पड़ नही मारती.....
दिशा :- रहने दे....अगर में ना आती और ना बचाती तो सच में पड़ जाता तुझे थप्पड़...
अंकित :- ओह्ह अच्छा जी..आज तक ऐसा कोई पैदा नही हुआ है..जो हमे थप्पड़ मार दे..(और फिर अपने मन में
साला थप्पड़ तो खा चुका हूँ..पर इसको क्या पता और थोड़ा फैंकने में चलता है)
दिशा :- ह्म्म सब पता है मुझे..वैसी थप्पड़ पड़ना भी चाहिए था तुझे 8थ स्टॅंडर्ड में था
तू..और बाते बहुत बड़ी बड़ी थी तेरी...
अंकित :- (साली अब क्या कहती है वही बात तुझसे भी पूछूँ अपने मन में सोचता हुआ)
लेकिन फिर उसने बात को बदलते हुए..
अंकित :- छोड़ यार...तू ये बता..उसके बाद स्कूल क्यूँ छोड़ दिया..तू दिखी नही उस गोआ ट्रिप के बाद..
दिशा :- अरे यार क्या बताऊ...डॅड का ट्रान्स्फर हो गया अचनाक..इसलिए ड्रॉप करना पड़ा..और तुझसे उस
वक़्त सिर्फ़ एक छोटी सी फ्रेंड्शिप हुई थी..इसलिए कोई कॉंटॅक्ट नही था..तो नही बता पाई..
अंकित :- ह्म्म हाँ भाई..हम से क्यूँ फ्रेंड्शिप करोगी..हुम्म तुम्हारे लेवेल के थोड़े ही है...
(एमोशनल अत्याचार करना शुरू कर दिया)
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