RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क आगे.....................
उसका हाथ अपने लंड पे चला जाता है और रितिका के उन चुचों को याद करते हुए मसल्ने लगता
है जीन्स के उपर से...तभी कमरे का दरवाजा खुलता है तब वो होश में आता है और अपना
हाथ हटा लेता है अपने लंड से...और अपनी गर्दन उधर करके देखता है..
सामने रितिका अपने बलॉन को टवल से पोछते हुए बाहर निकलती है...
उफफफ्फ़ क्या कातिलाना नज़राना है ये...गीले बालों को पोछते हुए ... पहनी हुई एक ब्लू कलर की
पतली सी नाइटी....जिस्म पे रेशम की तरह लग रही थी.
हाए ब्रा तक दिख रही है नाइटी में.....और उसके अंदर वो क़ैद दुनिया के सबसे खूबसूरत चुचें
खा जाने का मन कर रहा है.......क्या सेक्सी हॉट माल लग रही है...(अंकित अपने मन में सोचने
लगा)
रितिका :- हेलो अंकित...
अंकित होश में आता हुआ
अंकित :- हेलो....
रितिका :- तो..कैसा चल रहा है आर्नव पढ़ाई में..आज कल तो में इस्पे ध्यान ही नही दे पा रही
हूँ.....
अंकित :- हाँ हाँ..बिल्कुल बढ़िया एक दम मस्त चल रहा है सब कुछ..(बोल तो रहा था लेकिन
नज़र नाइटी कभी वो उभरते हुए बाहर आते चुचों पर तो कभी सपाट पेट...और कभी वो
पतली और सेक्सी हॉट लेग्स पे पड़ती)
रितिका :- इतनी गर्मी है दिल्ली में..मुझे नही पता था..मुझसे तो रहा नही जाता
अंकित :- हाँ आपको तो गर्मी की आदत नही है ना...यूएस में कहाँ इतनी गर्मी होती है...
(और अपने मन में..हाँ हाँ गर्मी तो लगेगी ही..जब शरीर के अंदर इतने सारे गरम पुर्ज़े
छुपा के रख रखे हैं...अरे खोल दो उन्हे तब देखना कैसे ठंडा कर दूँगा)
रितिका :- ह्म्म .. में तुम्हारे लिए कुछ लेके आती हूँ..
(और मूड के जाने लगती है)
अंकित के मूह से तो लार टपक जाती है..जब वो रितिका की गान्ड को देखता है..हाए वो रेशमी नाइटी
में रितिका की मतकती गान्ड क्या कमाल की लग रही थी.....गोल गोल फुटबॉल जैसे...मखमली जैसी गान्ड
कोई भी उस गान्ड को बुरी तरह सी मसल मसल के निचोड़ना चाहे....
अंकित उधर देख ही रहा होता है..की तभी अरणाव उसको बुलाता है..
अरणाव :- भैया हो गया..
अंकित को एक बार गुस्सा आता है लेकिन फिर वो शांत होकर..
अंकित :- ह्म्म वेरी गुड....अच्छा अब ये करो..इसके बाद छुट्टी...
बेचारा बच्चा हाँ में गर्दन हिलाता है..और फिर अपने काम में लग जाता है .. उधर अंकित
की नज़री रितिका के आने का इंतजार कर रही थी..
तभी अंकिता चलते हुए ट्रे में कोल्ड ड्रिंक लेके आती दिखाई दी.....
अंकित की नज़र तो उस पतली ठुमकती हुई कमर और हिलते हुए चुचें जो उस नाइटी में टिकने का
नाम नही ले रहे थे..हलाकी ब्रा के अंदर थे..लेकिन फिर भी हिल रहे थे..उपर नीचे..शायद
ढीली ब्रा पहनी हुई थी... (अंकित ने मन में सोचा)
आख़िर कार अंकित ने बड़ी मुश्किलों से वो पल गुज़ारा...और चल पड़ा घर..रात को सोचते हुए
क्या रितिका जान बुझ के ऐसी नाइटी पहेन के आई थी मेरे सामने..क्या वो सच में मेरे साथ करना
चाहती है..अगर चाहती है तो साली बोलती क्यूँ नही..बेकार में क्यूँ तड़पा रही है..अरे बहुत अच्छे
मज़े दूँगा उसे..(अपना पाजामा नीचे कर के दुबारा हिलाने लगता है)
और बस रितिका के चुचों और गान्ड और उसकी चूत मारने के बारे में सोचते हुए अपना
निकाल देता है....और फिर आख़िर कर सो जाता है....
कुछ दिनो तक ये सब चलता रहा...अंकित फ्रस्ट्रेशन की तरफ बढ़ता जा रहा था..ये एक ऐसी बात थी
कि किसी से शेअर भी नही कर सकता था..और वो जानता था रोज़ रोज़ मूठ मारना भी ठीक नही है...
उसको कोई रास्ता भी सूझ रहा था....दिमाग़ खराब होता जा रहा था..ना तो पढ़ाई में मन
लगता ना किसी काम में...छोटी छोटी बातों में गुस्सा हो जाता था.....
काफ़ी मुश्किलों से उसके दिन गुज़र रहे थे.........एग्ज़ॅम्स भी करीब आ रहे थे..लेकिन पढ़ाई में
मन तो लग ही नही रहा था....
अंकिता ने नोटीस किया...लेकिन वो कुछ नही बोली..क्यूँ कि वो अंकित से चाहती थी कि अगर उसे कोई प्राब्लम
हो तो सामने आके बोले..लेकिन अंकित ने कुछ कभी किसी को नही बताया..
फिर आया वो दिन.....सनडे था...नॉर्मली हर सनडे की तरह अंकित गुज़ारने की कॉसिश कर रहा था
लेकिन नही कर पा रहा था.....फिर शाम को 5 बजे खुद बिना रितिका को बोले कि वो आ रहा है
चल पड़ा उसके घर....(नॉर्मली सनडे छुट्टी होती है ट्यूशन की लेकिन फिर भी वो चला गया)
रितका ने गेट खोला...और सामने अंकित को देख के थोड़ा सा चौंक गयी..
रितिका :- अरे अंकित तुम..
अंकित :- क्यूँ आपको अच्छा नही लगा कि में आज भी आ गया....
रितिका :- ओफ्फ़ॉकूर्स नोट...कैसी बात कर रहे हो मुझे तो बहुत अच्छा लगा..इनफॅक्ट मुझे खुशी है कि तुम
यहाँ आज भी आए..कम इन..
अंकित अपने मन में..हाँ साली तू क्यूँ मना करेगी.....(आँखों में एक अलग ही इरादा था आज)
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