RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
रितिका :- तब तक नही पूछ सकते जब तक ये जी नही हट जाता..
अंकित :- हहा..क्या करूँ आदत है ना..अच्छा कॉसिश करता हूँ..रितिका क्या में कुछ पूछ सकता हूँ..
रितिका :- नाउ साउंड्स गुड..पूछो..
अंकित :- आर्नव के डॅड यानी आपके हज़्बेंड कहाँ है?
रितिका ये सुन लंच करना बंद कर देती है....और फिर...वो एक्सक्यूस मी उठ के बोल के चली जाती है
किचन में....
अंकित थोड़ा शॉक हो जाता है...वो सोचने लगता है कि ऐसा क्या ग़लत बोल दिया उसने....फिर वो भी
लंच की टेबल से उठ जाता है....
फिर रितिका 5 मिनट बाद वापिस आ जाती है...
रितिका :- अरे क्या हुआ तुमने लंच कर लिया.. (अब बिल्कुल ठीक नज़र आ रही थी)
अंकित अपनी गर्दन हाँ में हिला देता है...
अंकित :- सॉरी ....
रितिका प्लेट उठाते हुए....सॉरी..पर सॉरी क्यूँ
अंकित :- वो..मेने आपसे..
रितिका :- तुम बैठो में आती हूँ....
5 मिनट बाद.
रितिका :- आर्नव के डॅड यानी मयंक...उनकी डेथ हो चुकी है...5 साल हो गये...
अंकित को सुन के तगड़ा झटका लगता है......
अंकित :- आइ आम वेरी सॉरी..
रितिका :- अरे तुम क्यूँ सॉरी बोल रहे हो...जो होना था वो हो चुका.
अंकित :- पर कैसे हुआ ये सब?
रितिका :- 18 साल की एक ब्रिलियेंट लड़की...जिसके डॅड ने उसे उस भेज दिया पढ़ने के लिए ..
लेकिन जब कॉलेज में थी..तब मुझे मयंक मिला....बस दोस्ती से कब प्यार हुआ पता नही चला....
कॉलेज पूरा हुआ .. तब तक में 21 की हो गयी थी..और साथ ही साथ प्रेग्नेंट भी....
जॉब मिल चुकी थी....तभी मयंक ने मुझे शादी के लिए प्रपोज़ किया....में तो कब से इंतजार
कर रही थी..आख़िर कार 3 साल तक हम दोनो एक साथ ही थे..बस फ़र्क इतना था कि शादी नही की थी..
फिर हमारी शादी हो गयी...में बहुत खुश थी..एक तरफ में माँ बाने वाली थी और दूसरी तरफ अब
मयंक फाइनली मेरा हज़्बेंड था...लेकिन उस रात को...
उस रात उस में काफ़ी स्नोफॉल हो रही थी...मयंक ऑफीस से घर आ रहे थे...में घर पे ही थी..
मेरी डेलिएवरी की डेट पास थी इसलिए ऑफीस से छुट्टी ले रखी थी...
तभी एक फोन आया....जिसने मेरी दुनिया बदल के रख दी....
मयंक का आक्सिडेंट हो गया...हेवी स्नोफॉल की वजह से विषन सॉफ नही था जिसकी वजह से
एक ट्रक ने उनकी कार पे......(बस रितिका बोलते हुए वहीं रुक गयी)
उसकी आँखें थोड़ी सी नम थी..उसने अपनी उंगलियों से उन आँसू को नीचे आने से पहले ही सॉफ कर
दिया..अंकित की आँखें भी हल्की सी नम थी..लेकिन उसने शो नही होने दिया...
2 मिनट रितिका चुप रही और फिर बोली...
रितिका :- बस उसके कुछ दिन बाद ही आर्नव का जन्म हो गया..लेकिन मेरे लिए दुबारा यूएस में रहना
मुश्किल हो गया था..इसलिए कंपनी से रिक्वेस्ट कर के वापिस इंडिया आ गयी..और यहाँ आर्नव के
साथ अपनी बाकी की ज़िंदगी खुशी खुशी बिता रही हूँ...और अब मेरी ज़िंदगी यही है..जिसकी तुमने मदद की..
तभी तुम्हारा बहुत बड़ा एहसान है मुझ पर...
अंकित :- मेने कोई एहसान नही किया...शायद मेरी किस्मत में आपका आना लिखा था इसलिए आर्नव की हेल्प
करी मेने...
वैसे रितिका आपने दुबारा मेरिज के बारे में कभी..
रितिका :- नही...दुबारा कभी हिम्मत नही हुई...मोम आंड डॅड ने बहुत ट्राइ किया...लेकिन मेने हमेशा
मना कर दिया...मन नही माना कभी....
अंकित :- लेकिन आप पिछले 5 साल से अकेली है...आपको नही लगता कि आपको ज़रूरत है एक पार्ट्नर की..
रितिका :- ह्म्म कभी कभी लगता है..लेकिन फिर भी जब भी मेरिज के लिए सोचती हूँ..हमेशा मयंक
याद आ जाता है...
अंकित :- ह्म्म्म...मेरी वजह से आज फिर से याद आ गयी..आइ आम सो सॉरी...
रितिका :- नो नीड टू से सॉरी....मुझे भी आज बहुत रिलॅक्स फील हुआ तुमसे बात करके...यू नो..बहुत दिन से
ये बात बताने का मन था..और आज तुम्हे बता दी...
बस फिर अंकित वहाँ से वापिस आ गया .. पूरे रास्ते सोचते हुए...कि ऐसा क्यूँ हुआ इसका साथ इतनी प्यारी
लड़की है...मेरी एज की होती तो इसी को अपनी गर्लफ्रेंड बनाता....कई बार किस्मत भी ऐसा धोका देती है जिसका
भुगतान पूरी ज़िंदगी भर पूरा नही हो पाता....
अंकित रात में आज दिन की बातों को सोचते हुए नींद की आगोश में चला जाता है.....
अगले दिन से...अंकित के चेहरे पे वही खुशी और उसका वही कमिनता पन वापिस आ गया....अब एक तर्क
अंकिता की क्लासस नही मिस करता था..दूसरी तरफ रितिका के बारे में सोचता रहता था..
और कॉलेज जाते हुए...बस इसी फिराक में रहता था कि काश कोई मिल जाए...देखने के लिए..
जिससे रास्ता कट जाए....
बस अब दिन ऐसे ही कटने लगे....अंकिता के साथ पढ़ाई में और फ्रेंड्शिप में क्लोज़ होता जा
रहा था..अब दोनो टीचर स्टूडेंट तो थे ही..पर साथ साथ में एक अच्छे दोस्त भी बन गये
थी..काफ़ी बातें शेअर करते थे....
जिसमे अंकित को भी पता चला कि अंकिता साउत दिल्ली में एक घर पे किराए पे रहती है वो भी
अकेले....
अंकित ज़्यादातर अंकिता को घूरता रहता था....उसे अंकिता इतनी पसंद थी कि अगर वो उसकी एज की होती
तो अभी तक वो कितनी ही बार उसकी बजा चुका होता .....
दिन कटते गये...रितिका के साथ भी कभी कभी ही मसेज पे बात हो जाती....अंकित को कम से कम
ये था कि रितिका इतनी फ्रेंड्ली है उसके साथ..जबकि ऐसा बहुत कम ही होता है...
अब अंकित के इंटर्नल बहुत नज़दीक थे...इसलिए आज कल उसका ध्यान पढ़ाई में था और सबसे ज़्यादा
मेहनत वो तो अंकिता मॅम के सब्जेक्ट में ही कर रहा था...क्यूँ कि वो अंकिता को नाराज़ नही
करना कहता था....
लेकिन इंटर्नल के फर्स्ट एग्ज़ॅम से पहले एक फ़ोन आया अंकित के पास.....(और ये फोन अब अंकित की किस्मत
को एक दूसरी तरफ मोड़ने वाला था..जिससे कुछ ज़िंदगियाँ बदलने वाली थी..)
अंकित :- हाई रितिका हाउ आर यू?
रितिका :- आइ आम वेरी फाइन यू टेल?
अंकित :- ह्म्म बॅस ठीक..
रितिका :- बस ठीक क्यूँ..गुड क्यूँ नही हो?
अंकित :- अरे गुड कैसे हो सकता हूँ..कल से एग्ज़ॅम जो स्टार्ट है..
रीतितका :- हहेहहे....कोई नही एग्ज़ॅम तो होते ही रहते हैं...
अंकित :- ह्म्म..और बताइए कैसे याद किया आपने इस नलायक को?
रितिका :- हहे..वेल काफ़ी दिन हो गये..तुम तो गायब ही हो गये उस दिन के बाद घर आए ही
नही..
अंकित अपने मन में...अरे बुलाएगी तो आउन्गा की ऐसे घुस जाउ रोज़ रोज़..
अंकित :- अरे बस...ऐसे ही..
रितिका :- आर्नव तुम्हे बहुत याद कर रहा था..कि अंकित भैया कब आएँगे..
अंकित :- ओह्ह..नही आउन्गा पक्का...
रितिका :- अच्छा अंकित कॅन यू डू मी आ फेवर?
अंकित :- फेवर..कैसा फेवर (थोड़ा कन्फ्यूज़ होते हुए)
रितिका :- आक्च्युयली में आज कल ऑफीस का वर्ड लोड काफ़ी बढ़ गया है...और उसकी वजह से में आर्नव
पर ध्यान नही दे पा रही हूँ....तो क्या तुम आर्नव को ट्यूशंस दे सकते हो?
अंकित :- ट्यूशन....और में...(चौंकते हुए)
रितिका :- क्यूँ नही दे सकते?
अंकित :- लेकिन रितिका मेने आज तक ट्यूशन कभी नही दी किसी को
रितिका :- उसमे कोई प्रॉब्लम्स नही है....वैसे तो में उसकी ट्यूशन कहीं और भी लगवा सकती हूँ..लेकिन
वो ढंग से नही पढ़ेगा...और मुझे लगता है तुमसे उसकी अच्छी जमती है..इसलिए में कहती हूँ तुम
पढ़ा दो..
अंकित कुछ सोचने लगता है....
रितिका :- प्लीज़ अंकित कॅन यू डू दिस फॉर मी?
अंकित :- प्लीज़ मत बोलिए...वो ऐसा है कि...
रितिका :- तो क्या तुम्हारी मोम से बात करनी पड़ेगी.?
अंकित :- नही नही..वो बात नही है..आक्च्युयली में मेरे एग्ज़ॅम्स हैं..जैसा कि बताया मेने आपको..तो..
रितिका :- आहा..कोई नही..एग्ज़ॅम्स के बाद जाय्न कर लेना..ज़्यादा नही 1 अवर भी एनफ है उसके लिए..
अंकित :- (सोचते हुए) ह्म्म ओक आइ विल...
रितिका :- थॅंक यू सो मच..कि तुमने हाँ कर दी..
अंकित :- इट्स ओके....थॅंक यू की ज़रूरत नही है....
रितिका :- ओक तो फिर...मिलते हैं जिस दिन तुम्हारे एग्ज़ॅम्स ख़तम हो जाएँगे..उस दिन बता देना...
बाए..
अंकित :- श्योर..बाय....
(फोन कट)
अगले दिन अंकित का एग्ज़ॅम था......
शायद आज कल उसकी किस्मत साथ दे रही थी.....क्यूँ कि क्लास में ड्यूटी भी अंकिता की ही लगी थी...
अब हमारे अंकित मियाँ को तो जानते ही हैं..पेपर पे कम और अंकिता पे ज़्यादा ध्यान था उनका..
कहानी जारी है ............................
|