RE: Hindi XXX Kahani वो सात दिन
वो सात दिन --6
गतान्क से आगे...............
शिमला घूम के हम डिन्नर बाहर ही कर के होटेल पहुँचे.
मैने दोनो के सॅंडल्ज़ खोले और खुद भी नाइट सूट पहन लिया…
आज आंटी बिना शरम के अनु औरआंटी मेरे सामने पूरी नंगी हो गयी. पहले यह सब
रज़ाई में ढाका होता था…. पूरी रात बाकी थी और आंटी ने शुरआत ही बहुत ख़तरनाक की थी…
किस्सिंग के बाद मुझे बाथ टब में भेज दिया
आंटी और अनु पूरी तरह नंगी हो के अंदर आ गयी… अनु के हाथ में डिल्डो था..
मैं बाथ टब के हल्के गरम पानी में था…
आंटी ने डिल्डो का स्ट्रॅप मेरे सिर के पीछे ऐसे बाँधा के थोड़ी (चिन) पे
डिल्डो आ गया… आंटी डिल्डो को अंदर लाने के लिया, मेरे दोनो तरफ पैर कर
के बैठ गयी और डिल्डो पे मज़ा लेने लगी.
आंटी – "सूबी अपनी जीब बाहर निकाल… और जब मैं नीचे होती हूँ तो तेरी जीभ
मेरे क्लाइटॉरिस (दाने) को टच करनी चाहिए…
अनु तू इस का लंच मुँह में ले लेना… इस को चोदना मत.. अभी तू कवारी है.
अनु – दीदी … क्यूँ ??
आंटी – यह सब अपने हज़्बेंड के लिए रख ले…
अनु – ठीक है.. हा
अनु मेरा लंड चूस रही थी… पानी के बुलबुले बहुत हसीन खेल खेल रहे थे और
मेरे मुँह में आंटी का पानी आ रहा था…
आंटी का माल छूटा तो आंटी ने डिल्डो साइड कर दिया और मेरे लिप्स पे आ
गयी… मैं उनका माल पीता रहा..
आंटी – सूबी.. चूस्स्स ज़ूर्रररर सीए… उफफफ्फ़… मज़ा आआ. कैसा टेस्ट है
मेरे माल का..
मैं क्या जवाब देता… मैं तो साँस भी मुश्किल ले पा रहा था…
अनु से रहा नही गया और वो बोली -"दीडे , प्लीज़ मेरे सेंटर पॉइंट की तडप
बहुत ज़्यादा है..
आंटी – अनु तू फिर डिल्डो ले … आजा..
अनु – डिल्डो पे आप का माल लगा है.. मुझे अछा नही लगता..
आंटी – मैं डिल्डो खोल के धो देती हूँ..
अनु – सूबी किस दिन काम आएगा…
और अनु ने डिल्डो खोला और मेरे मुँह में डाल दिया….
और मेरा मुँह उस डिल्डो से चोदने लगी… आज मैने यह भी कर के देख लिया के
चूस्ते हुए कैसा लगता है…
अनु ने डिल्डो आगे लेने की कोशिश की, पर डिल्डो बहुत मोटा था….
आंटी – तेरी सील इतने मोटे डिल्डो से टूटी तो दर्द बहुत होगा
अनु – ठीक है फिर सूबी की जीभ ही सही
आंटी हंस दी और मैने जीभ निकाल दी
अनु मेरे मुँह को चोदने लगी और आंटी ने मेरे लंड को अंदर ले लिया… बाथ टब
का पानी बहुत शोर कर रहा था.. मुझे भी बहुत आनंद आने लगा…
पोवेर पिल ने अपना कमाल दिखाया और आंटी की अच्छी तरह तसल्ली हो गयी.
अनु अभी भी गरम थी क्यूँ कि मेरी जीभ उसकी प्यास ज़्यादा नही भुजा पाई
थी… फिर मैने उंगली उसके अंदर डाली….. एक आगे और अपनी जीभ से उस की बॅक
चाटने लगा… आंटी मेरे लंड को कभी चूस्ति कभी चोद रही थी…
अनु – सूबी, पीछे से जीभ हटा और एक उंगले डाल दे….
धीरे धीरे मैने 2 उंगली आगे और एक पीछे डाल दी… और बीच बीच में अपनी जीब
से उसके बूब्स चाट्ता रहा…
अनु ने भी कई बार पानी छोड़ा और मेरी प्यास भुज़ाई
सुबह होने वाली थी
हम सब सो गये ….
कल हमे वापिस जाना था… मेरे लिए कल का दिन बहुत इंपॉर्टेंट था… कल छटा
दिन था… और सातवे दिन मेरे पेरेंट्स ने वापस आना था
अनु और आंटी छठे दिन बहुत उदास थे…
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