RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट--10
गतान्क से आगे.....................
आइए अब समय मे थोड़ा आगे चलते हैं-बस 2 दिन आगे.
महल मे मातम छाया हुआ था.राजा साहब अभी-2 अपने हाथों से अपने दूसरे बेटे की भी चिता को आग दे कर लौटे थे.उस सुबह डॉक्टर.पुरन्दारे के फोन के करीब 3 घंटे बाद बॅंगलुर पोलीस ने विश्वा की लाश को उस बदनाम मोहल्ले की गली से बरामद कर लिया था.राजा साहब तो बस बॅंगलुर के लिए निकलने ही वाले थे जब उन्हे ये मनहूस खबर मिली.
पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट मे मौत की वजह ड्रग ओवरडोस बताई गयी थी पर डॉक्टर.पुरन्दारे का कहना था कि विश्वा अपनी लत को काफ़ी हद तक छ्चोड़ चुका था & उन्हे बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा था कि वो सेंटर से भाग गया था वो भी ड्रग्स के लिए.राजा साहब के लिए इन बतो का कोई मायने नही रह गया था,उनका दूसरा बेटा भी मौत के मुँह मे जा चुका था & अब वो अकेले थे,उनका वंश उनके बाद ख़तम हो जाने वाला था.
विश्वा की मौत ने उन्हे तोड़ दिया था & वो अपनी स्टडी मे बैठे अपनी किस्मत पे रो रहे थे.और मेनका.....
...मेनका को विश्वजीत की मौत का अफ़सोस था पर दुख...दुख नही था..और होता भी कैसे,उसने उसे कभी 1 पत्नी का दर्जा दिया ही नही था..उसके लिए तो बस वो उसकी जिस्म की भूख मिटाने की चीज़ थी बस.मेनका को उसकी मौत पे जितना अफ़सोस था उस से कही ज़्यादा अपने ससुर की चिंता थी.इस हादसे के बाद वो बिल्कुल निराश & हताश हो गये थे.वो शख्स जो अभी तक ज़िंदगी की सभी मुश्किलो का सामना 1 चट्टान की तरह करता आया था,आज उस सूखे पत्ते की तरह था जिसे वक़्त की हवाएँ जब चाहे,जहा चाहे उड़ा सकती थी.
मेनका उन्हे संभालना चाहती थी पर इस समय महल मे रिश्तेदारो की भीड़ थी,उसके मा-बाप भी वही थे.इन सब के होते उसे राजा साहब से बात करने का मौका ही नही मिल रहा था.और मौका मिलता भी तो क्या होता..वो अभी उनसे खुल कर बात भी तो नही कर पाती तो बस मेनका बस सही मौके का इंतेज़ार करने लगी.उसने ठान लिया था कि वो अपने ससुर & उनके द्वारा खड़े किए गये बिज़्नेस को बर्बाद नही होने देगी.
उधर जब्बार जश्न मना रहा था,"ये लो मेरी जान,पियो.",उसने मलिका की कमर मे हाथ डाल बियर की बॉटल उसके होठ से लगा दी.
"ये बताओ की मेरे अकाउंट मे मेरे पैसे जमा कराए की नही?",मलिका ने 1घूँट भरा.
"हा,मेरी जान.कल बॅंक जाकर चेक कर लेना.",जब्बार ने उसकी कमर से हाथ उपर लाते हुए उसके टॉप मे घुसा कर 1 चूची को दबोच लिया.मलिका ने उसके होठ चूम लिए,"एयेए...अहह..पूरे पैसे डाले है ना?या पिच्छली बार की तरह आधे ही डाले हैं?"
"तू बस कल बॅंक जाकर देख लेना.",जब्बार ने उसका टॉप उतार फेंका & उसकी चूचियो को चूसने लगा.थोड़ी देर तक मलिका खड़ी उस से अपनी छातिया चुस्वती रही फिर उसे धकेल कर परे कर दिया & ज़मीन पे सोफे से पीठ लगा कर बैठ गयी & बियर की बॉटल मुँह से लगा ली.जब्बार को तो बस उसे चोदने का भूत सॉवॅर था.उसने अपने कपड़े उतार दिए & मलिका के पास जाकर उसके हाथो से बॉटल छ्चीन अपना लंड उसके मुँह मे डाल दिया,"इसे पी,बियर से ज़्यादा नशा है इसमे."
ये बात सच थी,मालिका के लिए तो 1 मर्द का कड़ा & बड़ा लंड दुनिया की सबसे ज़्यादा नशीली चीज़ थी.वो लंड अपने मुँह मे ले चूसने लगी पर उसकी चूत को कल्लन के लंड का चस्का लग गया था & कल्लन उनके साथ राजपुरा आया नही था.
"तेरा वो पालतू कहा है,ज़ालिम?",उसने जब्बार के आंडो को हाथ से दबाया & जीभ उसके लंड की छेद पे लगा दी.
"उसे कुच्छ दीनो के लिए अंडरग्राउंड रहने को कहा है.जब ये विश्वा की मौत की खबर थोड़ी बसी हो जाए फिर वो बाहर आएगा.",उसने मलिका के सर को पकड़ लिया & अपनी कमर हिलाते हुए उसके मुँह को चोदने लगा.
"..अभी थोड़ी देर पहले जब तू नहा रही थी तब साले ने फोन किया था.उसे भी तेरी तरह अपने पैसों की चिंता लगी हुई थी.",जब्बार ने मलिका को वही ज़मीन पर लिटा दिया & उस पर चढ़ कर अपना लंड उसके अंदर घुसा दिया.
"आआनन्न...न्नह..",मलिका उस से चुदने लगी & वो जानती थी की उसकी चुदाई से वो झदेगी भी फिर भी जब्बार मे वो कल्लन वाली बात नही थी.करीब 1 घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद जब्बार ने उसे छ्चोड़ा & उठ कर बातरूम चला गया.उसके जाते ही मलिका ने उसका मोबाइल उठाया,उसमे कल्लन का नंबर देखा & अपने मोबाइल से डाइयल करने लगी,"कहा है ज़ालिम?मेरी प्यास तो बुझा जाता.",वो फुसफुसा.कल्लन ने उसे अपना ठिकाना बता दिया पर शायद उसे पता नही था कि वो कितनी बड़ी ग़लती कर रहा था.
-------------------------------------------------------------------------------
विश्वा की मौत को 1 महीने से उपर हो गया.मेनका की मा भी आज वापस चली गयी थी,उसके पिता तो काफ़ी पहले ही चले गये थे.मा उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी पर उसी ने बाद मे आने को कह के बात टाल दी.आज उसे मौका मिला था अपने ससुर से बात करने का.
रात नौकरो के जाते ही वो उनके कमरे मे पहुँच गयी.राजा साहब सर झुकाए बैठे थे.
"आप राजा यशवीर सिंग ही है ना?"
राजा साहब ने सर उठा कर उसकी तरफ सवालिया नज़रो से देखा.
"मैं जिस राजा यशवीर सिंग को जानती थी वो तो 1 हिम्मतवार & हौसले वाले इंसान थे.आप तो मुझे कोई और लग रहे हैं...1 ऐसा इंसान जिसकी शक्ल राजा साहब से मिलती है,बस."
"मेनका,हूमे प्लीज़ अकेला छ्चोड़ दो."
"क्यू?यहा अंधेरे मे हार मान कर आँसू बहाने के लिए?",मेनका उनके घुटनो पे हाथ रख उनके सामने बैठ गयी.,"मेरी तरफ देखो,यश.बॅंगलुर पोलीस को शक़ था कि विश्वा की मौत उतनी सिंपल नही जितनी दिखती है.सेंटर के डॉक्टर्स & बाकी लोगो से बात करने के बाद ये बात सॉफ थी कि विश्वा ठीक होने की पूरी कोशिश कर रहा था फिर आख़िर उस रात ऐसा क्या हुआ कि वो वाहा से भाग गया या फिर वो भगा नही उसे भगाया गया?"
"राजा साहब ने उसकी तरफ देखा,"देखो,मेनका हुमारा बेटा अब वापस नही आएगा.अब क्या फयडा है इन बातो का.",वो उठ कर खिड़की पे चले गये & बाहर देखने लगे.
"फयडा नही राजा यशवीर सिंग क़र्ज़ है आपके बेटे की मौत का.उसे हक़ है कि अगर उसकी मौत उसकी बुरी लत के बजाय किसी और कारण से हुई है,तो उस कारण का पता लगाया जाए & मौत के ज़िम्मेदार को सज़ा मिले.",उसने राजा साहब को अपनी तरफ घुमाया,"..ये देखिए",उसने उनका हाथ उठा कर उनके सामने किया जिसमे उसका दिया ब्रेस्लेट चमक रहा था."..राजकुल के सुर्य की चमक बरकरार रखने की ज़िम्मेदारी आपकी है.राजकुल का खून बहाया गया है & जिसने भी ये काम किया है उसे इसकी कीमत आपको चुकानी पड़ेगी."
राजा साहब की नज़रे ब्रेस्लेट मे बने सुर्य पर टिकी हुई थी....किसी ने उनके बेटे की जान ली है & वो चुपचाप बैठे हैं?नही...आख़िर उन्हे हुआ क्या था जो वो इतने दीनो तक बैठे आँसू बहाते रहे?...आज मेनका ने उन्हे फिर से जगाया है.अब तो वो अपने बेटे की मौत की गुत्थी सुलझा कर रहेंगे.
उन्होने ने मेनका के हाथ अपने हाथों मे ले लिए,"हूमे होश मे लाने के लिए शुक्रिया...पता नही हूमे क्या हो गया था.थॅंकआइयू,मेनका.अगर तुम नही होती तो हुमारा क्या होता?"
"नही,यश.अगर तुम नही होते तो हुमारा क्या होता.तुमने इतनी मेहनत से कुल का मान & बिज़्नेस को बनाए रखा है.ये सब हम अपनी आँखो के सामने मिट्टी मे मिलते तो नही देख सकते थे ना."
राजा साहब ने मेनका की बात सुनकर उसे सीने से लगा लिया,फिर हाथों मे उसका चेहरा ले लिया,"इतने दीनो हम अपने गम मे खोए रहे,ये भी नही सोचा कि तुम पर क्या बीत रही होगी.",उनका ध्यान मेनका की सफेद सारी पे गया,"कल से ये मनहूस लिबास पहनने की कोई ज़रूरत नही है."
"यश,दुनिया की नज़रो मे मैं 1 विधवा हू & विश्वा को गुज़रे बस महीना भर ही हुआ है.लोग क्या कहेंगे?"
"ज़माना कहा से कहा पहुँच गया है & हुमलोग अभी तक लिबास के रंग मे अटके हैं.हम देखेंगे कौन क्या कहता है."
"समझने की कोशिश करो,यश.लोगो की हुमारे परिवार से कुच्छ उम्मीदें होती हैं,उनके लिए हूमे कुच्छ दिन तक ऐसे कपड़े पहन ने ही चाहिए."
"ठीक है तो विश्वा की मौत के 3 महीने पूरे होने के बाद तुम ये सफेद सारी नही पहनॉगी.",राजा साहब उसे साथ लेकर अपने बिस्तर पे बैठ गये.उन्होने उसके कंधे पे अपना हाथ रखा हुआ था.
"अच्छा बाबा!जैसा तुम कहो.",मेनका ने उन से सॅट के बैठते हुए उनका हाथ अपने हाथों मे दबा लिया.मेनका पिच्छले 1 महीने से नही चुदी थी.महल का माहौल विश्वा की मौत के कारण ऐसा हो गया था कि चुदाई का ख़याल उसके दिमाग़ से मीलो दूर था.पर इधर 2 दीनो से रात मे उसे राजा साहब के लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी.मेनका,जोकि हर रात कम से कम 3-4 बार चुद्ति थी,उसे पिच्छली दो रातों को अपने जिस्म को ठंडा करने के लिए अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ा था.
आज कई दीनो बाद उसका प्रेमी उसे अपने पुराने रंग मे आता दिख रहा था & उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बेकरार होने लगी थी.उसे शांत करने के लिए वो अपनी टांग पे टांग चढ़ा के बैठ गयी & चूत को अपनी जांघों मे भींच लिया.उसे पता नही चल रहा था कि राजा साहब चुदाई के मूड मे है या नही.उसने बात आगे बढ़ने की गरज से पूचछा,"तुम्हे तो याद भी नही होगा कि डॉक्टर.पुरनदरे & बॅंगलुर पोलीस के अफ़सर तुमसे मिलके गये थे?"
"याद है पर बस इतना ही की डॉक्टर.साहब माफी माँग रहे थे & पोलिसेवाले फॉरमॅलिटीस पूरी करने के लिए कह रहे थे.",उनका हाथ मेनका के कंधे से फिसल कर नीचे उसकी नंगी कमर पे आ गया था.
"डॉक्टर.साहब को यकीन है कि विश्वा खुद भागा नही था बल्कि कुच्छ और बात है.पोलिसेवालो का भी कहना है की पोस्ट मोर्टें रिपोर्ट तो ड्रग ओवरडोस का कारण बताती है पर ये कौन बताएगा कि ड्रग्स उसने खुद लिए थे या किसी ने ज़बरदस्ती इंजेक्ट किए थे.",बात तो गंभीर हो रही थी पर मेनका इतने दीनो बाद अपने ससुर के करीब आने पर गरम हुए जा रही थी.
"ह्म्म.मुझे बॅंगलुर जाना पड़ेगा.अब पानी सर से उपर गुज़र गया है.इसके पीछे जो भी है उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी."
"तुम पोलीस की मदद क्यू नही लेते?मैं नही चाहती तुम ख़तरे मे पाडो.",उसने प्यार से राजा साहब के चेहरे पे हाथ फेरा.
"नही,मेनका.पोलीस के पास गया तो दुश्मन सतर्क हो जाएगा.इस बार मैं उसे बच के नही जाने दूँगा.हो ना हो इसमे जब्बार का ही हाथ है."
"जो भी करना बहुत सावधानी से करना & ये ध्यान मे रखना कि तुम्हारे साथ मेरी जान भी जुड़ी है.",मेनका के जिस्म की आग की दाहक उसकी आँखों मे अब सॉफ नज़र आ रही थी.राजा साहब ने उसकी नशे से बोझिल आँखें देखी तो उनके दिल मे भी वोही आग भड़क उठी.उन्होने उसकी कमर पकड़ कर अपनी ओर खींची & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए.मेनका तो इसी बात का इंतेज़ार कर रही थी.वो उनसे चिपक गयी & दोनो 1 दूसरे को पागलो की तरह चूमने लगे.राजा साहब उसके चेहरे को & गर्दन को अपनी किस्सस से सराबोर किए जा रहे थे.
|