RE: Jawan Ladki Chudai मस्त मेनका
मस्त मेनका पार्ट..4
गतान्क से आगे................
रात अचानक राजा साहब को गर्मी महसूस हुई तो वो उठ बैठे,अपने बदन से चादर हटा दी & साइड टेबल पे रखा लॅंप ऑन कर दिया.फिर अपना कुर्ता उतार कर किनारे रख दिया & टेबल से बॉटल उठा कर पानी पीने लगे.घड़ी मे देखा तो 1 बज रहा था.उन्हे मेनका का ध्यान आया तो घूम कर उसकी ओर देखा.वो उनकी तरफ ही करवट कर लेटी हुई थी.
अपनी बहू को देखते ही राजा साहब के होठ फिर सूख गये,नाइटी के गले से मेनका की चूचियो का काफ़ी हिस्सा नज़र आ रहा था,बाहों के दबाव के कारण चूचियो का कटाव & बड़ा हो कर उभर रहा था.नींद मे चादर भी उसके शरीर से हट गयी थी & नाइटी उठ कर घुटनो के उपर तक आ गयी थी.उसकी गोरी टांगे & जांघों का थोड़ा सा हिस्सा लॅंप की रोशनी मे चमक रहे थे.राजा साहब का लंड पाजामे मे सुगबुगाने लगा.उनकी नज़रे मेनका के जिस्म से हट ही नही रही थी.उनकी आँखों ने उसके पैरों से उसका मुआयना करना शुरू किया और जैसे ही उसके चेहरे तक पहुँची तो उनके माथे पर सलवटें पड़ गयी.मेनका नींद मे थी पर कुच्छ बुदबुदा रही थी,चेहरे पर घबराहट भी झलक रही थी...
चारों तरफ घुप अंधेरा था & मेनका उस वीराने मे अकेली पूरी नंगी भाग रही थी.वो दैत्याकार आदमी काला लिबास पहने था & चेहरे पर भी काला मुखौटा था.वो हाथों मे तलवार ले उसका पीचछा कर रहा था.मेनका बदहवास सी बहुत तेज़ी से दौड़ रही थी पर तब भी उस हैवान को पीछे नही छ्चोड़ पा रही थी.तभी उसका पैर कही फँसता है & वो गिर जाती है.वो काला इंसान उसके पास पहुँच कर तलवार उठाता है,मेनका ज़ोर से चिल्लती है,"बचाओ!बचाओ!..."
"..दुल्हन..दुल्हन..आँखे खोलो...",कही दूर से उसके कानो मे आवाज़ आती है.वो अपनी आँखे खोलती है & वो इंसान जिसे वो ज़रूरत के वक़्त हमेशा अपने पास पाती है-उसका ससुर, उसे अपने उपर झुका पाती है,"..आ गये आप."
राजा साहब मेनका के उपर झुके हुए उसे जगाने की कोशिश कर रहे थे.मेनका ने उचक कर उनके गले मे बाँहें डाल दी & उनसे चिपक गयी,"मेरे पास रहिए.प्लीज़,मुझे छ्चोड़ कर मत जाइए."
राजा साहब संभाल नही पाए & उसे पकड़ते हुए उसके उपर गिर गये.मेनका उनके गले से लगी हुई थी & उनका नंगा सीना मेनका की छातियो पे दबा हुआ था.राजा साहब का चेहरा उसके बालों मे था & उसकी खुश्बू उन्हे मदहोश कर रही थी,मेनका को भी बहुत भला लग रहा था.जिस इंसान के सपने वो देखने लगी थी,आज वो उसकी बाहों मे था.उसने अपना गाल हौले से राजा साहब के गाल पे रगड़ा.उसकी इस हरकत से राजा साहब & नशे मे आ गये& उसे वैसे ही थामे हुए अपना सर उठा कर मेनका को देखा.
मेनका की नशीली आँखें & अधखुले होठ उन्हे बुलावा दे रहे थे जिसे उन्होने खुशी के साथ कबूल किया & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए & अपनी बहू को चूमने लगे.मेनका भी उनकी किस का जवाब देने लगी & दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे के होठों का मज़ा उठाते रहे.फिर राजा साहब ने धीरे से अपनी जीभ मेनका के मुँह मे डाल दी,वो तो जैसे इसी इंतेज़ार मे थी & उसने भी अपनी जीभ उनकी जीभ से टकरा दी.अब दोनो पूरे जोश के साथ एक-दूसरे को चूमने लगे.राजा साहब का लंड पाजामे मे पूरा तन चुका था & नीचे मेनका उसे अपनी कमर की साइड मे महसूस कर रही थी,उसकी चूत भी गीली हो गयी थी.दोनो की टाँगें भी नीचे मिल रही थी & राजा साहब अपने पैर से उसके पैरों को सहला रहे थे.
राजा साहब ने अपनी बहू के होठों को छ्चोड़ दिया & उसके गाल चूमते हुए उसकी लंबी गर्दन पर आ गये.वाहा से उनके होठ मेनका के क्लीवेज पर पहुँच गये & राजा साहब ने उस पर किस्सस की झड़ी लगा दी.अपना हाथ पीछे ले जाते हुए उन्होने मेनका की नाइटी का ज़िप खोला & उसे उसके कंधों से नीचे सरकाते हुए उसके सीने से हटा दिया.काले रंग के स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कसा उसका सीना उसकी तेज़ साँसों के साथ उपर-नीचे हो रहा था.छातियो का उपरी हिस्सा खुला था & निपल्स & नीचे का हिस्सा ब्रा ने छुपा रखा था.राजा साहब ने उसकी चूचियों के उस खुले उपरी हिस्से को चूमना शुरू कर दिया.
"एयेए...आहह..!",मेनका कराही,उसका बदन एक कमान की तरह उपर उठ गया,उसके हाथ अपने ससुर के सर को कस के पकड़े हुए थे.राजा साहब अब उसी जगह पर चूसने लगे थे,मेनका की हालत बुरी हो गयी,चूत तो पहले से ही गीली थी & राजा साहब की इस हरकत ने उसे & पागल कर दिया.राजा साहब वैसे ही चूस्ते रहे & मेनका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.वो झाड़ गयी थी & अभी तक उसके ससुर ने उसकी चूत को तो च्छुआ तक नही था.राजा साहब ने उसकी नाइटी को ओर नीचे सरका कर कमर तक कर दिया.
अब वो उसके पेट को चूम रहे थे,मेनका वैसे ही उनके सर पर हाथ रखे हुए थी.चूमते-2 वो उसके सपाट पेट के बीचो-बीच गोल,गहरी नाभि तक पहुँच गये & अपनी जीभ उसमे फिराने लगे.मेनका फिर से मज़े मे कसमसने लगी.उसके ससुर अपनी जीभ से उसकी नाभि ऐसे चाट रहे थे जैसे वो उसकी चूत हो.यह ख़याल आते ही वो फिर गरम होने लगी.राजा साहब की जीभ उसकी नाभि से निकल कर नाभि & पॅंटी के बीच के हिस्से पर थी & तभी राजा साहब ने पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत पर चुंबन ठोक दिया.मेनका ने लाज के मारे करवट ले अपने चेहरे को हाथों मे छुपा लिया.
अब राजा साहब के सामने उसकी पीठ थी.वो थोड़ी देर तक उसकी पतली कमर & चौड़ी गांद को निहारते रहे.फिर उन्होने अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रख दिया & पीछे से उस से चिपक गये.उनका पाजामे मे क़ैद लंड मेनका की गांद से सटा था & उनका सीना मेनका की पीठ से.उनका हाथ उसकी कमर से फिसलता हुआ उसके पेट पे पहुँचा & उस हाथ की 1 उंगली उसकी नाभि को कुरेदने लगी.मेनका अपनी गांद पे राजा साहब के लंड को महसूस कर रही थी & उसने अपनी गांद पीछे कर के उस दबाव का जवाब दिया.राजा साहब उसकी गर्दन चूम रहे थे & उनका हाथ अब नाभि छ्चोड़ मेनका की ब्रा मे कसी चूचियों को दबा रहा था.मेनका ने अपना दया हाथ पीछे ले जाकर अपने ससुर के सर को पकड़ लिया.तब राजा साहब ने अपना हाथ उसके सीने से हटा लिया & उसमे उसके प्यारे चेहरे को भर कर अपनी तरफ घुमाया & उसे चूमने लगे .काफ़ी देर तक वो ऐसे ही अपनी बहू के होठों का रास्पान करते रहे & नीचे से अपना लंड उसकी गांद पे रगड़ते रहे .
राजा साहब ने उसके होठों को आज़ाद किया & उसे पेट के बल लिटा दिया & उसकी पीठ के 1-1 हिस्से को चूमने लगे.अपने दातों से उन्होने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया & चूमते हुए नीचे उसकी गांद तक पहुँच गये.फिर उन्होने उसकी कमर पकड़ कर उसे घुमा कर सीधा पीठ के बल लिटा दिया.मेनका का खुला ब्रा उसके सीने पर अब भी पड़ा था,राजा साहब ने उसे किनारे फेंक दिया.मेनका की दूधिया रंग की बड़ी-2 सुडोल चूचिया & उन पर बने हल्के गुलाबी निपल्स अब उनके सामने थे.मेनका की आँखें शर्म के मारे बंद थी & साँसें और तेज़ हो गयी थी,जिसके कारण उसके उरोज़ उपर-नीचे हो रहे थे & राजा साहब को पागल किए दे रहे थे.
राजा साहब अपनी बहू की चूचियों पर टूट पड़े.वो कभी अपने हाथों से उन्हे दबाते ,मसलते तो कभी अपने होठों से चूमते & चूस्ते.उनकी इन हरकतों ने मेनका के सीने को लव बाइट्स से भर दिया.मेनका ने भी उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया & उचक कर मानो अपना सीना उनके मुँह मे और घुसाने की कोशिश करने लगी.जब राजा साहब का मुँह उसके सीने से हट ता तो उनकी उंगलियाँ उसके निपल्स को मसालने लगती जो कि अब पूरे कड़े हो गये थे.मेनका अब बहुत गरम हो गयी थी & अपनी जांघें एक साथ रगड़ रही थी.उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी जब राजा साहब ने उसकी 1 चूची को अपने हाथ मे भरा & दूसरी को अपने मुँह मे & इतनी ज़ोर से चूस्सा & दबाया कि वो दूसरी बार झाड़ गयी.उसके ससुर ने बिना उसकी चूत छुए उसे 2 बार झाड़वा दिया था.वो अब पस्त हो गयी थी.उसने अद्खुलि आँखों से प्यार से अपनी ससुर को देखा.
राजा साहब उसके सीने को छ्चोड़ अपने घुटनो पर उसकी साइड मे बैठ गये.अपने दोनो हाथ की इंडेक्स फिंगर्स को उसकी सीने के बगलों से बहुत हल्के-2 फिराते हुए उसकी कमर तक ले आए & उन्हे उसकी पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसा दिया & फिर हौले से उसे उसकी जांघों से सरकाने लगे.मेनका ने शर्म से आँखें बंद कर ली.अब वो अपने ससुर के सामने पूरी नंगी होने वाली थी.उसकी धड़कने तेज़ हो गयी.उसने महसूस किया कि पॅंटी उसकी गांद के नीचे फँस सी रही है तो उसने धीरे से अपनी कमर उठा दी & राजा साहब ने पॅंटी उसके जिस्म से अलग कर दी.
राजा साहब मेनका की खूबसूरती निहार रहे थे.मूठ मारते वक़्त जैसी कल्पना की थी मेनका उस से भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत थी & उसकी छ्होटी सी,गुलाबी,बिना बालों की चूत कितनी प्यारी लग रही थी.उन्होने उसके पैर को उठा कर अपने होठों से लगा लिया & चूमते हुए उसकी जाँघ तक पहुँच गये.मेनका कसमसा रही थी.अब उसे बर्दाश्त नही हो रहा था.वो चाहती थी कि बस अब वो उसकी चूत को अपने मुँह से जी भर कर प्यार करे.
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