RE: Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली
किरण ने अपने भाई का शादी का बहाना बना दिया….किरण इस बात से अंज़ान थी कि, उस दिन वो अपने कमरे मे बैठी हुई विनय को कोस रही थी…..वो सारी बात विनय ने सुन ली थी….किरण अभी तक मन मे यही सोचे बैठे थी…कि उस दिन जो भी कुछ हुआ, उसके बारे मे विनय सोचता होगा कि, मे उस समय गहरी नींद मे सो रही थी….पर वो ये नही जानती थी कि, विनय उसके दिल के अंदर छुपे हुए राज़ को जान चुका है….
किरण: अपनी मामी को माफ़ नही करोगे….देखो मे कान पकड़ कर माफी मांगती हूँ. आगे से मैं तुम पर कभी हाथ नही उठाउंगी….और ना ही कभी किसी भी बात के लिए गुस्सा करूँगी….चाहे तुम जो भी करो….
किरण ने अपने कानो को पकड़ते हुए कहा….विनय चुप-चाप सर झुकाए हुए चलता रहा. दोनो थोड़ी देर बाद स्कूल के बाहर पहुँच गए…जैसे ही वो दोनो स्कूल के गेट के बाहर पहुँचे तो, देखा कि अंजू स्कूल के छोटे वाले गेट को लॉक कर रही थी… जैसे ही उसकी नज़र किरण और विनय पर पड़ी, तो वो मुस्कराते हुए बोली…. “दीदी आप कही जा रहे हो…?’ किरण ने मुस्कराते हुए कहा….”नही जा नही रहे तुम्हारे पास आए थे….”
अंजू: मेरे पास दीदी कहिए क्या काम था….
किरण: वो स्कूल के अंदर नीम का पेड़ है ना…..हमें कुछ पत्तियाँ चाहिए थी…
अंजू: हां दीदी है….(अंजू ने जल्दी से गेट का लॉक खोला….) दीदी आप अंदर जाकर पत्तियाँ तोड़ लीजिए….मे दुकान पर समान लाने जा रही है….10 मिनट मे वापिस आती हूँ…..
किरण: ठीक है….जल्दी आना….घर पर मेहमान आए हुए है…
अंजू: दीदी 10 मिनट मे आई…आप अंदर तो चलिए…..
अंजू दुकान के लिए चली गई…किरण और विनय दोनो स्कूल के अंदर आ गए…. “कहाँ है वो नीम का पेड़ यहाँ दिखाई तो नही दे रहा….” किरण ने चारो तरफ नज़र दौड़ते हुए कहा…”यहाँ नही वो बिल्डिंग के पीछे है….” विनय ने स्कूल की बिल्डिंग के पीछे की तरफ इशारा करते हुए कहा….जिस तरफ अंजू का रूम था… दोनो बिल्डिंग के पीछे की तरफ जाने लगे…बिल्डिंग के पीछे एक तरफ अंजू का रूम था. और दूसरी बहुत खाली जगह थी….जहा पर वो नीम का पेड़ था…वहाँ कई और पैधो का झुंड भी था….वहाँ पीछे कोई आता जाता नही था…इसीलिए वहाँ पर काफ़ी झाड़ियाँ उगी हुई थी…विनय वहाँ पर जाते ही पेड़ पर चढ़ गया…पेड़ ज़्यादा उँचा नही था…विनय ने जल्दी-2 पेड़ की छोटी-2 डालिया तोड़ी और नीचे फेंकने लगा…किरण ने डालियों को इकट्ठा किया….और एक साइड मे रखते हुए बोली “विनय बस कर इतनी बहुत है….चल नीचे आ जा….
विनय मामी की आवाज़ सुन कर रुक गया…और नीचे आने लगा…तभी किरण ने अपना पहला दाँव खेला….वो झाड़ियों की तरफ बढ़ी….और नीम के पेड़ की तरफ फेस करके खड़ी हो गई…उसने अपनी कमीज़ के पल्लों के नीचे हाथ डाला और अपनी पाजामा और पैंटी एक साथ सरकाते हुए अपनी जाँघो तक उतार दी….और फिर नीचे बैठ गई…. जैसे ही विनय नीचे उतरा, तो उसकी नज़र मामी पर पड़ी….जो नीचे पैरो के बल बैठे हुए मूत रही थी….उसकी चूत से निकलती मोटी मूत की धार देख कर विनय का दिल धक करके रह गया…उसने एक पल के लिए अपनी मामी की जाँघो के बीच झाँकती हुई चूत पर मारी…और फिर आगे की तरफ निकल गया….किरण मन ही मन मुस्कराने लगी….पेशाब करने के बाद किरण उठी और झाड़ियों से निकल कर बाहर आई तो, उसने देखा कि, विनय डालियों को इकट्ठा करके खड़ा था….दोनो स्कूल के गेट तक आए, तो अंजू भी दुकान से समान लेकर वापिस आ गई…..
अंजू ने किरण को चाइ के लिए रोका….पर किरण ने मना कर दिया….और विनय के साथ वो घर वापिस जाने लगी….”विनय तू अभी तक नाराज़ है मुझसे….” किरण ने विनय के सर पर हाथ फेरते हुए कहा….”नही मे नाराज़ नही हूँ…” विनय ने किरण का हाथ अपने सर से हटाते हुए कहा….”नाराज़ नही हो तो ये क्या है…हाथ तो मेरा ऐसे हटा रहे हो…जैसे मे तुम्हे छूउंगी और तुम गंदे हो जाओगे….किरण सारे रास्ते विनय को मनाती रही….विनय का गुस्सा भी अब कम होने लगा था….”तू जब मुझसे बात नही करता तो, मेरा दिल किसी काम मे नही लगता…प्लीज़ एक बार अपनी मामी को माफ़ कर दे विनय….देख उस दिन से पहले कभी मेने तुम्हे गुस्से मे डांटा भी नही था….मुझे मेरी इतनी सी ग़लती की इतनी बड़ा सज़ा क्यों दे रहे हो….”
विनय: ठीक है मैं अब आप से नाराज़ नही हूँ…..
किरण: पक्का ना…..?
विनय: हां…..
किरण: तो फिर तू आज मेरे साथ मेरे कमरे मे सोएगा….?
विनय: क्यों….?
किरण: नही तो मैं समझूंगी कि तुमने मुझे माफ़ नही किया…बोल मेरे साथ सोएगा ना…
विनय: जी…..
दोनो घर पहुँच गए….किरण घर पहुँचते ही, रात के खाने की तैयारी मे लग गई….उसकी मम्मी और ममता भी किरण की मदद कर रही थी…किरण ने चावल बनने के लिए गॅस पर रखे और ममता को बोली कि, वो जल्दी से सब्जी काट ले….वो अभी आती है….ये कह कर किरण अपनी किचन से बाहर निकली…तो उसने देखा कि विनय को छोड़ कर सभी लोग हॉल मे बैठे हुए बातें कर रहे थे…वो विनय को देखने के लिए उसके रूम मे चली गई….विनय अपने रूम मे स्टडी टेबल पर बैठा हुआ पढ़ रहा था….किरण विनय के पास गई….और झुक कर विनय के गाल पर अपने दहक्ते हुए होंठो को लगा दिया….और 4 सेकेंड तक चलने वाला लंबा चुंबन उसके गालो पर जड दिया….”क्या हुआ अकेले यहाँ बैठे हो….?” किरण ने विनय के सर को अपनी बाहों मे लेते हुए उसे अपने पेट से लगाते हुए कहा….
विनय: कुछ नही बस वकेशन का होमे वर्क कर रहा हूँ…थोड़ा सा बचा है….
किरण: ठीक है…काम पूरा करके बाहर आ जाना…..
ये कहते हुए किरण विनय के रूम से बाहर चली गई…विनय ने 15 मिनट मे अपना बचा हुआ होमवर्क पूरा किया….और उठ कर बाहर चला आया…जैसे ही वो बाहर आकर वशाली के पास बैठा, तो वशाली उसकी तरफ देख कर हँसने लगी….”हहा हा हा ये कहाँ से लगा ली…..कॉन है वो….हमे भी तो मिलाओ उससे….” सभी लोग वशाली की बात सुन कर उन दोनो की तरफ देखने लगे….”क्या हुआ हंस क्यों रही हो…?” विनय ने वशाली को हंसते देखा तो खीजते हुए बोला….तो विशाली ने विनय की चिन को पकड़ उसका लेफ्ट गाल सब को दिखाते हुए कहा…”ये देखो….लगता है अपने विनय बाबू पर किसी का दिल आ गया है….” वशाली की बात सुन कर सब हँसने लगे….विनय को समझ तो आ गया था कि, उसके गाल पर कुछ लगा है…पर क्या लगा है….ये नही पता था…सब लोग विनय की तरफ देख कर हंस रहे थे…..
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