RE: Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का
अशोक ने जब अपनी बहन की तरफ देखा तो वो मुस्कुराने लगा ऑर अपने मन मे कहने लगा....
अशोक... अभी 2 मिनट पहले जब देखा था तो इसकी कमीज़ ने इसकी चूत को ढका हुआ था अब तो कमीज़ भी चूत के यहाँ नही है ऑर सलवार भी फटी हुई है ऑर तो ऑर इसने पैंटी भी नही पहनी......
लगता है इसको लंड खाने की जल्दी है.... या फिर मुझे इशारा दे रही है कि आओ भैया डाल दो अपना काला मोटा लंड मेरी चूत मे......
मनीषा उसको अपनी चूत को देखते हुए तिरछी नज़रो से देखती रहती है...
ऑर फिर अशोक उसे अपना लंड देखने का भी मोका देता है.... वो फिर कुछ देर के लिए टीवी देखने लग जाता है ताकि उसकी बहन को लंड देखने को मिले.....
अशोक शोकेस मे लगे हुए मिरर से उसकी बहन को देखता रहता है जब भी उसकी बहन की नज़र लंड पे पड़ती है वो अपने लंड को झटकता है.....
उसकी बहन को लगता है कि उसकी चूत देखने के बाद उसका लंड उछलने लग गया है... अब तो ये मर रहा होगा मेरी चूत मे जाने क लिए.........
तभी बेल बजती है.... ऑर मनीषा कहती है कि
मनीषा- भैया देखो वॉचमन आया होगा मेने नमक मँगाया था.... मेरे हाथ मे आटा लगा है प्लीज़ डोर खोल के नमक ले लो न....
अशोक अपना लंड पाजामे मे डाल देता है ऑर दरवाजा खोल कर नमक ले लेता है....
मनीषा को इस बात पे कुछ सूझता है.... अशोक जब सोफा पे बैठता है तो मनीषा उठ कर शी शी करती हुई उसके पास आती है ऑर कहती है.....
मनीषा- भैया मेरी थाइस पे चिटी काट रही है उसको पकड़ के मसल दो.......
अशोक- किस थाइस पे...?
अशोक जानता था कि मनीषा नाटक कर रही है....
फिर मनीषा ने अपनी एक टाँग को चोडा कर के फैला के उसको अपनी इन साइड की थाइस दिखाते हुए कहती है यहाँ.....
अशोक ने उसके घुटने के थोड़ा उपेर अपना पूरा हाथ रख कर उसको पकड़ते हुए कहा....
अशोक- यहाँ.....???
मनीषा- नही थोड़ा उपेर...
अशोक उसकी थाइस पर अपना हाथ को धीरे धीरे रेंगते हुए उपेर की ओर ले जा रहा था....
मनीषा- ऊहह भैया जल्दी से मसल दो ना.... आहह बहुत जोरो से काट रही है....
ऑर उसकी चूत से थोड़ा ही नीचे मनीषा कहती है.....
मनीषा- हाँ भैया यही.....
अपनी थाइस को थोड़ा ऑर फैला देती है ऑर कहती है....
मनीषा- भैया अब थाइस के थोड़ा अंदर हाथ डाल कर मसल डालो.....
अशोक- हल्की आवाज़ मे.... तुम्हारी चूत को.....?
मनीषा सुन लेती है अशोक ने जो कहा.....
ओर फिर उसके होश उड़ाने के लिए कहती है....
मनीषा- हाँ भैया मसल दो.......
अशोक चॉक जाता है उसको लगता है कि अब मनीषा तैयार हो गयी है मेरा लंड लेने के लिए ऑर फिर वो कहता है....?
अशोक- क्या...?
मनीषा- अरे मे कह रही हूँ हाँ भैया वो यही पर है अब मसल डालो उसे......
अशोक थोड़ा मायूष हो जाता है... ऑर मन मे कहता है चलो बात अब बहुत दूर तक आ गयी है.... एक ना एक दिन तो चोद ही दूँगा तुझे......
ऑर फिर वो उसकी चूत से 2-3 इंच नीचे उसकी थाइस को अपने हाथो मे पकड़ कर मसल्ने लगता है.......
मनीषा तो ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे वो उसकी चूत को मसल रहा हूँ.........
मनीषा- ऊओह भैया आआआआआआहह अब आनंद मिल रहा है म्म्म्ममममममम अब जा के थोड़ा आराम मिला.....
थॅंक यू बोल कर वो अपनी फेली हुई थाइस को सीधा कर के जाते जाते कहती है....
.मनीषा- जबतक अगर कहीं खुजली उठ जाती है तो बिना खुज़ाए मन को शांति ऑर सुकून नही मिलता....
अशोक अपने मन मे.... हाँ समझ रहा हूँ कहाँ खुजली उठ रही है तेरे सरीर मे....
अशोक- जहाँ तुम नही पहुँच पाती वहाँ मुझसे खुजवा लिया करो......
मनीषा- अपने मन मे..... साले वो खुजली ही ऐसी है कि मुझसे शांत नही होगी तू ही मिटा सकता है उस खुजली को.....
अब मनीषा खाना बनाने के लिए किचन मे चली जाती है ऑर 1-1.5 घंटे बाद दोनो खाना खाने बैठ जाते है.....
कुछ देर बढ़ खाना पीना खा के अशोक चला जाता है नीचे कुछ लेने के लिए ऑर मनीषा सोचती है कि
मनीषा- उस दिन तो लंड मेरी चूत के अंदर तक घुस चुका था साली मासी नही आई होती तो अबतक तो मे पता नही कितनी बार चुद चुकी होती अपने भाई के लंड से...... इस वक्त तो मैं उसके लंड पर बैठ के उछल के अपनी चूत को थप थप कर के उसके लंड पे मार रही होती ऑर पूरा लंड अपनी चूत की जड़ों तक घुसवा घुसवा के लेती.....
चलो मे अपने रूम मे जाती हूँ फिर इसको बुलाती हूँ ऑर फिर आज आखरी बार इससे पज़्ज़ील सॉल्व करवाती हूँ.....
खुशी के मारे मनीषा अपने आप से ही सवाल करती है कि.....
मनीषा- अपने मन मे.... आखरी बार क्यूँ....?
ओर फिर खुश होते हुए खुद ही जवाब देती है....
मनीषा- आज तो अशोक मेरी चूत मे लंड डाल ही देगा ना.... घर पर भी कोई नही है... आज तो पक्का मेरी चूत को चैन मिलेगा बिचारी भैया के लंड को ऐसे देख देख के लार टपका रही थी... बहुत सालो की भूखी है मेरी चूत.... आज जा कर इसकी भूख मिटेगी......
ऑर फिर मनीषा अपने रूम मे चली जाती है...
ऑर फिर अशोक आता है ऑर चाबी से दरवाजा खोलता है ऑर बंद करता है मनीषा आवाज़ सुन लेती है ऑर फिर अपने रूम से बाहर आ कर देखने जाती है कि अशोक ही है या कोई ऑर आइ मीन चोर वोर तो नही घुस गया ना...?
इतने मे लाइट बंद हो जाती है....
मनीषा घबरा जाती है ऑर आवाज़ देती है....
मनीषा- अशोक.....?
अशोक- हाँ दीदी....बोलो...?
मनीषा- नही मे बस घबरा गयी थी तो कन्फर्म कर रही थी कि तुम ही हो या कोई चोर घुस आया है.....
अशोक- ओह ओके....... साले दुकानदार के पास चेंज नही था तो ये लोलिगम चिपका दिया.....
मनीषा- लोलिगम....? ये क्या होता है....? लॉलिपोप तो सुना था पर ये पहली बार सुन रही हूँ.......
अशोक- क्या बात कर रही हो दीदी....? तुमने अभी तक लोलिगम नही खाया है....?
मनीषा- नही....
अशोक- ये चूयिंग गम है पर लॉलिपोप के जेसा होता है.... चूयिंग गम को चबाते है फिर टेस्ट निकल जाने के बाद फैंक देते है वैसे ही ये है बस इसको चूसना पड़ता है...... यहाँ आओ तुम्हे चुसाता हूँ......
मनीषा तो पहले से ही तैयार बैठी थी कि कुछ करे वो.... उसका इरादा समझ रही थी उसने भी कॅंडल जलाने की बात ना कर के उसको बोलती है......
मनीषा- मे तो मुँह खोल के बैठी हूँ तू ही डाल कर नही चुस्वा रहा है..... अब डाल भी दे मेरे मुँह मे......
अशोक- अरे पहले सामने तो आ कर बैठो ऑर मुँहे रॅपर तो खोल के निकालने तो दो...
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