RE: Biwi Sex Kahani सारिका कंवल की जवानी
मैं घबरा सी गई और पता नहीं मेरे मुँह से ऐसा क्यों निकल गया कि जल्दी कर लो.. मुझे शाम तक जाना है।
इतना सुनने की देर थी कि उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे चेहरे को एक हाथ से ऊपर उठा के बोला- मुझे लगता है.. जैसे मुझे तुमसे प्यार हो गया और तुम्हें पा लेना चाहता हूँ।
उन्होंने बड़े प्यार से मेरे होंठों को चूम लिया।
उनके होंठों का अपने होंठों पर स्पर्श मिलते ही मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया और मेरी आँखें बंद हो गईं।
उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए.. तो मेरी आँखें खुल गईं और उनसे नजरें मिल गईं.. मुझे उनकी आहों में आग सी दिखाई दी।
मैं झटके से उनके सीने में अपना चेहरा छिपाते हुए उन्हें और जोर से पकड़ते हुए चिपक गई।
हम बिस्तर पर ही बैठे एक-दूसरे से चिपके हुए थे।
जब उन्होंने देखा कि मैं उनसे अलग नहीं हो रही हैं.. तो उन्होंने अपना एक हाथ मेरी जाँघों को पकड़ते हुए मुझे बिस्तर पर घसीटते हुए बीचों-बीच ले आए और फिर उसी हालत में मुझे लिटा दिया।
मैं उन्हें अभी भी पकड़े हुए थी। उन्होंने करवट ली.. मैं पीठ के बल हो गई और वो मेरे ऊपर हो गए।
उन्होंने मेरी तारीफ़ करते हुए कहा- तुम सच में सुन्दरता की मूरत हो।
बस ये कहते ही उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे चूमने लगे।
कुछ समय के बाद उन्होंने मेरे पूरे चेहरे और गर्दन में चुम्बनों की बरसात सी शुरू कर दी और मेरे मुँह से बस लम्बी-लम्बी साँसों की आवाजें निकल रही थीं।
मेरे बदन में कंपकंपी सी शुरू होने लगी थी। मैं भी थोड़ी उत्तेज्जित हो रही थी।
उन्होंने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया.. साथ ही अपने हाथों से मेरी साड़ी ऊपर उठाने की कोशिश भी और मेरी नंगी जाँघों पर हाथों को फेरने भी लगे थे।
उनकी जुबान बाहर आ गई और मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो अपनी जुबान से मेरे मुँह के अन्दर कुछ ढूँढ़ रहे हों.. मैंने भी अपनी जुबान निकाल दी।
फिर क्या था.. वो मेरी जुबान से अपनी जुबान लड़ाने और चूसने लगे और मैंने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया।
हम करीब 10 मिनट ऐसे ही एक-दूसरे को प्यार करते रहे। फिर वो मेरे ऊपर से हटे और मेरी साड़ी को उतारने लगे। मैं भी जानती थी कि वे ये सब क्या कर रहे हैं.. सो मैंने कोई विरोध न करके.. उन्हें सहयोग देने लगी।
मैं अब पेटीकोट और ब्लाउज में आ चुकी थी.. उन्होंने एक झलक मुझे ऊपर से नीचे घूर के देखा और मेरी भरे हुए स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मेरे ऊपर झुक कर मुझे फिर से चूमने और चूसने लगे।
अब मैं भी खुल चुकी थी और गर्म होने लगी थी.. सो मैं उन्हें बार-बार जोर से पकड़ती.. छोड़ती और उन्हें पूरा सहयोग देने लगी।
थोड़ी देर यूँ ही मुझे ऊपर से नीचे तक चूमने के बाद वो मुझे अलग होकर अपने कपड़े उतारने लगे।
उन्होंने पूरे कपड़े उतार दिए बस चड्डी को रहने दिया।
उनका बदन तो कुछ खास आकर्षक नहीं था.. क्योंकि वो काफी उम्रदराज थे।
फिर मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगे और ब्लाउज भी निकाल दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा में थी और मेरा पेटीकोट भी जाँघों से ऊपर था। इस हालत में देख मुझे उनमें वासना की एक आग सी दिखी।
वो भूखे शेर की तरह मेरे ऊपर टूट पड़े और जहाँ-तहाँ मुझे चूमने लगे। उनके चुम्बनों की बारिश से मैं तड़प गई और मैंने फिर से उन्हें कस के पकड़ लिया।
उन्होंने चूमते हुए अपना हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और झट से उसे निकाल दिया.. और थोड़ा उठ कर मेरे नग्न स्तनों को ललचाई निगाहों से घूरने लगे।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे भरे-भरे मांसल स्तनों जैसी कोई चीज़ पहले उन्होंने कभी देखी ही नहीं थी।
फिर अचानक से एक झटके में उन्होंने मेरे एक स्तन को हाथ से पकड़ा और उसे मसलते हुए अपना मुँह मेरे दूसरे स्तन पर लगा कर चूचुक को ऐसे चूसने लगे.. जैसे कोई बच्चा दूध पीता है।
मैं सहमी सी उनके इस तरह के व्यवहार को अपने अन्दर महसूस करते हुए मजे लेने लगी। कभी मेरे चूचुक को वो होंठों से भींच कर खींचते तो कभी दांतों से कुतरते।
इसी तरह उन्होंने मेरे दूसरे स्तन को पीना शुरू कर दिया और पहले वाले स्तन को हाथों से दबाने और सहलाने लगे।
मेरी चूत उनकी इन हरकतों से गीली होनी शुरू हो चुकी थी.. पर मैं कोई खुद से कदम उठा नहीं रही थी.. बस उनका साथ दे रही थी।
उन्होंने जी भर के मेरा स्तनपान करने के बाद मेरे पेट को चूमते हुए नीचे मेरी चूत के ऊपर अपना मुख रख दिया और ऊपर से रगड़ते हुए पेटीकोट का नाड़ा खोल कर पेटीकोट को नीचे सरका दिया।
अब मैं सिर्फ पैन्टी में थी और उन्होंने एक बार अपना सर ऊपर उठा कर मेरी पैन्टी की ओर देखा.. शायद उन्हें मेरी मॉडर्न तरह की पैन्टी देख कर ये अचम्भा सा लगा होगा।
क्योंकि मैं अमर की दी हुई पैन्टी के बाद ऐसी ही पैन्टी पहनने लगी थी पतली स्ट्रिंग वाली।
उन्होंने तुरंत फिर मेरी पैन्टी के ऊपर से चूत.. जो फूली हुई दिख रही थी उस पर हाथ फेरते हुए होंठों से चूम लिया और सहलाते हुए मेरी पैन्टी को किनारे सरका कर मेरी चूत खोल दी और उसे चूम लिया।
मैं एकदम से सिहर गई और ऐसा लगा.. जैसे पेशाब की पतली सी तेज़ धार निकल गई हो.. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं था.. बस वो मेरे जिस्म की एक सनसनाहट थी।
मैंने उनके सर को छोड़ कर खुद अपनी पैन्टी को पकड़ा.. तो उन्होंने मेरे हाथों को पकड़ते हुए मेरी पैन्टी को खींचते हुए मेरी पैन्टी निकाल कर मुझे पूर्ण रूप से नंगा कर दिया।
अब तो मेरे शरीर पर एक धागा भी नहीं था। मेरा पूरा नंगा जिस्म उनके सामने दिन के उजाले में था.. क्योंकि कमरे में बल्ब बुझाने के बाद भी दो तरफ से सूरज की रोशनी आ रही थी।
कमरे का नज़ारा भी बहुत सुन्दर था। कमरा बड़ा नहीं था.. पर साफ़ और सही था.. परदे खुले थे.. पर इस तरह से था कि खिड़कियाँ खुली होने के बाद भी कोई अन्दर देख नहीं सकता था।
अब उन्होंने अपनी जगह बदली और मेरे करीब आकर घुटनों के बल बैठ गए। फिर मेरी टाँगों को फैलाते हुए हुए मेरी और मुस्कुराते हुए देखा। मैंने भी शरमाते हुए उन्हें देख कर अपनी निगाहें छुपा लीं।
उन्होंने मेरी चूत के बालों पर हाथ फेरते हुए बालों को मेरी चूत के छेद से अलग किया और झुक कर अपना मुँह मेरी चूत के पास रख दिया।
मैं समझ गई कि वो मेरी चूत को चाटने वाले हैं, मेरी जाँघों की नसें सिकुड़ने लगीं.. चूत भी फड़फड़ाने लगी।
तभी उन्होंने कहा- क्या तुम बुर को साफ़ नहीं करतीं?
मैं सहमते हुए बोली- रोज तो धोती हूँ.. यहाँ तक कि पेशाब करने के बाद भी पानी से धोती हूँ।
इस पर वो मुस्कुराए.. उनके कहने का मतलब बाल सफाई से था.. पर मैं कुछ और समझ गई।
पर जो भी हो.. उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी चूत के दोनों होंठों को दोनों हाथों की उंगलियों से फैला कर छेद को चूम लिया.. ऐसा लगा जैसे एक बिजली का झटका मेरी चूत से होता हुआ मेरे दिमाग में चला गया।
फिर क्या था.. मेरी चूत के छेद पर उन्होंने अपनी जुबान फिराई और चाटने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
कुछ मिनटों के बाद मेरी चूत के छेद को उंगलियों से और फैला कर उसमें अपना थूक डाल दिया और फिर चाटने लगे। ऐसा लगा.. मानो मेरी चूत को पूर्ण रूप से गीला और चिपचिपा कर देना चाहते हों।
मेरी चूत तो शुरू से ही गीली थी.. पर मैं पता नहीं क्यों उनके अंदाज को मस्ती से ले रही थी।
काफी देर उनके चाटने और चूसने से मुझे अहसास होने लगा जैसे अब मैं झड़ जाऊँगी और हुआ भी यही।
इससे पहले कि मैं खुद को काबू कर पाती.. मैं अपनी एड़ियों को बिस्तर पर दबाती और जाँघों को उनके सर पर भींचने लगी। मैं इस वक्त लम्बी सांस खींचती.. होंठों को दबाती.. सिसकारी लेते हुए उनके बालों को कस के खींचते हुए अपनी व्याकुलता दिखा रही थी, तभी मैं अपनी कमर उनके मुँह में उठाते हुए.. हल्की पतली सी पानी की धार छोड़ते हुए झड़ गई।
अब मैं लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए अपनी कमर दोबारा बिस्तर पर रख कर उनके मुँह को अपनी चूत से अलग करने का प्रयास करने लगी।
कुछ पलों के बाद उन्होंने मेरी चूत से अपना मुँह अलग किया और चूत से लेकर नाभि.. पेट को चूमते हुए मेरे स्तनों को पकड़ चूसने लगे।
मेरा हाथ भी अब नीचे उनकी चड्डी के पास चला गया और ऊपर से ही उनके लंड को मैं सहलाने लगी।
वो मेरे स्तनों को बारी-बारी से दोनों हाथों से जोर-जोर मसलने और चूसने लगे। मैं हल्के हल्के स्वर में कराहती हुई उनके लंड को चड्डी के ऊपर से मसलने में मग्न हो गई।
कुछ देर बाद मैंने उनकी चड्डी को सरकाना शुरू कर दिया और जाँघों तक सरका कर लंड बाहर निकाल कर हाथों से पकड़ा.. तो ऐसा लगा मानो ये आज मेरी जान ले लेगा।
जैसा मैंने कंप्यूटर पर देखा था.. वैसा ही मोटा और तगड़ा लग रहा था.. मानो कोई 40 साल का मर्द का लंड हो.. एकदम तना हुआ मोटा और गर्म..
मैं हाथों से उसे हिलाने लगी.. तो लंड का सुपाड़ा खुल कर बाहर आ गया।
तभी उन्होंने एक हाथ मेरे बाएं स्तन से हटाया और मेरे कूल्हे पर ले जाकर रख दिया और जोर से मसलते हुए करवट ली, हम दोनों अब एक-दूसरे के आमने-सामने थे।
वो मेरे चूतड़ों को सहलाते और दबाते हुए अब मेरे होंठों का रसपान करने लगे। मैं भी उनकी जुबान से जुबान और होंठों से होंठों को लड़ाते हुए हुए चूमने और चूसने लगी।
ऊपर हम मुँह से मुँह लगा एक-दूसरे को चूमने-चूसने और चाटने में व्यस्त थे.. नीचे हमारे हाथ एक-दूसरे के जननागों को मसल रहे थे। वो बहुत उत्तेजित हो गए थे और उन्होंने मेरी दाईं टांग उठा कर अपनी टाँगों के ऊपर रख ली। अब वे मेरे चूतड़ों को मसलते.. तो कभी मेरी मोटी जाँघों को सहलाते.. तो कभी अपने लंड को मेरे हाथों से पकड़ने के बाद भी मेरी चूत के ऊपर दबाते।
काफी देर बाद उन्होंने मुझे चूमना बंद करके मेरे सर को पकड़ कर नीचे किया और झुकते हुए खुद ऊपर उठने लगे।
मैं समझ गई कि लंड को चूसने का इशारा था।
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