RE: Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
होरी ,... भाभी संग
और क्या खुल के हरकतें, बातें… देख के मेरा तंबू पाजामे में तन गया।
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लेकिन भाभी ने भी छोड़ा नहीं किसी को। एक-एक को पकड़ के… फिर उन्होंने सबको भांग वाली गुझिया भी खिला दी थी। (दूबे और शर्मा भाभी तो पहले से ही भांग खायी लग रही थीं)।
यहां तक की सलिला को भी जो शायद नवें या दसवें में पढ़ रही थी। एक हाथ से उन्होंने पीछे से जाके उसके दोनों हाथों को पकड़ा, वो बेचारी छटपटाती रही लेकिन फिर उन्होंने धीरे-धीरे आराम से उसकी फ्राक के सारे बटन खोले। और पीछे से फ्राक के ऊपर से ही ब्रा के स्ट्रैप पकड़ के खींचा और हल्के से हुक खोल दिया।
वो बेचारी बोली की- “भाभी अभी तो मैं छोटी हूं…”
तो वो हँस के बोलीं- “अरे यही तो देखना है मुझे…”
और आगे से फ्राक के अंदर हाथ डाल के कस-कस के रगड़ना मसलना…
सारी औरतें हँस-हँस के मजे ले रही थीं।
भाभी ने दबोच के पूछा- “क्यों दबवाना शुरू कर दिया है क्या? बड़े तो हो रहे हैं…”
एक ने कहा- “अरे फ्राक के नीचे… जरा…”
तो दूसरी बोली- “और क्या? अरे ननद लगती है तो फिर होली के दिन…”
भाभी ने सलिला के हाथ छोड़ दिये और जब तक वो कुछ समझे उनका दूसरा हाथ फ्राक के अंदर दोनों जांघों के…
लेकिन सबसे ज्यादा दुर्गति हुई दूबे भाभी की। सब औरतों ने मिल के उन्हें आंगन में पटक दिया और गिरे हुए रंगों में खूब घसीटा। शर्मा भाभी ने तो एकदम… उनका साया साड़ी सब उठा दिया और फिर भाभी ने पूरी एक बाल्टी भर के गाढ़ा रंग झपाक से… सीधे वहीं और बोलीं- “क्यों ठंडक मिली…”
मैं छुप के सब देख रहा था की…
लेकिन भाभी ने उन्हें चुपके से इशारा कर दिया और फिर तो… सब मिल के…
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