RE: Hindi Porn Kahani वो कौन थी ???
ट्रेन के हिलने झूलने से और मेरे झटको से और उसके बूब्स डॅन्स कर रहे थे. मैं फिर से उनको पकड़ के मसल्ने लगा और चूसने लगा. चुदाई फुल स्पीड और फुल पवर से चल रही थी उसकी चूत के अंदर जब लंड की मार लगती तो वो मेरे बदन से लिपट जाती थी लंड जॅक हॅमर की तरह से अंदर बाहर हो रहा था और अब मेरे बॉल्स मे भी हल चल मची हुई थी मेरे झटके और तेज़ हो गये. वो तो मुझ से लिपटी हुई थी मैं ने हाथ बढ़ा के डोर की खिड़की से आइरन रोड को पकड़ा हुआ था और उसकी ग्रिप से चूत फाड़ झटके मार रहा था जिस से वो बोहोत मज़े ले रही थी. मुझे लगा के मेरे बॉल्स मैं मेरी क्रीम उबलने लगी है और देखते देखते लंड की गरम गरम मलाई बॉल्स मे से ट्रॅवेल करती हुई लंड के सुराख मे से उसकी गीली चूत मे पिचकी मारने लगी और निकलती ही चली गई और कोई 7 – 8 पिचकारियाँ निकली और उसकी चूत फुल हो गई और ओवरफ्लो होने लगी. मेरी पिचकारी निकलते ही वो मुझ से ज़ोर से लिपट गई उसका बदन काँप रहा था और इसी के साथ ही उसकी चूत भी झड़ने लगी.
दोनो पूरी तरह से झाड़ जाने के बाद भी वो मुझ से लिपटी ही रही और फिर थोड़ी ही देर मे उसकी ग्रिप लूस होने लगी और उसकी गंद डोर की खिड़की से नीचे स्लिप हो के वो फिर से फ्लोर पे बैठ गई. मैं गहरी गहरी साँसे लेता हुआ लोहे के रोड को पकड़ के खड़ा अपनी तेज़ी से चलती साँसों को काबू कर रहा था. 10 मिनिट मे ही ट्रेन एक और छोटे से स्टेशन पे एक या दो मिनिट के लिए रुकी और फिर से चल पड़ी. यह स्टेशन भी पहले वाले स्टेशन की तरह से अंधेरा ही था.
जैसे ही ट्रेन फिर से चल पड़ी वो जो नीचे बैठ चुकी थी उसके अंदर कुछ मूव्मेंट्स हुई और वो अपने पैर मोड़ के ऐसे बैठी के मेरा जीन्स मे से लटकता हुआ लंड उसके मूह के सामने था और उसने लपक के मेरे लटकते हुए लंड को अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. आहह क्या गरम गरम मूह था उसका बिकुल चूत के जैसा गरम और गीला. दोनो की मिक्स मलाई मेरे लंड पे ठंडी हवा लगने से ड्राइ हो गई थी जो उसके मूह मे लेने से फिर से वेट होने लगी और उसने दोनो के मिक्स मलाई का मज़ा लेना शुरू कर दिया और मेरा लंड एक बार फिर उसके मूह मे ही अकड़ने लगा. देखते देखते ही वो फिर से लंबा, मोटा और लोहे जैसा सख़्त हो गया और अब मैं उसके चूत जैसे गरम मूह की चुदाई कर रहा था वो मस्ती से मेरे मोटे लंड को लॉली पोप की तरह चूस
रही थी. अपना मूह आगे पीछे कर कर के चूस रही थी तो मैं भी गंद आगे पीछे कर के उसके मूह की चुदाई कर रहा था. मेरा लंड उसके थ्रोट तक घुस रहा था. मेरे लिए यह एक अनोखा मज़ा था मुझे बोहोत ही मज़ा आ रहा था. मुझे समझ मे नही आ रहा था के मैं उसके मूह को चोद रहा हू या वो मेरे लंड को चूस रही है एक वंडरफुल फीलिंग महसूस हो रही थी. वो ट्रेन के दीवार से टेका लगा के बैठी थी जिस से उसके मूह को चोदने का मज़ा कुछ और ही आ रहा था. और फिर सडन्ली मुझे अपने बॉल्स मे हलचल होने लगी और मुझे लगा के अब मेरी मलाई फिर से निकल ने को रेडी है तो एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरे लंड का सूपड़ा उसके थ्रोट मे घुस गया और उसके मूह से आअगग्घह आागगघह ऊवगग्गघह की आवाज़ें निकल ने लगी इस से पहले के वो मेरा लंड अपने मूह से बाहर निकलती मेरी मलाई की पिचकारी निकल के उसके थ्रोट मे डाइरेक्ट गिरने लगी. उफ्फ इतनी मलाई निकली कि आइ आम शुवर के उसका पेट भर गया होगा मेरी मलाई से और उसको घर जा के खाने की ज़रूरत नही पड़ी होगी. मैं हैरान था के आख़िर यह है कौन और यह मेरे साथ इसने क्या कर डाला. ऐसे ही चुदाई का मज़ा ले लिया और लंड को चूस के खल्लास कर दिया.
उसको शाएद पता था के अब उसका स्टेशन आने वाला है वो मेरे सामने से उठ कर दूसरी तरफ चली गई अंधेरे मे मुझे पता भी नही चला के वो किधर गई और कब स्टेशन आया और वो दूसरे मज़दूरों के साथ बाहर निकल के चली गई.
तकरीबन 20 या 25 मिनिट के बाद ही ट्रेन गुंटकाल जंक्षन पोहोच गई और मैं उतर के दूसरी ट्रेन मे बैठ के अपने शहेर की ओर चला गया. आज भी सोचता हू तो वो उसकी मस्त चुचियाँ का टेस्ट अपने मूह मे महसूस करता हू और उसकी टाइट चूत की ग्रिप मेरे लंड पे महसूस होती है और उसके मूह की गर्मी मैं अभी भी लंड पे महसूस करता हू और हमेशा यह सोचता रहता हू के आख़िर वो कौन थी ????
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