RE: Desi Porn Kahani मारवाड़ की मस्त मलाई
अब गर्मियों का मौसम ख़तम हो गया था और बारिश का सीज़न स्टार्ट हो गया था मौसम बोहोत ही अछा चल रहा था कभी कभी तो सारा दिन बरसात की हल्की हल्की फुहार पड़ती रहती धूप तो कभी कभार ही निकलती थी. एक दम से मस्त मौसम ऐसे मौसम मे ब्लंकेट से बाहर निकलने का मॅन नही करता था. उस दिन अछी ख़ासी ठंड पड़ रही थी. मुझे सुबह के 6 बजे ही पिंकी का फोन आया वो बोली के राजा तुम जल्दी से यहा आ जाओ तुम्हारे साथ मुझे ब्रेकफास्ट लेना है हम कही बाहर जाएँगे तुम्हारी बाइक पे देखो तो मौसम कितना प्यारा हो रहा है तो मैं अपने गरम बिस्तर से बाहर निकला और ब्रश करके गरम पानी से शवर ले के उसके घर आ गया. पिंकी की माताजी जाग रही थी उन्हो ने पूछा के अरे राजा आज इतनी जल्दी तो
मैं ने कहा के आंटीजी पिंकी का फोन आया था के बाहर कामत होटेल मे जा के मेरे साथ ब्रेकफास्ट करने का बोला तो वो मुस्कुरा दी और बोली के पगली है यह लड़की भी तुम्है खमखा इतनी सवेरे उठा दिया तो मैं मुस्कुरा के बोला के नही आंटी ऐसी कोई बात नही थोड़ी मेरी भी आउटिंग हो जाएगी वैसे भी आजकल कॉलेज को छुट्टियाँ चल रही है तो उन्हो ने पिंकी को पुकारा और बोली के देख राजा आ गया है. पिंकी ने सिंपल सलवार कमीज़ पहनी हुई थी तो मैं ने कहा अरे इतनी ठंड मैं ऐसे ही जाओगी कम से कम स्वेटर तो पहेन लो तो उसने बोला के तुम भी तो बर्म्यूडा और टी शर्ट मे हो और तुम ने भी तो कोई जॅकेट नही पहना है तो मैं ने बोला के मुझे आज ठंड का मज़ा लेना है तो उसने बोला के हा मैं भी आज ठंड का मज़ा लेना चाहती हू. बाइक की लोंग ड्राइव पे ठंड का मज़ा लूँगी आज तुम्हारे साथ तो उसकी माताजी बोली के पिंकी बेटा कुछ गरम पहेन ले नही तो ठंड मे बीमार हो जाएगी तो उसने हंसते हुए कहा के मोम मैं बोहोत दीनो से बीमार नही पड़ी हू ना अछा है एक टाइम बीमार तो हो जाने दो तो हम दोनो हंस दिए तो मैं ने बोला के ठीक है मैं भी अपनी जॅकेट ले लेता हू और तुम भी अपना स्वेटर या जॅकेट ले लो ठंड ज़ियादा महसूस हुई तो यूज़ कर लेंगे तो उसने कहा ठीक है और ऊपेर जा के अपना लंबा लेदर जॅकेट पहेन के आ गयी.
पिंकी बोली मोम आज मेरा पिक्निक का मूड है हो सकता है के ब्रेकफास्ट के बाद हम दोनो शमिरपेट तक जा के आएँगे. शमिरपेट, हयदेराबाद से तकरीबन 30-35 किलोमीटर पे एक पिक्निक स्पॉट है जहा रोड से थोड़ा नीचे उतार पे एक नदी बहती है और कुछ नदी के किनारे गार्डेन जैसा बना हुआ है वाहा है और रोड पे कुछ रोड साइड ढाबे ( एक टाइप के छोटे होटेल्स ) है जहा पिक्निक पे आने वाले अपनी पसंद के खाने खास तोर से पकवा के खाते है वाहा तक जा के आएगे तो उसकी माताजी बोली के ठीक है चली जाओ पर जल्दी वापस आ जाना तो पिंकी बोली के मोम मेरे साथ राजा है ना तुम क्यों डरती हो और अब मैं उतनी छोटी बच्ची भी तो नही हू मैं भी बड़ी हो गयी हू तो माताजी ने मज़ाक से हंसते हुए बोला के हा अभी अभी तो 15 वा साल लगा है तुझे और तू ऐसे समझ रही है जैसे 25 वा साल लगा हो तो पिंकी ने बोला के “मोम तुम ही तो कहा करती हो के पिंकी अब तुम बड़ी हो गयी हो ऐसे ना करो और वैसे ना करो तो आप ही बताओ के मैं बड़ी हो गयी हू या नही तो उसकी माताजी ने हस्ते हुए कहा के अछा बाबा तू अब बड़ी हो गयी है पर अपना ध्यान रखना तो पिंकी बोली के मोम आप भी ना” बेकार मे फिकर करती हो और हा मैं अपना ध्यान रखूँगी और हम लोग जल्दी ही आ जाएँगे तो उसकी माताजी ने कहा ठीक है बेटा जा और आछे से ठंड के मज़े ले के आ तो हम ने मम्मी को थॅंक्स बोला और बाहर निकल गये.
मेरे पास निकल और रेड कलर के कॉंबिनेशन की यामेहा स्पोर्ट्स बाइक है जिसकी पेट्रोल टॅंक पे और बॉडी पे येल्लो कलर के फ्लेम्स बने हुए है जिसे देखने से ऐसा लगता है जैसे बाइक जल रही हो. मेरी बाइक की सीट पीछे से थोड़ी उठी हुई है और सामने से झुकी हुई पीछे बैठने वाला चलाने वाले से कुछ ऊँचा हो के बैठ ता है ( स्लॅनटिंग पोज़िशन ). मुझे अपनी बाइक बोहोत ही पसंद है और मैं ने उसे बड़े चाव से संभाल के रखा है हमेशा चमकती रहती है. घर से बाहर निकलते ही हम दोनो मेरे घर की तरफ चल पड़े क्यॉंके मेरी बाइक घर पे ही थी. मेरे घर के गॅरेज मे जैसे ही उसने मेरी बाइक को देखा तो हंस के बोली के वाउ लगता है तुम्हारी बाइक कुछ ज़ियादा ही गरम दिख रही है तो मैं ने अपनी एक आँख बंद कर के बोला हा मेरे जैसी गरम है मेरी बाइक भी तो पिंकी ने बोला के अछा दिखाओ तो कितने गरम हो तुम तो मैं ने कहा अभी दिखाता हू और उसको पकड़ के अपनी ओर घुमाया और एक ज़बरदस्त किस कर दिया और एक ही मिनिट के अंदर हम टंग सकिंग किस कर रहे थे और मेरा लंड तो फॉरन ही बर्म्यूडा मे खड़ा हो गया जिसे पिंकी ने महसूस किया और जितनी देर किस चलता रहा उसने मेरे बर्म्यूडा के पाएंचे मे से हाथ अंदर डाल के मेरे आकड़े हुए लोहे जैसे मूसल लंड को पकड़ के दबाने लगी और मैं बे हद गरम हो चुका था मैं ने किस ख़तम करके पूछा के हा बोलो गर्मी है ना मेरे अंदर तो उसने उखड़ी उखड़ी सांसो से कहा हा बाबा तुम्हारे अंदर बोहोत गर्मी है और इतनी थोड़ी सी देर मे ही उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगी थी और उसके छोटे छोटे बूब्स उसकी शर्ट के अंदर किसी समंदर की लहर की तरह ऊपेर नीचे हो रहे थे जिसे मैं ने पकड़ के दबाया. अभी मैं सोच ही रहा था के उसकी शर्ट ऊपेर उठा के उसके बूब्स को चूसूं तो सडन्ली मुझे किसी के आने की आहट महसूस हुई देखा तो पापा अपनी कार की तरफ आ रहे थे हमै देख के बोले के इतनी सुबह सुबह कहा जा रहे हो तो मैं ने बोला हम कामत होटेल मे ब्रेकफास्ट के लिए जा रहे है इतने मे ही पिंकी ने बोला के अंकल हम ब्रेकफास्ट के बाद शमिरपेट भी जाएँगे थोड़ी देर घूम के वापस आएँगे तो उन्हो ने कहा हे ठीक है और बोला के मैं भी 2 दिन के लिए बाहर टूर पे जा रहा हू और वो अपनी कार मे बैठ के चले गये मैं ऊपेर गया और अपना बर्म्यूडा उतार के जीन्स पहेन लिया और अपना लोंग लेदर जॅकेट और लेदर ग्लव्स पहेन के आगेया और हम बाइक पे बैठ के होटेल की तरफ चल पड़े.
अभी हम बाइक पे बाहर निकले ही थे के हल्की हल्की बारिश शुरू हो गयी तो मैं ने कहा के अछा हुआ के तुम ने जॅकेट पहेन ली नही तो बारिश मे तुम्हारी शर्ट गीली हो जाती और होटेल के सारे लोग तुम्हारी बूब्स को ही देखते रहते तो उसने मेरे बॅक पे घूसे
मारने शुरू कर दिए और बोली के बड़े शैतान हो तुम. फिर बोली के राजा सच मे आज मेरा मूड बारिश मे भीगने का हो रहा है तो मैं ने कहा के ठीक है ब्रेकफास्ट कर के जब हम शहेर से बाहर निकलेंगे ना तब तुम अपना जॅकेट उतार देना और भीग जाना तो उसने कहा के गुड आइडिया. कामत होटेल एक चैन ऑफ होटेल्स है जहा साउत इंडियन इडली, वाडा, डोसा वाघहैरा मिलता है. सड़क परबारिश की वजह से और स्कूल को छुट्टी होने की वजह से रश नही था और एक दम से सुबह का भी तो टाइम था इसी लिए हम जल्दी ही होटेल पहुँच गये और ऑर्डर दे दिया. ब्रेकफास्ट और कॉफी पी के हम लोग बाहर निकले और दोनो ने लेदर ग्लव्स और फुल्ली कवर्ड और फुल्ली प्रोटेक्टिव हेल्मेट पहेन लिए जिस से चेहरा पूरा छुप जाता है और कोई पहचान भी नही पाता के कोन बाइक चला रहा है और कोन पीछे बैठा है और ठंडी हवा भी नही लगती. अभी तक सूरज नही निकला था और हर तरफ बदल छाए हुए था और फॉग था जिस वजह से सॉफ दिखाई भी नही दे रहा था. सड़क बारिश के पानी से कच्ची थी और हम दोनो धीरे धीरे मौसम का मज़ा लेते हुए शहेर से बाहर निकल आए.
हल्की हल्की बारिश कंटिन्यू थी और कुछ ठंड भी अछी ख़ासी पड़ रही थी. ब्रेकफास्ट के बाद गरमा गरम कॉफी पीने से जो बदन मे गर्मी आई थी वो भी ख़तम हो गयी थी. यह तो अछा हुआ के मैं बर्म्यूडा चेंज करके जीन्स पहेल लिया था. पिंकी मेरे से चिपक के बैठी थी उसके छोटे छोटे बूब्स मुझे अपने जॅकेट के ऊपेर से ही महसूस हो रहे थे. वैसे तो पिंकी मेरे साथ मेरी बाइक के बोहोत टाइम बैठ चुकी है और चिपक के भी बैठ चुकी है पर आज कुछ ज़ियादा ही चिपक के बैठी थी और कंटिन्यू मेरी बॅक पे अपने बूब्स को मसल भी रही थी.
हयदेराबाद और सेकुन्डराबाद ट्विन सिटीस है. अब हम सेकुंडराबाद के औत्स्किर्ट मे मिलिटरी के बॅरक्स है उनको भी क्रॉस कर के आगे निकल आए जहा से सिटी लिमिट्स ख़तम हो गयी थी है और अब हम शमिरपेट से तकरीबन 10 – 12 किलोमीटेर ही दूर थे. अब रोड एक दम से क्लियर थी कोई सिटी की ट्रॅफिक नही थी बस कभी कभी कोई इक्का दुक्का ट्रक या बस गुज़र जाती थी.
पिंकी अपने हाथ मेरे जॅकेट और टी शर्ट के अंदर से होते हुए मेरे सीने के मुलायम और सॉफ्ट बालो से खेल रही थी. उसको लगा के लेदर ग्लव्स की वजह से उसको मेरे बदन का स्पर्श अछी तरह नही मिल रहा है तो उसने ग्लव्स को निकाला और जॅकेट की जेब मे डाल लिया और अपने हाथो से मेरे सीने को मसल्ने लगी जिस से मेरे बदन मे बिजली दौड़ने लगी. आज पिंकी कुछ ज़ियादा ही रोमॅंटिक हो गयी थी और मेरे कान को अपने होटो से और कभी दांतो से काट रही थी. मुझे उसकी गरम गरम साँसें अपने
गर्दन (नेक) पे महसूस होने लगी और मेरा लंड मेरी जीन्स के अंदर मचलने लगा. वो तो अछा हुआ के मैं ने अंडरवेर नही पहना था नही तो जीन्स के अंदर अकड़ते अकड़ते मेरे लंड का तो बुरा हाल हो जाता. पिंकी बाइक पे कुछ ऐसे स्टाइल मे बैठी थी के देखने वालो को पता ही नही चलता था के उसके हाथ कहा है. वो अपने हाथ मेरे सीने पे और पेट पे घुमा रही थी और फिर अपने हाथो को एक दम से मेरे आकड़े हुए फुल्ली एरेक्ट लंड पे रख दिया और मेरे मूह से लंबी साँस निकल गयी तो उसने मेरे कान मे कहा क्या हुआ मेरे राजा तो मैं ने कहा के कुछ नही तो उसने कहा क्यों अछा नही लग रहा क्या तो मैं ने बोला के नही ऐसी बात नही बोहोत अछा लग रहा है तो उसने लंड को थोडा और दबा दिया. मुझे उसके हाथो का स्पर्श बोहोत अछा लग रहा था और मेरा लंड उसका हाथ लगने से कुछ ज़ियादा अकड़ने लगा तो उसने कहा क्यों पॅंट टाइट हो गयी क्या तो मैं ने कहा हा तो उसने कहा कोई बात नही यह लो और उसने पॅंट की ज़िप खोल दी और हाथ अंदर डाल के लंड को बाहर निकाल दिया और बोली के अब तो ठीक है ना तो मैं ने कहा पागल हो गयी हो तुम कोई देख लेगा यह क्या कर रही हो तो उसने बोला के पहली बात तो यह के रोड पे कोई ट्राफ्फिक नही है और दूसरी बात यह के जॅकेट लंबा होने की वजह से किसी हो भी पता नही चले गा के जॅकेट के अंदर क्या हो रहा है तो मैने नीचे झाँक के देखा तो वाकई मे किसी को कुछ भी नही दिख सकता था उसने जॅकेट को ऊपेर तक खेंच लिया था और लंड के डंडे को अपने हाथो से पकड़ के दबा रही थी. मेरा लंबा और मोटा लंड उसके छोटे हाथ मे आधा ही आ रहा था और मेरे कान की लोलकी को चूस्ते हुए लंड का मूठ मारने लगी. मेरे कान मे आहिस्ता से बोली के राजा यह शानदार लंड मुझे कब दे रहे हो तो मैं ने हंसते हुए कहा के अरे जब तुम्हारा दिल चाहे लेलो यह तुम्हारा ही तो है तो उसने कहा सच कह रहे हो राजा मैं जब कहुगी तुम मुझे देदोगे तो मैं ने कहा के हा बाबा सच कह रहा हू जब तुम्हारा जी चाहे ले लो यह अब तुम्हारा ही है तो वो फिर से मेरे कान का नीचे लटकते हुए पोर्षन को अपने होटो से चूस्ते हुए बोली अगर मुझे आज ही चाहिए तो क्या दे दोगे तो मैं ने कहा हा क्यों नही तो उसने कहा के ठीक है मुझे यह आज ही चाहिए तो मैं ने कहा के ठीक है बाबा ले लेना ज़रा शमिरपेट के ब्रिड्ज के नीचे तो पहुँच जाने दो तो उसने एक लंबी आअहह भर के कहा हहाई इतना लंबा इंतेज़ार मैं कैसे करू तो मैं ने कहा के पिंकी तुम तो सच मे पागल ही हो गयी हो अरे बाबा अभी थोड़ी ही देर मे हम वाहा होगे ना थोड़ा तो सबर करो तो उसने एक ठंडी साँस लेते हुए कहा के ठीक है ऐसे तगड़े लंड के लिए मैं थोड़ा और इंतेज़ार कर सकती हू. मोटर बाइक अपनी रफ़्तार से चली जा रही थी ठंडी हवा मे बड़ा मज़ा आरहा था. हम ने
अपने हेल्मेट पहले ही निकाल लिए थे और मौसम का मज़ा ले रहे थे.
एक तो ठंडी हवा और उसपर से पिंकी के छोटे छोटे हाथो के स्पर्श से मेरा लंड आज कुछ ज़ियादा ही अकड़ गया था और मुझे बे इंतेहा मज़ा आ रहा था. जब कभी सामने वाली सड़क दूर तक खाली नज़र आती तो वो मेरे लंड को जॅकेट से बाहर निकाल देती तो बारिश की बूँदो से लंड गीला हो जाता और ठंड लगने से कुछ और अकड़ जाता और जब कोई कार, बस या लॉरी दिखाई देती तो पिंकी मेरे लंड को जॅकेट के अंदर छुपा के पकड़ लेती. वो मेरे लंड से ऐसे ही खेलती रही और अब हम शमिरपेट के करीब पहुँच चुके थे. आक्च्युयली इतनी सुबह सुबह कोई पिक्निक के लिए आता भी नही था लोग जॅनरली यहा 11 या 12 बजे के बाद से ही आना शुरू होते है और आज तो बारिश भी हो रही थी तो इसी लिए यहा हम दोनो के सिवा और कोई भी नही था.
क्रमशः................................
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