RE: Nangi Sex Kahani जवानी की दहलीज
मैंने यकीन किया कि उसकी आँखें बंधी हैं और मैं पलट गई। वह अपने हाथ आगे फैलाते हुए हुआ बिस्तर के किनारे तक आया। उसके घुटने बिस्तर को लगते ही उसने अपने हाथ नीचे किये और मुझे टटोलने लगा। मुझे उसे देख देखकर ही गुदगुदी होने लगी थी। उसका एक हाथ मेरी कलाई और एक मेरे पेट को लगा। पेट वाले हाथ को वह रेंगा कर नीचे ले गया और मेरे घाघरे के नाड़े को टटोलने लगा। मेरी गुदगुदी और कौतूहल का कोई ठिकाना नहीं था। मैं इधर उधर हिलने लगी। मैं नाड़े के किनारों को घाघरे के अंदर डाल कर रखती हूँ... उसकी उँगलियों को नाड़े की बाहरी गाँठ तो मिल गई पर नाड़े का सिरा नहीं मिला... तो उसने अपनी उँगलियाँ घाघरे के अंदर डालने की कोशिश की।
"ये क्या कर रहे हो?" मैंने अपना पेट अकड़ाते हुए पूछा।
"तुम मेरी शर्त भूल गई?"
"मुझे अच्छी तरह याद है... तुम बंद आँखों से मेरे पूरे बदन पर मालिश करोगे।"
"तो करने दो ना..."
"इसके लिए कपड़े उतारने पड़ेंगे?" मैंने वास्तविक अचरज में पूछा।
"और नहीं तो क्या... मालिश कपड़ों की थोड़े ही करना है... अब अपनी बात से मत पलटो।" कहते हुए उसने घाघरे में उँगलियाँ डाल दी और नाड़ा खोलने लगा। मेरी गुदगुदी और तीव्र हो गई... मैं कसमसाने लगी। भोंपू भी मज़े ले ले कर घाघरे का नाड़ खोलने लगा...उसकी चंचल उँगलियाँ मेरे निचले पेट पर कुछ ज्यादा ही मचल रही थीं। हम दोनों उत्तेजित से हो रहे थे... मुझे अपनी योनि में तरावट महसूस होने लगी।
"तुम बहुत गंदे हो !" कहकर मैं निढाल हो गई। उसकी उँगलियों का खेल मेरे पेट पर गज़ब ढा रहा था। उसने मेरे घाघरे के अंदर पूरा हाथ घुसा ही दिया और नाड़ा बाहर निकाल कर खोल दिया। नाड़ा खुलते ही उसने एक हाथ मेरे कूल्हे के नीचे डाल कर उसे ऊपर उठा दिया और दूसरे हाथ से मेरा घाघरा नीचे खींच दिया और मेरी टांगों से अलग कर दिया। मुझे बहुत शर्म आ रही थी... मेरी टांगें अपने आप ज़ोर से जुड़ गई थीं... मेरे हाथ मेरी चड्डी पर आ गए थे और मैंने घुटने मोड़ कर अपनी छाती से लगा लिए। भोंपू ने घाघरा एक तरफ करके जब मुझे टटोला तो उसे मेरी नई आकृति मिली। वह बिस्तर पर चढ़ गया और उसने बड़े धीरज और अधिकार से मुझे वापस औंधा लिटा दिया। वह भी वापस से मुझ पर 'सवार' हो गया और अपने हाथों को पोला करके मेरी पीठ पर फिराने लगा। मेरे रोंगटे खड़े होने लगे। अब उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर चलाने शुरू किये... पूरी पीठ को खुरचा और फिर पोली हथेलियों से सहलाने लगा। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था... योनि पुलकित हो रही थी और खुशी से तर हो चली थी।
अब वह थोड़ा नीचे सरक गया और अपनी मुठ्ठियों से मेरे चूतड़ों को गूंथने लगा। जैसे आटा गूंदते हैं उस प्रकार उसकी मुठ्ठियाँ मेरे कूल्हों और जाँघों पर चल रही थीं। थोड़ा गूंथने के बाद उसने अपनी पोली उँगलियाँ चलानी शुरू की और फिर नाखूनों से खुरचने लगा। मुझ पर कोई नशा सा छाने लगा... मेरी टांगें अपने आप थोड़ा खुल गईं। उसने आगे झुक कर मेरे चूतड़ों के दोनों गुम्बजों को चूम लिया और मेरी चड्डी की इलास्टिक को अपने दांतों में पकड़ कर नीचे खींचने लगा।
ऊ ऊ ऊ ऊह... भोंपू ये क्या कर रहा है? कितना गन्दा है? मैंने सोचा। उसकी गरम सांस मेरे चूतड़ों में लग रही थी। पर वह मुँह से चड्डी नीचे करने में सफल नहीं हो रहा था। चड्डी वापस वहीं आ जाती थी। पर वह मानने वाला नहीं था। उसने भी एक बार ज़ोर लगा कर चड्डी को एक चूतड़ के नीचे खींच लिया और झट से दूसरा हिस्सा मुँह में पकड़ कर दूसरे चूतड़ के नीचे खींच लिया। अपनी इस सफलता का इनाम उसने मेरे दोनों नग्न गुम्बजों को चूम कर लिया और फिर धीरे धीरे मेरी चड्डी को मुँह से खींच कर पूरा नीचे कर दिया। चड्डी को घुटनों तक लाने के बाद उसने अपने हाथों से उसे मेरी टांगों से मुक्त करा दिया।
हाय ! अब मैं पूरी तरह नंगी थी। शुक्र है उसकी आँखों पर पट्टी बंधी है।
भोंपू ने और कुछ देर मेरी जाँघों और चूतड़ों की मालिश की। उसकी उँगलियाँ और अंगूठे मेरी योनि के बहुत करीब जा जा कर मुझे छेड़ रहे थे। मेरे बदन में रोमांच का तूफ़ान आने लगा था। मेरी योनि धड़क रही थी... योनि को उसकी उँगलियों के स्पर्श की लालसा सी हो रही थी... वह मुझे सता क्यों रहा था? यह मुझे क्या हो रहा है? मेरे शरीर में ऐसी हूक कभी नहीं उठी थी... मुझे मेरी योनि द्रवित होने का अहसास हुआ... हाय मैं मर जाऊँ... भोंपू मेरे बारे में क्या सोचेगा ! मैंने अपनी टांगें भींच लीं।
भोंपू को शायद मेरी मनोस्थिति का आभास हो गया था... उसने आगे झुक कर मेरे सर और बालों में प्यार से हाथ फिराया और एक सांत्वना रूपी चपत मेरे कंधे पर लगाई... मानो मुझे भरोसा दिला रहा था।
मैंने अपने आप को संभाला... आखिर मुझे भी मज़ा आ रहा था... एक ऐसा मज़ा जो पहले कभी नहीं आया था... और जो कुछ हो रहा था वह मेरी मंज़ूरी से ही तो हो रहा था। भोंपू कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं कर रहा था। इस तरह मैंने अपने आप को समझाया और अपने शरीर को जितना ढीला छोड़ सकती थी, छोड़ दिया। भोंपू ने एक और पप्पी मेरी पीठ पर लगाई और मेरे ऊपर से उठ गया।
"एक मिनट रुको... मैं अभी आया !" भोंपू ने मुझे चादर से ढकते हुए कहा और चला गया। जाते वक्त उसने अपनी आँखें खोल ली थीं।
कोई 3-4 मिनट बाद मुझे बाथरूम से पानी चलने की आवाज़ आई और वह वापस आ गया। उसके हाथ में एक कटोरी थी जो उसने पास की कुर्सी पर रख दी और बिस्तर के पास आ कर अपनी आँखों पर दुपट्टा बाँध लिया।
मैंने चोरी नज़रों से देखा कि उसने अपनी कमीज़ उतार कर एक तरफ रख दी। उसकी चौड़ी छाती पर हल्के हल्के बाल थे। अब उसने अपनी पैन्ट भी उतार दी और वह केवल अपने कच्छे में था। मेरी आँखें उसके कच्छे पर गड़ी हुई थीं। उसकी तंदरुस्त जांघें और पतला पेट देख कर मेरे तन में एक चिंगारी फूटी। उसका फूला हुआ कच्छा उसके अंदर छुपे लिंग की रूपरेखा का अंदाजा दे रहा था। मेरे मन ने एक ठंडी सांस ली।
मैं औंधी लेटी हुई थी... उसने मेरे ऊपर से चादर हटाई और पहले की तरह ऊपर सवार हो गया। उसने मेरी पीठ पर गरम तेल डाला और अपने हाथ मेरी पीठ पर दौड़ाने लगा। बिना किसी कपड़े की रुकावट से उसके हाथ तेज़ी से रपट रहे थे। उसने अपने हथेलियों की एड़ी से मेरे चूतड़ों को मसलना और गूंदना शुरू किया... उसके अंगूठे मेरे चूतड़ों की दरार में दस्तक देने लगे। भोंपू बहुत चतुराई से मेरे अंगों से खिलवाड़ कर रहा था... मुझे उत्तेजित कर रहा था।
अब उसने अपना ध्यान मेरी टांगों पर किया। वह मेरे कूल्हों पर घूम कर बैठ गया जिससे उसका मुँह मेरे पांव की तरफ हो गया। उसने तेल लेकर मेरी टांगों और पिंडलियों पर लगाना शुरू किया और उनकी मालिश करने लगा। कभी कभी वह अपनी पोली उँगलियाँ मेरे घुटनों के पीछे के नाज़ुक हिस्से पर कुलमुलाता... मैं विचलित हो जाती।
अब उसने एक एक करके मेरे घुटने मोड़ कर मेरे तलवों पर तेल लगाया। मेरे दाहिने तलवे को तो उसने बड़े प्यार से चुम्मा दिया। शायद वह कल की मालिश का शुक्रिया अदा कर रहा था !! मेरे तलवों पर उसकी उँगलियों मुझे गुलगुली कर रही थीं जिससे मैं कभी कभी उचक रही थी। उसने मेरे पांव की उँगलियों के बीच तेल लगाया और उनको मसल कर चटकाया। मैं सातवें आसमान की तरफ पहुँच रही थी।
उसने आगे की ओर पूरा झुक कर मेरे दोनों चूतड़ों को एक एक पप्पी कर दी और पोले हाथों से उनके बीच की दरार में उंगली फिराने लगा।
बस... न जाने मुझे क्या हुआ... मेरा पूरा बदन एक बार अकड़ सा गया और फिर उसमें अत्यंत आनन्ददायक झटके से आने लगे... पहले 2-3 तेज़ और फिर न जाने कितने सारे हल्के झटकों ने मुझे सराबोर कर दिया... मैं सिहर गई .. मेरी योनि में एक अजीब सा कोलाहल हुआ और फिर मेरा शरीर शांत हो गया।
इस दौरान भोंपू ने अपना वज़न मेरे ऊपर से पूरी तरह हटा लिया था। मेरे शांत होने के बाद उसने प्यार से अपना हाथ मेरी पीठ पर कुछ देर तक फिराया। मेरे लिए यह अभूतपूर्व आनन्द का पहला अनुभव था।
थोड़ी देर बाद भोंपू ने दोनों टांगों और पैरों की मालिश पूरी की और वह अपनी जगह बैठे बैठे घूम गया। मेरे पीछे के पूरे बदन पर तेल मालिश हो चुकी थी। उसने उकड़ू हो कर अपने आप को ऊपर उठाया और मेरे कूल्हे पर थपथपाते हुए मुझे पलट कर सीधा होने के लिए इशारा किया।
मैं झट से सीधी हो गई। वह एक बार फिर घूम कर मेरे पैरों की तरफ मुँह करके घुटनों के बल बैठ गया और तेल लगा कर मेरी टांगों की मालिश करने लगा। पांव से लेकर घुटनों के थोड़ा ऊपर तक उसने खूब हाथ चलाये। फिर वह थोड़ा पीछे खिसक कर मेरे पेट के बराबर घुटने टेक कर बैठ गया और उसने मेरी जाँघों पर तेल लगाना शुरू किया।
अब मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी थी और मैं बेचैन होकर हिलने लगी थी। उसने मेरी टांगों को थोड़ा सा खोला और और जांघों के अंदरूनी हिस्से पर तेल लगाने लगा... उसके अंगूठे मेरे योनि के इर्द-गिर्द बालों के झुरमुट को छूने लगे थे... पर उसने मेरी योनि को नहीं छुआ... मेरी योनि से पानी पुनः बहने लगा था... उसके हाथ बड़ी कुशलता से मेरी योनि से बच कर निकल रहे थे।
मेरी व्याकुलता और बढ़ रही थी। अब मेरा जी चाह रहा था कि वह मेरी योनि में ऊँगली डाले। जब उसका अंगूठा या उंगली मेरी योनि के पास आती तो मैं अपने आप को हिला कर उसे अपनी योनि के पास ले जाने की कोशिश करती... पर वह होशियार था। उसे लड़की को सताना और बेचैन करना अच्छे से आता था।
कुछ देर मुझे इस तरह तड़पा कर उसने घूम कर मेरी तरफ मुँह कर लिया। वह मेरे पेट के ऊपर ही उकड़ू बैठा था। मैंने देखा कि उसका कच्छा बुरी तरह तना हुआ है। उसने हाथ में तेल लेकर मेरे स्तनों पर लगाया और उन्हें सहलाने लगा... सहला सहला कर उसने तेल पूरे स्तनों पर लगा दिया और फिर अपनी दोनों हथेलियाँ सपाट करके मेरे निप्पलों पर रख उन्हें गोल गोल घुमाने लगा। मेरे स्तन उभरने और निप्पल अकड़ने लगे। थोड़ी ही देर में निप्पल बिल्कुल कड़क हो गए तो उसने अपनी दोनों हथेलियों से मेरे मम्मों को नीचे दबा दिया। मुझे लगा मेरे निप्पल उसकी हथेलियों में गड़ रहे हैं।
अब वह मज़े ले ले कर मेरे मम्मों से खेल रहा था। मैं जैसे तैसे अपने आप को मज़े में उचकने से रोक रही थी। उसके बड़े बड़े मर्दाने हाथ मेरे नाज़ुक स्तनों को बहुत अच्छे लग रहे थे। कभी कभी मेरा मन करता कि वह उन्हें और ज़ोर से दबाए। पर वह बहुत ध्यान से उनका मर्दन कर रहा था।
भोंपू अब थोड़ा पीछे की ओर सरका और अपने चूतड़ मेरी जाँघों के ऊपर कर लिए। उसने अपने घुटनों और नीचे की टांगों पर अपना वज़न लेते हुए अपने ढूंगे मेरी जाँघों पर टिका दिए। इस तरह अपना कुछ वज़न मेरी जांघों पर छोड़ कर शायद उसे कुछ राहत मिली। वह काफी देर से उकड़ू बैठा हुआ था... उसके मुँह से एक गहरी सांस छूट गई।
kramashah.........................
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