Hindi Sex Story राधा का राज
07-07-2018, 01:07 PM,
#9
RE: Hindi Sex Story राधा का राज
कुछ देर बाद उसने मुँह उठा ते हुए कहा, " मेडम….राधा अब भी सम्हल जाइए अब भी वक्त है. हम मे अओर आपमे ज़मीन आसमान का फिर्क़ है." मैं एक झटके से उठी. अपने शरीर से आखरी वस्त्र भी नोच डाला. उसके सामने अब मैं बिल्कुल निवस्त्र थी जबकि वो पूरे कपड़ों मे था. मेरा चेहरा गुस्से मे लाल सुर्ख हो रहा था.

"देखो इस शरीर की एक झलक पाने के लिए कई लोग बेचैन रहते हैं और आज मैं खुद तुम्हारे सामने बेशर्म होकार नंगी खड़ी हूँ और तुम मुझ से दूर भाग रहे हो." मैने कहा, "अगर किसी कोई मुझे इस तरह की हरकतें करते हुए देख ले तो उसे अपनी आँखों पर विस्वास नहीं होगा. मुझे सब कठोर, ठंडी और मगरूर लड़की समझते हैं. और तुम?…देखो किस तरह मुझे अपने सामने निर्लज्ज होकर गिड़गिदाने पर मजबूर कर रहे हो. अगर इतना ही सोचना था तो पहले दिन ही मुझसे दूर हो जाते. क्यों हवा दी तुमने मेरे जज्बातों को?"

मैने उसका हाथ पकड़ खींच कर उठा दिया और लगभग खींचते हुए बेडरूम मे ले गई. उसे बेड के पास खड़ा कर के मैं उसके कपड़ों पर ऐसे टूट पड़ी मानो कोई भूखा किसी स्वादिस्त खाने को देख कर

टूट पड़ता है. कुछ ही देर मे वो भी मेरी ही हालात मे आगाया.

आज पहली बार मैने उसे पूरी तरह नग्न अवस्था मे देखा था. कॅबिन मे आने के बाद वो हमेशा बदन पर पयज़ामा पहना रहता था. जिसे ढीला करके मैं उसके लंड को प्यार करती थी. मैने उसे एक ज़ोर का धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया. उसे बिस्तर पर पटक कर मैं उस पर चढ़ बैठी. उसके शरीर के एक एक अंग को चूमने चाटने लगी. उसके निपल्स को दाँतों से हल्के से काट दिया. उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ ते हुए अपनी जीभ उसके मुँह मे दे दिया. वो भी मेरी जीभ को चूसने लगा. मेरे हाथ उसके लंड को सहला रहे थे.

मैं उसके पैरों के अंगूठे और उंगलियों को चूमते हुए उपर बढ़ने लगी. उपर आते आते मेरे होंठ उसकी टाँगों के जोड़ तक पहुँच गये. मैने अपनी जीभ निकाल कर उसके अंडकोषों पर फिराना शुरू किया. मैने अब अपना ध्यान उसके लंड पर कर दिया. पहले उसके लंड को चूमा फिर उसे मुँह मे ले कर चूसने लगी. लंड का साइज़ बढ़ कर लंबा और मोटा हो गया. उसका साइज़ देख कर एक बार तो मैं सिहर गयी थी कि ये दानव तो मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा.

"बहुत ही शैतान है ये. इसने मुझे ऐसा रोग लगाया कि अब ये मेरा नशा बन गया है. आज मैं इसे ठंडा करूँगी अपने पानी से." फिर मैने उनको उल्टा करने की कोशिश की तो उन्हों ने खुद ही करवट बदल कर पेट के बल लेट कर मेरी कोशिश आसान कर दी. मैं अब अपने होंठों को उनकी पीठ पर चलाने लगी. मेहनत का काम करते रहने के कारण उनके बदन बहुत ही बलिष्ठ और सख़्त था. मुझे अपने कोमल बदन को उनके बदन से रगड़ने मे मज़ा आ रहा था ऐसा लग रहा था मानो मैं अपने बदन को किसी दीवार से रगड़ रही हूँ. मैने उनकी पूरी पीठ पर और उनके नितंबों पर अपनी जीभ फिरा कर उनको खूब प्यार किया.

काफ़ी देर ताक हम दोनो एक दूसरे के बदन से खेलते रहे. फिर मैं उसकी तरफ देख कर बोली, " आज मैं अपना कोमार्य तुम्हें भेंट कर रही हूँ. इससे महनगी कोई चीज़ मेरे पास नहीं है. ये मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कितना प्यार है उसे दर्शाती है. प्लीज़ मुझे लड़की से आज औरत बना दो."

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Re: राधा का राज

Post by jay » 08 Nov 2014 20:19
मैने उसे चित लिटाकर उसका खड़े लंड के दोनो ओर अपने घुटनो को मोड़ कर बैठी. मैने उनके लंड को अपने चूत के मुहाने पार रख कर उनके लंड पर बैठने के लिए ज़ोर लगाई मगर अनारी होने के कारण एवं मेरी चूत का साइज़ छ्होटा होने के कारण लंड अंदर नाहीं जा पाया. मैने फिर अपनी कमर उठाकर उसके लंड को अपने हाथों से सेट किया और शरीर को ज़ोर से नीचे किया मगर फिर उसका लंड फिसल गया. मैने झुंझला कर उसकी ओर देखा.

"कुछ करो नाआ. कैसे आदमी हो तब से मैं कोशिश कर रही हूँ और तुम चुप चाप पड़े हुए हो. क्या हो गया है तुम्हे." तब जाकर उसने अपनी झिझक को ख़त्म कर के मुझे बिस्तर पर पाटक दिया. मेरी टाँगों को चौड़ा कर के मेरी चूत को चूम लिया.

" ये हुआ ना असली मर्द. वाह मेरे शेर! मसल दो मुझे. मेरी सारी गर्मी निकाल दो" उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरी योनि मे घुसने लगा मैने अपने दोनो हाथों से अपनी योनि के फांकों को चौड़ा करके उसकी जीभ का स्वागत किया. वो मेरी योनि मे जीभ फिराने लगा. एक तेज सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ने लगी. मुझे लगने लगा कि अब वो उठे और मेरे योनि मे चल रही खुजली को शांत कर दे. मैं अपने हाथों से उसके सिर को अपनी योनि पर दबाने लगी. इस कोशिश मे मेरी कमर भी बिस्तर छोड़ कर उसकी जीभ को पाने के लिए उपर उठने लगी.

काफ़ी देर तक मेरी गीली चूत पर जीभ फिराने के बाद वो उठा. मैं तो उसके जीभ से ही एक बार झाड़ गयी.

"राआाज बस और नही. प्लीज़ अब और मत सताओ. अब बस मुझे अपने लंड से फाड़ डालो. आआअहह राआाज आअज मुझे पता चला कि इसमे कितना मज़ा छिपा होता है. म्‍म्म्ममममम" उसने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को मेरी टपकती चूत पर रख कर एक ज़ोर दार धक्का मारा.

" आआआआआः उउउउउउउउईईईई माआआआ" उसका लंड रास्ता बनाता हुआ आगे बढ़कर मेरे कौमार्य की झिल्ली पर जा रुका. उसने मेरी ओर देख कर एक मुस्कुराहट दी.

"ये तुम्हारे लिए है मेरी जान तुम्हारे लिए ही तो बचा कर रखा था. लो इस पर्दे को हटा कर मुझे अपना लो."

अब उसने एक और ज़ोर दार धक्का मारा तो पूरा लंड मेरे अंदर फाड़ता हुआ समा गया. "ऊऊऊओफ़ माअर ही डालोगे क्या? ऊउउउउईईईईइ मा मर गई" मैं बुरी तरह तड़पने लगी. वो लंड को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर रुका. अपने लंड को उसी अवस्था मे रोक कर वो मेरे उपर लेट गया. वो मेरे होंठों को चूमने लगा. मैने भी आगे बढ़ कर उसके होंठ अपने दांतो के बीच दबा कर उसे चूमने लगी. इस तरह मेरे ध्यान योनि से उठ रही दर्द की लहरों की तरफ से हट गया. मैं उत्तेजित तो पूरी तरह ही हो रही थी. मैने अपने लंबे नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ा दिए. जिससे हल्का हल्का खून रिसने लगा था.धीरे धीरे मेरा दर्द गायब हो गया. उसने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर मुझे सिर से पकड़ कर कुछ उठाया और अपने लंड को दिखाया. लंड पर खून के कुछ कतरे लगे हुए थे. मैं खुशी से झूम उठी. मैने अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ कर खुद ही अपनी टाँगे चौड़ी कर के अपनी योनि मे डाल लिया. उसने वापस अपने लंड को जड़ तक मेरी योनि मे डाल दिया.

उसने लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर वापस अंदर डाल दिया. फिर तो उसने खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए. मैं भी पूरी ज़ोर से नीचे से उसका साथ दे रही थी. अंदर बाहर अंदर बाहर जबरदस्त धक्के लग रहे थे. 45 मिनट के बाद वो मेरे अंदर ढेर सारा वीर्य उधेल दिया. मैं तो तब ताक तीन बार निकाल चुकी थी. वो थॅक कर मेरे शरीर पर लेट गया. मैं तो उसकी मर्दानगी की कायल हो चुकी थी. हम एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फिरा रहे थे.
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