RE: Hot Sex Kahani अनु की मस्ती मेरे साथ
" अच्च्छा चल तू एक काम कर." मैने अपने शर्ट को उतार दिया. सफेद
रंग का शर्ट बरसात मे भीग कर पूरी तरह पार दर्सि हो गया था.
अंदर की बनियान भी उतार दी..
"ले इन्हे पहन ले. वैसे ये ज़्यादा कुच्छ छिपा नही पाएँगे लेकिन फिर
भी चलेगा."
उसने मेरे कपड़ों को मेरे हाथ से लेकर पहन लिया. मैं सिर्फ़ पॅंट
पहना हुआ था. उसे उतार कर देने की मेरी हिम्मत नही हुई.
"चल पोलीस स्टेशन." मैने उसे कहा "रपट भी लिखानी पड़ेगी
"नहीं" वो ज़ोर से चीखी "नहीं जाना मुझे कहीं. मैं नही जाउन्गि
पोलीस स्टेशन. साले रात भर मुझे चोदेन्गे और सुबह वहाँ से
भगा देंगे. किसी डाकू से ज़्यादा डर तो इन पोलीस वालों से लगता है."
"लेकिन रपट तो लिखाना ही पड़ेगा ना"
"क्यों? क्या होगा रपट लिखवा कर. लौटा देंगे वो मेरी लूटी हुई इज़्ज़त.
साले करेंगे तो कुच्छ नही. हां खोद खोद कर ज़रूर पूछेन्गे. क्या
किया था कैसे किया था. पहले चोदा था या पहले तेरी छातियो को
मसला था."
" अब तो ये बता कि तू जाएगी कहाँ." मैने पूचछा " देख मेरे घर
मे मैं अकेला ही रहता हूँ. पास ही घर है अगर तुझे कोई दिक्कत ना
हो तो रात वहाँ बिता ले सुबह होते ही अपने घर चली जाना."
कुच्छ देर तक वो चुप रही फिर उसने धीरे से कहा "ठीक है"
हम दोनो अर्ध नग्न अवस्था मे लोगों से छिपते छिपाते घर की ओर
बढ़े. रात के साढ़े बारह बज रहे थे और ऊपर से बारिश इसलिए
रास्ता पूरा सुनसान पड़ा था. उसने मेरे हाथ को पकड़ रखा था. किसी
लड़की के स्पर्श से मेरे बदन मे सिहरन सी हो रही थी. मैने चलते
चलते पूचछा
" क्या मैं अब तुम्हारा नाम जान सकता हूँ?"
अनुराधा नाम है मेरा."
" अनु तुम शादी शुदा हो या अभी कुँवारी ही हो?"
"शादी तो हुई थी लेकिन मेरा पति मुझे छोड़ कर साल भर हुए
पता नही कहाँ चला गया. मैं कुच्छ दूर एक खोली लेकर रहती हूँ.
पास ही ट्विंकल स्टार स्कूल मे पढ़ाती हूँ. उसी से मेरा गुज़रा चल
जाता है."
मैं चल ते हुए उसकी बातें सुनता जा रहा था. उसकी आवाज़ बहुत
मीठी थी लग रहा था बस वो बोलती जाए. चाहे कुच्छ भी बोले लेकिन
बोलती जाए. मैने अपने बाहों से उसको सहारा दे रखा था. उसकी चाल
मे लड़खड़ाहट थी जो की गॅंग रेप के कारण दुख़्ते बदन के कारण
थी. उसके बदन मे जगह जगह नोचे और काटे जाने के निशान हो रहे
थे. कुछ जगह से तो हल्का हल्का खून भी रिस रहा था. बड़ी ही
बेरहमी से कुचला दिया था बदमाशों ने इस फूल से बदन को.
" हमारे मोहल्ले मे टिल्लू दादा हफ़्ता वसूली का काम करता है. उसकी
नज़र बहुत दीनो से मेरे ऊपर थी. लेकिन मैं उसे किसी भी तरह का
मौका नही देती थी. आज क्या है स्कूल के एक टीचर का आक्सिडेंट हो
गया था. हम सब उसे देखने हॉस्पिटल चले गये थे. वापसी मे
बरसात शुरू हो जाने के कारण देर हो गयी. मैं लोकल ट्रेन से दादर
रेलवे स्टेशन पर उतर कर पैदल घर जा रही थी. सड़कों पर लोग
कम हो गये थे. मेरे घर के पास अंधेरे मे मुझे वो साला टिल्लू मिल
गया. उसने मेरे गले पर चाकू रख कर वॅन मे बिठा कर यहा ले आया."
|