RE: Parivaar Mai Chudai घर का दूध
अम्मा, मुझे भी चूसने
दे ना!" मंजू ने मेरा लंड मुँह से निकाल कर कहा "कल से, आज नही, वो भी
अगर बाबूजी हां कहें तो! पता नही तेरा दूध उन्हें पसंद आया है कि नही"
वैसे गीता के दूध के बारे मे मैं क्या सोचता हूँ, इसका पता उसे मेरे
उच्छालते लंड से ही लग गया होगा. आख़िर गीता का स्तन खाली हो गया. उसे
दबा दबा कर मैने पूरा दूध निचोड़ लिया. फिर भी उसके उस मोटे जामुन से
निपल को मुँह से निकालने का मन नही हो रहा था. पर मैने देखा की उसके
दूसरे निपल से अब दूध टपकने लगा था. शायद ज़्यादा भर गया था. मैने उसे
मुँह मे लिया और उसकी दूसरी चून्चि दूह कर पीने लगा. गीता खुशी से चाहक
उठी. "अम्मा, ये तो दूसरा मम्मा भी खाली कर रहे है. मुझे लगा था कि एक से
इनका मन भर जाएगा." "तो पीने दे ना पगली, उन्हें भूख लगी होगी. अच्च्छा
भी लगा होगा तेरा दूध. अब बकबक मत कर, मुझे बाबूजी का लॉडा चूसने दे ठीक
से, बस मलाई फेकने ही वाला है अब" कह कर मंजू फिर शुरू हो गयी अब दूसरी
चून्चि भी मैने खाली कर दी तब मंजू ने मेरा लंड जड़ तक निगल कर अपने गले
मे ले लिया और ऐसे चूसा की मैं झाड़ गया. मुझे दूध पिलवा कर उस बिल्ली ने
मेरी मलाई निकाल ली थी. मैं लस्त होकर पिछे लुढ़क गया पर गीता अब भी मेरा
सिर अपनी चूची पर भींच कर अपनी चून्चि मेरे मुँह मे ठूँसती हुई वैसे ही
बैठी थी. मैने किसी तरहा से उसे अलग किया. गीता मेरी ओर देख कर बोली
"बाबूजी, पसंद आया मेरा दूध?" वह ज़रा टेंशन मे थी कि मैं क्या कहता हूँ.
मैने खींच कर उसका गाल चूम लिया. "बिल्कुल अमरित था गीता रानी, रोज
पिलाओगी ना?" वह थोड़ी शर्मा गयी पर मुझे आँख मार कर हँसने लगी. मैने
मंजू से पुचछा "कितना दूध निकलता है इसके थनो से रोज बाई? आज तो मेरा ही
पेट भर गया, इसका बच्चा कैसे पीता था इतना दूध" मंजू बोली "अभी ज़्यादा
था बाबूजी, कल से बेचारी की चून्चि खाली नही की थी ना. नही तो करीब इसका
आधा ही निकलता है एक बार मे. वैसे हर चार घंटे मे पीला सकती है ये." मैने
हिसाब लगाया. मैने कम से कम पाव डेढ़ पाव दूध ज़रूर पिया था. अगर दिन मे
चार बार यह आधा पाव दूध भी दे तो आधा पौना लीटर दूध होता था दिन का. दिन
मे दो तीन पाव देने वाली उस मस्त दो पैर की गाय को देख कर मैं बहक गया.
मंजू को पुच्छा "बोलो बाई, कितनी तनखुवा लेगी तेरी बेटी?" वो गीता की ओर
देख कर बोली "पाँच सौ रुपये दे देना बाबूजी. आप हज़ार वैसे ही देते हो,
आप से ज़्यादा नही लूँगी." मैने कहा कि हज़ार रुपये दूँगा गीता को. गीता
तुनक कर बोली "पर काहे को बाबूजी, पाँच सौ बहुत है, और मैं भी तो आपके इस
लाख रुपये के लंड से चुदवंगी रोज . हज़ार ज़्यादा है, मैं कोई कमाने
थोड़े ही आई हूँ आपके पास." मैने गीता की चून्चि प्यार से दबा कर कहा
"मेरी रानी, ज़्यादा नही दे रहा हूँ, पाँच सौ तुम्हारे काम के, और पाँच
सौ दूध के. अब कम से कम मेरे लिए तो बाहर से दूध खरीदने की ज़रूरत नही
है. वैसे तुम्हारा ये दूध तो हज़ारों रुपये मे भी सस्ता है" गीता शर्मा
गयी पर मंजू हँसने लगी "बिल्कुल ठीक है बाबूजी. बीस रुपये लीटर दूध मिलता
है, उस हिसाब से महीने भर मे बीस पचीस लीटर दूध तो मिल ही जाएगा आपको"
गीता ने एक दो बार और ज़िद की पर उस रात मंजू ने मुझे अपनी बेटी नही
चोदने दी. बस उस रात को एक बार और गीता का दूध मुझे पिलवाया. दूध पिलाते
पिलाते गीता बार बार चुदाने की ज़िद कर रही थी पर मंजू आडी रही. "गीता
बेटी, आज रात और सबर कर ले. कल शनिवार है, बाबूजी की छुट्टी है. कल सुबह
दूध पिलाने आएगी ना तू, उसके बाद कर लेना मज़ा" गीता के जाने के बाद मैने
मंजू को ऐसा चोदा की वह एकदम खुश हो गयी. "आज तो बाबूजी, बहुत मस्त चोद
रहे हो हचक हचक कर. लगता है मेरी बेटी बहुत पसंद आई है, उसी की याद आ रही
है, है ना?" क्रमशः...........
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