RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
सिर्फ घर में ही नहीं बाहर भी भाभियों का इतना प्यार दुलार मिला की , मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी।
कामिनी भाभी की तो बात ही अलग थी ,मेरा उनका अलग ही रिश्ता था ,उन्होंने तो मुझे अपनी सगी ननद मान लिया था ( सच में उनकी सगी क्या चचेरी , मौसेरी ,फुफेरी ननद भी नहीं थी इसलिए ननद का अपना सब शौक वो मुझसे ही पूरा करती थी। )
मैंने बताया था न की उनके पिता जी मशहूर वैद्य थे और उनसे कामिनी भाभी ने जड़ी बूटी का ज्ञान ऐसा हासिल किया था की , बड़े डाक्टर हकीम फेल। खासतौर से लड़कियों औरतों की ' खास परेशानी ' के मामले में। लड़का पैदा करना हो ,न पैदा करना हो , पीरियड्स नहीं आते हो या लेट करना हो ,सब कुछ।
और जो चीजें उन्होंने आज तक न किसी को बतायी न दी , वो अपना सारा खजाना मुझे दे दिया उन्होंने। कुछ किशमिश दिखाई थी ( चलने के पहले एक बड़ी बोतल दे दी थी मुझे उसकी ) जो चार चार अमावस की रात में सिद्ध की जाती थी तमाम तरह की भस्म के साथ ,स्वर्ण भस्म ,शिलाजीत अश्वगन्धा सब कुछ ,... बस एक किशमिश भी किसी तरह खिला दो ,जिसका खड़ा भी न होता उसका रात भर खड़ा रहेगा ,एकदम सांड बन जायेगा। और अगर कहीं पूनम की रात को खिला दो तो नसिर्फ रात भर चढ़ा रहेगा बल्कि जिंदगी भर दुम हिलाता घूमेगा।
अगली पूनम तो रक्षाबंधन की पड़ने वाली थी और मैंने तय कर लिया था उसका इस्तेमाल किसके ऊपर करुँगी।
ट्रेनिंग देने के मामले में भी ,लड़कों को कैसे पटाया जाया रिझाया जाय से लेकर असली काम कला तक।
बड़ा से बड़ा हथियार मुंह में कैसे लेकर चूस सकते हैं , भले ही वो हलक तक उतर जाय लेकिन बिना गैग हुए ,चोक हुए , और सिर्फ मुंह के अंदर लेना ही नहीं बल्कि चूसना चाटना,चूस चूस के झाड़ देना। हाँ उनकी सख्त वार्निंग थी ,पुरुष की देह से निकला कुछ भी हो उसे अंदर ही घोंटना। इससे यौवन और निखरता है।
इसी तरह से नट क्रैकर भी उन्होंने मुझे सीखाया था ,चूत में लंड को दबा दबा के सिकोड़ निचोड़ के झाड़ देने की कला। जब मरद रात भर के मैथुन से थका हो ,उससमय लड़कीको कैसे कमान अपनी हाथ में लेनी चाहिए
( और इन सब की प्रक्टिकल ट्रेनिंग भी अपने सामने करायी , उनके पति ,ऊप्स मेरा मतलब भैया थे न। और प्रैक्टिस के लिए गाँव में लौंडो की लाइन लगी थी )
र्फ कामिनी भाभी ही नहीं सभी भाभियों ने कुछ कुछ सिखाया ,चमेली भाभी और गुलबिया ने तो मुझे एकदम पक्की चूत चटोरी बना दिया ,चाहे कोई प्रौढा हो या नयी बछेड़ी ,... बस चार पांच मिनट में कैसे झाड़ देना है। और सिर्फ चूत नहीं ,पिछवाड़े का भी स्वाद लेना मुझे गुलबिया ने अच्छी तरह सिखा पढ़ा दिया था , अंदर तक जीभ डाल डाल के करोचने की कला ,...
और फिर गाँव की गारी ,एक से एक ,.. इसके पहले घर पे भाभियाँ मुझे घेर लेती थीं और शुद्ध नान वेज गारी दे दे के ,
लेकिन अब एक तो मैं ऐसी गारी का न बुरा मानूंगी बल्कि उससे भी खतरनाक खुली गारी से उनका जवाब दूंगी।
दिन भर मौज मस्ती , गाँव की हर गैल पगड़न्ड़ी मैंने देख ली थी। गन्ने के खेत हो अमराई हो ,अरहर के खेत हों ,नदी का किनारा हो , शुरू शुरू में चन्दा के साथ ,
लेकिन अब तो कभी अकेले तो कभी गुलबिया तो कभी चन्दा के साथ ,
किसी गाँव के लौंडे को मैंने मना नहीं किया जोबन दान को। एक बार तो सरपत के झुण्ड के पास एक मिला ,कई दिन से तड़प रहा था बेचारा। बस वही मेड के पास,
एक ने तो आम की टहनी पे झुका के ही एक दम खुलेआम ,एक ने बँसवाड़ी में
जब भी लौटती तो चंपा भाभी जरूर चेक करती ," आगे पीछे दोनों ओर से सडका टपक रहा है की नहीं। "
मैंने कभी उनको निराश नहीं किया। तीन चार से कम तो कभी नहीं ,
शाम को हम लोग अमराई में झूला झुलने जाते , और वहां जम के भाभियों के साथ सहेलियों के साथ मस्ती ,
कई बार जब रात का 'कुछ प्रोग्राम ' होता तो मैं भौजाइयों के साथ लौट आती वरना फिर अपनी सहेलियों के साथ 'शिकार' पे।
रात का प्रोग्राम अजय के साथ ही होता,जब होता । वैसे भी इस वाले आँगन की साइड में मैं अकेले ही सोती थी ,भाभी रोज चंपा भाभी के साथ।
ज्यादा नहीं दो दिन अजय रहा पूरी रात और एक दिन वो सुनील को भी ले आया।
जिस रोज आना था उसके पहले वाली रात को हमारे ही घर पे रतजगा हुआ ,खूब मजा आया। पहले तो सोहर फिर जम के गारी ,
रात भर पानी भी बरस रहा था कोई जा भी नहीं सकता था वापस ,
और बाद में जोड़ी बना बना के ,ननद लड़का बनती और भौजाइयां ,दुल्हन उसकी , फिर सारे आसान सब के सामने।
एक बार मेरी जोड़ी चमेली भाभी के साथ बनी तो एक बार बंसती के साथ।
चंपा भाभी ने चन्दा को खूब रगड़ा लेकिन सबसे ज्यादा मजा आया कामिनी भाभी और मेरी भाभी की जोड़ी में ,...
लेकिन सुबह होते ही पता चला की आज जाना है। मन एकदम नहीं कर रहा था लेकिन अब कालेज खुलने का टाइम हो गया था।
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