RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
कुतिया बना के ,...
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पूरा का पूरा लंड गांड में और मुझे उन्होंने निहुरा के ,
और अब जो मेरी गांड मराई शुरू हुयी बस लग रहा था , अब तक जो था वो सिर्फ ट्रेलर था।
खूब दर्द , खूब मजा।
मेरी आधी देह बिस्तर पे थी , पेट के बल. गोल गोल ,पथराई चूचियाँ बिस्तर से रगड़ती, चूतड़ हवा उठा हुआ , भैय्या के दोनों हाथ मेरे चूतड़ों को थामे , और पैर मुश्किल से जमीन छूते, हाँ भाभी ने पेट के नीचे कुशन और तकिए लगा दिए थे ढेर सारे , इसलिए चूतड़ एकदम उठे हुए , डॉगी पोज में ( मुझे रॉकी की याद आ गयी ).
एक बात और , रात में तो चारो और सन्नाटा था ,घुप्प अँधेरा था ,कमरे में मुश्किल से लालटेन को रौशनी में कुछ झिलमिल झिलमिल सा दिखता था,लेकिन इस समय तो दिन चढ़ आया था। सुनहली धूप खिड़की से हो के पूरे कमरे में पसरी थी , बाहर टटकी धुली अमराई , गन्ने और धान के खेत दिख रहे थे , धान के खेतों से रोपनी वालियों के गाने की मीठी मीठी आवाजें सुनाई दे रही थी।
लेकिन मुझे न कुछ सुनाई दे रहा था ,न दिखाई दे रहा था न महसूस हो रहा था , सिवाय मेरी कसी कच्ची किशोर गांड में जड़ तक घुसा हुआ , गांड फाडू ,भैय्या का खूब मोटा लण्ड। गांड इतनी जोर से परपरा रही थी , फटी पड़ रही थी , की बस ,...
और भैय्या को भी मेरी कसी कम उम्र वाली गांड के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा था।
डॉगी पोज में भी पूरा रगड़ते दरेरते अंदर तक जाता है।
एक बार डॉगी पोज सेट करने के बाद ,भइया ने धक्के लगाने शुरू किये और अब मेरी गांड को भी उनके लण्ड की आदत पड़ती जा रही थी। उनके हर धक्के का जवाब मैंने भी कभी धक्के से तो कभी गांड को सिकोड के कभी निचोड़ के , उनके लण्ड को दबोच के देती थी।
लेकिन दो चार मिनट के बाद कामिनी भाभी ने उन्हें पता नहीं क्या उकसाया ,
उन्होंने एक बार फिर मेरे चूतडों को हवा में जोर से उठाया , पूरे ऊपर तक , लण्ड को आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर निकाला और फिर एक धक्के में ही,... पूरा जड़ तक ,
मेरी बस जान नहीं निकली। हाँ चीख निकल गयी, बहुत जोर से , ...
" उई माँ , ओह्ह्ह आह्ह ,उईईईईई , उई माँ ,'...
यहाँ दर्द से जान निकल रही थी ,और उधर भौजी खिलखिलाते हुए मुझे चिढ़ाने में लगी थी ,
" अरे ओनके काहें याद कर रही हो ,का उन्हु क गांड मरवाने का मन है अपने भैय्या से , ले आना अगली बार , उन्हु के ओखली में धान कुटवाय दूंगी , तोहरे भैय्या से। "
चिढ़ाने में वो किसी को नहीं छोड़ती थी तो अपने सैयां को क्यों छोड़ती , उनसे बोली ,
" अरे सिर्फ बहनचोद बनने से काम नहीं चलेगा , ये तुझे मादरचोद बनाने पे तुली है बोलो है मंजूर ,मादरचोद बनना। "
भैया ने एक बार फिर अपना मोटा मूसल ऑलमोस्ट एकदम बाहर निकाला धीमे धीमे, मेरी गांड के छल्ले से रगड़ते दरेरते, और हंस के कहा ,
" एकदम , अरे जिस भोसडे से ये मस्त सोने की गुड़िया , मक्खन की पुड़िया निकली है ,वो भोसड़ा कितना मस्त होगा। उसको तो एक बार चोदना ही होगा , और मैं के बार छोड़ भी देता लेकिन तुम्हारी छुटकी ननदिया , खुद बार बार बोल रही है , तो अब तो बिना मादरचोद बने ,... "
और ये कह के उन्होंने पहली बार से भी करारा धक्का मारा। दर्द से मेरी जोर से चीख निकल गयी।
जवाब भौजी ने दिया , " अरे बिचारी कह रही है , तो सिर्फ एक बार क्यों , उस छिनार की जिसकी बुर से ये जनी है एक लण्ड से और एक बार से काम नहीं चलता। फिर सिर्फ भोसड़े से काम थोड़े ही चलेगा , हचक हचक के उसकी गांड भी कूटनी होगी। "
भैय्या के धक्कों की रफ़्तार अब बढ़ गयी थी , और साथ में वो बोल भी रहे थे , ...
" एकदम सही बोल रही है , और जब इस नयी कच्ची बछेड़ी के साथ इतना मजा मिल रहा है तो घाट घाट का पानी पी , न जाने कितने लौंडे घोंटी , उस के भोसड़े में कितना रस होगा। एक बार क्यों बार बार , ...और गांड भी ,... एक बार इस गांव में आएँगी न अपने समधियाने , तो बस अपने सारे पुराने यारों को भूल जाएंगी। "
भैय्या के इन धक्कों में दर्द के मारे जान निकल जा रही थी लेकिन एक बात और हो रही थी , न भौजी ,न भइया कोई भी न मेरी क्लिट छू रहां था , न मेरी चूंची ,
लेकिन एक अलग ढंग की मजे की लहर मेरी देह में दौड़ रही थी , मेरी चूत बार बार सिकुड़ रही थी ,अपने आप। अच्छी तरह पनिया गयी थी। बस जैसे झड़ते समय होता है ,वैसे ही , मुझे लग रहा था मैं अब गयी तब गयी ,
पिछ्वाडे भैय्या के न धक्के कम हुए न उनका जोर। दर्द ,छरछराहट भी वैसी ही थी , लेकिन अब अच्छा लग रहा था , मन कर रहा था और जोर से , और जोर से ,...
ये बात चंपा भाभी ने भी बोली थी और बसंती ने भी , गांड मरवाने का असली मजा तो दर्द में है ,जिस दिन उस दर्द का मजा लेना आ जाएगा , न खुद गांड मरवाने के लिए पीछे पीछे दौडोगी।
भैय्या ने लण्ड बाहर निकाला , लेकिन अबकी अंदर नहीं घुसेड़ा ,रुक गए।
मैंने मुड़ के देखा , भौजी उनके कान में ,और वो भी एकदम जोरू के गुलाम , मुस्करा के हामी भर रहे थे ,
डाला उन्होंने , लेकिन अबकी खूब धीमे धीमे , मेरे दोनों पैरों को उन्होंने अपने पैरों के बीच डालकर जोर से सिकोड़ लिया और अब मेरी गांड और भिंच गयी। और आधा लण्ड घुसेड़ के वो रुक गए ,
फिर एक हाथ से अपने खूंटे के बेस को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया , पहले धीमे धीमे , फिर जोर जोर चार पांच बार क्लाक वाइज , फिर एंटी क्लाक वाइज ,...
चार पांच मिनट के बाद , मेरे पेट में जो घुडमुड शुरू हो गयी और कुछ देर में तो जैसे तूफान , मैंने इशारे से भाभी को बुलाया और अपनी हालत बतायी , बोला भी ,
" बस दो मिनट ,पेट में गड़बड़ हो रहा ,भइया से बोलो न रुक जाए। "
" धत्त ,ऐसे समय कोई मरद रुकता है क्या , घबड़ा मत तेरी गांड में इतनी जोर की डॉट लगी है इतनी मोटी ,एक बूँद भी बाहर नहीं आएगा। न तेरा मक्खन न उनकी मलाई। "
उन्होंने शायद भैया से बोला और उन्होंने फिर गोल गोल घुमाना रोक के मुझे फिर से रगड़ रगड़ रगड़ के गांड मारना शुरू कर दिया।
मेरी देह बिस्तर से रगड़ रही थी मैं एकदम झड़ने के करीब थी।
बीच बीच में वो रोक के जैसे कोई मथानी से माखन मथे ,उसी तरह से अपने हाथ से पकड़ के मेरी गांड में ,
मेरी हालत ख़राब थी , मैं भी उनका लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी।
और कुछ देर में मेरी चूत को बिना कुछ किये मैं झड़ने लगी , खूब जोर जोर से , इतना तो मैं चुदते समय भी नहीं झड़ती थी।
देह काँप रही थी ,जोर जोर से बोल रही थी , हाँ भैय्या हाँ मार लो मेरी चोद दो मेरी , मार लो गांड ,... हो हो उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
मैं पलग पर ढेर हो गयी , साथ में मेरी गांड भी जोर जोर से लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी और उसका असर उन पर भी पड़ा , दो चार धक्के पूरी ताकत से मार के , वो झड़ने लगे। खूंटा एकदम अंदर तक धंसा था।
देर तक हम दोनों साथ साथ झड़ रहे थे।
दो कटोरी मलाई उन्होंने मेरी गांड में तो छोड़ी ही होगी , वो मेरे ऊपर लेटे रहे और मैं बिस्तर पर पेट के बल।
….
मैं कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर पड़ गयी ,
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