RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
लेकिन तीन स्टेज होती है इसमें , ... " उन्होंने ट्रिक का पिटारा खोला।
मैं कान पारे सुन रही थी लेकिन तीन स्टेज वाली बात समझ में नहीं आई , और मैंने पूछ लिया। कामिनी भाभी ने खुल के समझा भी दिया।
" देखो पहली स्टेज है सेलेक्ट करो ,दूसरी स्टेज है चेक वेक करो ,काम लायक है की नहीं और तीसरी स्टेज है , सटासट गपागप।
लेकिन जिस दिन से चारा डालना शुरू करो न , उसके दो तीन हफ्ते के अंदर घोंट लो , वरना वो समझेगा की सिर्फ टरका रही है और बाकी लड़कों में भी ये बात फ़ैल जायेगी। और एक बार जहाँ तुमने दो चार को चखा दिया न फिर तो एकदम से मार्केट बढ़ जायेगी तेरी। लेकिन जिसको सेलेक्ट न करो उसको भी इग्नोर मत करो , जवाब तो दो ही। शुरू में १० -१२ में से सात आठ को चारा डालना शुरू करो ,सात आठ से शुरू करोगी न तो चार पांच से काम होगा , क्योकि कई लड़के तो बातों के बीर होते हैं ,नैन मटक्का से आगे नहीं बढ़ते। हाँ सेलेक्ट करते समय ये जरूर देखना की उसकी बाड़ी वाडी कैसी है , ताकत कितनी होगी। "
मैं ध्यान लगा के सुन रही थी और कामिनी भाभी ने एक नया चैपटर खोला ,
" इन छैलों के अलावा अरे यार तेरी सहेलियों के भाई वाई भी तो होंगे ,उनके यहाँ आने जाने में , मिलने में भी कोई रोक टोक नहीं होगी। "
भाभी की बात एकदम सही थी , पांच छ तो मेरी पक्की सहेलियां था जो अपने सगे भाई से फंसी थी और हर रात बिना नागा कबड्डी खेलती थी , उससे भी बढ़कर अगले दिन आके सब हाल खुलासा सुना के मुझे जलाती थीं। और कजिन तो पूछना नहीं , आधी क्लास की लड़कियां अपने ममेरे ,फुफेरे ,चचेरे कजिन्स से ,...
" एक बार थोड़ा सा लिफ्ट दे दोगी न तो फिर वो सीधे बात वात करने के चक्कर में ,चिट्ठी का चक्कर चालू हो जाएगा। बस जिस को सेलेक्ट करोगी न उसी से , लेकिन कभी भी जब वो चिट्ठी दे तो लेने से मना मत करो , हाँ पहली चिट्ठी का जवाब मत देना। तड़पने देना और दूसरी चिट्ठी का बहुत छोटा सा लेकिन कभी भी चिट्ठी में नाम मत लिखना न उसका न अपना और राइटिंग बिगाड़ के लिखना। और मिलने के लिए चेक वेक करने के लिए पिक्चर हाल से बढ़िया कुछ नहीं , हाँ सबसे पहले तेरे हाथ पे हाथ रखेगा वो तो अपना हाथ हटा लेना। लेकिन दूसरी बार अगर दुबारा हाथ रखे तो मत हाथ हटाना। हाँ अगर किस्सी विस्सी ले तो मना कर देना , लेकिन उभार पे तो हाथ रखेगा ही। और दूसरी बार में तो वो नाप जोख किये बिना मानेगा नहीं। अगर अपना हाथ पकड़ के अपने औजार पे रखवाए तो थोड़ा बहुत नखडा कर के मान जाना , तो तुमको भी अंदाज लग जाएगा की पतंग की डोर आगे बढ़ाओ की नहीं। और अगर तुझे पसंद आगया तो फिर तो हफ्ते के अंदर ठुकवा लेना। "
कामिनी भाभी की बातों में बहुत दम था ,अब गांव से कुछ दिन बाद लौट के जब घर पहुँचूंगी तो कुछ तो करना होगा। वरना ,फिर वही पहले जैसा , मेरा सहेलियाँ मजे लूटेंगी , मुझे आके जलाएंगी और मैं वैसे की वैसी। यहाँ तो कोई दिन नागा नहीं जाता , और वहां फिर वही ,...
" अरे मेरी ननद रानी ,अब मायके लौटो न तो खूब खुल के ये जोबन दबवाओ मिजवाओ ,लौंडन को ललचाओ। जो तेल और क्रीम दे रही हूँ न ,बस उ लगा के जाना ,एकदम टनाटन रहेगा। कितनो रगड़वाओगी , वैसे ही कड़ा रहेगा। " मेरे उभार कस के दबाती मुस्कराती कामिनी भाभी ने समझाया।
मेरी मुस्कान ने उनकी बात में हामी भरी।
दूसरा हाथ मेरी जाँघों के बीच साडी के ऊपर से चुनमुनिया को रगड़ रहा था। वो फिर बोलीं , " अरे गपागप चुदवाओ न , मैं अइसन गोली दूंगी , खाली महीने में एक बार खाना होगा , जब महीना खतम हो उसी दिन फिर अगले महीने तक छुट्टी। कुल मलाई सीधे बच्चेदानी में लिलोगी न तब भी कुछ नहीं होगा। और एक बात और , चोदना खाली लौंडन का काम नहीं है। हमार असली ननद तब होगी जब खुद पटक के लौंडन को चोद दोगी ,"
अब मैं बोली , " एकदम भाभी आपकी असली ननद हूँ ,जब अगली बार आउंगी तो देखियेगा ,बताउंगी सब किस्सा। "
लेकिन इस बीच गडबड हो गयी।
खाना तो कब का खत्म हो गया था।
चम्पा भाभी बसंती ने कामिनी भाभी के पति का जो हाल बयान किया था , मेरा मन बहुत कर रहा था ,लेकिन अभी तो वो थे ही नहीं। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पूछ लिया ,
" भाभी आपके वो कब आएंगे। "
अब भाभी अलफ़। सारी दोस्ती मस्ती एक मिनट में खत्म। उनका चेहरा तमक गया।
मैं घबड़ा गयी ,क्या गलती हो गयी मुझसे।
" तुम मुझे क्या बोलती हो। " बहुत ठंडी आवाज में उन्होंने पूछा।
" भाभी ,आपको भाभी बोलती हूँ। " मैंने सहम के जवाब दिया।
" और मेरे 'वो ' क्या लगे तुम्हारे ," फिर उन्होंने पूछा।
अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया , और सुधारने का मौका भी मिल गया।
दोनों कान पकड़ के बोली ," गलती हो गयी भाभी ,भैया हैं मेरे , और आगे से आपको मैं भौजी बोलूंगी उनको भैया। "
सारा गुस्सा कामिनी भाभी का कपूर की तरह उड़ गया। उन्होंने मुझे कस के बाँहों में भींच लिया और अपने बड़े बड़े उभारों से मेरी कच्ची अमिया दबाती मसलती बोलीं ,
" एकदम ,तू हमार सच्च में असल ननद हो। "
फिर उन्होंने पूरा किस्सा बताया। जब वो शादी हो के आयीं तो पता चला की उनकी कोई ननद नही है , सगी नहीं है ये तो पता ही था लेकिन कोई चचेरी ,ममेरी ,मौसेरी ,फुफेरी बहन भी नहीं है उनके पति के उन्हें तब पता चला। गाँव के रिश्ते से थी लेकिन असल रिश्ते वाली एकदम नहीं थी और आज उन्होंने मुझे अपनी वो 'मिसिंग ननद ' बना लिया था.
" एकदम भौजी ओहमें कौनो शक ," उनके मीठे मीठे मालपूआ ऐसे गाल पे कचकचा के चुम्मा लेते मैंने बोला।
" डरोगी तो नहीं " मेरी चुन्मुनिया रगड़ते उन्होंने पूछा।
" अगर डर गयी भौजी तो आपकी ननद नहीं " जवाब में उनकी चूंची मैंने कस के मसल दी।
" मैंने तय किया था की मेरी जो असल ननद होगी न उसे भाईचोद बनाउंगी और उनको पक्का बहनचोद ,लेकिन कोई ननद थी नहीं। " मुस्कराते वो बोलीं।
" नहीं रही होगी लेकिन अब तो है न " उनकी आँखों में आँखे डाल के मैंने बोला , और जवाब में मेरी साड़ी खोल के गचाक से एक ऊँगली उन्होंने मेरी कसी चूत में पेल दी।
" लेकिन भैया तो हैं नहीं " मैंने बोला , लेकिन मेरी बात का जवाब बिना दिए भाभी रसोई में वापस चली गयीं।
हम दोनों बेड रूम में बिस्तर पर बैठे थे।
जब वो लौटीं तो उनके हाथ में बड़ा सा ग्लास था।
भौजी के हाथ में बखीर थी। और वो भी मुझे तब चला जब एक कौर मेरे मुंह में चला गया।
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