RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
कामिनी भाभी
पांच मिनट बाद मैं साडी बस कमर में लपेट के रसोई में पहुंची।
कामिनी भाभी आटा गूंथ चुकी थी और रोटी बनाने की तैयारी कर रही थी ,
" भाभी लाइए मैं बेला देती हूँ। " मैंने हेल्प करने के लिए बोला।
" क्यों आगया बेलन पकड़ना " मुस्करा कर द्विअर्थी डायलॉग भाभी ने बोला।
मैं क्यों पीछे रहती ,मैंने भी उसी तरह जवाब दिया ,
" पहले नहीं आता था लेकिन अब यहाँ आकर सीख गयी हूँ। और कुछ कमी बेसी रही गयी हो तो वो आप सिखा दीजियेगा न , आखिर भाभी हैं प्यारी प्यारी मेरी। " भोली बनकर ,अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे गोल गोल नचाते हुए मैंने भी उसी तरह जवाब दिया।
" एकदम ,अच्छी तरह ट्रेन करके भेजूंगी। लम्बा ,मोटा कुछ भी पकड़ने में कोई परेसानी नहीं आएगी मेरी प्यारी बिन्नो को। " भाभी मुस्करा के बोलीं।
एक सवाल जो मेरे मन में उमड़ घुमड़ रहा था उसका जवाब भाभी ने बिना पूछे दे दिया।
" जानती है तेरे इस जुबना पे गाँव के सिर्फ लौंडे ही नहीं , मर्द भी मरते हैं। ( मुझे मालूम था ,इन मरदों में कामिनी भाभी के वो भी शामिल हैं। ) और अपनी समौरिया में तेरे ये गद्दर जोबन २० नहीं २२ होंगे। " रोटी सेंकते भाभी बोलीं।
बात भाभी की एकदम सही थी मेरी क्लास में कई के तो अभी ठीक से उभार आये भी नहीं थे , ढूंढते रह जाओगे टाइप ,बस।
" लेकिन मैं चाहती हूँ मेरी ननदिया के २५ हों , जब शहर में लौटे तो बस आग लगा दें , जुबना से गोली मारे , बरछी कटार बन के तोहरे जोबन लौंडन के सीने में साइज ,कप साइज सब बढ़ जायेगी। " वो आगे बोलीं।
" किस काम का भाभी , स्कूल में ऐसे दुपट्टा लेना पड़ता है तीन परत की , और घुसते ही टीचर चेक करती हैं , " मैंने बुरा सा मुंह बना के अपनी परेशानी बतायी।
कामिनी भाभी जोर से खिलकिलायीं , फिर मेरे कड़े खड़े निपल्स के कान जोर से उमेठ के बोलीं ,
" अरे हमार छिनार ननदो , तोहार जोबन तो हम अस कय देब न की लोहे क चादर फाड़ के लौंडन के सीने में छेद करेगी। ई दुपट्टा कौन चीज है। अरे दुपट्टे का तो फायदा उठाया जाता है इस उम्र में। "
फिर अपने आँचल को दुपट्टा बना के वो मुझे सिखाने में जुट गयीं , और उसे कस के अपनी गर्दन के चारों ओर लिपटा चिपका के बोलीं ,
" देख जोबन का जलवा दिख रहा है न पूरा। लौंडन का फायदा होगा और तुम्हारे साथ की लड़कियां जल के राख हो जाएंगी। "
मेरे सवाल को अच्छी तरह समझ के बिना मेरे पूछे उन्होंने जवाब दिया , " अरे छैले सब कहाँ मिलते होंगे, तुम्हारी गली के बाहर , स्कूल के सामने छुट्टी के टाइम , बाजार में , है न ?
भाभी की बात सोलहो आने सही थी , जैसे हम लोगों की छुट्टी होती थी , स्कूल के गेट के बाहर ही ८-१० भौंरे बाहर मंडराते रहते थे , और किसी दिन १-२ भी कम हो गए तो बड़ा सूना लगता था। और हम भी आपस में फुसफुसा के कहती थीं ,ये तेरा वाला है , ये तेरा वाला है। कई तो जब मैं स्कूल रिक्शे से किसी सहेली के साथ जाती थी तो साइकिल से स्कूल तक , और शाम को वापसी में भी ,...
" बस , तो स्कूल में टीचर का राज चलेगा न , जैसे ही बाहर निकलो उस समय बस दुपट्टा गले पे और उभार बाहर। जाते समय भी घर से बाहर निकलने के बाद , दुपट्टा उस तरह से ले लो जिसमें तेरा भी फायदा हो और लौंडन का भी , स्कूल में घुसने के पहले जैसे टीचर कहती है वैसे कर लो। "
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी। भाभी की ट्रिक तो बहोत अच्छी थी।
" अरे ऐसे मस्त जोबन आने का फायदा क्या जब तक दो चार लौंडन रोज बेहोश न हों। " कामिनी भाभी भी मेरी खिलखिलाहट में शामिल होती बोलीं।
फिर उन्होंने दुपट्टा लेने की दसों ट्रिक सिखाई , लेकिन सबका सारांश यही था की थोड़ा छिपाओ , ज्यादा दिखाओ। अगर कभी मजबूरन पूरी तरह से लेना भी पड़ गया तो बस ऐसे रखो की साइड से पूरा कटाव ,उभार , कड़ापन दिखाई दे। कभी पार्टी में ,शादी में जाओ तो बस एक कंधे पे , जिससे एक जोबन तो पूरी तरह दिखे और दूसरा भी आधा तीहा। कपड़ा भी दुपट्टे का झीना झीना हो जिससे जहाँ पूरा डालना भी पड़े , तो अंदर से झलक तो बिचारों को दिखे। "
मैं बहुत ध्यान से सुन रही थी। असली गुरुआइन मुझे अब मिली थी।
" और टॉप खरीदो या कुरता या सिलवाओ , नीचे से और साइड से एकदम टाइट हों , जिससे उभारों का कटाव ,साइज और कड़ापन एकदम साफ़ साफ़ दिखे , हाँ और ऊपर से थोड़ा ढीला हो , तो जैसे ही थोड़ा सा भी झुकोगी न ,पूरा क्लीवेज ,गोलाइयाँ सब नजर आजाएंगी और सामने वाले की हालत ख़राब। "
भाभी की बात एकदम सही थी।
गाँव में पहले ही दिन ,मेले में ये बात सीख ली थी ,चंदा और पूरबी से। बस दूकान पे ज़रा सा झुक के मैं अपने जोबन दर्शन कराती थी , और चंदा और पूरबी फ़ीस वसूल लेती थीं। उस के बात तो मैं पक्की हो गयी थी।
|