Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 02:08 PM,
#62
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
बारिश में सटासट सटासट गपागप गपागप 


पांच मिनट में हम दोनों बाहर थे , उस मोटे पाकड़ के तने के पीछे ,ठीक बँसवाड़ी के बीच जहाँ दिन में ढूंढने पे भी आदमी न मिले। और इस समय तो घुप्प अँधेरा था , और हाँ वो मुझे अपनी गोद में उठा के ले आया था। 

तगड़ा प्रेमी होने का कुछ तो फायदा हो ,लेकिन उसके तगड़े होने सबूत और मिल गया मुझे जब उसने निहुरा दिया ,

कुतिया की तरह उस पाकड़ के पेड़ के मोटे तने को पकड़ के ,और एक झटके में अंदर। 

दो बार की मलाई पूरी अंदर थी। 

बारिश की बूंदे , आम के पेड़ों से टपकती पानी की धार मुझे भिगो रही थी और ऊपर से अजय की शरारतें ,

इस बार उस ज़ालिम ने हद कर दी , बिना मेरे दर्द की परवाह किये , एक बार में पूरा मूसल पेल दिया जड़ तक ,

उस सन्नाटे में मेरी चीख निकल गयी , लेकिन मेरे बलमाको कोई परवाह नहीं थी। 

मैं कुतिया की तरह , झुकी हुयी , दोनों हाथ मेरे पेड़ के तने पे ,

और उस के दोनों हाथ मेरी चूंचियों को दबाते हुए ऐसे जोर जोर से निचोड़ रहे थे की क्या कोई जूस स्टाल वाला नारंगी निचोड़ेगा। 

गपागप गपागप , सटासट सटासट ,

वो पेल रहा था मैं लील रही थी , खुले आसमान के नीचे ,खुले मैदान में.


बारिश एक बार फिर तेज हो गयी , सावन की छोटी छोटी बूंदे ,तेज धार में बदल गयी थी ,आसमान में फिर बिजली चमकने लगी थी.


लेकिन उस बेरहम पे कोई फरक नहीं पड़ने वाला था , बल्कि उसकी चुदाई की रफ्तार और बढ़ गयी। 

जो मुझे चंदा और बसंती ने बताया सिखाया था , अगर मरद दो बार झड़ चुका है और फिर चोद रहा है ,

तो समझ लो चूत के चिथड़े उड़ेंगे ,और वो वही कर रहा था ,धकापेल चुदाई। 


जोर जोर से उसके धक्कों की थाप मेरे भारी भारी चूतड़ों पर पड़ रही थी,

झुक झुक के मेरे मीठे मालपूआ ऐसे गालों को वो बेशरम कचाक कचाक काट रहा था। 



घूस गइल , धंस गइल ,अंडस गइल हो ,


लेकिन उसे कोई फरक पड़ने वाला था क्या , इतनी जोर जोर से वो बेरहम पेल रहा था ठेल रहा था , मेरी कसी कच्ची चूत को फैलाते,चौड़ा करते ,.... इत्ते जोर से मेरी छरछरा रही थी , लेकिन अब चुदवाने के अलावा कोई रास्ता भी था क्या। 

एक पल के लिए उसने चूंची पर से एक हाथ उठाया तो मैंने गहरी सांस ली लेकिन मुझे क्या पता की अब क्या होने वाला था ,

उसने उस हाथ से अपना मोटा बांस ऐसा लंड जो अभी भी ३/४ करीब ६ इंच से ज्यादा मेरी चूत में घुसा था पकड़ लिया और लगा गोल गोल घुमाने।

चूत की अंदरुनी दीवालों को रगड़ता अब वो सीधे मेरी जान लेने पे तुला था और उस सन्नाटे में कौन सुनता मेरी सिसकियों और चीखों को ,

और जो सुन रहा था वो तो बस हचक हचक कर चोदने में जुटा था। 

मैं सोच रही थी , चल गुड्डी आज तुझे असली गाँव की चुदाई का मजा मिल रहा है। 

जोर से उसने निपल पिंच किया और गाली एक के बाद एक , गलती मेरी थी जब वो हाथ से पकड़ के गोल गोल अपना मोटा लंड चूत में घुमा रहा था , मेरी मुंह से दर्द के मारे निकल गया ,

उईइइइइइइइइइइ माँ

बस ,

“तेरी माँ की , न जाने कितने भंडुवों से चुदवा के उसने तेरा जैसे गरम माल अपने भोसड़े से निकाला , उसका भोसड़ा मारूं ,मादरचोद "

और मेरी हिम्मत नहीं हुयी की कुछ बोलूं क्यों की उसी के साथ , उसने सुपाड़े तक लंड बाहर निकाल के एक धक्के में , … इत्ते जोर से मेरी बच्चेदानी पे लगा की मेरी चीख निकल गयी और उसके बाद फिर उसकी गालियां ,

"तेरे सारे मायकेवालों की चूत मारूं, गांड मारूं अब तक कहाँ छिपा के रखी थी ऐसी मस्त छिनार चूत, साल्ली।

और फिर , 

धक्के पर धक्के और साथ में , गालियों की झड़ी,

" गदहे की जनी, जनम की चुदक्क्ड़ , तेरी सारी चुदवास मिट जायेगी , ऐसी चुदेगी हमारे गाँव में न गिनती भूल जायेगी ,कितने लंड घुसे ,कितने निकले ,दिन रात सड़का टपकता रहेगा , किसी को मना किया न तेरी माँ बहन सब चोद दूंगा . 

… 

" मादरचोद ,तेरी माँ का भोंसड़ा मारूं क्या मस्त माल पैदा किया है हमारे गाँव वालों के लिए , … "

"तूने खुद बोला है छिनार की जनी कम से कम २० से चुदेगी, इस गाँव में. अगर एक भी कम हुआ न तो मुट्ठी पेल दूंगा और जैसे कुतिया बनी है न वैसे ही कुतिया बना के गाँव के जितने,देसी … "


अब मुझे लगा की वो चंपा भाभी का पक्का देवर है यही वार्निंग ठीक मुझे चंपा भाभी ने दी थी , " अगर छिनरो ,गाँव का कौनो मरद बचा न त जाने से पहले तोहरी बुरिया में , ई मुट्ठी पूरा पेल दूंगी सोच लो ,लंड खाना है या मुट्ठी। "

आज उसकी गालियां बहुत प्यारी लग रही थीं ,

कई बार रिश्ते ऐसे हो जाते हैं की कोई बिना गाली के बात करे तो गाली लगता है। 

पता नहीं कब तक , जैसे धुंआधार पानी बरस रहा था , वैसे उसकी चुदाई। 

मुझे बस इतना याद है की जब वो झडा तो पानी की झड़ी एक बार फिर कम हो गयी थी। 

मैं चल नहीं पा रही थी ,वो एक बार फिर मुझे गोद में उठा के कमरे में ले आया शायद साढ़े तीन बजा था। 
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RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 02:08 PM

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