Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 01:43 PM,
#15
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
सोलहवां सावन 

अब तक 




पर मैं मस्ती में बोले जा रही थी- “ओह अजय प्लीज हां ऐसे ही… नहीं बस जरा देर रुक जाओ… ओह हां… रुको नहीं बस ऐसे करते रहो बड़ा अच्छा… ओह… दर्द हो रहा है… प्लीज…” 
कभी उसके हाथ मेरी चूचियों को मसलते, कभी क्लिट को छेड़ते, मेरी दोनों टांगें उसके कंधों पर थी और वह कभी मेरी दोनों चूचियों को पकड़कर, कभी कमर को पकड़कर और कभी मेरे चूतड़ों को पकड़कर कस-कस के धक्के लगाये जा रहा था। 
बारिश फिर तेजी से चालू हो गयी थी, और पानी उसके शरीर से होकर मेरे ऊपर गिर रहा था, तेज धार मेरे कड़े जोबनों पर सीधे पड़ रही थी। 
मस्ती से मैं अपने चूतड़ों को उठा-उठाकर मजे ले रही थी और थोड़ी देर में, मैं झड़ गयी। पर अजय की चुदाई की रफ्तार में कोई कमी नहीं आयी। मैं झड़ती रही और वह दुगुने जोश से चोदता रहा। मेरे झड़ चुकने के बाद वह रुका पर उसके होंठों और उंगलियों ने मेरे निपल को चूस-चूसकर, मेरी चूचियों को रगड़-रगड़कर और मेरे क्लिट को छेड़-छेड़ कर मेरी देह में ऐसी आग लगायी की थोड़ी ही देर में मैं फिर अपने चूतड़ उचकाने लगी। और अब अजय ने जो चोदना शुरू किया तो फिर उसने रुकने का नाम नहीं लिया। मेरी कमर को पकड़कर वह लण्ड लगभग पूरा बाहर निकालता और फिर अंदर ढकेल देता, जब उसका लण्ड मेरी चूत को फैलाता, कसकर रगड़ता, अंदर घुसता, मैं बता नहीं सकती कैसा मजा मिल रहा था। 
मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और- “हां अजय… अजय… हां रुको नहीं… बस चोदते रहो… और बहुत अच्छा लगा रहा है… ओह…” 



थोड़ी देर के बाद जब मैं झड़ी तो उसके थोड़ी देर बाद अजय भी झड़ गया, लेकिन वह झड़ता रहा… झड़ता रहा देर तक… बाहर सावन बरस रहा रहा और अंदर मेरा सोलहवां सावन। 






आगे 



प्यासी धरती की तरह मैं सोखती रही और जब अजय ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया तो भी मैं वैसे ही पड़ी रही। अजय ने मुझे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया। मैंने झुक कर अपनी जांघों के बीच देखा, मेरी चूत अजय के वीर्य से लथपथ थी और अभी भी मेरी चूत से वीर्य की सफेद धार, मेरी गोरी जांघ पर निकल रही थी। 


पर तभी मैंने देखा- 

“ओह… ये खून खून कहां से… मेरा खून…” 


अजय ने मेरा गाल चूमते हुए, मेरा ब्लाउज उठाया और उसीसे मेरी जांघ के बीच लगा वीर्य और खून पोंछते हुए बोला-


“अरे रानी पहली बार चुदोगी तो बुर तो फटेगी ही… और बुर फटेगी तो दर्द भी होगा और खून भी निकलेगा, लेकिन अब आगे से सिर्फ मजा मिलेगा…” 


अजय का लण्ड अभी भी थोड़ा खड़ा था। उसे पकड़कर अपनी मुट्ठी में लेते हुए, मैं बोली- 


“सब इसी की करतूत है… मजे के लिये मेरी कुवांरी चूत फाड़ दी… और खून निकाला सो अलग… और फिर इतना मोटा लंबा पहली बार में ही पूरा अंदर डालना जरूरी था क्या…”


अजय मेरा गाल काटता बोला- 

“अरे रानी मजा भी तो इसी ने दिया है… और आगे के लिये मजे का रास्ता भी साफ किया है… लेकिन आपकी ये बात गलत है की॰ जब तुम्हें दर्द ज्यादा होने लगा तो मैंने सिर्फ आधे लण्ड से चोदा…” 

बनावटी गुस्से में उसके लण्ड को कस के आगे पीछे करती, मैं बोली- 

“आधे से क्यों… अजय ये तुम्हारी बेईमानी है… इसने मुझे इत्ता मजा दिया, जिंदगी में पहली बार और तुमने… और दर्द… क्या… आगे से मैं चाहे जितना चिल्लाऊँ, चीखूं, चूतड़ पटकूं, चाहे दर्द से बेहोश हो जाऊँ, पर बिना पूरा डाले तुम मुझे… छोड़ना मत, मुझे ये पूरा चाहिये…” 

अजय भी अब मेरी चूत में कस-कस के ऊँगली कर रहा था-

“ठीक है रानी अभी लो मेरी जान अभी तुम्हें पूरे लण्ड का मजा देता हूं, चाहे तुम जित्ता चूतड़ पटको…” 


मैंने मुँह बनाया- 

“मेरा मतलब यह नहीं था और अभी तो… तुम कर चुके हो… अगली बार… अभी-अभी तो किया है…” लेकिन अजय ने अबकी मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे झूले पे इस तरह लिटाया की सारे कपड़े मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिये और अब मेरे चूतड़ अच्छी तरह उठे हुए थे। वह भी अब झूले पर ही मेरी फैली हुई टांगों के बीच आ गया 


और अपने मोटे मूसल जैसे लण्ड को दिखाते हुए बोला- 

“अभी का क्या मतलब… अरे ये फिर से तैयार है अभी तुम्हारी इस चूत को कैसा मजा देता है, असली मजा तो अबकी ही आयेगा…

” वह अपना सुपाड़ा मेरी चूत के मुँह पर रगड़ रहा था और उसके हाथ मेरी चूचियां मसल रहे थे। वह अपना मोटा, पहाड़ी आलू ऐसा मोटा, कड़ा सुपाड़ा मेरी क्लिट पर रगड़ता रहा।

और जब मैं नशे से पागल होकर चिल्लाने लगी- 

“अजय प्लीज… डाल दो ना… नहीं रहा जा रहा… ओह… ओह… करो ना… क्यों तड़पाते हो…” तो अजय ने एक ही धक्के में पूरा सुपाड़ा मेरी चूत में पेल दिया। 

उह्ह्ह्ह, मेरे पूरे शरीर में दर्द की एक लहर दौड़ गयी, पर अबकी वो रुकने वाला नहीं था। मेरी पतली कमर पकड़ के उसने दूसरा धक्का दिया। मेरी चूत को फाड़ता, उसकी भीतरी दीवाल को रगड़ता, आधा लण्ड मेरी कसी किशोर चूत में घुस गया। दर्द तो बहुत हो रहा था पर मजा भी बहुत आ रहा था। वह कभी मुझे चूमता, मेरी रसीली चूचियों को चूसता, कभी उन्हें कस के दबा देता, कभी मेरी क्लिट सहला देता, पर उसके धक्के लगातार जारी थे। 

मैंने भी भाभी के सिखाने के मुताबिक अपनी टांगों को पूरी तरह फैला रखा था। 

उसके धक्कों के साथ मेरी पायल में लगे घुंघरू बज रहे थे और साथ में सुर मिलाती सावन की झरती बूंदे, मेरे और उसके देह पर और इस सबके बीच मेरी सिसकियां, उसके मजबूत धक्कों की आवाज… बस मन कर रहा था कि वह चोदता ही रहे… चोदता ही रहे।


कुछ देर में ही उसका पूरा लण्ड मेरी रसीली चूत में समा गया था और अब उसके लण्ड का बेस मेरी चूत से क्लिट से रगड़ खा रहा था। 

नीचे कपड़े रखकर जो उसने मेरे चूतड़ उभार रखे थे। एकदम नया मजा मिल रहा था। थोड़ी देर में जैसे बरसात में, प्यासी धरती के ऊपर बादल छा जाते हैं वह मेरे ऊपर छा गया। अब उसका पूरा शरीर मेरी देह को दबाये हुए था और मैंने भी अपनी टांगें उसकी पीठ पर कर कस के जकड़ लिया था। 

कुछ उसके धक्कों का असर, कुछ सावन की धीरे-धीरे बहती मस्त हवा… झूला हल्के-हल्के चल रहा था। मुझे दबाये हुए ही उसने अब धक्के लगाने शुरू कर दिये और मैं भी नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर उसका जवाब दे रही थी। 


मेरे जोबन उसके चौड़े सीने के नीचे दबे हुए थे। वह पोज बदल-बदल कर, कभी मेरे कंधों को पकड़कर, कभी चूचियों को, तो कभी चूतड़ों को पकड़कर लगातार धक्के लगा रहा था, चोद रहा था, न सावन की झड़ी रुक रही थी, न मेरे साजन की चुदाई… और यह चलता रहा। 


मैं एक बार… दो बार… पता नहीं कितनी बार झड़ी… मैं एकदम लथपथ हो गयी थी। तब बहुत देर बाद अजय झड़ा और बहुत देर तक मैं अपनी चूत की गहराईयों में उसके वीर्य को महसूस कर रही थी। उसका वीर्य मेरी चूत से निकलकर मेरी जांघों पर भी गिरता रहा। कुछ देर बाद अजय ने मुझे सहारा देकर झूले पर से उठाया। मैंने किसी तरह से साड़ी पहनी, पहनी क्या बस देह पर लपेट ली। 


घर के पास पहुँचकर अजय ने एक बार फिर मुझे अपनी बाहों में भरकर पूछा- “अब कब मिलेगा…” 

चारों ओर सन्नाटा था। मैंने भी हिम्मत से उसके होंठों को चूमकर कहा- “जब चाहो…” और घर की ओर भाग गयी। 

बसंती ने पीछे की खिड़की खोली, वह गहरी नींद में थी और भाभी, अभी रतजगे से आयी नहीं थी। मैं जल्दी से अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी। अभी भी मेरी चूत में अजय का वीर्य था, और जोबन को उसके दबाने का रसभरा दर्द महसूस हो रहा था। उसकी बात सोचते-सोचते मैं सो गयी।
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RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 01:43 PM

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