RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
कोमल के किचन में जाते ही रेहान बोला.
रेहान-भाभी आओ आप यहाँ बैठो ना आराम से ये छिपकलि लेकर आएगी खाना हमारे लिए.
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए धीरे-2 डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ गयी.
रेहान ने अपनी साथ वाली चेयर की तरफ इशारा करते हुए कहा.
रेहान-यहाँ बैठो ना भाभी.
मैं उसके साथ वाली कुर्सी पे बैठ गई.
करण अभी रूम में ही थे शायद नहा कर रेडी हो रहे थे. पापा भी अभी तक रूम से निकले नही थे और मम्मी जी और कोमल किचन में थी. डाइनिंग टेबल पे सिर्फ़ मैं और रेहान ही बैठे थे मुझे थोड़ी घबराहट सी हो रही थी बट मैं अपने चेहरे को नॉर्मल किए उसके पास बैठी थी.
हम दोनो के बीच की खामोशी को तोड़ते हुए रेहान बोला.
रेहान-वैसे भाभी एक बात कहूँ.
मे-ह्म्म्म.
रेहान-आप हो बहुत खूबसूरत मेरे फटीचर भैया के साथ कैसे पट गई आप.
मे-तुम्हे किसने कहा तुम्हारे भैया फटीचर हैं.
रेहान-उनकी हरकतें चीख चीख कर तो बताती हैं.
मे-अच्छा मुझे तो कभी सुनाई नही दी.
रेहान-आप उनके प्यार में अंधी के साथ-2 बहरी जो हो गई थी.
मे-ओह अच्छा जी तो जनाब को बातें बहुत आती हैं. मैने भी उसके साथ थोड़ा फ्रॅंक होते हुए कहा.
रेहान-अरे भाभी ऐसी बात नही है सच बोलू तो आप जैसी सुंदर लड़कियाँ मेरे जैसे हॅंडसम लड़को के लिए बनी होती हैं.
मैं कुछ बोलती उस से पहले ही कोमल जो कि ब्रेकफास्ट का समान रखने हमारे पास आई थी बोली.
कोमल-हॅंडसम और तुम. शकल देखी है जैसे किसी ने आम चूस कर फेंका हो.
रेहान-ओये छिपकलि मेडम अपनी वेटर गिरी से काम रखो समझी इधर देवर और भाभी की सीक्रेट बातें हो रही है समझी.
कोमल-कोई ना बच्चू तुम्हे तब बताउन्गी जब दीदी-2 करता मेरे पीछे फिर रहा होता है 'दीदी प्लीज़ मेरी असाइनमेंट बना दो ना'
रेहान-जा-जा अब भाभी आ गई हैं मैं इनकी हेल्प ले लूँगा अगर ज़रूरत पड़ी तो.
उन दोनो की बहस को आख़िरकार मैने रोकते हुए कहा.
मे-कोमल चलो तुम किचन में जाओ और रेहान प्लीज़ चुप हो जाओ तुम भी.
रेहान-अरे भाभी टेंशिोन नोट. इसके साथ तो मेरा ऐसे ही चलता रहता है और ये भी है कि प्यार भी इसे सबसे ज़्यादा मैं ही करता हूँ.
करण जो कि रेडी होकर डाइनिंग टेबल की ओर ही आ रहे थे वो रेहान की बात का जवाब देते हुए बोले.
करण-क्यूँ बे मैं क्या कम प्यार करता हूँ कोमल से.
कोमल इनके गले मिलते हुए बोली.
कोमल-नही करण भैया आप तो सबसे बेस्ट हो इस घर में.
करण-अब बोल साले लफंदर.
रेहान-अब बोलने लायक बचा ही क्या है.
उसकी बात सुनकर हम सब हँसने लगे. तीनो का प्यार देखकर मुझे अपने भैया हॅरी और करू भाभी की याद आ गई. हम भी बिल्कुल इनकी तरह ही मस्ती किया करते थे. उन पलों को याद करते ही मेरी आँखें नम होने लगी. लेकिन मैने खुद को समझाया कि अब तो यही सब मेरी फॅमिली है मुझे इनके साथ ही रहना है. मेरे चेहरे की उदासी को देखकर कोमल मेरे पास आई और मेरी चेयर के पीछे आकर मेरे गले में बाहें डालते हुए बोली.
कोमल-भाभी आपका ये गुलाब सा चेहरा मुरझाया हुआ क्यूँ है.
मे-नही तो मैं ठीक हूँ.
करण-घर की याद आ रही होगी है ना.
मे-हां बट ये भी तो घर ही है.
रेहान-बिल्कुल और इस घर में आपका दिल लगाने के लिए ये रेहान हॅंडसम भी है.
कोमल-हुहम हॅंडसम.
कोमल रेहान को चिड़ाते हुए किचन में चली गई.
इतने में पापा भी वहाँ आ गये और मैने चेयर से उठते हुए उनके पैर छुए और फिर पापा भी हमारे साथ बैठ गये और मैं भी वापिस अपनी जगह पे बैठ गई.
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