RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
अब मैं आसमंजस में पड़ चुकी थी की अब क्या करू. एक तरफ मेरा प्यार था तो दूसरी तरफ वो जिसने मुझे सेक्स का रियल सुख दिया था जिसके साथ सेक्स करते वक़्त मैं सब कुछ भूल जाती थी. आख़िर में वोही हुआ जो नही होना चाहिए था.
मे-ओके ठीक है मगर सिर्फ़ किस.
आकाश-थॅंक यू रीत सिर्फ़ किस करूँगा.
मे-मगर करोगे कहाँ.
आकाश-चलो उपर क्लास रूम में चलते है 2न्ड फ्लोर पे कोई क्लास नही लगती वहाँ कोई नही होगा.
मे-ओके जल्दी चलो.
मैं आकाश के पीछे पीछे उपर पहुँच गई. हम उसी रूम में पहुँच गये यहाँ कॉलेज के 1स्ट डे आकाश ने मुझे चोदा था.
आकाश मुझे उसी रूम में ले गया यहाँ कॉलेज के 1स्ट डे उसने मुझे चोदा था.
मैं रूम के अंदर जाकर इधर उधर देखने लगी. आकाश ने डोर अंदर से लॉक किया और फिर मुझे पीछे से अपनी बाहों में जाकड़ लिया. उसके हाथ मेरे पेट पे घूम रहे थे और उसके होंठ मेरी गालों को चूम रहे थे वो मदहोशी मे बड़बड़ा रहा था.
आकाश-ओह रीत तुम बहुत सेक्सी हो यार.
उसके हाथ अब उपर की तरफ बढ़ते हुए मेरे उरोजो के उपर पहुँच चुके थे और मेरे उरोजो को शर्ट के उपर से मसल्ने लगा था. उसकी हरकतें मुझे मदहोश करने लगी थी. मैने खुद को संभाला और उसके हाथों को अपने उरोजो के उपर से झटकते हुए कहा.
मे-आकाश सिर्फ़ किस तक की बात हुई थी.
उसने फिरसे मेरे उरोजो को थामते हुए कहा.
आकाश-किस ही तो करूँगा सिर्फ़ पहले थोड़ा मूड तो बना लेने दो.
मे-क्या मुसीबत है जल्दी करो अक्की. मिक्कु वहाँ हमारा वेट कर रही है.
आकाश-करने दो उसे थोड़ा वेट. वैसे भी उसे आज लेजाने वाला हूँ मैं यहाँ तुम्हे लेजा कर तुम्हारी गान्ड मारी थी मैने याद है ना तुम्हे.
मे-मुझे कुछ याद नही है जल्दी करो नही तो मैं ऐसे ही चली जाउन्गी.
आकाश-तुम भूल गई क्या कितना खून निकला था तुम्हारे पीछे वाले छेद में से और कितना चीखी चिल्लाई थी तुम.
मे-प्लीज़ आकाश फालतू की बकवास मत करो.
आकाश-ओके डार्लिंग.
कहते हुए आकाश ने मेरी शर्ट का बटन खोल दिया. मैने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा.
मे-इसे मत खोलो.
आकाश-रीत प्लीज़ यार मुझे तुम्हारे गोरे-2 मम्मे देखने हैं वैसे भी पहले से ज़्यादा बड़े हो गये है अब तो इन्हे चूसने का मन करता है यार.
मे-कुछ देखने को नही मिलेगा.
आकाश-प्लीज़ यार ऐसे मत तडपा.
आकाश ने अब दूसरा बटन भी खोल दिया. अब मेरे उरोज ब्लॅक ब्रा की क़ैद दिखने लगे थे. ब्रा में कसे हुए एकदम कड़े और गोरे मुलायम जैसे ब्रा और उनके बीच युद्ध चल रहा हो बाहर निकलने का. मैं भी जल्दी से आकाश से पीछा छुड़ाना चाहती थी. इसलिए मैने अब मना नही किया. आकाश अपने दोनो हाथों में मेरे उरोजो को भर का ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा. पहले उसके हाथ ब्रा के उपर से मेरे उरोज मसल रहे थे लेकिन अब उसके हाथ मेरी ब्रा के भीतर घुस गये थे और मेरे दोनो उरोजो को बाहर निकाल लिया था. वो मेरे दोनो उरोजो को एकदुसरे के साथ रगड़ते हुए मसल रहा था. मेरा दिमाग़ अब मेरे शरीर की मस्ती के सामने झुकने लगा था मैं मस्त होती जा रही थी. इसका एहसास आकाश को भी हो चुका था क्योंकि अब मस्ती में मैं अपने पॅंट में क़ैद चुतड़ों को आकाश के लिंग के उपर रगड़ने लगी थी. अब मेरी शर्ट के सभी बटन खुल चुके थे और आकाश के हाथ मेरे उरोजो को और मेरे पेट को सहला रहे थे. एक और मेरा शरीर यहाँ आकाश का साथ देने लगा था वहीं मेरा दिमाग़ मुझे ये सब करने से रोक रहा था. मैं मस्ती में बड़बड़ा रही थी.
मे-प्लीज़ आकाश मुझे जाने दो मैं ये सब नही करना चाहती.
लेकिन आकाश के उपर इन सब बातों का कोई असर नही हो रहा था.
मेरे दिमाग़ में जैसे ही ये ख़याल आया कि मैं ये सब करके 'कारण' को धोखा दे रही हूँ तो एकदम जैसे मैं नींद से जाग उठी और मैने पूरे ज़ोर के साथ खुद को आकाश की गिरफ़्त से छुड़ा लिया उस से दूर हट कर अपनी शर्ट को दोनो हाथों से पकड़ कर अपने उरोजो को ढक कर रोते हुए कहा.
मे-प्लीज़ आकाश मुझे जाने दो मैं करण को और धोखा नही देना चाहती पहले ही मैने बहुत धोखे दिए हैं उसे.
मैं इतने कहने के बाद आकाश की तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और सुबकने लगी.
मुझे उम्मीद थी कि आकाश मेरी बात को समझेगा मगर उसने जो हरकत की वो हैरान करने लायक थी.
उसने मुझे फिरसे पीछे से पकड़ लिया और इस दफ़ा अपना लिंग मेरी पॅंट के उपर से ही मेरे चुतड़ों के बीच वाली दरार में घिसने लगा. उसने अपना लिंग बाहर निकाला हुया था और वो मुझे अपने नितंबों के बीच अच्छी तरह से महसूस हो रहा था. फिर उसने मुझे एकदम अपनी ओर घुमा लिया और मेरे होंठों के उपर अपने होंठ टिका दिए. मैं अपने होंठ उसके होंठों से छुड़ाना चाहती थी मगर उसने मुझे धकेलते हुए दीवार के साथ सटा दिया और मेरे हाथों को अपने हाथों में जाकड़ कर दीवार के साथ लगा दिया. वो बेरेहमी से मेरे होंठों को चूस रहा था मैं जी तोड़ कोशिश कर रही थी अपने होंठों को छुड़वाने की मगर उसकी मजबूती के आगे मेरा कोई ज़ोर नही चल रहा था. मेरी शर्ट फिर से मेरे उरोजो के उपर से हट गई थी और मेरे नंगे उरोज आकाश की छाती में धँस रहे थे. उसका विशाल लिंग मुझे मेरे नंगे पेट पे महसूस हो रहा था और उसके लिंग से जो थोड़ा-2 कम निकल रहा था वो मेरे पेट को गीला कर रहा था. वो बुरी तरह से मेरे होंठों को चूस रहा था और बीच-2 में काट भी देता. मेरी आँखों से लगातार आँसू निकल रहे थे मगर उन्हे देखने वाली आकाश की आँखों में रहम की जगह आज हवस थी. आख़िरकार उसने मेरे होंठों को छोड़ा और जैसे ही वो मुझे थोड़ा दूर हुआ तो मैने एक जोरदार तमाचा उसकी गाल पे दे मारा और फिर तेज़ी के साथ डोर की तरफ बढ़ी और बाहर निकल गई. मैने इतनी बेसूध थी कि मुझे ये भी पता नही चला कि मेरी शर्ट के बटन खुले हैं और मेरे नंगे उरोज ब्रा से बाहर छलक रहे है. जैसे ही मुझे आभास हुया तो मैने फटाफट अपने बटन बंद किए और अपनी आँसू सॉफ करते हुए वॉशरूम की ओर बढ़ गयी.
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