RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
आज मेरा लास्ट एग्ज़ॅम था. गुलनाज़ दीदी की हेल्प की वजह से मेरे सारे एग्ज़ॅम एकदम धांसु टाइप के हुए थे और आज था लास्ट एग्ज़ॅम वो भी इंग्लीश का. मैं एग्ज़ॅम के लिए फुल्ली चार्ज्ड थी. मैं सुबह 4 बजे ही उठ गई थी. कुछ देर तक पढ़ाई की और फिर नहा कर जल्दी से स्कूल के लिए रेडी हो गई. खाना खाने ड्रॉयिंग रूम में आई वहाँ पे पहले से ही भैया, मम्मी और पापा बैठे थे. मम्मी मुझे कहने लगी.
मम्मी-रीतू आज आख़िरी एग्ज़ॅम है ना तेरा.
मे-जी मम्मी.
मम्मी-चल शुकर है अब कम से कम तू फ्री हो जाएगी और हम दोनो मिलकर शादी की तैयारी करेंगे.
मे-स्योर मम्मी वैसे भी तो 2 वीक'स ही बचे है भैया की शादी को मैं तो खूब नाचने वाली हूँ.
पापा-अरे ज़रूर नाचना जितना नाचना चाहो. हम भी नाचेंगे आपकी मम्मी का हाथ पकड़ कर.
मम्मी-अरे आप भी ना बच्चों के सामने ही शुरू हो जाते हैं.
पापा-ये अभी बच्चे थोड़ी ना है.
हॅरी-यस पापा सही कहा आपने.
मैने अपना खाना ख़तम किया और फिर सब को बाइ बोला. सभी ने मुझे बेस्ट ऑफ लक कहा और फिर मैं बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी.
आकाश जी पहले से वहाँ मौजूद थे. बस आई और हम दोनो उसमें चढ़ गये आज मैं खुद ही आकाश के आगे खड़ी हो गई क्योंकि आज आख़िरी डे था मेरा बस से जाने का क्योंकि पापा ने वादा किया था 10थ में पास होने पर स्कॉटी दिलाने का. मैने सोचा आख़िरी दिन है तो क्यूँ ना बेचारे को थोड़ा खुश कर दिया जाए. आकाश ने अपने हाथ मेरे उसके आगे आते ही मेरा कमीज़ उठाकर सलवार के उपर से मेरे नितंबों पे रख दिए और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और मेरे कान में बोला.
आकाश-आज कैसे मेहरबान हो गई इस ग़रीब पे.
मे-तुम आम खाओ ना यार गुठलियाँ क्यूँ गिन रहे हो.
आकाश-आम तो तुम खाने देती नही हो. वैसे भी जब से तुषार ने तुम्हारी ली है तबसे तुम्हारे आम कुछ ज़्यादा ही बड़े हो गये हैं.
मे-बकवास मत करो.
आकाश-क्या नखरा है डार्लिंग चुदना भी चाहती हो और डरती भी हो. अब तो बहुत हुआ तड़पाना यार अब तो एक राउंड मेरे साथ बनता है रीत.
मे-बस आ गये घुटनो पे उस रात फोन पे तो बड़ी चॅलेंज की बात कर रहे थे.
आकाश ने ज़ोर से मेरे नितंबों को मसल दिया मेरे मूह से एक आह निकल गई और वो आगे बोला.
आकाश-चॅलेंज तो मैं जीत कर ही रहूँगा जानेमन. बुजुर्ग कहते है अगर घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी कर लेनी चाहिए.
मे-देखना कही आपकी उंगली टूट ही ना जाए.
आकाश-ये तो वक़्त ही बताएगा डार्लिंग की उंगली टूटेगी या तुम्हारी पीछे वाली सील.
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगी. मुझे उसकी बातों में बहुत मज़ा आ रहा था. उसकी हरकतों ने मुझे गरम कर दिया था और मेरी योनि रिसने लगी थी. आकाश के हाथ अब मेरी कमीज़ के अंदर जाते हुए मेरे नंगे पेट पे घूमने लगे थे और उसने अपना लिंग बिल्कुल मेरे नितंबो की दरार में सेट कर रखा था उसका लिंग मुझे अच्छे से फील हो रहा था. मेरी आँखें मस्ती में लाल होने लगी थी. मैने पीछे घूम कर देखा तो ठीक आकाश के पीछे रेहान खड़ा था और आँखें फाड़ कर अपने मोबाइल में देख रहा था. उसकी नज़र मुझसे मिली मैने मदहोशी से उसे देखते हुए स्माइल पास की जवाब में उसने भी मुस्कुरा कर फिर से अपना ध्यान अपने मोबाइल. पे फोकस कर दिया.
मैं रेहान को देख ही रही थी कि अचानक मुझे आभास हुआ कि इस आकाश के बच्चे ने एक झटके के साथ ही मेरी सलवार का नाडा खोल दिया है और मेरी सलवार ढीली होकर थोड़ी सी नीचे खिसक गई अगर मेरे हाथ सही टाइम पे अपनी सलवार को ना थामते तो ये खिसक कर मेरे पैरों में जा गिरती और सब के सामने मेरी जांघे नंगी हो जाती. मुझे आकाश के उपर बहुत गुस्सा आया मैने अपना नाडा बँधा और आगे हो कर खड़ी हो गई और गुस्से से उसकी तरफ देखा वो अपने दाँत निकाल कर मुझे दिखाने लगा. कुछ देर बाद फिरसे उसका हाथ मुझे अपने नितंबों पे महसूस हुआ और मैने गुस्से से उसे झटक दिया. वो मेरे पास आकर बोला.
आकाश-नाराज़ हो गई क्या जानेमन.
मे-तुम्हे तो बाद में देखूँगी मैं कमिने.
मेरी बात सुनकर वो हँसने लगा और फिरसे मेरे नितंबों पे एक च्युन्टी काट दी. कामीने ने इतनी ज़ोर से काटी थी कि मुझे वहाँ पे दर्द होने लगा था. मुश्क़िल से मेरा स्कूल आया तो मैने राहत की साँस ली. मैं जल्दी से नीचे उतरी और महक के साथ अंदर की तरफ चल पड़ी. मुझे अभी भी अपने नितंब पे दर्द हो रहा था मैने धीरे से वहाँ हाथ से सहलाया जहाँ छुट्टी काटी थी उसने फिर मैने आकाश की ओर देखा वो मुझे ही घूर रहा था. मेरे मूह से अंजाने ही निकल गया.
मे-कमीना कही का.
महक-क्या हुआ कमीना किसे बोल रही है.
मे-ओह्ह कुछ नही मिक्कु ऐसे ही मूह से निकल गया.
महक-तू बस ऐसे ही बड़बड़ाती रहा कर. फिर मैं और महक रूम में जाकर पढ़ने लगे. पेपर शुरू होने में अभी 30मिनट बाकी थे. आकाश मेरे पास आया और बोला.
आकाश-रीत तुम्हे तुषार बुला रहा है. साइंस रूम में है.
मैं वहाँ गई तो तुषार ने मुझे झट से रूम में खींच लिया. एग्ज़ॅम की वजह से ये रूम अब खाली पड़ा था. तुषार ने मुझे दीवार के साथ लगाया और मेरी गालों को चूमते हुए कहा.
तुषार-जानू आज लास्ट डे हाई स्कूल का इसे मैं यादगार बनाना चाहता हूँ.
मे-तुषार प्लीज़ छोड़ो कोई आ जाएगा.
तुषार-कोई नही आएगा तुम बस मज़े लो.
तुषार के हाथ मेरे उरोज मसल्ने लगे. मैने डोर की ओर देखा तो आकाश को वहाँ देखकर चौंक गई.
मैने आकाश को देखते ही तुषार से कहा.
मे-तुषार देखो आकाश है छोड़ो मुझे.
तुषार-मैने ही उसे बुलाया है वो ध्यान रखेगा बाहर तुम बस चुप रहो अब.
फिर तुषार ने मेरे होंठो के उपर होंठ रख दिए और उन्हे चूसने लगा. उसके हाथ मेरे उरोजो को मसल रहे थे. अब मैं भी आकाश हो भूल कर उसका साथ देने लगी थी. तुषार ने अपने दोनो हाथों से मेरा कमीज़ पकड़ा और उसे उपर उठाने लगा और मुझे हाथ उपर उठाने के लिए कहा ताकि वो कमीज़ को मेरे जिस्म से अलग कर सके. मगर मैने मना करते हुए कहा.
मे-नही तुषार इसे मत उतारो अगर कोई आ गया तो मैं कैसे पहनुगी इतनी जल्दी.
तुषार-प्लीज़ डार्लिंग कोई नही आएगा यहाँ वैसे भी आकाश बता देगा अगर कोई आता दिखाई दिया उसे.
मैं मना करती रही मगर तुषार ने मेरी कमीज़ को उपर उठाते हुए बाहर निकाल ही दिया. अब मेरे उरोज सिर्फ़ रेड ब्रा में ढके हुए थे. तुषार ने मेरे दोनो उरोजो को पकड़ते हुए ब्रा से बाहर निकाला और उनपे अपने होंठ टिका दिए और चूसने लगा. वो मेरे निपल्स को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. उसकी इस हरकत की वजह से मेरी आँखें मस्ती में बंद होने लगी. उसने मेरी ब्रा के हुक्स खोल दिए और उसे मेरे जिस्म से अलग कर दिया. तुषार के हाथ अब मेरे उरोज को छोड़कर नीचे खिसकने लगे और हाथ मेरे नंगे पेट से होते हुए मेरी सलवार का नाडा ढूँडने लगे और जैसे ही उसके हाथ नाडे को ढूँडने में कामयाब हुए तो उसने झट से खीच कर नाडा खोल दिया और सलवार ढीली होकर मेरे पैरों में जा गिरी. सलवार खुलते ही मैने कहा.
मे-तुषार प्लीज़ सलवार तो रहने दो.
मगर मेरी बात को अनसुना करते हुए उसने मेरे नितंबों पे अपने हाथ जकड़ते हुए मुझे थोड़ा उपर उठाते हुए घूम गया और मुझे पास में पड़े एक बेंच के उपर बिठा दिया. उसने मेरी टाँगें उठाई और मेरी सलवार को मेरे पैरों से बाहर निकाल दिया. फिर उसके हाथ मेरी पैंटी की एलास्टिक में फसे और पलक झपकते ही मेरी पैंटी भी मेरी टाँगों से होती हुई बाहर मेरी सलवार के पास जा गिरी. अब मैं उन दोनो के सामने बिल्कुल नंगी थी. मैने आकाश की तरफ देखा वो मुझे आँखे फाड़ कर देख रहा था और अपने लिंग को पॅंट के उपर से मसल रहा था. अब तुषार ने मुझे बेंच के उपर पीठ के बल लिटा दिया और फिर मेरी टाँगों को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खीचा मैं घिसते हुए उसके पास पहुँच गई. मैं बेंच पे लेटी हुई थी और वो बेंच के साथ सट कर खड़ा था. उसने मेरी दोनो टाँगों को उठाया और अपने कंधो के उपर रख दिया फिर उसने अपनी ज़िप खोली और अपना लिंग बाहर निकाल लिया. उसका लिंग पूरा तना हुआ था. उसने अपने लिंग को मेरी योनि के मुख पे सेट किया और उसके उपर घुमाने लगा फिर उसने अचानक एक जोरदार धक्का दिया और पूरा लिंग मेरी योनि में पहुँचा दिया. मेरे मूह से एक चीख निकल गई तुषार ने थोड़ा सा लिंग को बाहर निकाला और फिरसे एक जोरदार धक्का दिया और पूरा लिंग फिरसे मेरे अंदर कर दिया. मेरा दिल बहुत घबरा रहा था. हालत ही कुछ ऐसी थी मैं बिल्कुल नंगी उनके साथ थी अगर कोई वहाँ आ जाता तो मैं तो पूरे स्कूल में बदनाम होने वाली थी. तुषार के धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे उसका लिंग कभी बाहर आता और फिर तेज़ी के साथ मेरी योनि में समा जाता. मुझे हल्का-2 दर्द हो रहा था मगर उस से कयि गुना ज़्यादा मज़ा आ रहा था. तुषार अब पूरी स्पीड से मुझे चोदने लगा था. उसके हाथ मेरे उरोजो को मसल रहे थे. मेरी पीठ तुषार के जोरदार धक्कों की वजह से बेंच के उपर घिस रही थी. फिर तुषार ने धक्के मारना बंद किया और मेरी टाँगों को अपने कंधो के उपर से उतार दिया. उसने मुझे बाहों से पकड़ कर बेंच से उठाया और मुझे नीचे उतार दिया अब वो दीवार के साथ खड़ा था और मैं उसके आगे उसकी तरह मूह किए खड़ी थी. तुषार के होंठ मेरे होंठों से जुड़ गये और उसने एक हाथ से अपना लिंग फिरसे मेरी योनि पे सेट किया और एक जोरदार धक्के के साथ उसे मेरी योनि के अंदर पहुँचा दिया और खड़े-2 मेरी चुदाई करने लगा. उसके होंठ अब मेरे होंठ छोड़ कर मेरे उरोजो को चूसने में मशरूफ हो गये. मैने आकाश की तरफ देखा तो वो मुझे देखकर हँसने लगा मैने मूह बनाते हुए उसकी तरफ से अपना चेहरा घुमा लिया. तुषार मेरे उरोजो को हाथों में भर कर अपने होंठो से चूस रहा था और मेरे हाथ तुषार के बालो में खेल रहे थे और मैं आँखें बंद करके उसके हर धक्के का मज़ा ले रही थी.
मुझे आचनक अपने नितंबों पे दो हाथ महसूस हुए मैने झट से आँखें खोल कर पीछे देखा तो पीछे आकाश खड़ा था. मैने कुछ कहने के लिए जैसे ही होंठ खोले तो तुषार ने मेरे उरोजो को छोड़कर मेरे होंठों को अपने होंठों में क़ैद कर लिया. आकाश के हाथ अब ज़ोर-2 से मेरे नितंबों को मसल्ने लगे थे. आचनक उसके हाथ वहाँ से हट गये और फिर उसने अपने होंठ वहाँ पे लगा दिया यहाँ सुबह बस में उसने चुन्टी काटी थी. वहाँ लाल निशान पड़ गया था. मुझे वहाँ दर्द भी हो रहा था लेकिन अब वहाँ आकाश के होंठो का गीलापन उस दर्द को दूर करता जा रहा था. अब वो अपनी जीभ से वो लाल निशान की जगह पे चाटने लगा था. मुझे बहुत मस्ती चढ़ रही थी. अचानक उस कमिने ने फिरसे वहाँ पे बाइट कर दी और मेरे मूह से निकली चीख तुषार के होंठो में ही समा गई.
तभी मेरे कानो में एक रोआबदार आवाज़ गूँज़ उठी.
'ये क्या हो रहा है यहाँ'
जैसे ही मैने वो रोआब दार आवाज़ सुनी तो मैं तो वही खड़ी पसीना-2 हो गई. क्योंकि दृश्य ही कुछ ऐसा था. मैं उन्दोनो के बीच बिल्कुल नंगी खड़ी थी और तुषार का लिंग आगे से मेरी योनि के अंदर-बाहर हो रहा था और उसके हाथ मेरे उरोजो को थामे हुए थे और हमारे होंठ एकदुसरे से जुड़े हुए थे. आकाश मेरे पीछे घुटनो के बल बैठा था और उसके होंठ मेरे नितंबों को चूम रहे थे और ये सब डोर के पास खड़ी हमारी इंग्लीश की टीचर देख रही थी. जैसे ही हमने मॅम को डोर के पास खड़े देखा तो हम सब एक झटके के साथ एक दूसरे से अलग हो गये. तुषार का लिंग मेरी योनि से निकलकर मॅम की आँखों के सामने झूलने लगा. उसके उपर मेरी योनि का कामरस चमक रहा था. तुषार ने झट से अपना लिंग अंदर किया और ज़िप लगाने लगा. मैने भी अपने कपड़े उठाए लेकिन जब अपनी पैंटी पहन ने लगी तो मॅम बहुत गुस्से से बोली.
मॅम-रीत यहाँ आओ मेरे पास.
मैं डरती-डरती अपने कपड़े हाथ में पकड़े हुए मॅम के पास गई जैसे ही मैं उनके नज़दीक पहुँची तो मॅम ने एक जोरदार तमाचा मेरी गाल पे मारा. मेरी आँखों से आँसू निकल आए और मैं लगभग रोने लगी.
मैने हाथ जोड़ कर रोते हुए मॅम से कहा.
मे-मॅम प्लीज़ मुझे माफ़ करदो.
मैं अपनी बात पूरी की ही थी कि एक और तमाचा मेरी दूसरी गाल पे पड़ा.
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