RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
मैं घर पहुँची, खाना खाया और फिर टीवी देखने लगी. टीवी पे चेनेई सूपर किंग्स का रॉयल चॅलेनजर्स के साथ मॅच चल रहा था. चेन्नई सुपर किंग टीम एकदम फुद्दु थी मुझे बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी वो टीम. आज मैं रॉयल चेलेन्जर के साथ थी क्योंकि उसमे इंडिया का सूपर स्टायलिश बॅट्स्मन विराट कोहली जो खेल रहा था. वो भी मुझे बहुत पसंद था और इस क़दर तक पसंद था कि मैं कभी-2 सोचती थी कि 'काश मुझे विराट एक बार जमकर किस करे तो मज़ा आ जाए'
अब क्या करे वो था ही इतना हॅंडसम. मैं कुछ देर बेत कर मॅच देखती रही. विराट और क्रिस पूरा धमाल मचा रहे थे. फोर'स आंड सिक्सस की बरसात हो रही थी लेकिन मेरा दिल आज मॅच में इंट्रेस्टेड नही था.
मैने टीवी ऑफ किया और अपने रूम में जाकर घुस गई. आज मेरे साथ स्कूल में जो कुछ भी हुया सब कुछ मेरे सामने घूमने लगा. पहले बस में आकाश का टच और फिर क्लास में महक और आकाश को देखकर गरम होना और तुषार के साथ बहक जाना. ये सब सोचते ही मेरे पूरे शरीर में मस्ती भरने लगी. मैं मन ही मन सोचने लगी की आज जो मज़ा आया था वो एहसास सचमुच बहुत बढ़िया था. आकाश की उंगली का मेरे नितंबो के उपर घूमना और तुषार के हाथ के उपर अपने कोमल और मुलायम नितंब रखना एक शानदार अनुभव था जो कि मुझे रोमांचित कर रहा था.
फिर तुषार की कही बातें मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं करूँ तो क्या करू. तुषार ने मुझे प्रपोज किया था मगर मैं उसे क्या जवाब दूं मेरी समझ से बाहर था. मैं खुद से ही सवाल जवाब कर रही थी.
क्या मुझे उसे हाँ बोल देनी चाहिए?
नही नही रीत ये ठीक नही है तुझे अभी पढ़ना है.
मगर महक भी तो मज़े कर रही है?
हां मुझे भी थोडा बहुत तो मज़ा करना चाहिए.
बस ऐसे ही बेकार की बातें मेरे दिमाग़ में घूम रही थी मगर मैं किसी नतीज़े के उपर नही पहुँच पा रही थी.
अचानक मम्मी की आवाज़ ने मुझे इन ख़यालों से बाहर निकाला. मम्मी मुझे चाइ पीने के लिए बुला रही थी. मैं अपने रूम से निकली और मम्मी के साथ बैठकर चाइ पीने लगी. छाई पीने से मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. मैने सोचा क्यूँ ना इस बारे में महक से बात की जाए. वैसे भी वो मेरी बेस्ट फ़्रेंड थी हर बात मैं उसी के साथ शेर करती थी और फिर ये बात तो उसे बताना बेहद ज़रूरी था. मैने मम्मी का मोबाइल उठाया. मेरे पास अपना मोबाइल नही था इसलिए मुझे जब भी ज़रूरत होती थी तो मैं मम्मी का फोन ही यूज़ करती थी. मैं मोबाइल और चाइ लेकर छत पे जाने के लिए सीडीयाँ चढ़ने लगी. मम्मी ने पीछे से आवाज़ देते हुए पूछा.
मम्मी-रीतू किसे फोन करना है.
मे-मम्मी महक को करना है मुझे स्कूल का कुछ काम पूछना है उस से.
मम्मी-ओके बेटा.
मैं छत पे पहुँची और जल्दी से महक का नंबर. डाइयल किया. 2-3 रिंग के बाद महक ने उठाया और कहा.
महक-हाई स्वीतू कैसी है आज मुझे कैसे याद किया.
मे-मैं ठीक हूँ मिक्कु . वो बस ऐसे ही तुम्हारा हाल चाल पूछने के लिए किया था.
महक-अरे बता ना क्या बात है अच्छी तरह से जानती हूँ तुझे मैं कोई बात तो ज़रूर है.
मे-वो मिक्कुा ऐक्चुली मुझे तुमसे कुछ पूछना था.
महक-तो पूछ ना क्या पूछना है.
मे-वो.....मिक्कुै....वो.....उस.......
महक-तू कुछ बोलती है या मैं फोन रखू.
मे-नही नही मिक्कुै यार वो...उस तुषार ने मेरे बारे में क्या कहा था तुमसे.
महक-ओह हो तो मेडम को तुषार के बारे में पूछना है. बात क्या है...
मे-यार तू बता ना प्लीज़.
महक-ओके ओके यार उसने तो मुझे यही कहा था कि मैं उसकी तेरे साथ सेट्टिंग करवा दूं. तुझे पसंद करता है वो. तुझे कुछ कहा उसने.
मे-हां यार उसने मुझे प्रपोज किया आज.
महक-हाए मैं मर जावा. कूडीए तूने मुझे बताया क्यूँ नही स्कूल में.
मे-वो यार बस टाइम ही नही मिला.
महक-अच्छा चल छोड़ ये बता तूने क्या सोचा है.
मे-यार उसी के लिए तो तुझे फोन किया है तू ही कुछ बता ना प्लीज़.
महक-अरे स्वीतू प्रपोज तुझे किया है मैं क्या बताऊ तुझे.
मे-यही कि वो कैसा लड़का है तू तो उसे अच्छे से जानती है.
महक-ह्म्म्म्म लड़का तो एकदम फट्टू है. फटाफट हां बोल दे उसे.
मे-मिक्कु यार मुझे बहुत डर लग रहा है.
महक-ओह हो तो मेरी स्वीतू डरने भी लगी उस दिन तो बड़ी बोल रही थी कि तुषार के सपने में जाकर ही तुषार का क़तल कर दूँगी.
मे-मिक्कुत छोड़ ना पुरानी बातें यार. ये बता कि क्या वो सही है मेरे लिए.
महक-सही ही नही एकदम पर्फेक्ट है वो तेरे लिए. स्मार्ट है हॅंडसम है हां उसकी बॉडी मेरे आकाश जितनी नही है. लेकिन बंदा एकदम पर्फेक्ट है. वैसे भी तेरी इस क़ातिलाना जवानी को मसल्ने के लिए तुषार या आकाश जैसे मर्द की ही ज़रूरत है.
मे-मिक्कु् प्लीज़ स्टॉप ना...
महक-रीतू यार मैं तो मज़ाक कर रही हूँ.
मे-पता है मुझे अच्छा अब फोन रखती हूँ. मुझे कुछ सोचने दो अब.
महक-अरे सोचना क्या है कल सुबह फाटाक से जाकर उसके सीने से लग जाना.
मे-बस बस अपनी अड्वाइज़ अपने पास ही रख. ओके डार्लिंग मैं रखती हूँ.
महक-ओके बाइ स्वीतू.
मेरी चाइ ऐसे ही हाथ में ठंडी हो चुकी थी. नीचे जाने के लिए मैं घूमी तो देखा आकाश अपनी छत पे खड़ा मुझे घूर रहा था. पहले मेरी पीठ उसकी तरफ थी इसलिए मुझे वो दिखाई नही दिया था. मुझे देखकर उसने गंदी सी स्माइल पास की मगर मैं उसे जीभ निकाल कर ठेंगा दिखाते हुए नीचे उतर गई.
पूरी रात मैं बे-चैन रही और सोचती रही कल क्या होगा. अब मैं फ़ैसला कर चुकी थी कि तुषार को हां बोल दूँगी. लेकिन मेरे हां बोलने के बाद तुषार मेरे साथ क्या करेगा यही सोच कर मैं घबरा रही थी. जैसे तैसे रात ख़तम हुई और एक नया उजाला हुआ. मैं फटाफट उठ कर तैयार हो गई और ब्रेकफास्ट करते वक़्त भैया से कहा कि अब मैं बस से ही स्कूल चली जाया करूँगी.
मेरी बात सुनकर भैया थोड़े हैरान से होते हुए बोले.
हॅरी-क्या हुया स्वीतू मुझसे नाराज़ हो गई हो क्या.
मे-भैया केसी बात करते हो आप. वो तो मेरी फ़्रेंड महक रोज़ बस से आती है उसने मुझे बोला था कि तू मेरे साथ चला कर.
हॅरी-आर यू श्योर ना.
मे-ओफ़कौर्स भैया.
हॅरी-ओके जैसे तेरी मर्ज़ी.
मैने ब्रेकफास्ट किया और अपना बॅग उठा कर बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी. आकाश कल की तरह ही वहाँ पे खड़ा था. मुझे देखते ही उसका चेहरा गुलाब की तरह खिल उठा. मैने एक दफ़ा उसकी तरफ देखा फिर नज़र दूसरी ओर कर ली और जाकर उस से थोड़ी दूरी पे खड़ी हो गई. जैसी मुझे उम्मीद थी वो चुंबक की तरह मेरे पास खिचा आया और बिल्कुल मेरे पास आकर बोला.
आकाश-हाई रीत डार्लिंग कैसी हो.
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और दूसरी तरफ नज़र किए खड़ी रही.
आकाश-क्यूँ नखरे कर रही हो डार्लिंग कल बस में तो खूब मज़े ले रही थी और शरमा क्यू रही है आज भी तो तू मज़े लेने ही आई है.
मे-बंद करो अपनी बकवास मुझे महक ने बुलाया था मैं इसलिए आई हूँ.
हालाँकि ये बात सच थी कि मैं दुबारा इसी लिए आज बस में जाना चाहती थी ताकि आकाश आज फिर मेरे साथ छेड़-छाड़ करे. शायद उसकी छेड़-छाड़ में मुझे मज़ा आने लगा था. मैने उसे झूठ बोल दिया था कि में महक के कहने पे बस से जाने के लिए आई हूँ. फिर भी जितना हो सके मैं उस से बचना ही चाहती थी.
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