Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
07-03-2018, 11:17 AM,
#4
RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ. हमारे गांव की यह प्रथा ही है. मामाजी को शादी की जरूरत क्यों नहीं पड़ी ये मुझे मालूम था.

बर्तन जमा कर के मां घर की ओर चल पड़ी. चुद कर उसके चलने का ढंग ही बदल ही गया था, थोड़े पैर फ़ैला कर वह चल रही थी. पीछे से उसकी चाल देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं तेज चलने लगा कि उसके कानों में कुछ गंदी गंदी बातें कहूं.

तभी मैंने हमारी नौकरानी पारो को हमारी ओर आते देखा. वह हमारे यहां कई सालों से काम कर रही थी और मम्मी के बहुत नजदीक थी. मुझे लगता है मम्मी उससे कुछ भी छुपाती नहीं थी. उसके कई पुरखों से वहां की औरतें हमारे यहां काम करती थीं. करीब करीब वह मां की ही उम्र की थी. मां की ओर वह बड़ी पैनी निगाह से देख रही थी.

पास आने पर उसने मां से पूछा "क्यों मालकिन, छोटे मालिक को खाना खिला कर आ रही हैं?" मां ने हां कहा. वे दोनों साथ साथ चलने लगीं. मैं अब भी उनकी आवाज सुन सकता था. पारो सहसा मां की तरफ़ झुकी और नीचे स्वर में कहा "मालकिन आपकी चाल बदली हुई है." मां ने धीरे से उसे डांटकर कहा "चुप चाप नहीं चल सकती है क्या".

पारो कुछ देर तो चुप रही और फ़िर बड़ी उत्सुकता से सहेली की तरह मां को पूछा "मालकिन आप खेत में मरवा के आ रही हो?"

मां ने उसे अनसुना कर आगे जाने के लिये कदम बढ़ाये पर पारो कहां मां को छोड़ने वाली थी. मां ने उससे आंखें चुराते हुए कहा "अच्छा अब छोड़ बाद में बात करेंगे" पारो ने मां के कंधों को पकड़कर बड़ी उत्सुकता से पूछा "मालकिन किसका लंड है कि आपकी चाल बदल गई है".

मां ने उसे चुप कराने की कोशिश की. "क्या बेकार की बात करती है, चल हट." पर मां के चेहरे ने सारी पोल खोल दी. अचानक पारो ने मुड़ कर एक बार मेरी तरफ़ देखा और फिर उसका चेहरा आश्चर्य और एक कामुक उत्तेजना से खिल उठा और उसने धीमी आवाज में मां से पूछा "हाय मालकिन आखिर आपने बेटे का ले लिया?"

मां ने बड़ी मस्ती से मुस्करा कर उसकी ओर देखा. नौकरानी खुशी से हंस पड़ी और मां को लिपट कर उसके कान में फ़ुसुफ़ुसाने लगी "मालकिन मैं कहती थी ना कि बेटे का लो तभी सुख मिलता है." फ़िर मां के चूतड़ प्यार से सहलाते हुए उसने कहा "लगता है पूरी फ़ुकला कर दी है. मालकिन मैं कहती थी ना, अपने बेटे को चूत दे दो तो चूत का भोसड़ा बना देते हैं"

मां ने पहली बार माना कि वह खेत में मरवा कर आई है "मेरा तो पूरा भोसड़ा हो गया है री." फ़िर उत्तेजित होकर उसने पारो के कानों में कहा "हाय पारो मैं भी अब भोसड़ी वाली हो गई हूं." दोनों अब बड़ी मस्ती में बातें कर रही थीं "मालकिन अब तो तुम रोज रात बेटे के कमरे में अपना भोसड़ा ले के जाओगी" मां ने उसे डांटा "साली अपने बेटे से तू गांड भी मरवाती है और मुझे बोल रही है."

पारो ने जवाब दिया "मालकिन मैं तो एक बेटे का गांड में लेती हूं और दूसरे का चूत में और फिर रात भर दोनों बेटों से चुदवाती हूं" फ़िर उसने कहा "मालकिन छोटे मालिक का लंड कैसा है?" मेरी मां ने कहा "चल खेत में चल के बोलते हैं, मेरी फिर चू रही है."

मैं समझ गया कि मां भी पारो के साथ गंदी गंदी बातें करना चाहती है. दोनों औरतें खेत में चली गईं. मैं उनके पास था, पर खेत की मेड़ के पीछे छिपा हुआ था. मां और पारो एक दूसरे के सामने खड़ी थीं. पारो मां को उकसा रही थी कि गंदा बोले.

मां ने आखिर उसकी आंखों में आंखें डाल कर कहा "हाय मेरा भोसड़ा, देख पारो मेरे बेटे ने आज मेरा भोसड़ा मार दिया, हाय मेरे प्यारे बच्चे ने आज मार मार के मेरी फ़ुद्दी का भोसड़ा बना दिया. पारो, मेरे बेटे ने चोद दी मेरी. मेरा भाई तो रोज चोदता है, आज बेटे ने चोद दिया पारो" पारो अम्मा को और बातें बताने को उकसा रही थी "मालकिन आप अपने बेटे के सामने नंगी हो के लेटी थी? मालकिन जब आपके बेटे ने अपना लंड पकड़ के आपको दिखाया था तो आप शरमा गई थी क्या? भाई से तो आप मस्त होकर चुदाती हो"

पारो अब मां को विस्तार से मुझसे चुदने का किस्सा सुनाने की जिद कर रही थी. मां बोली "पारो मेरी चूत चू रही है, पारो कुछ कर." पारो बोली "मालकिन छोटे मालिक को कहूं? वो अपना लौड़ा निकाल के आ जायें और अपनी मां की चूत में डाल दें". मां बोली "हाय पारो उसको बुला के ला, मुझे उसका मोटा लंड चाहिये."

मैं यह सुनकर मेड़ के पीछे से निकल कर उनके सामने आ कर खड़ा हो गया. दोनों मुझे देख कर सकते में आ गयीं. मैंने उन्हें कहा कि मैंने उनकी सारी बातें सुन ली हैं और मैं फ़िर से मां को चोदना चाहता हूं.

मां थोड़ी आनाकानी कर रही थी कि कोई देख न ले. पर पारो ने मेरा साथ दिया "मालकिन जल्दी से अपना भोसड़ा आगे करो" और फ़िर मुझे बोली "बेटे जल्दी से अपना लंड बाहर कर". मां ने अपनी सलवार और चड्डी अपने घुटनों तक नीचे की और अपनी चूत आगे कर के खड़ी हो गयी. मैंने भी अपना खड़ा लंड बाहर निकाल लिया.

पारो ने मां को जल्दी करने को कहा "मालकिन जल्दी से अपना भोसड़ा आगे करो." और मुझे बोली "अब जल्दी से अपना लंड अपनी मम्मी के भोसड़े में डाल दे." मां की जांघें अब मस्ती से कांप रही थीं और उसकी बुर बुरी तरह पानी छोड़ रही थी. पारो ने मेरी ओर देखा और कहा "बेटे देख तेरी मां की कैसे चू रही है, अब जल्दी से अपना लंड अन्दर कर दे."

कुछ ही पलों में मेरा लौड़ा मां की बुर में था और मैं उसे खड़े खड़े ही चोद रहा था. पारो के सामने मां को चोदने में जो मजा आ रहा था वह मैं कह नहीं सकता. मम्मी भी अब वासना की हद से गुजर चुकी थी. हांफ़ती हुई बोली "हाय पारो देख इसका लंड मेरी चूत में है, पारो मेरा बेटा मेरी चूत मार रहा है. पारो मेरी गांड भी लंड मांग रही है."

पारो ने पास आकर दबी आवाज में मुझे सलाह दी "बेटा, मौका है अपनी मां की गांड मार ले." मैंने अम्मा के चेहरे की ओर देख कर कहा "मम्मी गांड ले लूं तेरी?" मां बोली "हाय ऽ बेटा .... मैं तेरे सामने झुक के अपने चूतड़ खोल के अपनी गांड का छेद तुझे दिखाऊंगी, ओह ... बेटे .... मेरे चूतड़ के अन्दर तू अपना लंड डालेगा?"

मैने अपना लंड मां की चूत में से निकाला और हाथ में लेकर कहा "चल अब कुतिया की तरह खड़ी हो जा और अपने हाथ पीछे कर के अपने चूतड़ पकड़ कर खींच और गांड खोल." मां मेरा कहना मान कर मां घूम कर मेरी ओर पीठ कर के झुक कर खड़ी हो गई. फ़िर अपने ही हाथों से उसने अपने चूतड़ पकड़ कर जोर से फ़ैलाये जिससे उसकी गांड का खुला छेद मुझे साफ़ दिखने लगा.

मैं अपना खड़ा मोटा लंड पकड़कर मां के पीछे खड़ा होकर बड़ी भूखी नजरों से उसके गांड के छेद को देख रहा था. मां के नितंब उसके हाथों ने फ़ैलाये हुए थे और गांड का छेद मस्ती से खुल और बंद हो रहा था. वासना से हम दोनों की टांगें थरथरा रही थीं. मैंने जोर की आवाज में पूछा "मम्मी तेरी गांड मार लूं? " मम्मी की झुकी मांसल काया कांप रही थी और सहसा उसकी बुर ने बहुत सा पानी छोड़ दिया. मैं समझ गया कि वह बस गांड चुदाने के नाम से ही झड़ गई है और गांड मराने को तैयार है.

वह बोली " बेटा मैं तो कुतिया हो गई हूं, मेरी गांड मार दे जल्दी से." पारो ने अपनी चूत को पकड़े पकड़े मुझसे कहा "देख क्या रहा है, चढ़ जा साली पे और मार साली की गांड." मैंने हाथ में लंड पकड़कर आगे एक कदम बढ़ाया और मां की पीठ पर दूसरा हाथ टिका कर मेरा तन्नाया हुआ लंड मां की गांड में उतार दिया. जैसे लंड अंदर गया, मां की गांड खोलता गया. आधा लंड अंदर घुस चुका था. अब मैंने अपने दोनों हाथ मां की कमर पर रखे और कमर को जोर से पकड़ कर उसके कूल्हों को अपनी ओर खींचा, साथ ही सामने झुकते हुए मैंने अपना लंड पूरे जोर से आगे पेला. लंड जड़ तक मां के चूतड़ों के बीच की गहरायी में समा गया.
क्रमशः....................
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RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते - by sexstories - 07-03-2018, 11:17 AM

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