RE: College Girl Chudai मिनी की कातिल अदाएं
मैंने भी अपना गिलास साइड टेबल पर रखा और पूजा को कमर से उठा कर ऊपर नीचे करने लगा।
अचानक पूजा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हांफते हुए बोली- मजा आ गया जान… मजा आ गया… मैं… मैं… हाँ… हाँ… और जोर से करो जानू… मैं आने वाली हूँ… फाड़ दो मेरी चूत… बना दो इसका भुरता… मैं आई… मैं आई!
और कहते-कहते उसने अपना पानी छोड़ दिया।
हमने एक ब्रेक लिया और साफ़ करके कपड़े पहने, सोचा चलो खाना खा लें।
हमने एक प्लेट में ही खाना लगाया और एक दूसरे को खिलाते हुए खाना खाया।
घर जाते समय पूजा बोली- अगली बार हम तब करेंगे जब सुनीता भी साथ होगी।
दो दिन बाद मैं टैक्सी लेकर सुनीता और सामान लेने घर गया।
सुनीता मुझे देखकर ऐसे खुश हुई जैसे किसी कैदी को रिहाई मिल रही हो।
मैं जैसे ही अपने कमरे में पहुँचा, सुनीता चाय लेकर आई और आते ही गले लिपट गई। आज उसके कसाव में वासना की आग झलक रही थी।
मैं चाय लेकर बाहर माँ बाबूजी के पास आकर बैठ गया।
वो उदास थे, मैंने उनको समझाया कि दिल छोटा न करें, कभी वो लोग गाजियाबाद आ जाया करें, कभी हम दोनों आते रहा करेंगे।
शाम को हम लोग वापिस हुए। रास्ते में ड्राईव चाय पीने उतरा तो मैंने सुनीता को भींच लिया और होठों को मिला लिया।
सुनीता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैंने भी उसके मम्मे दबा दिये।
उसका हाथ मेरा लंड टटोल रहा था।
तभी ड्राईवर आता दिखाई दिया, हम ठीक होकर बैठ गए।
घर पहुँचते ही रोहित और पूजा ने हमारे स्वागत किया।
पूजा ने सुनीता को गले लगाया और माथा चूम लिया, रोहित बोला- स्वागत में तो हम भी खड़े हैं।
सुनीता शर्मा गई और रोहित को हाथ जोड़कर नमस्कार किया।
पूजा ने हंसकर कहा- लो उसने तो तुमसे हाथ जोड़ लिए!
रोहित हार मानने वालों में से नहीं था, उसने आगे बढ़कर सुनीता के कंधे पर हाथ रखकर कहा- सुनीता, यहाँ तो हम ही लोग तुम्हारे रिश्तेदार और दोस्त हैं।
मैंने भी रोहित का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- बिल्कुल… मैं तो उनको अपने परिवार का ही हिस्सा मानता हूँ।
हमने गाड़ी से सामान उतारा, पूजा अपने घर से चाय नाश्ता लेकर आ गई। हम सबने मिलकर चाय पी।
पूजा जाते समय सुनीता के गले में हाथ डालकर बोली- एक अच्छी दोस्त की तरह की चीज की आवश्यकता हो तो बता देना!
और फिर जो उसने किया वो मैं और सुनीता सोच भी नहीं सकते थे, उसने सुनीता के गले में बाहें डाले डाले कहा कि उसने सोचा भी नहीं था कि सुनीता इतनी मिलनसार और प्यारी होगी।
और यह कह कर उसने सुनीता को होंठ पर चूम लिया।
बस यही शुरुआत थी भविष्य में उन दोनों के बीच बढ़ी नजदीकियों की…
दोनों के जाने के बाद मैंने सुनीता को गोदी में उठाकर पूरा घर दिखाया।
सुनीता बोली- गर्मी लग रही है।
मैं उसका मतलब समझ गया और फटाफट हम दोनों ने अपने कपड़े उतार लिए और चिपक गए।
हमारा हर अंग एक हो जाने को बेकरार था, जीभ तो दोनों की एक हो ही चुकी थीं।
उसने अपना एक पैर उठा कर मेरी कमर पर लपेट लिया था, मैंने एक हाथ से उसकी चूत की मालिश शुरू कर दी थी।
वो कसमसा कर बोली- बिस्तर पर चलो!
बिस्तर पर उसको लिटा कर मैंने उसकी चूत चूजय शुरू कर दी, वो जोर जोर से आवाज करने लग गई। मैं चाहता था कि वो धीमे से बोले, पर उसकी कामाग्नि भड़क चुकी थी और उसे इस समय सिर्फ एक चीज ही चाहिये थी, वो थी जोरदार चुदाई!
मैं भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और एक ही धक्के में अन्दर कर दिया।
एक बार तो सुनीता चीखी- फाड़ ही दोगे क्या?
मैंने भी कहा- और लाया किस लिए हूँ?
वो बोली- फिर देर क्यों कर रहे हो फाड़ दो मेरी चूत… बना दो इसका भोसड़ा… घुसेड़ दो अपना लौड़ा पूरा अन्दर!
यह भाषा उसको उन्ही किताबों से मिली थी जो मैं उसको दे आया था।
दस मिनट के घमासान के बाद दोनों एक साथ छूटे, कोई तौलिया नहीं था पास में, चादर ही गन्दी हो गई।
इतने में ही रोहित का फ़ोन आया- क्यों बे साले, कर लिया गृह प्रवेश?
मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम?
वो बोला- पूजा ने ठंडा पानी भिजवाया था, क्योंकि तेरा फ्रिज बंद था, गेट पर जब अन्दर की सीत्कारें सुनाई दी तो वो वापिस चला गया।
रात को पूजा का भेजा खाना खाकर हम जल्दी सोने चले गए, क्योंकि सफ़र की थकान थी और एक बार चुदाई हो चुकी थी।
मगर बिस्तर पर लेटते समय मैंने सुनीता से कहा- आज के बाद हम कभी कपड़े पहन कर नहीं सोयेंगे।
उसे भी यह आईडिया अच्छा लगा और वो तुरंत नंगी हो गई, मुझे तो केवल लुंगी ही उतारनी थी। जब चूत और लंड का टकराव हुआ और मम्मे दबे तो सारी थकान भूल कर मैं सुनीता के चढ़ गया।
उसने भी टांगें चौड़ा कर मेरा पूरा लंड अंदर कर लिया।
फिर जो चुदाई का आलम शुरू हुआ तो आगे पीछे ऊपर नीचे सारे आसन निबटा कर हम चुपक कर लेटे।
अब हमारा बातचीत का विषय था पूजा और रोहित!
मैंने उनकी खूब तारीफ़ की और सबसे ज्यादा तारीफ़ की रोहित के सेक्सी स्वभाव की क्योंकि पूजा ने मुझसे कहा था कि मैं सुनीता से पूजा की तारीफ न करूँ क्योंकि कोई औरत दूसरी औरत की तारीफ़ अपने पति से सुनना पसंद नहीं करती।
मैंने बातों ही बातों में यह भी बता दिया कि रोहित को रोज सेक्स करने की आदत है और वो भी नए नए स्टाइल में!
कुल मिलाकर सुनीता के मन में रोहित के लिए क्रेज पैदा कर दिया।
अगले दिन मैं जब दुकान के लिए निकल ही रहा था, पूजा आ गई और सुनीता को आँख मारकर बोली- कैसी रही?
सुनीता शर्मा गई।
पूजा ने मुझसे कहा- आप दुकान जाओ, मैं सुनीता के साथ घर ठीक करवाती हूँ, मैं शाम तक यहीं हूँ।
मैं समझ गया कि पूजा अपनी जिम्मेदारी पूरी करने आ गई है मैदान में!
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