RE: College Girl Chudai मिनी की कातिल अदाएं
आंटी मेरी तरफ बढ़ी और मेरे लंड को चाटने लगी, बोली- मैंने अभी अभी इसका वीर्य चखा है, इसका लंड पहले लूंगी।
मैंने कहा- तो चढ़ जा लंड पे… सोच क्या रही है?
आंटी बोली- मुझे नीचे आने दो और तुम मुझे चोदो।
मैं अपनी सीट से खड़ा हुआ तो आंटी अपनी टाँगें फैला कर लेट गई।
मैंने कहा- आरके, तू इसके मुंह में अपना लंड पेल दे, मैं इसकी चूत में भरता हूँ।
आरके अपना लंड सहलाता हुआ आंटी के मुंह पर खड़ा हो गया। आंटी सच में कई सालों से नहीं चुदी थी, उसकी चूत बहुत टाइट थी। ऊपर से मेरा लंड भी अभी तक पूरी औकात में नहीं आया था। मैं थोड़ी देर आंटी की चूत पर अपने लंड को रगड़ता रहा जिससे मेरा लंड भी औकात में आ जाये और दूसरा आंटी की चूत भी थोड़ी चौड़ी हो जाये।
मैं आरके से बोला- इसके दोनों हाथ पकड़ के रखना!
और मैंने एक झटका लगाया जो मेरे लंड के टोपे को थोड़ा सा अंदर ले गया, आंटी के मुंह से चीख निकल गई।
मिनी ने आंटी को उनका ब्लाउज दिया और कहा- इसे अपने मुंह में ठूंस लो जिससे चीख न निकले।
आरके ने हाथ छोड़े, आंटी अपने मुंह में ब्लाउज रखते हुए बोली- पूरा घुस गया है न!
मैंने कहा- अभी तो टोपा भी अंदर नहीं गया है। अभी तो पूरा लंड बाकी है जाने को!
आंटी ने मुंह में ब्लाउज ठूंस कर अपने हाथ आरके को पकड़ा दिए। शायद आंटी समझ गयी थी कि अगर उसे अपनी चूत की अच्छी सेवा करानी है तो इनकी पसंद के अनुसार काम करना ही उचित होगा।
अब मैंने थोड़ा सा और धक्का लगाया पर मुझे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि मेरा लंड अंदर गया होगा। इसीलिए मैंने लंड को दुबारा बाहर निकाला और फिर से ठेल दिया अबकी बार थोड़ा और ताकत से!
आंटी की आँखों से निकलता पानी और ब्लाउज के होते हुए उनकी दबी हुई चीख की आवाज़ बता रही थी कि हाँ अब आधा लंड तो अंदर जा चुका है।
मैंने फिर से थोड़ा लंड पीछे लिया और फिर पूरा लंड अंदर तक पेल दिया, फिर धीरे धीरे छोटे छोटे धक्के लगाने लगा जब तक कि आंटी के चेहरे का नक्शा नहीं बदल गया।
अब आंटी के चेहरे पर संतुष्टि दिख रही थी।
मैंने अपने हाथ से आंटी के मुंह में फंसा ब्लाउज हटाया और आरके के लंड को पकड़ के आंटी के मुंह में डलवा दिया।
अब में आरके के बॉल्स को भी सहला रहा था और इधर आंटी की चूत की चुदाई भी कर रहा था।
आंटी इतनी कामोत्तेजित थी कि सपड़ सपड़ करके आरके के लौड़े को चूस रही थी।
मैंने कहा- आज तो तुमने बहुत सारे नए काम किये हैं। अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ!
बोल कर मैं खड़ा हो गया। आंटी की इतना मज़ा आ रहा था कि उन्होंने कुछ नहीं कहा, जैसा कहा जा रहा था, वैसा वो करे जा रही थी।
जब आंटी मेरे ऊपर आ गई तो मैं आरके से बोला- आ जा इसकी गांड में अपना लंड पेल दे।
आंटी बोली- पर मैंने कभी…
मैंने इतना सुनते ही आंटी के मुंह पर हाथ रख दिया- आरके, प्यार से करियो ओ के!
आरके बोला- तू चिंता मत कर, इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी।
और साथ साथ आंटी की गांड पर हाथ भी फेरता जा रहा था।
आरके भी अब चढ़ गया था। आंटी की गांड में लंड जैसे ही गया आंटी तिलमिला गई और गधे की तरह उछलने लगी।
मैंने कहा- कोमल मिनी, तुम दोनों इसके बूब्स और पूरे बदन की अच्छी मसाज करो जिससे यह घोड़ी बिदके नहीं।
मिनी आंटी के बूब्स चूसने लगी और कोमल आंटी के बदन पर पोले हाथों से मसाज देने लगी।
आरके ने फिर धीरे से आंटी की गांड में अपना लंड पेला, धीरे धीरे जब आरके का लंड पूरा अंदर चला गया तो आरके बोला- हाँ रंगीला, गया पूरा लंड अंदर, अब जैसे ही में थ्री बोलूँ तू इसको चोदना शुरू करना!
मैंने कहा- ओके।
आरके बोला- वन, टू एंड थ्री…
मैंने थ्री सुनते ही धक्के लगाने शुरू कर दिए।
आरके ने कुछ ऐसा प्रोग्राम बनाया था जिसमें जब मेरा पूरा लंड अंदर होता तो उसका आधा बाहर और जब उसका पूरा अंदर होता तो मेरा आधा बाहर।
अब आंटी के दोनों छेदों पर लगातार एक के बाद एक प्रहार हो रहे थे, आंटी अब तक कई बार झड़ चुकी थी।
मैंने कहा- अब मैं तुम्हारी गांड मरूंगा और आरके तुम्हारी चूत चोदेगा।
आंटी बोली- मैं इतनी बार झड़ चुकी हूँ कि अब गिन नहीं पा रही। मुझे पर थोड़ा रहम करो!
हमें कहाँ कुछ सुनाई दे रहा था, आरके हटा, मैंने आंटी को हटाया और आरके नीचे लेट गया, उसके ऊपर आंटी ने आरके का लंड अपनी चूत में डलवाया फिर मैंने ऊपर चढ़ के उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया।
मुझे ट्रेन के धक्कों के साथ ताल से ताल मिलाना पसंद आ रहा था। मैं बहुत देर से अपने लंड के पानी को रोक कर धक्कमपेल में लगा हुआ था पर अब मेरे लिए अपना स्खलन रोकना नामुमकिन था।
मैं आरके से बोला- आरके, आगे का तू ही सम्भाल, मैं तो इसकी गांड में अपनी मलाई छोड़ रहा हूँ।
आरके बोला- चिंता मत कर, मैं भी आने ही वाला हूँ।
बारी बारी से हम दोनों ने अपनी अपनी मलाई साथ साथ ही छोड़ दी और थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे अपने अपने लंड गांड और चूत में डाले हुए।
ट्रेन के हिलने से हल्के हल्के धक्के तो लग ही रहे थे।
थोड़ी देर बाद हम तीनों उठे, आंटी ने अपने कपड़े पहने और बाहर जाने लगी।
मैं बोला- सुनो, तुमने हमें अपनी चूत गांड तक दे दी, अब यह तो बता दो कि तुम्हारा नाम क्या है?
आंटी बोली- मेरा नाम आरती है।
मैंने कहा- बाए आरती!
वो लंगड़ाती हुई अपनी सीट पर जा रही थी।
लंड के खड़े होने की कोई उम्मीद नहीं थी पर दो जवान जिस्म मेरे सामने नंगे पड़े थे। तो सोचा चुदाई न सही जिस्म के साथ खेला तो जा ही सकता है, मैं कोमल को बोला- आजा मेरे ऊपर लेट जा!
वो बोली- हाँ भैया!
आरके ने मिनी से कहा- भाभी, आप मेरे ऊपर लेट जाओ।
मिनी मुस्कुरा कर आरके के ऊपर लेट गई।
दोनों ही औरतें हमारे बदन से खिलवाड़ कर रही थी। हम लोग भी थक कर चूर हो चुके थे और हम दोनों जल्दी ही सो गए।
लड़कियाँ पता नहीं सोई या नहीं।
जब मेरे कान में गूंजा कि ‘उठ जाओ… भोपाल आने वाला है।’ तब कहीं जाकर मेरी नींद खुली, आँखें खोली तो देखा जो लड़कियाँ रंडियों की तरह नंगे बदन अभी तक हमारे लण्डों से खेल रही थी, वो एकदम सलीके से साड़ी पहन कर देवियों की भांति प्रतीत हो रही थी।
भोपाल स्टेशन आ गया। आरती को भी हमने ट्रेन से उतरते हुए देखा, मैं सामान उतरवाने के बहाने उसके करीब गया और अपना नंबर देकर बोल आया कि जब दिल करे फ़ोन करना, एक ही शहर में हुए तो मिलेंगे।
खैर फूफाजी हमें लेने स्टेशन आये हुए थे तो हम जल्दी ही घर भी पहुँच गए।
बुआ का घर बहुत बड़ा नहीं था पर छोटा भी नहीं था। बुआ के घर में 10 कमरे थे, उनमें से एक बुआ फूफाजी का कमरा, एक में आरके और कोमल और तीसरे कमरे में शिखा जिसके लिए हम लड़का देखने आये थे, वो रहती थी।
शिखा का रूम छोटा भी था और उसे स्टोर रूम की तरह भी उपयोग में लाया जाता था। बाकी सभी कमरे में आरके के चाचा-चाची, दादा-दादी, ताऊजी-ताईजी और उन लोगों के बच्चे रहते थे।
काफी बड़ा परिवार था, परिवार क्या, एक दो लोग और होते तो जिला ही घोषित हो जाता।
घर में हमेशा ही एक मेले जैसा माहौल रहता है।
खैर हमारे जाते ही हमारा उचित खाने पीने की व्यवस्था थी, हम लोग खाना खाकर अब सोने की तैयारी में थे पर यह समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहाँ सोने वाला है।
मैंने आरके को बोला- भाई ये सामान वगैरह कहाँ रख कर खोलें… और सोना कहाँ है?
आरके मजाक के स्वर में बोला- पूरा घर तुम्हारा है, जहाँ मर्जी आये सामान रखो और जहाँ मर्जी आये सो जाओ।
मुझे लग रहा था कि सभी के लिए कमरे निर्धारित हैं तो शायद हमें ड्राइंग रूम में ही सोना पड़ सकता है।
पर बुआ बोली- सारी औरतें एक कमरे में सो जाएँगी और सारे मर्द एक कमरे में।
सुबह उठकर नहा धोकर तैयार होकर नाश्ते के लिए जब हम इकट्ठे हुए तो देखा कि नेहा वाकयी घर पर ही थी और नाश्ता परोसने में सहायता कर रही थी।
नेहा मुझे देखकर मुस्कुराती और जानबूझ कर अपने अंग का प्रदर्शन करती।
आरके भी ये सब देख रहा था।
शिखा भी काम नहीं थी, कल रात की घटना के बाद उसका व्यवहार बहुत बदला हुआ था, वो मेरे सामने ऐसे बैठी थी कि मैं उसे ही देखता रहूँ।
नाश्ते के बाद मैं आरके को अपने साथ सिगरेट पिलाने बाहर ले गया। जब हम एक गुमटी पर रुके तो मैंने आरके से कहा- यार आरके, नेहा का तूने देख ही लिया?
आरके- हाँ मैं देख रहा हूँ, वो तुझसे ज्यादा ही चिपक रही है।
रंगीला- यार तुझे क्या बताऊँ, ये ले मेरे कल के सारे मैसेज पढ़!
मैंने अपना मोबाइल उसे दिया और सारे मैसेज पढ़ाए।
आरके- तो इसका मतलब तूने उसे कल रात को ही चोद दिया?
रंगीला- नहीं यार… तेरे से वादा जो किया था। उसको संतुष्ट ज़रूर किया मैंने पर ओरल और ऊँगली से… चुदाई नहीं करी!
आरके- वाह यार वाह… तेरे जैसे दोस्त होने चाहिए। दोस्ती के लिए साली चूत जो खुद चलकर आई, उसे भी छोड़ दिया।
रंगीला- हाँ यार, चूतें तो मिलती रहेंगी, पर दोस्ती का कोई मोल नहीं है। अभी भी तू बोलेगा तो चोदूँगा, नहीं तो माँ चुदाये!
आरके- नहीं, जब तू अपने वादे पर टिका रहा तो मैं भी अपना वादा ज़रूर निभाऊंगा। तू चोद साली को, मैं भी तुझे रंगे हाथों पकड़ कर उसे चोदूँगा।
रंगीला: एक और समस्या है, प्लीज मेरी बात पूरी सुनना फिर कुछ कहना।
आरके आश्चर्य से- हाँ बोल?
मैंने आरके को शिखा वाली भी पूरी बात बता दी।
आरके लगभग रोने लगा।
रंगीला- देख यार, तुझे इसलिए बताया क्योंकि तू दोस्त है, तुझे दिल से दोस्त माना है। तू जो कहेगा वही होगा।
आरके- यार जो भी हो, वो मेरी सगी बहन है पर अगर कल रात तूने उसे नहीं छोड़ा होता तो आज शायद में यह बात कह भी नहीं पाता। तू कर जो तुझे ठीक लगे, इस बारे में तो मैं तुझे न ना बोल सकता हूँ न ही हाँ।
रंगीला- तू अगर इतना उदास हो रहा है तो चिंता मत कर, कुछ नहीं होगा शिखा और मेरे बीच!
आरके- मुझे इस सदमे से बाहर निकलने दे, मैं तुझे आज रात की खाना खाने के बाद वाली सिगरेट पर बिल्कुल साफ़ साफ़ बता दूंगा कि मेरी राय क्या है। बस तब तक तुझसे गुजारिश है कि कुछ मत करना। और हाँ, मुझे तुझ पर भरोसा है कि दोस्ती निभाना जानता है।
रंगीला- तो ठीक है, आज शाम को नेहा की चुदाई करते हैं।
आरके- तूने जो बताया, उसके बाद तो मुझे अपनी बीवी को भी चोदने का मन नहीं है।
फ़िर थोड़ा गुस्से में- तू चोद साली रांड नेहा को।
मैंने सोचा कि अभी साला गुस्से में है अभी कुछ ज्यादा फ़ोर्स नहीं करना चाहिए इसलिए वहाँ से घर की तरफ चल दिए।
घर आकर मैं तो अपने मोबाइल पर गेम खेलने लगा और बीच बीच में नेहा को मैसेज भी कर रहा था।
आरके पता नहीं किस उधेड़बुन में लगा हुआ था।
आरके मुझसे थोड़ा कटा कटा सा रहा दिन भर, शाम को मेरे साथ सिगरेट पीने भी नहीं आया।
रात का खाना खाकर मैंने कहा- सिगरेट पीने चलेगा या ऐसे ही मुंह लटका के मुझे इग्नोर करता रहेगा?
आरके बोला- चल बाहर चलते हैं, छत पर नहीं।
हम दोनों गाड़ी पर बैठे और चले दिए दूर के किसी खोपचे में।
आरके- मैं तुझसे जान करके दिनभर से कटा कटा रहा क्योंकि मुझे थोड़ा टाइम चाहिए था सोचने के लिए।
फ़िर थोड़ा रूक कर बोला- और उन दोनों को भी देखना था कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी है।
रंगीला- तो क्या रहा तेरा अवलोकन?
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