RE: College Girl Chudai बिन मिनी की कातिल अदाएं
मिनी बोली,
“यस..रंगीला सार्लिंग…चोदो मुझे…हाँ मुझे पडोसी का लंड बड़ा मजेदार दिख रहा है….मैं किसी दिन जब तुम ऑफिस में होगे …उसे यहाँ बुलाऊंगी …और जम के चुदवाउन्गी…..आह…आह…पेलो….”
जल्दी ही रंगीला मिनी की चूत में झड गया. मिनी को रंगीला से चुदना और साथ में पडोसी को ले कर गंदी गंदी बात सुनने में बड़ा मज़ा आया.
रंगीला ने अपना लंड मिनी की चूत से निकाल लिया और ऊपर शावर लेने चला गया. ऊपर से बोला.
“मिनी, तुम जा कर हेल्लो हाय कर के आ जाओ. और उन्हें शाम को बाद में चाय नाश्ते के लिए इनवाईट लेना”
बाद में, रंगीला जब शावर से निकला, उसने देखा मिनी वहां खडी हो कर कपडे उतार रही थी, नीचे ब्रा नहीं पजानू थी.
“ओह… तुम्हारी ब्रा को क्या हुआ जानेमन?” रंगीला ने पूछा.
“वो मैंने पड़ोसियों से मिलने जाने के पहले उतार ली थी.” मिनी ने आँख मारते हुए बोला.
“ह्म्म्म..तो पड़ोसियों ने तुम्हारे शानदार मम्मे ठीक से ताके की नहीं” रंगीला ने पूछा.
“शायद…. एनी वे, बंसल्स यानी की हमारे नए पडोसी शाम को 6:00 बजे आयेंगे. ओह रंगीला वो बहुत अच्छा आदमी है…अब तुम देखते जाओ..वो जिस तरह से मुझे तक रहा था..मुझे लगता है की मेरा बरसों पुराना सेक्सी सपना पूरा होने वाला है…”
बंसल्स ठीक शाम 6:00 बजे पहुँच गए. सब ने एक दुसरे से परिचय किया. हर आदमी एक दुसरे को टाइट हग कर रहा था. डॉली वहां खड़े हो कर आश्चर्य से इन सब का मिलाप देख रही थी. मिनी को जब जय ने हग किया तो वो इतना टाइट हग था की मिनी उसका मोटा और लम्बा लंड अपने बदन पर गढ़ता हुआ महसूस कर सकती थी. जय ने अपना हाथ मिनी की गांड पर रखा और हलके से मसला. मिनी ने घूम कर इधर उधर देखा – रंगीला सुनीता लगभग उसी हालत में थे. कोमल और डॉली पीछे के दरवाजे से निकल रहे थे. मिनी ने जय से नज़रें मिलाईं और मुस्कराई और फुसफुसाई
“ध्यान से जय…जरा ध्यान से”
इस बात का मतलब था की मेरी गांड से खेलो जरूर पर तब जब कोई देख न रहा हो.
सब लोगों ने ड्राइंग रूम पार कर के पेटियो में प्रवेश किया. मिनी ने वहां सैंडविच, समोसे, चाय वगैरह लगवा रखे थे. रंगीला और मिनी एक दुसरे के देख कर बीच बीच में मुस्करा लेते थे. रंगीला ने ध्यान दिया की उनकी बेटी डॉली एक वहां अकेली लडकी थी जिसने ब्रा पजानू हुई थी.
कोमल हर बहाने से अपने शरीर की नुमाइश कर रही थी. उसे पता था की रंगीला उसे देख देख के मजे ले रहा है.
जय की पत्नी सुनीता काफी खुशनुमा स्वभाव की थी. तब वो झुक कर खाना अपनी प्लेट में डाल रही थी, उसके लो-कट ब्लाउज से उसके मम्मे दिखते थे. रंगीला को यह देख कर बड़ा आनंद आ रहा था. वैसे सुनीता और मिनी दोनों की दिल्ली की लड़कियां थीं. शायद इसी लिए इस मामले में दोनों काफी खुले स्वभाव की थीं.
सब लोग नाश्ता खाते हुए एक दुसरे से बात कर रहे थे. कोमल और डॉली जल्दी से गायब हो गए. शायद वे दोनों डॉली के रूम में बैठ कर कुछ मूवी देख रहे थे. मिनी जय को अन्दर ले कर गयी और उसे दिखाने लगी की उनका इम्पोर्टेड स्टोव कैसे काम करता है. सुनीता रंगीला को देख कर मुस्कुरा रही थी.
“सो ये मोहल्ला मजेदार है की नहीं रंगीला. हम जब गुड़गावां से मूव हो रहे थे, तो वहां के पड़ोसियों को छोड़ने का बड़ा अफ़सोस था हमें. हम उनसे काफी करीब भी आ चुके थे”
सुनीता ने पूछा.
रंगीला मुस्कराने हुए सुनीता के मस्त उठे हुए मम्मे देख रहा था. उसने उसे देखा और जवाब दिया,
“मुझे लगता है आप लोगों के आने से मोहल्ले में नयी रौनक आ जायेगी.”
सुनीता मुस्कराई और बोली,
“ये मुझे एक इनविटेशन जैसा लग रहा है रंगीला. जब हम लोग थोडा सेटल हो जाएँ, तुम और मिनी हमारे साथ एक शाम गुजारना.”
रंगीला बोला,
“ओह उसमें तो बड़ा मज़ा आएगा. हम लोग आपके गुड़गावां के पड़ोसियों वाले खेल भी खेल सकते हैं उस दिन”
“रियली? क्या तुम और मिनी वो वाले खेल खेलना चाहोगे?” सुनीता ने चहकते हुए पूंछा.
सुनीता मनो ये पूँछ रही हो, “अरे रंगीला तो तुम्हें मालूम भी है की हम कौन सा खेल खेल खेलते हैं वहां?”
रंगीला मन ही मन मुस्कराते हुए मना रहा था कि भगवान् करे तुम उसी खेल की बात कर रही हो जिसमें उसे सुनीता की स्कर्ट के अन्दर जाने का मौका मिले.
वह आँख मारते हुए बोला
“सुनीता, अगर तुम सिखाने को तैयार को वो खेल तो हम लोग सीखने में बड़े माहिर हैं”
|