RE: Hindi Sex Story हवस का जंजाल
मिनी की इस हरकत ने मुझे भी पागल सा कर दिया, मैंने उसके चूतड़ों के
नीचे अपने दोनों हाथ ले जा कर उसे ऊपर को उठाया तो उसने अपनी टांगें मेरे
कूल्हों के पीछे जकड़ ली।
इससे उसके चूतड़ों के बीच की दरार चौड़ी हो गई और मेरा मध्यमा उंगली उसकी गाण्ड के छिद्र को कुरेदने लगी।
लड़की मेरे बदन पर सांप की तरह लहरा कर रह गई और मेरी उंगली उस कसे छिद्र को भेदते हुए लगभग एक इंच तक अन्दर घुस गई।
मिनी हांफ़ रही थी- ऊ… पापा… उह पा…आह… ना…
मुझे याद नहीं हम कितनी देर तक इस हालत में रहे होंगे कि तभी उसका मोबाइल घनघना उठा।
और इस आवाज से हमारे प्यार के रंग में भंग हो गया।
उसने एक हल्के से झटके के साथ अपनी टांगें मेरी कमर से नीचे उतारी और बोली- पापा, जरा उंगली निकालो, मैं फ़ोन देख लूँ !
जैसे ही मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड से निकाली उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने नाक तक ले जा कर मेरी उंगली सूंघने लगi।
उसने पीछे हटकर फ़ोन उठाकर देखा तो उसके पति यानि मेरे बेटे रंगीला का फ़ोन
था।
मैंने मिनी की आँखों में देखा तो वो शर्म के मारे मुझसे नजरें चुराने लगी।
मैं इसके पास गया और मिनी से सट कर फ़ोन पर अपना कान लगा दिया।
रंगीला उससे पूछ रहा था कि सुबह क्या क्या किया और मिनी ने भी अभी आखिर की कुछ घटनाओं को छोड़ कर उसे सब बता दिया।
रंगीला ने पूछा कि वो हांफ़ क्यों रही है तो मिनी ने बताया कि वो नीचे
थी और फ़ोन ऊपर, फ़ोन की घण्टी सुन कर वो भाग कर ऊपर आई तो उसकी सांस फ़ूल गई।
सच में मेरी पुत्र-वधू काफ़ी चतुर है ! मैंने मन ही मन भगवान को इसके लिये धन्यवाद किया।
मैं अपने बीते अनुभवों से जानता था कि गर्म लोहे पर चोट करने का
कितना फ़ायदा होता है। मेरे बेटे का फ़ोन बहुत गलत समय पर आया था, बिल्कुल उस
समय जब मैं अपने बहू की योनि तक पहुँच ही रहा था और वो भी मेरी हरकतों का
माकूल जवाब दे रही थी।
अगर रंगीला का फ़ोन बीस मिनट भी बाद में आया होता तो मेरी बहू अपने ससुर के अनुभवी लौड़े का पूरा मजा ले रही होती।
लेकिन शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं था !
मैं फ़ोन पर कान लगाए सुन रहा था– मेरे बेट-बहू लगातार ‘लव यू !’ और चुम्बनों का आदान प्रदान कर रहे थे फ़ोन पर !
और मुझे महसूस हो रहा था कि जितनी देर फ़ोन पर मेरे बेटे बहू की यह
रासलीला चलती रहेगी, मेरे लण्ड और मेरी बहू मिनी की चूत के बीच की दूरी
बढ़ती जाएगी। और शायद रंगीला को बातचीत खत्म करने की कोई जल्दी भी नहीं थी।
मुझे आज मिले इस अनमोल अवसर को मैं व्यर्थ ही नहीं गंवा देना चाहता था, तो मैंने अपनी बहू को उसके पीछे आकर अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मिनी मेरे बेटे के साथ प्यार भरी बातों में मस्त थी और उसने मेरी
हरकत पर ज्यादा गौर नहीं किया, वो अपने पति से बिना रुके बातें करती रही
लेकिन उसकी आवाज में एक कम्पकंपाहट आ गई थी !
“क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?” मेरे बेटे रंगीला ने थोड़ी चिन्ता जताते हुए पूछा।
थोड़ा रुकते हुए मिनी ने जवाब दिया- उंह… हाँ ! ठीक हूँ… जरा हिचकी आ गई थी।
मैंने मिनी के जवाब की प्रशंसा में उसके एक उरोज को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए दूसरा हाथ उसके गाल पर फ़िरा दिया।
रंगीला अपनी पत्नी और मेरी बहू मिनी से कुछ इधर उधर की बातें करने लगा।
लेकिन उसे लगा कि मिनी की आवाज में वो जोश नहीं है जो कुछ पल पहले
था क्योंकि मिनी हाँ हूँ में जवाब दे रही थी और अपने बदन को थिरका कर, लचका
कर मेरी तरफ़ देख देख कर मेरी हरकतों का यथोचित उत्तर दे रही थी।
इससे मुझे यकीन हो गया था कि वो वास्तव में अपने पति के साथ मेरे सामने प्रेम-प्यार की बातें करने में आनन्द अनुभव कर रही थी।
जरा सोच कर देखिए जिस लड़की की शादी को अभी दो महीने ही हुए हों वो
अपने पति से प्यार भरी बातें करते हुए अपने ससुर के सामने पूर्ण नग्न हो और
उसका ससुर उसकी चूचियों से खेल रहा हो !
अब मैं समझ चुका था कि मेरी बहू मुझसे इसके अलावा भी बहुत कुछ पाना चाह रही है तो मैंने भी और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया।
मैंने फोन के माउथपीस पर हाथ रखा और फुसफुसाया- बात चालू रखना, फोन बंद मत होने देना ! ठीक है?
उसने मेरी तरफ वासनामयी नजरों से देखा और हाँ में सर हिलाया। मिनी भी अब खुल कर इस खेल में घुस गई थी।
अब मैं उसके सामने आया और नीचे अपने घुटनों पर बैठ कर अपने हाथ उसके
चूतड़ों पर रख कर उसे अपने पास खींचा और अपने होंठ उसके योनि लबों पर टिका
दिए !
“ओअ अयाह ऊउह !!!” मिनी के होंठों से प्यास भरी सिसकारी निकली !
मैं सुन नहीं पाया कि उसके पति ने क्या कहा लेकिन वो उत्तर में
बोली- ना नहीं ! मैं ठीक हूँ.. बस मुझे ऐसा लगा कि मेरी जांघ पर कुछ रेंग
रहा था…
एक बार रंगीला ने शायद कुछ कहा जिसके जवाब में मिनी ने कहा- शायद मेरी
पैंटी में कुछ घुस गया है… चींटी या कुछ… मैं टेनिस लॉन में घास पर बैठ
गई थी तो…
मेरे बेटा जरूर कुछ गन्दी बात बोला होगा, तभी तो मिनी ने कहा- धत्त !
गंदे कहीं के ! अच्छा ठीक है ! मैं पैंटी उतार कर अंदर देखती हूँ…तो मैं
पांच मिनट बाद फोन करूँ?
उसने हाँ कहा होगा तभी तो उसके बाद मिनी ने मेरे बेटे को फ़ोन पर एक
चुम्मी देकर फ़ोन बन्द कर दिया और फ़ोन को सोफ़े पर उछालते हुए मुझसे बोली-
पापा !
मैं खड़ा हो गया और मिनी को अपनी बाहों मे ले लिया।
मिनी भी मेरी छाती पर अपना चेहरा टिका कर मुझे बाहों के घेरे में लेते हुए धीमी आवाज में बोली- आप बहुत गन्दे हैं पापा !
उसने अपने कूल्हे आगे की तरफ़ धकेल कर मेरी पैन्ट के उभार पर अपनी योनि टिका ली थी।
मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमते
हुए बोला- हाँ ! सही कह रही हो मिनी ! मैं असल में बहुत गन्दा हूँ जान !
अगर मैं गन्दा ना होता तो अपनी प्यारी बहू सोमन को मजा कैसे दे पाता?
मिनी मेरी आँखों में झांकते हुए बोली- अगर रंगीला को पता लगा तो क्या होगा?
मैंने उसके चूतड़ों को थपथपाते हुए कहा- तुम बहुत समझदार हो जानम ! तुम उसे हमेशा खुश और संतुष्ट रखोगी !
मैंने उसके होंठों को फ़िर चूमा, बोला- और मैं तुम्हें हमेशा खुश और संतुष्ट रखूँगा !
“मुझे पता है पापा… ” उसने मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया-
मैं रंगीला से फ़ोन पर बात कर रही थी और आप मुझे वहाँ चूम रहे थे ! कितने
उत्तेजना भरे थे ना वो पल ! मैं तो बस ओर्गैस्म तक पहुँचने ही वाली थी !
मैंने मिनी को सुझाव दिया- अपना फ़ोन उठाओ और बेडरूम में चलो ! वहाँ जा कर आराम से रंगीला से फ़ोन पर बातें करना !
मिनी खिलखिलाते हुए बोली- मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रही थी पापा !
उसने मेरी आँखों में झान्कते हुए कहा- पापा ! मुझे सुमन मौसी ने
बताया था कि आप किसी भी लड़की के मन की बात जान सकते हैं। अब मुझे पता लगा
कि मौसी सही कह रही थी।
हम दोनों खूब हंसे और हंसते हंसते मिनी ने मेरी पैन्ट के उभार को
अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए कहा- क्या मैं इस शरारती को देख सकती हूँ?
“हाँ बिल्कुल ! यह तुम्हारा ही तो है ! मैंने फ़टाफ़ट अपनी पैंट उतारी !
मिनी ने लपक कर नीचे बैठ कर मेरा अन्डरवीयर नीचे खींच दिया। एक झटके
से अन्डवीयर उरतने से मेरा सात इन्च लम्बा तना हुआ लिंग ने जोर से उठ कर
सलामी दी तो वो सामने बैठी मिनी के नाक से जा टकराया।
मिनी जैसे घबरा कर पीछे हटी, फ़िर तुरन्त आगे बढ़ कर उसने एक हाथ से मेरे लटकते अण्डकोषों को सम्भाला औए बहुत हल्के से
अपने होंठ लिंग की नोक पर छुआ दिए।
काफ़ी समय से खड़े लण्ड को गीला तो होना ही था, उसके होंठ छुआने से
मेरे लण्ड का लेस उसके होंठों पर लग गया और एक तार सी उसके होंठों और मेरे
लण्ड की नोक के बीच बन गई।
मिनी ने दूसरे हाथ मेरे लण्ड की लम्बाई को पकड़ा और अपने होंठों पर जीभ फ़िराती हुए बोली- अम्मांह… बहुत प्यारा है !
“जानू, तुम्हें पसन्द आया?” मैं थोड़ा आगे होकर फ़िर से अपने लण्ड को उसके होंठों पर रखते हुए बोला।
“हाँ पापा !” कहते हुए उसने अपनी जीभ मेरे लिंग के अगले मोटे भाग पर फ़िराई। फ़िर एक लम्बी सांस भर कर उसे सूघते हुए बोली- और इसमें से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है !
मैंने उसे कन्धों से पकड़ कर उठाया और कहा- चलो बिस्तर पर चलते हैं।
“एक मिनट !” मिनी ने मेरी शर्ट ऊपर उठा कर उतार दी, फ़िर मेरे लण्ड को पकड़ कर मुझे बिस्तर की तरफ़ खींचते हुए बोली- अब चलो !
अब हम दोनों बिल्कुल प्राकृतिक अवस्था में थे, मैंने उसके कूल्हे पर एक हाथ रख कर उसे बिस्तर की तरफ़ धकेलते हुए कहा- चलो !
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